दीप
राजीव डोगरा "विमल"
कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
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सुनो!
दीपों का त्यौहार आ रहा है
कुछ रोशनी
अपने अंदर भी कर लेना।
सुना है !
अंधकार बहुत है
तुम्हारे अंदर भी
तभी दिखता नहीं तुम्हें
औरों का व्यक्तित्व।
मगर दिख जाता है
सत्य की रोशनी में
औरों को तुम्हारा अहम।
क्या मिट जाएगा?
इस बार
दीपों की रोशनी में
तुम्हारा ज़िदी अहम।
परिचय :- राजीव डोगरा "विमल"
निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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