समीर में शब्द उड़ाकर देख
रमेशचंद्र शर्मा
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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समीर में शब्द उड़ाकर देख ।
भावों को भव्य बनाकर देख।
मेघा से बातें आंख मिचौली
आंसू में भाव भिंगाकर देख।
होंगे अलंकृत उपमा उपमेय
करुणा के बीज उगाकर देख।
छंद बंध मुक्त उन्मुक्त अज्ञेय
सस्वर नवगीत गाकर देख।
पर्वत पृकति पृथ्वी पाषाण
मन में श्रृंगार सजाकर देख।
संयोग वियोग प्रयोग नियोग
बिंब सागर में नहाकर देख।
सरोज सूरज तारक चंद्रिका
नयनों से नीर बहाकर देख।
चांदनी रात में आकाशी बातें
धरा पर चांद खिलाकर देख।
परिचय : रमेशचंद्र शर्मा
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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