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Tag: मोहम्मद मुमताज़ हसन

मुसाफ़िर
कविता

मुसाफ़िर

मोहम्मद मुमताज़ हसन रिकाबगंज, (बिहार) ******************** मुसाफ़िर- चलता है निरन्तर अपनी मंजिल की तलाश में रास्ते के तमाम झंझावतों को करके दरकिनार बढ़ता जाता है-अपने लक्ष्य की ओर तय कोई पड़ाव है न ठिकाना कहीं स्वयं भी नहीं जानता वह ख़त्म होगा कहां जाकर ये सफ़र जीवन का चलना, लड़खड़ाना, गिरना फिर सम्भलना- उबड़-खाबड़ रास्तों को लांघते हुए पुनः चल पड़ना- अपने लक्ष्य की ओर, पड़ाव की तलाश में- जीवन शायद इसी का नाम है!! परिचय : मोहम्मद मुमताज़ हसन सम्प्रति : लेखन, अध्ययन निवासी : रिकाबगंज, टिकारी, गया, (बिहार) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवान...
बापू तेरे देश में
कविता

बापू तेरे देश में

मोहम्मद मुमताज़ हसन रिकाबगंज, (बिहार) ******************** गोरों को था मार भगाया तूने, आज़ादी का ध्वज फहराया तूने! दी कुर्बानी देश की खातिर, मिटे देशभक्ति के आवेश में! लेकिन अब क्या हो रहा है, बापू तेरे देश में! राजनीति बन गई अखाड़ा, 'वोट बैंक' का बजे नगाड़ा! तस्वीर लगा होती रिश्वतखोरी, रखा क्या 'सत्यवादी' सन्देशमें! कैसी मानसिकता आई है, बापू तेरे देश में! 'सत्य-अहिंसा' का कोरा मंत्र, चल रहा 'झूठवाद' से प्रजातंत्र! अंग्रेजों-सी मूरत दिखती है खददरधारी वेश में! कैसे आएगा 'राम राज' बोलो, बापू तेरे देश में! 'गणतंत्र'आज भयभीत दिखता, सड़कों पर क़ानून है बिकता! देश पे छाए संकट के बादल, तनाव हुआ जब धर्म-विशेष में! खतरे में भाईचारा सदियों का बापू तेरे देश में! गांधी तेरे तीनों बन्दर, गए सलाखों के अंदर! सत्ता मिल जाती है यूं भी, साम्प्रदायिक झगड़े-क्लेश में! भूल गए वो मूलमंत्र तुम्हारा जो दिए...
ऐसा हिंदुस्तान बनाओ
कविता

ऐसा हिंदुस्तान बनाओ

मोहम्मद मुमताज़ हसन रिकाबगंज, (बिहार) ******************** आपस में न कोई भेदभाव रहे सबसे सबका यहां लगाव रहे जात पात की दीवारें गिर जाएं प्रेम का ऐसा गीत सुनाओ ऐसा हिंदुस्तान बनाओ हिन्दू-मुस्लिम का न झगड़ा होवे हर हिंदुस्तानी यहां तगड़ा होवे सदियों से रहें हैं मिलकर यह- जन-जन को सन्देश सुनाओ ऐसा हिंदुस्तान बनाओ अमीर गरीब की खाई पट जाए गरीबी की लम्बी रेखाएं घट जाए प्रगति की बड़ी लकीरें तुम- खूब श्रम से आज बनाओ ऐसा हिंदुस्तान बनाओ!! परिचय : मोहम्मद मुमताज़ हसन सम्प्रति : लेखन, अध्ययन निवासी : रिकाबगंज, टिकारी, गया, (बिहार) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ले...