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Tag: रजनी गुप्ता “पूनम”

कुण्डलियाँ छंद
कुण्डलियाँ, छंद

कुण्डलियाँ छंद

रजनी गुप्ता "पूनम" लखनऊ ******************** कुण्डलियाँ/दिठौना १ लगा दिठौना माँ मुझे, ले जातीं बाजार। और दिलातीं हैं वहाँ, चुनरी गोटेदार।। चुनरी गोटेदार, खिलातीं रबड़ी हलुवा। ललचाते हैं देख, मुरारी मोटू कलुवा।। बोलीं वह पुचकार, खरीदो एक खिलौना। माता का यह लाड़, सहेजूँ लगा दिठौना।। २ लगा दिठौना देख कर, करते सब उपहास। बोल रहे हैं सब मुझे, मत आना तुम पास।। मत आना तुम पास, न कोई रंगत गोरी। मोटा- सा है गात, सभी करते बरजोरी।। सुन कर मेरी बात, उतारें माँ धड़कौना। लिया बलैयाँ खूब, दुबारा लगा दिठौना।। कुण्डलियाँ/पैसा ३ पैसे दो अम्मा मुझे, जाऊँगी बाजार। लेने गुड़िया के लिये, लहँगा गोटेदार।। लहँगा गोटेदार, सितारे सलमा वाला। चुनरी होगी लाल, गले की लूँगी माला।। गजरा लाऊँ श्वेत, सजेगी चोटी ऐसे। जैसे चंदा रात, मुझे दो अम्मा पैसे।। ४ पैसे के बल पर बसे, बेटी का संसार। आँखों में सपने लिये, बाप खड़ा लाचार।। बा...
लापरवाही
लघुकथा

लापरवाही

रजनी गुप्ता "पूनम" लखनऊ ******************** रमा आज बहुत परेशान है। भारत वर्ष ही नहीं विश्व के कई देश कोरोना के शिकार हैं। जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा इस समस्या से पीड़ित है। इसको दूर करने के अनेक प्रयास किये जा रहे हैं परन्तु अभी कोरोना समाप्त करने में सफलता नहीं प्राप्त हो पाई है, फिर भी उसके बच्चे उसकी चिंता करने पर खूब हँसी उड़ा रहे हैं। आखिर वह झल्ला कर बोल पड़ी, "बच्चों तुम समझते क्यों नहीं? अत्यंत आवश्यक कार्य के अतिरिक्त बाहर न जाने की अपील प्रधानमंत्री, डॉक्टर एवं प्रशासन सभी कर रहे हैं जिससे सड़कों पर भीड़ कम हो और इसके कीटाणु फैलने न पायें। मस्ती, घूमने-फिरने से कभी रोका तो नहीं मैंने, ये सब तो कुछ दिनों बाद फिर हो सकता है किन्तु लापरवाही में अपनी प्राण संकट में डालना कहाँ की समझदारी या बहादुरी है। दोस्तों से फोन पर बात कर लो। कुछ दिन नहीं मिलोगे तो क्या बिगड़ जाएगा?" कुछ देर सँभल क...
दोहा गजल
ग़ज़ल, दोहा

दोहा गजल

रजनी गुप्ता "पूनम" लखनऊ ******************** धारण कर लो फिर गरल, शिवशंकर भगवान। धरती कर दो फिर धवल, शिवशंकर भगवान।। भस्मासुर के राज में, जीना था दुश्वार। जीवन कर दो फिर सरल, शिवशंकर भगवान। गाता जग गुणगान है, त्रयंबकं यह रूप। मानस कर दो फिर तरल, शिवशंकर भगवान।। चंद्र सुशोभित माथ पर, डम-डम-डमरू हाथ। तांडव कर दो फिर अमल, शिवशंकर भगवान।। गण-गणपति-गौरादि अरु, सजते भूत-भभूत। जागृत कर दो फिर अनल, शिवशंकर भगवान।। . परिचय : पूनम गुप्ता साहित्यिक नाम :- रजनी गुप्ता 'पूनम' पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता पति :- श्री संजय गुप्ता जन्मतिथि :- १६ जुलाई १९६७ शिक्षा :- एम.ए. बीएड व्यवसाय :- गृहणी प्रकाशन :- हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र. के  hindirakshak.com पर रचना प्रकाशन के साथ ही कतिपय पत्रिकाओं में कुछ रचनाओं का प्रकाशन हुआ है सम्मान :- समूहों द्वारा विजेता घोषित किया जाता रहा है। दो बार नागरिक अभ...
विरह का रोग
ग़ज़ल, दोहा

विरह का रोग

रजनी गुप्ता "पूनम" लखनऊ ******************** मुझको देखो आज फिर, लगा विरह का रोग। पिय बिन सूना साज फिर, लगा विरह का रोग। जोगन बनकर फिर रही, गाऊँ विरहागीत, भूल गई सब काज फिर, लगा विरह का रोग। बिसरी जग की रीत सब, खुद से हूँ अनजान। छुपा रही सब राज फिर, लगा विरह का रोग। प्रियतम जब से दूर हैं, बिखरा सब शृंगार। हृदय पड़ी है गाज फिर, लगा विरह का रोग। 'रजनी' तेरी याद में, तड़प रही दिन-रात। भूल गई सब लाज फिर, लगा विरह का रोग।। . परिचय : नाम :- पूनम गुप्ता साहित्यिक नाम :- रजनी गुप्ता 'पूनम' पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता पति :- श्री संजय गुप्ता जन्मतिथि :- १६जुलाई १९६७ शिक्षा :- एम.ए. बीएड व्यवसाय :- गृहणी प्रकाशन :- हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र. के  hindirakshak.com पर रचना प्रकाशन के साथ ही कतिपय पत्रिकाओं में कुछ रचनाओं का प्रकाशन हुआ है सम्मान :- समूहों द्वारा विजेता घोषित किया जाता रहा है। ...
मधुर मिलन
कविता

मधुर मिलन

रजनी गुप्ता "पूनम" लखनऊ ******************** उर्मिला से पूछो, कैसे रही होगी लक्ष्मण बिन, यशोधरा से पूछो कैसे रही होगी गौतम बिन, राधा से पूछो कैसे रही होगी मोहन बिन मीरा से पुछो जो पी गई विष का प्याला घनश्याम बिन, मैं विरहन भी रहूँ कैसे अपने प्रियतम प्यारे बिन, न गजरा न केश सँवारूँ न कजरे की धार निहारूँ, लाली बिंदी पड़ गए सूने गाल गुलाबी आओ छूने, पायल के सुर फीके पड़ गए बोल कंगन के धीमे पड़ गए, दिन बीते है रीते रीते रैन सुहानी जगते बीते, कार्तिक पूनो डस रही है मन पर मेरा बस नहीं है, धड़कन की धक-धक है रूठी बिन पिया के लगती झूठी, कौन साधना भंग कर रही तुम्हें कहाँ मैं तंग कर रही, मधुर मिलन की चाह जगी है तुमसे ही मेरी लगन लगी है, होठों पर बस आह बसी है गायब इनकी हुई हँसी है, हमको अपना गेह बता दो!! तुम भी अपना नेह जता दो।। . परिचय : नाम :- पूनम गुप्ता साहित्यिक नाम :- रजनी गुप्ता 'पूनम' पिता :- श...