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‘द्वेषद्रोही’ : अधूरी प्रेम कहानियों और जीवन के विगलित रूपों का डरावना दस्तावेज
पुस्तक समीक्षा

‘द्वेषद्रोही’ : अधूरी प्रेम कहानियों और जीवन के विगलित रूपों का डरावना दस्तावेज

  समीक्षक : राजेश ओझा ग्राम वा पोस्ट मोकलपुर जनपद गोण्डा जनपद न्यायालय गोण्डा में विधि व्यवसाय देश के बड़े पत्र पत्रिकाओं में कहानियाँ, लघुकथाएं, पुस्तक समीक्षा आदि का नियमित प्रकाशन।   द्वेषद्रोही दो दिन पहले ही पढ़कर समाप्त किया है। 'देहाती लड़के' के बाद शशांक भारतीय का यह दूसरा उपन्यास है जो हिन्द युग्म प्रकाशन से आया है। शशांक भारतीय मूलतः व्यंग्यकार हैं, लेकिन मन से संवेदनशील भी। चीजों को वे अप‌नी सूक्ष्म दृष्टि से देखते हैं। संवेदनशील मन सदैव वर्तमान की जांच-परख करता रहता है। अपने अद्यतन समाज की जिन्दगी और हर तरफ उठ रही त्रासद झंझाओं का संस्पर्श उसे व्यक्त करने को विवश कर देता है। शशांक जीवन के उन अन्धड़ों को महसूस करके उसका ना केवल यथार्थ निरुपित करने वाले अपितु भविष्य के लिए बेहतर रचनात्मक सुझाव देने वाले उपन्यास कार के रुप में अपने दूसरे उपन्यास 'द्वेषद्रोही'...