स्त्री हूं मैं
रश्मि नेगी
पौड़ी (उत्तराखंड)
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स्त्री हूं मैं
मुझे लाचार मत समझना
शक्ति का स्वरुप,
मां दुर्गा का रूप हूं मैं…
ममता की मूरत,
स्नेह का सागर हूं मैं
दो घरों की लाज हूं मैं,
दो घरों की शान हूं मैं
त्याग, दया,
करुणा की मूरत हूं मैं
गंगा जैसी तरल
और स्वच्छ हूं मैं
स्त्री हूं मैं,
मुझे लाचार मत समझना
शक्ति का स्वरुप,
मां दुर्गा का रूप हूं मैं…
शास्त्रार्थ जो करते,
तो मैं गार्गी बन जाती
आंच जब मेरे पति पर आती,
तो मैं सावित्री बन जाती
अस्तित्व जब मेरे खतरे में होता,
तो मैं काली बन जाती
जुल्म जो तुम मुझ पर करोगे
उठूंगी, लडूंगी और आगे बढूंगी
अपनी समस्याओं का
समाधान स्वयं करूंगी
हिम्मत को अपना साथी बना कर,
अपनी हर मंजिल फतेह कर जाऊंगी
और उतारो मुझे किसी भी क्षेत्र में
तो मैं नाम कमा जाऊंगी
अपनी एक अलग पहचान छोड़ जाऊंगी
स्त्री हूं मैं,
मुझे लाचार मत समझना
शक्ति का स्वरूप मां दुर्ग...