देश संविधान से चलता है
राजेन्द्र लाहिरी
पामगढ़ (छत्तीसगढ़)
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बताओ देवतुल्य अपना
जहर कहां रखते हो,
उड़ेल उड़ेल क्यों
नहीं थकते हो,
रह रह फिजां में
विष घोल देते हो,
माजरा समझे बिना
कुछ भी बोल देते हो,
अधिकार हनन
बिना भी चिल्लाते हो,
दूसरों का हक़
बेदर्दी से खाते हो,
बचा खुचा खुरचन
भी डालते हो खुरच,
क्या डर नहीं लगता
हो न जाये अपच,
क्या जहां और देश
आपके लिए बना है,
हैवानियत कर
क्यों सीना तना है,
देखो अपना लेकर
बैठे हो संपूर्ण आरक्षण,
किस बात से आ रहा
हीनता वाला लक्षण,
कुंडली हर जगह है
तो करो सबका रक्षण,
कर्तव्य भूल कर रहे हो
भक्षण पर भक्षण,
हां आपकी पीड़ा
इसलिए है कि
व्यवस्थाई नियम
खुद नहीं बनाये हो,
अपने अनुसार व्यवस्था
न होने पर बौखलाये हो,
अच्छा बता दो औरों को
कितना सम्मान देते हो,
अस्पृश्यता की नजर
रख इम्तिहान लेते हो,
आपके भ्रामक नजरिये ...