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Tag: रंजना फतेपुरकर

मखमली रिश्ते
कविता

मखमली रिश्ते

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** मखमली रिश्तों में बंधकर कई रेशमी अहसास मुझे भिगोना चाहते हैं कभी वीरानों में पुकारते हैं कभी तनहाई में तुम्हारी याद दिलाते हैं नर्म अंधेरों में धीरे-धीरे सिमटकर मुलाकातों के घने साए में सितारों की छांव तलशते हैं जब भी तुम आते हो हौले से मेरे ख्वाबों में ये तुम्हारे संग संग चाहतों की रुपहली दुनिया मे खामोशी से खोना चाहते हैं . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ सम्मान : हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान सहित ४७ सम्मान पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित अध्यक्ष रंजन कलश, इंदौर  पूर्व उपाध्यक्ष वामा...
कानों की बालियां
कविता

कानों की बालियां

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** जब जब तुम्हें देखा फूलों में कोई ख्वाब सा महका था बरसते सावन में आरजुओं का कारवां तुम्हारी ही यादों में जिया था नूर की बूंदें जो कानों की बालियों में पहनी मैंने एक कतरा चाँद का तुम्हारी मुस्कानों पर बिखरा था अंदाज़ तुम्हारी कशिश का यूं ही तो नहीं सबसे जुदा था तुम्हारी यादों में बसा दिल तुमसे ही ये कहता है बेहद हसीन था वो पल जो तुम्हारे खयालों से गुजरा था . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ सम्मान : हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान सहित ४७ सम्मान पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित अध्यक्ष रंजन कल...
नदी
लघुकथा

नदी

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय लघुकथा लेखन प्रतियोगिता में पंचम विजेता (प्रोत्साहन) रही लघुकथा गुनगुनाती, छलछलाती नदी की अथाह जलराशि की एक-एक बूंद उमंग से थिरक रही थी। नदी की धाराओं में संगीत और नृत्य का अद्भुत मेल था। सागर में अपना अस्तित्व विलीन करने की सुखद अनुभूति से वह अभिभूत थी। कभी वह किनारे के सुगंधित, रंगबिरंगे पुष्पों की कोमल पंखुरियों को और कभी विशाल वृक्षों से लिपटी लताओं को अपनी फुहारों से भिगो रही थी। प्राची की अरुणिमा ने अपने प्रतिबिम्ब से जैसे नव-वधु सी नदी को लाल चूनर ओढ़ा दी थी। आज नदी सारी बाधाओं को पार कर अपने आराध्य प्रियतम, सागर से मिलना चाहती थी।कभी इस मोड़ पर झूमती, कभी उस मोड़ पर नाचती नदी बही जा रही थी। लेकिन नदी जैसे-जैसे आगे बढ़ती जा रही थी, उसकी काया क्षीण होने लगी। नदी की धड़कनों की गति धीमी होने...
माँ
कविता

माँ

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** माँ, देखा है हर सुबह तुम्हें तुलसी के चौरे पर मस्तक झुकाए हुए जब भी हथेलियां उठीं दुआओं के लिए तुम्हारी पलकों पर हमारे ही सपने सजे होते हैं जब भी आँचल फैलाया मन्नतों के लिए तुम्हारे होंठों पर हमारी ही खुशियों के फूल खिले होते हैं जब जिंदगी अंधेरों में घिरने लगती है खामिशियों से भरी रातें मंझधार में डुबोने लगती हैं माँ, तुम रोशन करती हो अंधेरों को चाँद का दीपक जलाए हुए माँ, देखा है हर सुबह तुम्हें तुलसी के चौरे पर मस्तक झुकाए हुए . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान सहित ४७ सम्मान पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित दे...
माँ
कविता

माँ

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** माँ, देखा है हर सुबह तुम्हें तुलसी के चौरे पर मस्तक झुकाए हुए जब भी हथेलियां उठीं दुआओं के लिए तुम्हारी पलकों पर हमारे ही सपने सजे होते हैं जब भी आँचल फैलाया मन्नतों के लिए तुम्हारे होंठों पर हमारी ही खुशियों के फूल खिले होते हैं जब जिंदगी अंधेरों में घिरने लगती है खामिशियों से भरी रातें मंझधार में डुबोने लगती हैं माँ, तुम रोशन करती हो अंधेरों को चाँद का दीपक जलाए हुए माँ, देखा है हर सुबह तुम्हें तुलसी के चौरे पर मस्तक झुकाए हुए . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान सहित ४७ सम्मान पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित दे...
कोहरे की धुँध
कविता

कोहरे की धुँध

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** कोहरे की धुँध में तुम्हारे अहसास नज़र आते हैं बदलते मौसम के खूबसूरत अंदाज़ नज़र आते हैं जरूरी नहीं हर बात होंठों से कही जाए झुकी पलकों में भी तो जज़बात नज़र आते हैं सांझ के सुनहरे रंग गुलाबों पर बिखरे नज़र आते हैं किनारे लहरों को ढूंढते नज़र आते हैं ज़रूरी नहीं रोज़ रोज़ आकर हमसे मिलो हम तो खुश हो लेते हैं जब आप हमारे ख्वाबों में नज़र आते हैं . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान सहित ४७ सम्मान पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित अध्यक्ष रंजन कलश, इंदौर  पूर्व उपाध्यक्ष वामा साहित्य...
चाँद खामोश है
कविता

चाँद खामोश है

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** चाँद खामोश है चांदनी उदास है यादों को तरसती हर सांस को किसी आहट का इंतज़ार है लम्हों को थामकर जो चिराग रोशन किये उस रोशनी को किसी मुलाकात का इन्तज़ार है रात की तनहाइयों में फ़िज़ा भी उदास है भीगी पलकों से बहते सैलाब को सुहाने ख्वाबों का इन्तज़ार है अरमानों की राह पर जिस मोड़ पर ठहर गए उस मोड़ पर किसी हमसफर का इंतज़ार है . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान सहित ४७ सम्मान पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित अध्यक्ष रंजन कलश, इंदौर  पूर्व उपाध्यक्ष वामा साहित्य मंच, इंदौर ...
वासंती प्रणय निमंत्रण
कविता

वासंती प्रणय निमंत्रण

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** वसंत पंचमी का वह वासंती सवेरा था स्वर्ण पुष्पों संग तुमने प्रणय निमंत्रण भेजा था अहसासों का रिश्ता दिल में उतरने लगा था और सपनों में खोया मन सितारों पर चलने लगा था तुम्हारे मधुर गीतों ने मेरे मन को इस तरह छुआ था जैसे मोरपंखों से झरते रंगों ने महकी गुलाब पंखुरियों को छुआ था वासंती महक मेहंदी में घोलकर मेरी हथेलियों पर प्रणय रंग रचा था जैसे किसी हसीन ख्वाब ने मेरी रेशमी पलकों को छुआ था यही बसंत पंचमी का वह वासंती सवेरा था जब स्वर्ण पुष्पों संग तुमने प्रणय निमंत्रण भेजा था . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान सहित ४६ सम्मान पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीज...
गुलाबी धूप
कविता

गुलाबी धूप

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** गुलाबी सुबह की गुलाबी धूप में पलकें जब नींद से जाग जाती हैं तुम्हारे खयाल सिरहाने आकर सो जाते हैं और मैं तलाशती रहती हूं तुम्हारी यादों को सुबह के झीने कोहरे में डरता है मन कहीं तुम खो न जाओ रोशनी के धुंधले साए में लेकिन फिर चांदनी रात मेरे ख्वाबों की देहलीज़ पर हौले से दस्तक दे जाती है और तुम्हारे खयाल आकर फिरसे पलकों पर ठहर जाते हैं . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ सम्मान ४५ पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित रंजन कलश, इंदौर अध्यक्ष वामा साहित्य मंच, इंदौर उपाध्यक्ष निवास : इंदौर (म.प्र.) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी ...
कस्तूरी सा चाँद
कविता

कस्तूरी सा चाँद

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** खामोश सा एक महकी हवा का झोंका चांदनी से उतरकर रूह में बस जाता है भीगे अहसासों की झीनी सी रोशनी में नहाया नूर का कतरा सैलाब बन ख्वाहिशों में बिखर जाता है धुंधली सी किरण ओढ़े कोई कस्तूरी सा महका चाँद तुम्हें पाने की चाहत में आसमां से रोज निकल आता है घिरती उदास तनहाइयों में वक़्त जख्मों को रेशमी मोरपंखों से हौले से सहला देता है गमों की तपिश को गुलमोहर का घना साया पंखुरियों में लपेटकर जख्मों पर बिखरा देता है क्यों पूछते हो वक़्त कब देगा जख्मों पर मरहम वक़्त तो खुद को जख्मों का मरहम बना लेता है . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ सम्मान ४५ पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में नि...
गुलमोहर
कविता

गुलमोहर

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** एक अनजानी खुशबू फ़िज़ाओं में बिखरी थी कुछ ख्वाहिशें थीं जो निगाहों के दायरे से गुजरी थीं ख्वाबों से हसीन थी शबनम से जो नाज़ुक थी वो तुम्हारी यादें थीं जो पलकों को छूकर महकी थीं भीगी पलकों पर चाहत की नदियां उमड़ी थीं रात के रुखसार पर चांदनी की यादें सिमटी थीं उठाकर हथेलियों को जब दुआओं में मांगा तुम्हें सांझ की अबीरी लाली गुलमोहर की डाली पर उतरी थी . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ सम्मान ४५ पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित रंजन कलश, इंदौर अध्यक्ष वामा साहित्य मंच, इंदौर उपाध्यक्ष निवास : इंदौर (म.प्र.) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ...
चांदनी से झरते मोती
कविता

चांदनी से झरते मोती

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** भीगी भीगी रात की लहराती धुँध में खोने का इरादा है चांदनी से मोती झरें तो अंजुरी में भरने का इरादा है तुम अगर कह दो रुक जाओ पल भर के लिए सारी उमर इंतज़ार का इरादा है आसमां से झरती नूर की बूंदों में भीगने का इरादा है तुम्हारी झील सी नीली आंखों में डूबने का इरादा है तुम अगर कह दो मंज़िल तक साथ चलने के लिए चाँद को जमीं पर उतारने का इरादा है . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ सम्मान ४५ पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित रंजन कलश, इंदौर अध्यक्ष वामा साहित्य मंच, इंदौर उपाध्यक्ष निवास : इंदौर (म.प्र.) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी...
यादों के गुलाब
कविता

यादों के गुलाब

रंजना फतेपुरकर इंदौर (म.प्र.) ******************** घनेरे बादलों पर चलकर चाहत का नज़राना उतर आया है झिलमिल चांदनी में सितारों का नूर निखर आया है जबसे दुआएं मांगी हैं तुम्हारी यादों को पलकों में समेटने की कविता की पुस्तक में रखे सुर्ख गुलाबों का महकना याद आया है एक खूबसूरत सा रंग भीगी चाहत का तुम्हारी सपनीली आंखों में उतर आया है एक धुंधला सा बादल झीने कोहरे का सुहानी यादों में उतर आया है पिघलती शमा की रोशनी जब बहती है सितारों में एक कतरा दुआओं का हथेलियों पर उतर आया है . परिचय :- नाम : रंजना फतेपुरकर शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य जन्म : २९ दिसंबर निवास : इंदौर (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तकें ११ सम्मान ४५ पुरस्कार ३५ दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित रंजन कलश, इंदौर अध्यक्ष वामा साहित्य मंच, इंदौर...