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Tag: राजनारायण बोहरे

प्यार का भूखा
बाल कहानियां

प्यार का भूखा

राजनारायण बोहरे इंदौर मध्य प्रदेश ******************** रिंकू को तेज बुखार था और वह बिस्तर पर अकेला रो रहा था। सुबह जब उसके पापा अपने दफ्तर जाते समय रोज की तरह रिंकू के कमरे में आये तो पापा से बड़े दबे से अंदाज में उसने कहा था- ’’पापा मुझे कल रात से बहुत तेज बुखार है। प्लीज आज आज आप घर पर रहिये न।’’ पापा ने हमेशा की तरह उसकी प्रार्थना को ठुकरा दिया था- ’’नो रिंकू, इस तरह कमजोर नहीं बनते। तुम्हें मजबूत बनना है- एकदम स्ट्रांग। ये छोटे मोटे बुखारों से भला क्या घबराना। आज मेरे ऑफिस में बहुत जरूरी मीटिंग है, इसलिये मैं घर पर नहीं रूक पाऊंगा।’’ ’’लेकिन पा ’’....कुछ कहने का प्रयास करते रिंकू की बात काटते पापा बोले थे- ’’मैंने फोन कर दिया है। डॉक्टर अंकल तुम्हें दवा दे जायेंगे। घर के दोनों नौकर तुम्हारी सेवा में पहले से ही तैनात हैं न।’’ यह कहकर पापा चले गये तो कम्बल में ...
आसमानी संकट
बाल कहानियां

आसमानी संकट

राजनारायण बोहरे इंदौर मध्य प्रदेश ******************** प्रोफेसर गगन की नींद टूटी तो उन्होंने खड़े होकर अपने हाथ-पांव फैलाये, और अंगडाई ली। फिर आगे बढ़कर सामने रखे टेलीविजन का बटन दबा दिया। टेलीविजन के पर्दे पर सुनहरे रंग के अक्षरों में एक वाक्य लिखा हुआ दिखाई दिया- ’’आज दिनांक एक जून सन् २१४५ है। भारत की जमीन से आठ लाख किलोमीटर दूर घूम रहे इस अंतरिक्ष केन्द्र पर आपका स्वागत है। चलिये हम अंतरिक्ष केन्द्र की पूरी बस्ती के हालचाल जानें।’’ प्रोफेसर गगन ने आवाज लगाई-’’संजय जल्दी से मेरी कसरत की मशीन ले आओ।’’ कुछ सैकेण्ड बाद ही उस कमरे की दांयी दीवार में बना दरवाजा खुला और उसमें से मशीन का बना एक आदमी (रोबोट) अपने हाथों में पाइपों से बनी झूले जैसी एक मशीन घसीटता हुआ कमरे में दाखिल हुआ। प्रोफेसर गगन इस मकान में अकेले रहते हैं। उनकी सेवा करने के लिये एक मात्र रोबोट है। वह...
दिल्ली वाले चाचा
बाल कहानियां

दिल्ली वाले चाचा

राजनारायण बोहरे इंदौर मध्य प्रदेश ******************** जगत और भानू को बड़ा दुख हो रहा था कि वे आज स्कूल क्यों चले गये? एक दिन न भी तो तो क्या बिगड़ जाता? जिस वक्त वे दोनों स्कूल में थे, ठीक उसी वक्त उनके यहाँ दिल्ली वाले चाचा आये थे। स्कूल तो रोज-रोज जा सकते हैं, पर दिल्ली वाले चाचा थोड़ी रोज-रोज आते हैं। वे तो साल भर में एक बार कभी आते हैं, और आते ही जगत और भानू से मिलने जरूर पहुंचते हैं। यूं दिल्ली वाले चाचा इन दोनों के सगे चाचा नही है, पर वे इन दोनों का इतना प्यार करते हैं कि कहा नही जा सकता। जगत और भानू के पापा की मृत्यु पांच साल पहले हो गई थी, तो घर में कोहराम मच गया था घर में सत्तर साल के बूढ़े दादाजी के अलावा कोई दूसरा आदमी न था। जिसका सहारा कहा जा सकता हो। उन दोनों भाईयों के अलावा मम्मी और छोटी बहन अमृता की देखभाल का जिम्मा भी उनके बूढ़े दादाजी के जिम्मे आ गया था। तब तार पाक...