Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: राजीव डोगरा “विमल”

रहने दो
कविता

रहने दो

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** कुछ ख्वाब कुछ यादें मुझ में रहने दो न मिल सको तो न मिलो खुद को मुझ में ही रहने दो। बीता हुआ वक्त और बीती हुई बातें कभी लौट कर नहीं आती, मगर फिर भी उन यादों को मुझ में सिमटे रहने दो। जो भूल चुका है उसे भूलाने दो फिर भी तुम अतीत में बिखरी हुई भूली हुई यादों को मुझ ही में रहने दो। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानिय...
जागो
कविता

जागो

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** जागो एक बार अपनी अंतरात्मा की आवाज़ के लिए। जागो एक बार अपने हृदय में पनपत्ति अभिलाषाओं के लिए। जागो एक बार अपने अंतर्मन में छिपी सत्यनिष्ठा के लिए। जागो एक बार अपनी स्वतंत्रता की मर्यादा को कायम रखने के लिए। जागो एक बार स्वयं के अंतर्मन में छिपी अंतरात्मा को जगाने के लिए। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ल...
आसार
कविता

आसार

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** नफ़रत सोच समझकर करना मोहब्बत होने के आसार होते हैं। बात सोच समझकर करना इश्क से सब नासार होते हैं। दिल की बात सोच समझकर करना अपनों में भी कई गद्दार होते हैं। हमराही को हमसफर सोच समझकर बनाना धोखा मिलने के आसार होते हैं। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां...
नई मोहब्बत
कविता

नई मोहब्बत

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** जो चेहरे पर नकाब लिए फिरते हैं अक्सर वही मोहब्बत के आसार लिए फिरते हैं। बोलना है तो कुछ बोलिए जनाब क्यों ऐसे चेहरे पर मुस्कान लिए फिरते हैं। लबों से लब जोड़ ही लिए हैं तो बोलिए कुछ जनाब क्यों आंखों के इशारे किए फिरते हैं। लिखना है तो लिखिए हमें अपनी पलकों पर जनाब क्यों निगाहों से हमें चीर दिया करते हैं। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक ...
स्मृति
कविता

स्मृति

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** स्मृति के पथ पर तुमको खोज पाना थोड़ा कठिन था। फिर भी तुमको खोज पाया मैं स्वयं की आत्म अनुभूति में। स्मृति के पथ पर जो शेष रह गया था वो सब धुंधला-धुंधला सा ही था। फिर भी तुम को खोज पाया मैं स्वयं के आत्ममंथन में। स्मृति के पंथ पर तुमको भूल जाना नामुमकिन था फिर भी भूल कर भी न भूल पाया अंतर्मन में तुमको। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी...
ख्वाहिश
कविता

ख्वाहिश

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** ख्वाहिश है मेरी उड़ने की मुझे गिरना न सिखाइए। ख्वाहिश है मेरी मोहब्बत की मुझे नफ़रत न सिखाइए। ख्वाहिश है मेरी जीतने की मुझे हारना न सिखाइए। ख्वाहिश है मेरी मुस्कुराने की मुझे रुलाना न सिखाइए। ख्वाहिश है मेरी जीने की मुझे मरना न सिखाइए। ख्वाहिश है मेरी दिल लगाने की मुझे दिल बहला न सिखाइए। ख्वाहिश है मेरी तेरे साथ रहने की मुझे दूर रहना न सिखाइए। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित क...
मैं विपंथ न हो जाऊं
कविता

मैं विपंथ न हो जाऊं

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मैं पंथ से विपंथ न हो जाऊं मुझे संभाल लेना मेरे ईश्वर। मैं भक्त से अभक्त न बन जाऊं मुझे संभाल लेना मेरे ईश्वर। मैं पुण्य से पाप की तरफ न बढ़ जाऊं मुझे संभाल लेना मेरे ईश्वर। मैं न्याय से अन्याय न करने लग पड़ूँ मुझे संभाल लेना मेरे ईश्वर। मैं जीत कर भी हार न जाऊं मुझे संभाल लेना मेरे ईश्वर। मैं हंसता हुआ कभी रो न पडूँ मुझे संभाल लेना मेरे ईश्वर। मैं इंसान से हैवान न बन जाऊं मुझे संभाल लेना मेरे ईश्वर। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्...
प्रेम
कविता

प्रेम

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** प्रेम उम्र नहीं एहसास देखता है। प्रेम लगाव नहीं तड़प देखता है। प्रेम मुस्कुराहट नहीं आंखों में बहते अश़्क देखता है। प्रेम हमउम्र नहीं हमराही देखता है। प्रेम बहस नहीं झुकाव देखता है। प्रेम बहता हुआ पानी नहीं जलती हुई आग देखता है। प्रेम ह्रदय का रूप नहीं चेहरे का महकता स्वरूप देखता है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, ...
नादान जीवन
कविता

नादान जीवन

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** कुछ नादानियां कुछ अठखेलियां बाकी है मुझ में। क्षण-क्षण घूमती मृत्यु के बीच में जीवांत जीवन बाकी है मुझ में। झूठ के चलते बवंडर में सत्य का जलता हुआ दीपक बाकी है मुझ में। जीवन मृत्यु के बोध में हे! ईश्वर तेरा ध्यान बाकी है मुझ में। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहा...
जीवन-मृत्यु
कविता

जीवन-मृत्यु

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** जीवन मृत्यु का भेद तुमको कुछ बतलाऊंगा। हो सका तो तुमको सच्चा जीवन निर्वाह सिखलाऊंगा। क्षणभर का जीवन क्षणभर की मृत्यु फिर भी तुमको कुछ बतलाऊंगा। भेदभाव की नीव जो रखी तुमनें उसको भी एक दिन मिटाऊंगा। धर्म के नाम पर अधर्म तुम करते हो धर्म की परिभाषा भी तुम अपनी मर्जी से बदलते हो, तुमको सच्चा धर्म एक दिन जरूर सिखलाऊंगा। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय ह...
अलख निरंजन
कविता

अलख निरंजन

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** जाग मछंदर गोरख आया अलख निरंजन नाद सुनाया। महाकाल का भगत बनाया चौसठ योगिनी ९० भैरव का गान सुनाया। ५२ वीर भी संग लाया, जाहरवीर को शिष्य बनाया महावीर संग भगवती काली का गुण गाया। जाग मछंदर गोरख आया आदेश आदेश आदेश कर सब में अलख जगाया। मेलडी मसानी को संग लाया भूत-प्रेत को मार-मार भगाया। जाग मछंदर गोरख आया अलख निरंजन नाद सुनाया। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट...
स्वतंत्रता
कविता

स्वतंत्रता

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** स्वतंत्र देश के परतंत्र नागरिकों जागो अपने अधिकारों के प्रति ही नहीं अपने कर्तव्यों के प्रति भी। स्वतंत्र देश के परतंत्र नागरिकों जागो अपने धर्म की रक्षा के लिए ही नहीं दूसरे धर्मों के मान-सम्मान के लिए भी। स्वतंत्र देश के परतंत्र नागरिकों जागो अपनी बहू बेटियों की रक्षा के लिए ही नहीं दूसरों की बहू बेटियों की सुरक्षा के लिए भी। स्वतंत्र देश के परतंत्र नागरिकों जागो अपनी स्वयं की स्वतंत्रता के लिए ही नहीं अपनी दबी कुचली परतंत्र सोच की स्वतंत्रता के लिए भी। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
आजमाइश- २
कविता

आजमाइश- २

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** नफरत की नहीं मोहब्बत की आजमाइश करो। पराएयो की नहीं अपनों की आजमाइश करो। बुराई की नहीं अच्छाई का ढोंग करने वालों की आजमाइश करो। दिल दुखाने वालों की नहीं दिल लगाने वालों की आजमाइश करो। मरने वालों की नहीं जीने वालों की आजमाइश करो। कड़वी जुबान की नहीं शहद से मीठे होठों की आजमाइश करो। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, क...
जीना सीखो
कविता

जीना सीखो

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** अपने लिए न सही दूसरों के लिए जीना सीखो। गम से भरे चेहरों को ज़रा खिलखिलाना सीखो। मोहब्बत में तो हर कोई मुस्कुराता है दिल टूट जाने पर भी ज़रा जीना सीखो। अपनो ने दगा दे दिया तो क्या हुआ ? गैरों को अपना बनाकर गले लगाना सीखो। मिट्टी हुए जीवन के संजोये हुए ख्वाब तो क्या हुआ ? उस मिट्टी को ही अपने सीने से लगाकर अपना बनाना सीखो। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट...
तेरी तलाश में
कविता

तेरी तलाश में

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मैं आज भी तुमको ढूंढता हूं तेरी अनकही बातों में, मैं आज भी तुमको ढूंढता हूं तेरी खामोश हुई चुपी में, मैं आज भी तुमको ढूंढता हूं इन बरसती हुई बरसातों में, मैं आज भी तुमको ढूंढता हूं इन मखमली सी शामों में, मैं आज भी तुमको ढूंढता हूं इन बहती हुई हवाओं में, मैं आज भी तुमको ढूंढता हूं इन गुमशुम रातों में, मैं आज भी तुमको ढूंढता हूं तुम से हुई मुलाकातों में, मैं आज भी तुमको ढूंढता हूं तुम से हुई छोटी-छोटी बातों में। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि र...
मेरे महाकाल
कविता

मेरे महाकाल

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मैं न जानू काल को, मैं जानू बस महाकाल। रिद्धि-सिद्धि मुझे न भाए प्रेम, स्नेह और भक्ति मुझे में वो सदा जगाये। हंसते खेलते मुझे अपने गले लगाएं। जान शिशु अपना मुझे रिझाए। अलख निरंजन बन मुझे नाद सुनाएं। चार वेदों का भी मुझे ज्ञान करवाएं। योग विद्या मुझे सिखाएं, महाविद्याओं का भी अभ्यास करवाएं। पूर्ण परब्रह्म मुझको ज्ञान करावे, तभी जग में महाकाल जगतगुरु कहलवाये। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाच...
उड़ने दो
कविता

उड़ने दो

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मत बांधो इन नन्हीं चिड़ियो को खुले नील गगन में उड़ने दो। नन्हे-नन्हे पंखों से सहसा इनको भी तो उड़ान भरने दो। लड़की हुई तो क्या हुआ इनको भी तो अपना नाम रोशन करने दो। खुद योनि का भेद कर पहला योन शोषण तुम ही करते हो। लड़की-लड़की बोल कर लिंग भेद भी पहले तुम ही करते हो। मत समझो इनको कमजोर इनके सीने में दुर्गा रहती है इनकी रगों में काली बहती है इनको भी सहसा हब्शियों का सीना फाड़ कर अपने अनुकूल जीने दो। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट...
झूठी यारी
कविता

झूठी यारी

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मोहब्बत न सही नफरत ही किया करो, खुशी न सही गम ही दिया करो, दिल से न सही दिमाग से ही सोच लिया करो, अपनापन न सही परायपन ही दिखा दिया करो, मुस्कान न सही गम के आंसू ही दे दिया करो, बातचीत न सही खामोशी का आलम ही मेरे नाम कर दिया करो परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहा...
भेड़िये
कविता

भेड़िये

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** हवसी भेड़िये कहीं बाहर नहीं हमारे अंदर हमारे आस पास ही रहते है। कभी हमारे गंदे विचारों में, कभी हमारी गंदी निगाहों में। कभी हमारी गंदी सोच में ताकते रहता है वो ओरों की बहू बेटियों को। कभी-कभी अपनी सोच से लाचार होकर ये भेड़िये नोचते है अपनी ही बहू बेटियों को भी। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प...
तुमने कोशिश की
कविता

तुमने कोशिश की

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** तुमने तो पूरी कोशिश की हमारी खिल्ली उड़ाने की हर जगह हरा तरफ, हम फिर भी खिलखिलाते रहे इस मतबली जमाने में। तुमने तो पूरी कोशिश की कि हम जीते जी मर जाए। हम फिर भी हंसते रहे मुस्कुराते रहे, और जीवन की डगर में जिजीविषा लिए जीते रहे। तुमने तो पूरी कोशिश की कि हम जीवन के पथ पर टूट कर बिखर जाए, हम फिर भी खुद को एकत्र किए जीवन के आकाश में हौसलों की उड़ान से उड़ते रहे, हर जगह हरा तरफ। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अ...
जान लिया
कविता

जान लिया

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** क्या फर्क पड़ता है अब तेरे आने से क्या फर्क पड़ता है, अब तेरे जाने से हम तो चर्चित रहेंगे फिर भी इस जमाने में। क्या फर्क पड़ता है अब तेरे रोने से क्या फर्क पड़ता है अब तेरे मुस्कुराने से। हमने जान लिए हैं अब हर तरीके तेरे दिल बहलाने के। क्या फर्क पड़ता है अब दिल लगाने से क्या फर्क पड़ता है अब दिल दुखाने से हमने जान लिया है, महज ये पल भर की खुशी है पल भर की हंसी है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय ...
एक दिन
कविता

एक दिन

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** एक दिन महोब्बत तुम को भी होगी। एक दिन चाहत तुम को भी होगी। एक दिन एहसास तुम को भी होगा। एक दिन वफ़ा तुम को भी रास आएगी। एक दिन दर्द तुम को भी होगा। एक दिन बेवफाई तुमको भी खाएगी। एक दिन दिल तुम्हारा भी तड़पेगा। एक दिन तनहाई तुम्हें भी सताएगी। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेत...
जिंदादिल इंसान
कविता

जिंदादिल इंसान

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** खुशनसीब है वो लोग जो खुशियां बांटते हैं। मोहब्बत का राग और मोहब्बत के गीत सब को सुनाते हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता उनको कि लोग उनको हँसाते हैं या फिर रुलाते हैं। वो बस चेहरे पर हल्की-हल्की मुस्कान लिए जिंदगी बिताते हैं। वो नहीं देखते कि राह में फूल पड़े हैं या फिर चुभते कांटे, वो बस मस्ती के आलम में खोए, कांटों को भी फूल समझ निकल जाते हैं। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित कर...
मेरे शहर में
कविता

मेरे शहर में

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** आओ! कभी मेरे शहर में तुम को गैरों को अपना बनाकर दिल लगाना सिखाए। आओ! कभी मेरे शहर में तुमको हर एक शख्स़ से मोहब्बत करना सिखाए। आओ! कभी मेरे शहर में तुम को नफरतों के बीच में पलता इश्क दिखाएं। आओ! कभी मेरे शहर में तुम को विषाद में भी खिलते हुए चेहरे दिखाएं। आओ! कभी मेरे शहर में तुम को महकते पहाड़ो के बीच पंछियों की मधुर वाणी सुनाएं। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा ...
अक्सर
कविता

अक्सर

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** इश्क़ की रातें और इश्क़ की बातें अक्सर महँगी पड़ती है। ज्यादा समझदारी और लगी हुई इश्क़ बीमारी अक्सर महँगी पड़ती है। गैरों के साथ यारी और अपनों के साथ गद्दारी अक्सर महंगी पड़ती है। जरूरत से ज्यादा समझदारी और गैरों से वफादारी अक्सर महंगी पड़ती है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी...