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बिखरती पंखुड़ियों की आह!
कविता

बिखरती पंखुड़ियों की आह!

रजनी झा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कली-सी कोमल कन्या थी वो, खिल भी अभी ना पाई थी, हाय रे! तेरा पापी मन जिसमें हैवानियत छाई थी, कैसे तेरे हाथ ना कापें, उस कोमल कपोल को तोड़ने में, हैवानियत की हद पार कर दी तूने, अपने चित्त को भरने में, था कसूर उस किशोरी का क्या, ये आज बड़ा सवाल है, क्या बेटी बनकर जन्मी थी इसलिए हुआ उसका ये हाल है? क्यों हिय पे वश नही था तेरे, क्यों राक्षस बन उजाड़ा, उस कन्या का उज्ज्वल सवेरा, दिया है जख्म उसे जो तूने, कभी ना भर पाएगी, दुनिया की कोई दवा उस पे असर ना दिखलाएगी, तुझको फांसी मिलने पर भी हमें तरस ना आएगी, उस बाला की बदहाली पर ये, उठता बड़ा सवाल है, क्या बेटी बनकर जन्मी थी इसलिए हुआ उसका ये हाल है....??? परिचय :  रजनी झा निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलि...
आज एक लड़का भागा है
लघुकथा

आज एक लड़का भागा है

रजनी झा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** आज शाम शुक्रवार सेसोमवार सुबह ६ बजे तक ६० घंटे का लॉकडाउन लगने वाला है इस लिए आज शाम होने से पहले अपने गांव के लिए रवाना होने वाली थी साक्षी अपने परिवार के साथ तभी उसकी सास का कॉल आया बातों-बातों में उन्होंने बताया की गांव की एक लड़की पड़ोस के लड़के के साथ भाग गई है उसके घर वाले उस लड़की को कोस रहे हैं ना जाने कीतनी मन्नतों से पैदा हुई थी, पैदा होते ही पुरे गांव में लड्डू बांटा था, पलकों पर बैठाकर रखा था, नन्हीं परी बुलाते थे उसे अब तक, अरे! किसने जाना था की इस परी के भी पर निकल आए हैं। इतना बड़ा कदम उठाने से पहले उसने अपने माँ-बाबा के बारे में तनिक भी ना सोचा, घर वालों की इज्जत मट्टी में मिला दी कल्मुही, रांड कहीं की। अगर पहले पता चल जाता की ऐसे गुल खिलाने वाली है तो अब तक शादी ही करा देते उसकी। मैं तो कहती हूँ गलती घर वालों की भी है ब...