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Tag: रशीद अहमद शेख ‘रशीद’

बरसात
कविता

बरसात

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जीवन के नवगीत मनोहर, चारों ओर सुनाने आई। प्यासी धरती की आशाएँ, फिर बरसात जगाने आई। बूँदों की मोती मालाएँ, अंबर से भू तक आएँगी। गहन घाटियों से शिखरों तक, चाँदी की पर्तें छाएँगी। तपते कण-कण को सुखदाई, शीतलता पहुँचाने आई। प्यासी धरती की आशाएँ, फिर बरसात जगाने आई। सावन में रिमझिम झड़ियाँ तो, भादौ में घनघोर घटाएँ। वन-उपवन में मेघपुष्प की, बिखराएँगी रम्य छटाएँ। नयनों को आकर्षक सुन्दर, अनुपम दृश्य दिखाने आई। प्यासी धरती की आशाएँ, फिर बरसात जगाने आई। मतवारी बदरी के पीछे, कजरारे बादल आएँगे। गाज गिरेगी जब अलगावी, नीर नयन से बरसाएँगे। प्रेमी युगलों को अनुरागी, पाठ कठिन सिखलाने आई। प्यासी धरती की आशाएँ, फिर बरसात जगाने आई। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१...
संत कबीर
कविता

संत कबीर

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सधुक्खड़ी़ थी भाषा उनकी, थी उनकी कविता गंभीर। महा सुधारक थे आजीवन, कहलाए वे संत कबीर। हुआ अवतरण जब काशी में, स्वप्न हुआ कोई साकार। सुखी हुआ उनका पालन कर, नीरू-नीमा का परिवार। हुई कुटी सुखप्रद दोनों की, दर्शन करने उमड़ी भीर। महा सुधारक थे आजीवन, कहलाए वे संत कबीर। वही लिखा जो देखा जग में, पढ़कर विस्मित है संसार। महामना की सोच-समझ का, जन-जन माने नित आभार। सबद-रमैनी में, साखी में, व्यक्त हुई है उनकी पीर। महा सुधारक थे आजीवन, कहलाए वे संत कबीर। परंपराओं को झकझोरा, आडंबर पर साधा वार। कहा "मनुज हैं एक जगत के, एक सभी का है करतार।" "लहू सभी का एक धरा पर, गोरे, काले, दीन, अमीर।" महा सुधारक थे आजीवन, कहलाए वे संत कबीर। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५...
ग्रीष्म
कविता

ग्रीष्म

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ताप ही की हर दिशा में, हो रही नित जीत है। ग्रीष्म यौवन है शिखर पर, भूमिगत अब शीत है। चढ़ रहा पारा निरन्तर, बढ़ रहीं कठिनाइयाँ। कष्टप्रद है धूप रवि की, हैं सुखद परछाइयाँ। वृक्ष की शीतल सुहानी, छाँव मोहक मीत है। ग्रीष्म यौवन है शिखर पर, भूमिगत अब शीत है। थम गईं नदियाँ धरा पर, ताल भी सूखे सभी। अब कहाँ जलचर गए वे, धूम थी जिनकी कभी। अब नहीं गुंजित तटों पर, गीत या संगीत है। ग्रीष्म यौवन है शिखर पर, भूमिगत अब शीत है। श्रम बिना ही स्वेद कण अब, देह पर आसीन हैं। हैं धनी लस्सी व शर्बत, चाय-काफ़ी दीन हैं। चाह शीतल पेय की अब, नित्य आशातीत है। ग्रीष्म यौवन है शिखर पर, भूमिगत अब शीत है। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्...
सुखागमन गीत
गीत

सुखागमन गीत

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** तन-मन पीड़ित प्रहर-प्रहर था, नित कठिनाई ढोने से। दुर्गम पथ भी सुगम हुआ है, साथ तुम्हारा होने से। चैन हृदय से चला गया था, कष्ट असीमित थे भारी। नाग विषैले बने सभी दुख, थे डसते बारी-बारी। अवसर सुख के चले गए थे, बीज अश्रु के बोने से। दुर्गम पथ भी सुगम हुआ है, साथ तुम्हारा होने से। दूर हुए थे सभी सहायक, पास बचीं थीं दुविधाएँ। पग-पग बाधा खड़ी हुई थी, रूठ गईं थीं सुविधाएँ। मिलने आता रहा निरन्तर, दुख महि के हर कोने से। दुर्गम पथ भी सुगम हुआ है, साथ तुम्हारा होने से। तुम आए तो मिले सभी सुख, भाग्य जगा जो सोया था। प्राप्त हुआ है पुनः सभी वह, जो भी मैंने ने खोया था। संध्याएँ अब लगें रजत-सी, भोर लगें सब सोने-से। दुर्गम पथ भी सुगम हुआ है, साथ तुम्हारा होने से। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्य...
जन्मदिवस पर अनंत शुभकामनाएं
जन्मदिवस

जन्मदिवस पर अनंत शुभकामनाएं

राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच www.hindirakshak.com के वरिष्ठ साहित्यकार श्री रशीद अहमद शेख़ "रशीद" इंदौर (मध्य प्रदेश) का आज ०१ अप्रैल को जन्मदिवस है ... इस पटल के माध्यम से नीचे दिए गए कमेंट्स बॉक्स में संदेश भेजकर आप शुभकामनाएं दे सकते हैं…. आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख,...
मीरा तो थीं प्रेमदिवानी
कविता, भजन

मीरा तो थीं प्रेमदिवानी

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कहता है इतिहास कहानी, मीरा तो थीं प्रेमदिवानी। कान्हा की थीं वे अनुरागी, माना उनको ही नित स्वामी। महलों का सुख रास न आया, प्रेम डगर की थीं अनुगामी। बहुत मनाया नित्य उन्हें पर, राणा जी की एक न मानी। कहता है इतिहास कहानी, मीरा तो धीं प्रेम दिवानी। राणा भेजे एक पिटारा, मंशा थी मीरा डर जाएँ। खोलें जब तत्काल उसे तो, नाग डसे उनको, मर जाएँ। नाग बना माला सुमनों की, विस्मित थे राणा अभिमानी। कहता है इतिहास कहानी, मीरा तो थीं प्रेमदिवानी। राणा ने फिर विष भिजवाया, कह प्रसाद है यह मोहन का। राणा थे भारी अचरज में, पी मीरा ने शीश झुकाया। श्याम भजन गाकर मंदिर में, जोगन बन बैठी वह रानी। कहता है इतिहास कहानी, मीरा तो थी प्रेमदिवानी। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/...
प्रेरणा
कविता

प्रेरणा

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** परमेश की कृपा है, गुरुवर की प्रेरणा है। बाहर की प्रेरणा ही, अंतर की प्रेरणा है। गंभीरता परम है, विस्तृत है रूप उसका। अस्तित्व है धरा पर, अद्भुत अनूप उसका। अविरल मनुज-मनुज को, सागर की प्रेरणा है। बाहर की प्रेरणा ही, अंतर की प्रेरणा है। होता उदित समय पर, करता है भू प्रकाशित, अवकाश पर न जाता, करता है नित्य प्रेरित। आकाश के अनोखे, दिनकर की प्रेरणा है। बाहर की प्रेरणा ही, अंतर की प्रेरणा है। बदले सदा कलाएँ, संसार को ख़ुशी दे। बिन भेदभाव सबको, शीतल सी रोशनी दे। जग को युगों-युगों से, हिमकर की प्रेरणा है। बाहर की प्रेरणा ही, अंतर की प्रेरणा है। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, ...
शपथ गीत
गीत

शपथ गीत

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** रहें सदा ही दूर छद्म से, सकल जगत में काज सभी। गमन करेंगे सत्य मार्ग पर, शपथ उठाएँ आज सभी। सतत पढ़ाएँ पाठ प्रेम का, घृणा धरा से दूर करें। महा प्रयासों के अमोघ से, दुखी मनुज की पीर हरें। सदा रखें निज जन्म भूमि की, दिशा-दिशा में लाज सभी। गमन करेंगे सत्य मार्ग पर, शपथ उठाएँ आज सभी। मनुज सभी हैं एक विश्व में, रक्त सभी का लाल यहाँ। थके सभी की देह एक दिन, चले नित्य अविराम कहाँ। करें सुशोभित नित्य शीश पर, सुखद गुणों का ताज सभी। गमन करेंगे सत्य मार्ग पर, शपथ उठाएँ आज सभी। नहीं बचें शोषक समाज में, मिले सभी को न्याय सुखद। कभी भलाई और प्रेम के, नहीं रहे परिणाम दुखद। रहें नियंत्रित आसमान में, कुटिल शिकारी बाज सभी। गमन करेंगे सत्य मार्ग पर, शपथ उठाएँ आज सभी। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक...
नव वर्ष स्वागत गीत
गीत

नव वर्ष स्वागत गीत

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** वृद्ध दिसम्बर के जाते ही, आया जग में नूतन वर्ष। आशाएँ जागीं हैं अगणित, सभी ओर है स्वागत हर्ष। कोरोना पर हुआ नियंत्रण, टीकों ने पाई है जीत। यत्न सकल मानव रक्षा के, सफल हुए हैं आशातीत। लाएँगे परिणाम सुखद ही, सकारात्मक सब संघर्ष। आशाएँ जागीं हैं अगणित, सभी ओर है स्वागत हर्ष। बाज़ारों में चहल-पहल है, बढ़ने लगे सभी व्यापार। प्रतिष्ठान खुल गए सभी अब, घर से निकले हैं नर-नार। पाएँगे सब अच्छे अवसर, अब होगा सबका उत्कर्ष। आशाएँ जागीं हैं अगणित, सभी ओर है स्वागत हर्ष। अकर्मण्यता लुप्त हो गई, करने लगे सभी जन कार्य। निज जीवन निर्वाह के लिए, हुआ परिश्रम है अनिवार्य। उन्नत होंगी सभी दिशाएँ, कहीं नहीं होगा अपकर्ष। आशाएँ जागीं हैं अगणित, सभी ओर है स्वागत हर्ष। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उ...
शीत का गीत
कविता

शीत का गीत

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सड़क किनारे बेघर निर्धन, सोते हैं वे भी मानव हैं। सर्द हवाओं से नित पीड़ित, होते हैं वे भी मानव हैं। नहीं पहनते ऊनी कपड़े, स्वेटर मफलर कोट नहीं हैं। किसी गर्म जैकेट जर्सी की, तन पर उनके ओट नहीं हैं। जिनके बच्चे ठिठुर-ठिठुर कर, रोते हैं वे भी मानव हैं। सर्द हवाओं से नित पीड़ित, होते हैं वे भी मानव हैं। नहीं भवन या हीटर कोई, जलते हैं बस कुछ अंगारे। किसी तरह उष्मा देते हैं, अपनी काया को बेचारे। बिना भित्ति की कुटिया में जो, होते हैं वे भी मानव हैं। सर्द हवाओं से नित पीड़ित, होते हैं वे भी मानव हैं। ठंड बहुत विचलित करती है, करवट अपनी नित्य बदलते। किसी समय लगती है झपकी, रजनी के कुछ ढलते-ढलते। अधिक समय तक अपनी निद्रा, खोते हैं वे भी मानव हैं। सर्द हवाओं से नित पीड़ित, होते हैं वे भी मानव हैं...
चलो धरा को स्वर्ग बनाएँ
कविता

चलो धरा को स्वर्ग बनाएँ

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** घृणा विश्व में बहुत हो गई, हम सब इसको दूर भगाएँ चलो प्रेम की सुधा वृष्टि से, पुण्य धरा को स्वर्ग बनाएँ। नहीं त्यागना कभी मीत को, सम्बन्धों को तोड़ न देना। रार अगर कुछ हो जाए तो, मुखड़ा अपना मोड़ न लेना। गए रूठ कर किसी बात पर, उन रूठों को आज मनाएँ। चलो प्रेम की सुधा वृष्टि से, पुण्य धरा को स्वर्ग बनाएँ। नही असंभव कहीं कर्म कुछ, संभव है सब आप करें तो। घृणा-उष्णता अगर घोर हो, प्रेम-पुष्प से ताप हरें तो। करें यत्न सब मिले जीत ही बंजर भू पर फूल खिलाएँ। चलो प्रेम की सुधा वृष्टि से, पुण्य धरा को स्वर्ग बनाएँ। कथन प्रेम के रहें नित्य ही, शब्द मधुर हों,क्रोध न आए। उसे रोक दें सदा प्रेम से, जो अनबन के राग सुनाए। सभी ओर हो मधुर रागिनी, सरगम ऐसी नित्य सुनाएँ। चलो प्रेम की सुधा वृष्टि से, पुण्य धरा...
भू पर दीप जले हैं
कविता

भू पर दीप जले हैं

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कुम्भकार के हाथों में ही, जन्मे और पले हैं। स्नेह और बाती को पाकर, भू पर दीप जले हैं। देह भूमि की मिटटी की है, चक्के पर चढ़ आए। कुम्भकार ने इन दीपों के, शुभ आकार बनाए। तेज ताप में काया तापी, तप कर ठोस ढले हैं। स्नेह और बाती को पाकर, भू पर दीप जले हैं। दीप आज आलोकित अगणित, किरणें भाग रहीं हैं। आज रात में सकल दिशाएँ, तम को त्याग रही हैं। देख रश्मियों को अँधियारे, बैठे दीप तले हैं। स्नेह और बाती को पाकर, भू पर दीप जले हैं। जब प्रकाश करते हैं दीपक, होता है मन पुलकित। कीट-पतंगे हों या मानव, होते हैं सब हर्षित। रात में सभी की आँखों को, लगते नित्य भले हैं। स्नेह और बाती को पाकर, भू पर दीप जले हैं। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू...
दीपक
कविता

दीपक

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कुम्भकार ने माटी घड़कर मुझे एक आकार दिया है मेरे अन्दर स्नेह संग बाती जलती है किरणें आलोकित होतीं हैं दसों दिशाओं में जातीं हैं उन्हें देखकर अंधकार निर्वासित होता शरण माँगता है वह सबसे कहीं आश्रय उसे न मिलता मुझे दया आ जाती उसपर वह विनयी हो कहता मुझसे "मुझे आश्रय दो चरणों में" मेरे चरणों में वह रहता जगमग करतीं सभी दिशाएँ मेरी आलोकित किरणों से परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विधा ~ कविता,गीत, ग़ज़ल, ...
मन की कल्पना
कविता

मन की कल्पना

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** करती नित्य प्रदत्त है, मुझे नए आयाम। मेरे मन की कल्पना, चंचल है अविराम। अनुपम चिड़िया कल्पना, भरती उच्च उड़ान। त्वरित चाल चलते सतत, इसके सब अभियान। भ्रमण करे दिन-रात ही, करे नहीं विश्राम। मेरे मन की कल्पना, चंचल है अविराम। मन की आँखें कल्पना, देखे दृश्य अनेक। होता उसके कृत्य से, भावों का अतिरेक। नहीं चैन उर को कभी, उलझन है परिणाम। मेरे मन की कल्पना, चंचल है अविराम। अविरल मन की शासिका, रहती मद में चूर। करे बहुत मनमानियाँ, रहे सत्य से दूर। अचरज में मस्तिष्क है, लगती है अभिराम। मेरे मन की कल्पना, चंचल है अविराम। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम•...
तान गीत
गीत

तान गीत

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बोल सुनकर पाँव थिरकें, सुख न अंतर में समाए। छेड़ दो वह तान मितवा, हर हृदय ही झूम जाए। हो अनोखा ढंग लय का, ताल में हो रंग प्यारा। तान में जादू असीमित, राग में हो भाव न्यारा। रागिनी या राग जो हो, प्रेम की गंगा बहाए। छेड़ दो वह तान मितवा, हर हृदय ही झूम जाए। मुग्ध हों बहती हवाएँ, शैलजा गति भूल जाए। चाँद-सूरज और तारे, डूब जाएँ बिन बताए। शब्द छाएँ भू पटल पर, धूम यों सरगम मचाए। छेड़ दो वह तान मितवा, हर हृदय ही झूम जाए। तान सुनते ही सुरीली, हों प्रभावित जीव सारे। हों जलज अथवा गगनचर, स्वर लगें सबको ही प्यारे। गीत गुंजित हो धरा पर, पर गगन को भी रिझाए। छेड़ दो वह तान मितवा, हर हृदय ही झूम जाए। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला ...
हिंदी भाषा
कविता

हिंदी भाषा

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हिंदी का गुणगान निरन्तर, करता रहता है जग सारा। जय बोलो हिंदी भाषा की, हिंदी से सम्मान हमारा। कोटि-कोटि कंठों को प्यारी, बिटिया है वैदिक भाषा की। हिंदी तो सस्वर प्रतिमा है, भारत माँ की अभिलाषा की। देवनागरी लिपि है अनुपम, सरल व्याकरण इसका न्यारा। जय बोलो हिंदी भाषा की, हिंदी से सम्मान हमारा। ब्रज, अवधी या बुन्देली हो, अथवा कन्नोजी हो बोली। मुखरित होती हैं भारत में, हिंदी की हैं सब हमजोली। भारत के जन-जन ने इसको, अपनाया है बहुत दुलारा। जय बोलो हिंदी भाषा की, हिंदी से सम्मान हमारा। दूर देश में भी हिंदी ने, विजय पताका फहराई है। कहाँ नहीं हिंदी की महिमा, कहाँ नहीं हिंदी छाई है। सभी दिशाएँ हुईं साक्षी, गूँज रहा हिंदी का नारा। जय बोलो हिंदी भाषा की, हिंदी से सम्मान हमारा। परिचय -  रशीद अहमद शे...
रक्षाबंधन गीत
गीत

रक्षाबंधन गीत

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सुखदाई वर्षा ऋतु आई, धरती पर सावन मुस्काया। राखी पर बहना उदास है, सब आए पर अनुज न आया। सात समंदर पार बसा है, पत्र बहुत लम्बे लिखता है। मोबाइल पर करता बातें, मुखड़ा भी उसका दिखता है। मन में कुछ बदलाव नहीं है। बदल गई पर उसकी काया। राखी पर बहना उदास है, सब आए पर अनुज न आया। अधिक व्यस्त है वह कहता है, उसे मिला अवकाश नहीं है। है विदेश में दुनिया सारी, पर भारत-सा प्राश नहीं है। माँ के हाथों निर्मित लड्डू, जग में अनुपम कहीं न पाया। राखी पर बहना उदास है, सब आए पर अनुज न आया। पापा स्वस्थ नहीं रहते हैं, मौन बहुत रहतीं हैं माता। केवल सात महीने बीते, दादी त्याग गईं हर नाता। सभी कुशल-मंगल है घर में, भाई को बस यही बताया। राखी पर बहना उदास है, सब आए पर अनुज न आया। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहि...
मानव शरीर
कविता

मानव शरीर

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** पंच तत्व का पुतला मानव जीवन-संचालन अंगों से तंत्र-समन्वय अद्भुत अनुपम अंगराज उर नख से शिख तक प्रेषित करता रक्त निरन्तर ले जातीं धमनियाँ शिराएँ लातीं अविरल स्पंदन चलता आजीवन प्राण वायु फुफ्फुस तक जाकर प्राणवान करती काया को श्वसन चले अंतिम सांसों तक नयन निहारें सारे दृश्य मानस पट पर चित्र बनाएँ जीभ स्वाद का ज्ञान कराए संभाषण में बने सहायक कर्ण सुनें संतुलन बनाएँ दाँत करें चक्की का कार्य वाणी होती अधरासीन कर्म करें कर छूकर पाएँ भौतिक ज्ञान पग पथ पर चलकर पा लेते अपना अभिलाषित गंतव्य क्षणभंगुर नश्वर शरीर है करे आत्मा इसमें वास जिस क्षण तन से हटे आत्मा मानव रूपी चलित देह तब शव में परिवर्तित होती है मिल जाती फिर भू-तत्वों में परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ ...
भौतिकतावादी संसार
कविता

भौतिकतावादी संसार

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** भौतिकता का प्रेमी यह जग रंग-रूप आकार सराहे करे सदा भौतिक सत्यापन दृश्य, गंध, स्पर्श, नाद से करता है पहचान सभी की चमक-दमक का सतत प्रशंसक कृत्रिम गंध से भ्रम का पोषक कोमल सतहों को शुभ माने स्वर की सरगम में डूबा है ठाट-बाट के पीछे पड़ता महलों के शिखरों को देखे कुटिया उसके लिए उपेक्षित धन से तोले मान-प्रतिष्ठा बाहर-बाहर परखे सबकुछ देख नहीं पाए अंतर्मन भौतिकतावादी संसार परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोविद कार्यक्षेत्र ~ सेवानिवृत प्राचार्य सामाजिक गतिविधि ~ मार्गदर्शन और प्रेरणा लेखन विध...
सजल
कविता

सजल

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** वसुन्धरा के हर कोने में होता इसका मान है। कहीं नहीं दुनिया में अपने जैसा हिन्दुस्तान है। अखिल विश्व में भारत की महिलाओं का सम्मान है। महा पुरुष भी जो जन्मे होता उनका गुणगान है। नहीं युद्ध हो अब धरती पर सब मानव यह ठान लें सकल जगत में भारत ही ने छेड़ा यह अभियान है। सभी युगों में हमने अविरल रचा नया इतिहास शुभ जहाँ कहीं भी जाएँ अपने भारत की पहचान है। महा शक्तियों ने भी माना भारत के अवदान को गर्व हमारे अंतर में है अधरों पर मुस्कान है। बहुत हुई है अपनी भू पर गतिविधियाँ विज्ञान की, नहीं शत्रुओं को भारत की क्षमता का अनुमान है। 'रशीद' ऐसे यत्न करें हम देश अधिक बलवान हो, धरा हमारी प्रतिक्षण अपनी आन बान है शान है। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ...
पावन गंगा
कविता

पावन गंगा

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** देव नदी सारी दुनिया में, भारत की पहचान। सारे नर-नारी करते हैं, गंगा का सम्मान। गंगा पावन नदी हिन्द की, गंगा तो है प्राण। जिसने देखा धन्य हुआ वह,पाता अनुपम त्राण। ग्रंथों में भी तो मिलता है, गंगा का गुणगान। गंगा है सारी दुनिया में, भारत की पहचान। स्वच्छकारिणी पापहारिणी, करती हर्ष प्रदान। धरती पर है नहीं कहीं भी, सरिता गंग समान। गंगा तट पर चलते रहते, नित्य नए अभियान। गंगा है सारी दुनिया में, भारत की पहचान। गंगा में जो जल मिलता है, बढ़ता उसका मान। सुरसरिता वह भी कहलाता, होता गंग समान। गर्वित है गंगा-गरिमा पर, सारा हिन्दुस्तान। गंगा है सारी दुनिया में, भारत की पहचान। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी...
गाँव
कविता

गाँव

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सुन्दर शोभित शीतल गाँव हमारे हैं। उनपर मोहित सूरज-चाँद-सितारे हैं। हरे-भरे हैं वहाँ खेत-खलिहान सभी। श्रम करते हैं कृषक आलसी नहीं कभी। हरियाली के कारण भू पर न्यारे हैं। सुन्दर शोभित शीतल गाँव हमारे हैं। सजती है चौपाल नीम के वृक्ष तले। वहाँ प्रश्न हल करते हैं कुछ लोग भले। वहाँ स्नेह बन्धन है, भाईचारे हैं। सुन्दर शोभित शीतल गाँव हमारे हैं। पर्यावरण प्रदूषण पीड़ित गाँव नहीं। कहाँ बताओ वहाँ मनोहर छाँव नही। वहाँ शुद्धता के पग-पग उजियारे हैं। सुन्दर शोभित शीतल गाँव हमारे हैं। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, ...
वृक्ष
कविता

वृक्ष

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** प्राण वायु भण्डार वृक्ष हैं जीवन के आधार वृक्ष हैं देते हैं वे शीतल छाया सुख का शुभ संसार वृक्ष हैं फल प्रदान करते हैं अगणित स्वप्न करें साकार वृक्ष हैं फूल पर्ण शाखा फल या जड़ इन सबका का आगार वृक्ष हैं जीव-जन्तुओं को आमंत्रण देते बारम्बार वृक्ष हैं विहग बनाते नीड़ डाल पर जग में बहुत उदार वृक्ष हैं अंग-अंग इनका उपयोगी सतत करें उपकार वृक्ष हैं कभी पालना बन जाते हैं कभी बनें अंगार वृक्ष हैं जब 'रशीद' आरी चलती है सहते दुखद प्रहार वृक्ष हैं परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्कृत शिक्षा ~ एम• ए• (हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य), बी• एससी•, बी• एड•, एलएल•बी•, साहित्य रत्न, कोव...
दुनिया का कुछ भान नहीं था
गीत

दुनिया का कुछ भान नहीं था

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** दुनिया का कुछ भान नहीं था, सभी लोग लगते थे अपने। नवयौवन के मादक दिन थे, नित आते थे सुन्दर सपने! प्रेम अनल ने घेर लिया था, नयनों से बहता था पानी! सुध-बुध सारी बिसराई थी, बैठी थी सिर पर नादानी। प्रेम रोग के कारण हरदम, तन-मन बहुत लगे थे तपने! नवयौवन के मादक दिन थे, नित आते थे सुन्दर सपने! मानव मन की मर्यादा है, सहनशीलता की भी हद हैं! कष्ट और कठिनाई हों तो, डगमग-डगमग होते पद हैं! जब दुख की आँधी चलती थी, लगता था उर अधिक तड़पने! नवयौवन के मादक दिन थे, नित आते थे सुन्दर सपने! टूट गए थे बाँध सब्र के, आशा के दीपक कंपित थे! रुका हुआ था भाग्य सितारा, नियति के निर्णय लंबित थे! संकट की छाया में प्रायः, ईश नाम लगते थे जपने! नवयौवन के मादक दिन थे, नित आते थे सुन्दर सपने! परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित...
दया करदो अब तो करतार
गीत

दया करदो अब तो करतार

रशीद अहमद शेख 'रशीद' इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** दया करदो अब तो करतार। घिरा है संकट में संसार। हुई है सारी धरती त्रस्त। नहीं है कौन आपदाग्रस्त। मचा है जग में हाहाकार। घिरा है संकट में संसार। विनाशक है कोरोना रोग। गए जग से हैं लाखों लोग। हो रहा अगणित का उपचार। घिरा है संकट में संसार। पुरुष-नारी, बच्चे या वृद्ध। रोगवश हैं सब घर में बद्ध। प्रभावित हुए सभी परिवार। घिरा है संकट में संसार। दुकानें कर्फ्यू में हैं बन्द। हुई गतिविधियाँ हैं अब मन्द। बन्द हो गए सभी व्यापार। घिरा है संकट में संसार। ज्ञान-शिक्षा की संस्थाएँ। कौन जाने कब खुल पाएँ। हृदय में आते विविध विचार। घिरा है संकट में संसार। परिचय -  रशीद अहमद शेख 'रशीद' साहित्यिक उपनाम ~ ‘रशीद’ जन्मतिथि~ ०१/०४/१९५१ जन्म स्थान ~ महू ज़िला इन्दौर (म•प्र•) भाषा ज्ञान ~ हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, संस्...