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Tag: राकेश कुमार साह

भीड़ में भी इतनी तन्हाई क्यों है
कविता

भीड़ में भी इतनी तन्हाई क्यों है

राकेश कुमार साह अण्डाल, (पश्चिम बंगाल) ******************** आज भीड़ मे भी इतनी तनहाई क्यों है यूँ अपनो मे ही इतनी रुसवाई क्यों है। तन्हा था मैं, पर फिर भी जो साथ होती थी मेरी वो परछाई भी आज यूँ हरजाई क्यों है। आज भीड़ मे भी इतनी तनहाई क्यों है।। माना की आज वो नहीं है साथ मेरे उसे फिर से पाने का कोई रास्ता नहीं है हाथ मेरे। पर दिल मे अब भी तो उसी की याद है जुड़े हैं सारे उसी के साथ जज़्बात मेरे। पर वो तो मुझे भी भूल जायेगी जैसे भुल गई हर एक बात मेरे। माना की आज वो नही साथ मेरे।। कोई बता दे मुझे साथ रह कर भी चाँद तारों मे यूँ जुदाई क्यों है । कुदरत ने ये मोहब्बत, इस बेदर्द जहाँ मे बनाई क्यों है। जब बिछड़ना ही है मुकाम इसका तो यूँ दिल से दिल की डोर बंधाई क्यों है। आज भीड़ मे भी इतनी तनहाई क्यों है यूँ अपनो मे ही रुसवाई क्यों है। तन्हा था मैं पर फिर भी जो साथ होती थी मेरी वो परछाई भी आज हरजाई क्य...
सन ६२ का काल नही
कविता

सन ६२ का काल नही

राकेश कुमार साह अण्डाल, (पश्चिम बंगाल) ******************** भारत-चीन ना कभी हो सकता भाई-भाई, सरकार हमारी, करे अब इसपर कड़ी करवाई। सन ६२ का काल नही अब, सरकार हमारी बेकार नही अब। आँख झुकाना बहुत हुआ, आँख मिला कर बात करो अब। वक़्त बुरा था, कमजोड़ थें हम, फिर भी हिम्मत ना हारे थें। अब तो है देश समृद्ध हमारा, मातृभूमि हमे है सबसे प्यारा। विश्व पटल पर हिन्दूस्तान के वीर गाथाओं की धूम मची है। देश की रक्षा में, बेटे क्या, बेटियाँ भी सीमा पर खड़ी है। हम कसम लें खुद से, चीन के सामानो का बहिष्कार करेंगे। मिल कर पुरे देश में स्वदेशी का प्रचार और प्रसार करेंगे। भले हमारी संसकृति की पहचान सौहार्द्र और शान्ति है। परन्तु देश के सम्प्रभुता की माँग, फिर एक स्वदेशी क्रांति है। परिचय :-राकेश कुमार साह निवासी : अण्डाल, पश्चिम बंगाल घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी...