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Tag: राजेन्द्र कुमार पाण्डेय ‘राज’

जनम का साथ
कविता

जनम का साथ

राजेन्द्र कुमार पाण्डेय 'राज' बागबाहरा (छत्तीसगढ़) ******************** सोनू तेरा मेरी जिंदगी में आना फकत इक सपना सा ही है मुझे मालूम तेरे जीवन में बस एक जिम्मेदार किरदार हुँ मैं बेइन्तहा मोहब्बत करता हूँ मुझे ज्ञात तेरे लायक नहीं था तूने भी मोहब्बत बे इंतेहा की एहसान-ए-जिंदगी बन गई मेरी मैंने चाहा है जान से बढ़कर जीना है आब-ए-हयात बनकर मालूम है तुझे गंवारा नहीं मेरा साथ दे सांस टूटते तलक दामन का नही तेरे साये का फिर भी हक जताना चाहता हूं माना कि खण्डहर सा जीवन है नूतन निर्माण की चादर समेटे जज्बातों का कारवां सजा कर साथ नई कहानी गढ़ना चाहता हूं एक नए किरदार के मानिंद तू नए जीवन का आरम्भ समझकर गर तुझे साथ मेरा गवारा हो तो तेरे जज्बातों का सपनों के साथ अपनाकर तेरी हर यादों वादों का तेरा हमसफ़र मैं बनना चाहता हूं अब तलक सूना सूना ये जहां अपलक तेरे आने की राह ताकती खुश...