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Tag: रमेशचंद्र शर्मा

समीर में शब्द उड़ाकर देख
कविता

समीर में शब्द उड़ाकर देख

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** समीर में शब्द उड़ाकर देख । भावों को भव्य बनाकर देख। मेघा से बातें आंख मिचौली आंसू में भाव भिंगाकर देख। होंगे अलंकृत उपमा उपमेय करुणा के बीज उगाकर देख। छंद बंध मुक्त उन्मुक्त अज्ञेय सस्वर नवगीत गाकर देख। पर्वत पृकति पृथ्वी पाषाण मन में श्रृंगार सजाकर देख। संयोग वियोग प्रयोग नियोग बिंब सागर में नहाकर देख। सरोज सूरज तारक चंद्रिका नयनों से नीर बहाकर देख। चांदनी रात में आकाशी बातें धरा पर चांद खिलाकर देख। परिचय : रमेशचंद्र शर्मा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, क...
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लघुकथा

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रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** शराबी अय्याश पति संकेत की प्रताड़ना से व्याकुल सरिता बदनामी के डर से मन मसोसकर रह जाती। अंतर्जातीय प्रेम विवाह के बाद भी सरिता का चयन गलत निकला। माता-पिता से विद्रोह कर चुकी सरिता ससुराल में भी सम्मानजनक स्थान नहीं बना पाई। देर रात शराब के नशे में धुत संकेत सरिता पर चिल्लाने लगा "तुमने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया। मेरे भावनाओं का फायदा उठाकर शादी कर ली। अब मैं तुमसे छुटकारा पाना चाहता हूं।" सरिता "हमारी शादी कुछ सालों तक प्रेम सम्बन्ध रहने के बाद आपसी सहमति से हुई है। अब आपको मुझमें खोट नजर आने लगी।" संकेत "अपने पिता की इकलौती संतान हूं। मेरे पास अच्छी खासी धन दौलत है। लड़कियों की कतारें लगी रहती थी। तुमने अपने प्रेम जाल में फंसाकर मुझे अंधा कर दिया था।" सरिता "नादान तो मैं निकली। आप पर आंख मूंदकर भरोसा करती रही। आपने मेरे भरोस...
घायल शेरनी
कहानी

घायल शेरनी

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************  विमला का पति शहर के नामचीन सेठ के यहां बंगले पर चौकीदारी करता था। विमला की १२ साल की बेटी थी। विमला भी सेठ के यहां झाड़ू पोछे का काम करती है। विमला के पति को सेठ ने परिसर में ही एक कमरा सर्वेंट क्वार्टर के रूप में दे रखा था। विमला का पति शराबी था। वह अक्सर शराब के लिए विमला से रुपए मांगता एवं झगड़ा करता रहता। यह बात सेठ एवं उसके पूरे परिवार को मालूम थी। एक बार सेठ सपरिवार किसी रिश्तेदार की शादी में गए हुए थे। अचानक रात में सेठ की हवेली में डकैत आ जाते हैं। हवेली में विमला का पति अकेला था। उसने डकैतों को रोकने की कोशिश की। डकैतों ने विमला के पति की हत्या कर दी। लूटपाट करके सोने के कुछ जेवर विमला के घर के पीछे तफ्तीश भटकाने की नियत से फेंककर चले गए। सुबह हत्या की जानकारी मिली। सेठ को बुलवाया गया। सेठ ने विमला पर शक जाहिर किया। ...
पिता का श्राप
सत्यकथा

पिता का श्राप

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मालगुजारी का समय। पटवारी रामशंकर। खानदानी पटवारी। पुरानी मैट्रिक पास। ७० बीघा के काश्तकार। गीता पाठी, शास्त्रों के जानकार। इकलौती संतान होने से नौकरी नहीं की। पिता के स्वर्गवासी हो जाने पर पटवारी बन गए। पूरा गांव उन्हें पटवारी जी कह कर बुलाता। बड़ी मान मन्नत के बाद लड़का हुआ। पूरे गांव में मिठाइयां बांटी। समय गुजरने लगा। पटवारी जी के पिता शांत हो गए। कुछ समय बाद पटवारी जी की पत्नी भी शांत हो गई। बेटा सुरेश २० वर्ष का हो गया था। पटवारी जी ने पास के ही गांव के प्रतिष्ठित परिवार में सुरेश की शादी कर दी। सुरेश की पत्नी उषा स्वभाव से तेज थी। समय के साथ साथ पटवार जी थक गए। पटवारी जी को आंखों से कम दिखाई देने लगा। पटवारी जी मीठा खाने के शौकीन थे। उनकी माली हालत भी ठीक थी। सुरेश स्वाभाव से चिड़चिड़ा था। खेती-बाड़ी का सारा कारोबार सुरेश...
गणेश वंदना
भजन, स्तुति

गणेश वंदना

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जय बप्पा गणेशा, सकल विश्व विशेषा रिद्धि सिद्धि प्रदाता, शुभंकर श्री गणेशा !... विघ्न विनाशक देवा, गज महाकाय सेवा, सर्व मंगल मूर्ति देवा, लंबोदर मोदक मेवा, नाशो दुख कलेशा !..... मूषक यान प्रणेता, अखिल विश्व विजेता, वेद शास्त्र अध्येता, स्वाध्याय दान देता, भांति भांति गणवेशा !.... शील स्वभाव भंडारी, सदा प्रसन्न उपकारी, धीर उदार जय कारी, भव ताप भय हारी, कल्याणक उपदेशा !... एकदंत हर पीरा, गजा धारी शरीरा, महाधीर वीर गंभीरा, सिंदूर वदन शरीरा, मन मंदिर कर प्रवेशा !.... गोरा पुत्र आज्ञाकारी, भोले सुत बलिहारी, सुख संपदा के स्वामी, माता पिता अनुगामी, सुख समृद्धि प्रदेशा !..... सर्व ज्ञाता अंतर्यामी, दीनदयाल शुभनामी, शांत धीर सुविचारी, प्रथम पूज्य अधिकारी, सकल ज्ञान अन्वेशा !... मंगल मूर्ति व...
कबाड़ी किंग
व्यंग्य

कबाड़ी किंग

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कबाड़ी वाला और व्यंग। सुनने में बड़ा अटपटा लगता है। कबाड़ में तो कचरे की भरमार रहती है। कचरे से व्यंग का उत्पादन सचमुच बड़ा ही विस्मयकारी है। इधर कबाड़ी वालों की देश में भरमार है। सोचता हूं यदि हिंदुस्तान में कबाड़ वाले नहीं होते तो अटालों का क्या होता है? पूरे देश का अटाला सड़कों पर जमा हो जाता। कुछ लोग जो अटाले को घरों में बड़े करीने से सजाकर रखते हैं। कबाड़ हमेशा कबाड़ नहीं रहता। यदि किस्मत बल्लियों मचले तो कबाड़ भी एंटीक की कैटेगरी में आ जाता है। कबाड़ने कितने ही कावड़ियों की लाइफ बना दी। मतलब जो सड़क छाप थे आज राजमार्ग पर फराटे दार अंग्रेजी में बतिया रहे हैं। हमारे शहर का एक कबाड़ी तो रातों रात लखपति की श्रेणी में आ गये। कावड़ची चाची बेगम के दिन इतनी जल्दी बदल गए। पूरे शहर के कबाड़ी उससे जलने लगे। शायद घूड़े के दिन भी इतनी ज...
बादल मन मेरा
कविता

बादल मन मेरा

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** गरम रेत पर बरसता बादल मन मेरा ! बूंद-बूंद को तरसता बादल मन मेरा ! हमेशा हालात हवाओं ने बदला किए कतरा-कतरा बिखरता बादल मन मेरा ! समंदर सी खारी किस्मत बनी हमारी ऊंची लहरों से मचलता बादल मन मेरा ! काली घटाओं के साथ मिलता कभी पहाड़ों पर फिसलता बादल मन मेरा ! काली बदलियों के झुंड आकर घेर लेते बिजलियां देख गरजता बादल मन मेरा ! जलाती गर्मियों में आकाश पर चढ़ाई प्रेम सागर को भटकता बादल मन मेरा ! युगों से वाष्प बनकर खुद को छलता बार-बार मन बदलता बादल मन मेरा ! अपूर्णता से पूर्णता प्राप्ति की ललक सदा नदियों संग बहता बादल मन मेरा ! अजब आकर्षण वसुधा और व्योम में गिरता, छुपता, निकलता बादल मन मेरा ! परिचय : रमेशचंद्र शर्मा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्व...
कोई तुमसे सीखे
हिन्दी शायरी

कोई तुमसे सीखे

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** प्यार जताना कोई तुमसे सीखे ! बात बनाना कोई तुमसे सीखे ! भूली बिसरी बातें याद दिलाकर कितना सताना कोई तुमसे सीखे ! आंखों आंखों में बतिया अक्सर राज उठाना कोई तुमसे सीखे ! अपना बनकर बेगाना बन जाना झूठा याराना कोई तुमसे सीखे ! कठपुतली बना मध्यांतर पहले परदा गिराना कोई तुमसे सीखे ! कभी राग दरबारी तो मेघमल्हार साज सजाना कोई तुमसे सीखे ! सीढ़ियों सा इस्तेमाल करके फिर आंखें बताना कोई तुमसे सीखे ! मासूमियत भरी कातिल अदाओं से पलकें झुकाना कोई तुमसे सीखे ! भरे बाजार बदनाम करके हंसकर नजरें चुराना कोई तुमसे सीखे ! परिचय : रमेशचंद्र शर्मा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय ह...
चिंदी चोर बजाज हो गए
हिन्दी शायरी

चिंदी चोर बजाज हो गए

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** चिंदी चोर बजाज हो गए ! चूहों जैसे मिजाज हो गए ! कतरनों की जुगाली करते चमचों के रिवाज हो गए ! गिद्धों कौओं चील झपट्टा उनके ऊंचे परवाज हो गए ! भंडारे जीमते जाजमपर टके सेर अनाज हो गए ! हरकारे मांगते हकदारी कुछ फकीर नवाज हो गए ! खिदमत की नुमाइश करते चोरों के सरताज हो गए ! बचा खुंचा बीन चाटकर खबरों के मोहताज हो गए ! चौपाए सी करते जुगाली नाली में सुर्खाब हो गए ! चंदो की चंदी चरित्रहीन शाही जिनके अंदाज हो गए ! कोल्हू के बैल आंखों पट्टी गुमनाम थे गुलनाज हो गए ! खबरों की खबर रखना सीखो छछूंदर माथे सिरताज हो गए ! नीम हकीम खतरा ए जान झोलाछाप के इलाज हो गए ! परिचय : रमेशचंद्र शर्मा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कवि...
धूप छांव आते हैं
कविता

धूप छांव आते हैं

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर मध्य प्रदेश ******************** धूप छांव आते हैं ! पूरा असर दिखाते हैं !.. धूप छांव मुट्ठी रेत उठाई हैं, प्यास भी बुझाई हैं, मृगतृष्णा नचाती हैं, भ्रम जाल बिछाती हैं, सूरज बनकर दावानल कभी दिन-रात जलाते हैं !... धूप छांव समय चक्र चलता है, मानव मन छलता है, सुख दुख का डेरा है, राग द्वेष का घेरा है, काल नियंता सबको नियंत्रित धूरी घुमाते हैं !... धूप छांव अनिश्चय सब फैला है, दो दिनों का मेला है, छल छिद्र भरे पड़े हैं, हानि लाभ अटे पड़े हैं, जिजीविषा के फेरे में सब अपना दांव लगाते हैं !... धूप छांव कर्म प्रधान माना है, धर्म महान जाना है, पुण्य सदा साथ चलेंगे, बाकी सारे हाथ मलेंगे, पाप संताप के झमेले में सब सपना नया सजाते हैं !... धूप छांव परिचय : रमेशचंद्र शर्मा निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
यह कैसा संभाषण
कविता

यह कैसा संभाषण

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर मध्य प्रदेश ******************** यह कैसा संभाषण है ! प्रायोजित अभिभाषण है !.. यह ज्ञान ध्यान सब भूले हैं, दंभ अज्ञान में फूले हैं, मंत्रणा दुखदायक हैं, यंत्रणा भय कारक हैं, पूर्वाग्रही दुःशासन है !... यह अपनों पर आघाती हैं, सपनों पर प्रतिघाती हैं, पीठ पर वार किए हैं, हाथों पर हार लिए हैं, भीतर घाती विभीषण हैं !... यह शतरंज बिछात बिछाते हैं, प्यादे जाल लगाते हैं, शह मात का खेला है, मंत्री संत्री का रेला है, यह कैसा शीर्षासन है !.... यह राजनीति का मेला है, छल नीति का खेला है, देश हित को दूर किया है, स्वहित का साथ दिया है, कहने का अनुशासन है !... यह लूट तंत्र हावी है, भ्रष्ट तंत्र प्रभावी है, प्रजातंत्र की खिल्ली है, खंभा नोचें बिल्ली है, यह कैसा सुशासन है !... यह परिचय : रमेशचंद्र शर्मा निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्...
हद कर दी आपने
कविता

हद कर दी आपने

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर मध्य प्रदेश ********************  सारा माल हजम, कुछ तो करो शरम, नोट लगे छापने, हद कर दी आपने ! खोटे तुम्हारे करम, माल उड़ाते गरम, कमा रखा था बाप ने, हद कर दी आपने ! कुछ तो पालो धरम, भ्रष्टाचारी घोर चरम, पीढ़ियां लगेगी धापने, हद कर दी आपने ! मत पालो अब वहम, पापी नारकी बेशरम, क्या डस लिया सांप ने, हद कर दी आपने ! प्रभु की मार बड़ी मरम, किसी दिन बिकेंगे हरम, फिर लगोगे यहीं कांपने, हद कर दी आपने ! हिस्सा खाते दूसरों का, पाप घड़ा भरा अपनों का, जल्दी कंडे लगोगे थापने, हद कर दी आपने ! बगुला भगत बनते हो, स्वांग मदारी धरते हो, माला लगते जापने, हद कर दी आपने ! परिचय : रमेशचंद्र शर्मा निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकत...
समय करता नहीं इंतजार
कविता

समय करता नहीं इंतजार

रमेशचंद्र शर्मा इंदौर मध्य प्रदेश ******************** समय करता नहीं इंतजार ! मानव, थोड़ा सोच विचार !.. समय करता नहीं इंतजार पहियां, हर पल चलता है, जीवन, हर क्षण छलता है, मति, मानव की मरती है, मनमानी वह करती है, समय संचालित संसार !.. समय करता नहीं इंतजार सुख-दुख इसके गहने हैं, हानि लाभ, सबको सहने हैं, दिन-रात, इसका उपक्रम है, मैं - मेरा, सबका संभ्रम है, समय का सौ टका व्यवहार !.. समय करता नहीं इंतजार राजा रंक इसके बल से, बनते मिटते इसके छल से, जीवन मृत्यु समय का बंधन, मोह माया पीड़ा क्रंदन, झूठी सारी मनुहार !.. करता नहीं इंतजार राई को पर्वत कर देता, आंखों में सिंधु भर देता, छल कपट से बचना है, पाप प्रपंच से हटना है, करता सबका संहार !.. समय करता नहीं इंतजार परिचय : रमेशचंद्र शर्मा निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश स्वरचित मौलिक अप्रकाशित रचना आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिन्दी र...