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एक मजदूर की जुबानी
कविता

एक मजदूर की जुबानी

यशवंती तिवारी देवगढ़ जिला राजसमंद ******************** बना मजदूरों की बेबसी को बातो का हथियार नेताजी बस कर रहे है एक दूजे पर वार मै मिलो तक पैदल चला चप्पले घिसी,छाले हुए पर उफ्फ न निकला बाहर वो चन्द बसे लगाकर देखो जता रहे उपकार नेताजी बस कर रहे है एक दूजे पर वार नन्हें बच्चे भूख से बिलखे तपती सड़को पर पाँव है झुलसे वो दो दो केले दे कर देखों फ़ोटो खींचा रहे दस बार नेताजी बस कर रहे एक दूजे पर वार गर्भ में पल रहे नन्हे के संग रह रह कर थक जाती माँ कर रही मीलो का सफर वो झूठा दिखावा,दिलासा दे कर जैसे बन रहे तारणहार नेताजी बस कर रहे एक दुजे पर वार निकला जितनो के संग कुछ कट गए, कुछ मिट गए कुछ भूख प्यास कुछ गर्मी से वो मौत के संग चले गए बेबस आंखों में अश्रुधार रह गया मै बस निहार नेताजी बस कर रहे एक दुजे पर वार वो बना कठपुतली हमको चाहे जैसे हमे नचाकर राजनीति के मंच से देखो बन रहे है सूत्रधार नेताजी...