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Tag: मुकुल सांखला

इंसान और प्रकृति
कविता

इंसान और प्रकृति

मुकुल सांखला पाली (राजस्थान) ******************** तेरा जैसा इस दुनिया में, कोई नहीं, रे इंसान! अपने स्वार्थ के खातिर तू हर लेता जीवों के प्राण। जितना तू लालच करेगा, अपने पाप का घडा भरेगा। कवि मुकुल तुझसे है कहता, कहे बिना अब ये नहीं रहता। प्रकृति से तू क्यों कर रहा खिलवाड? इसी का परिणाम है, कभी भूकंप, कभी बाढ। बार-बार संकेत देकर प्रकृति ने तुझे समझाया। आंखो पर बंधी लालच की पट्टी तू इसे समझ नही पाया। आधुनिकता की होड में तू हो जायेगा बरबाद। बिना प्रकृति और जीवो के कैसे रहेगा तू आबाद? कुछ पैसे के खातिर तू लेता जीवों की जान तेरे जैसा इस दुनिया में कोई नहीं, रे इंसान! परिचय :- मुकुल सांखला सम्प्रति : अध्यापक राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, खिनावडी, जिला पाली निवासी : जैतारण, जिला पाली राजस्थान आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो क...
बहिन
कविता

बहिन

सिर्फ किसी रिश्ते का नाम नहीं बल्कि है इस धरती पर विधाता का पैगाम पवित्रता का, विश्वास का अटूट बंधन है यह अविराम निश्छलता का चाहे वह छोटी हो या बडी शरारतों के पिटारे से एक सच्चे दोस्त के रिश्ते तक जिंदगी के हर मोड पर राज उसी का होता है। कभी लडाई, कभी पढाई, माता पिता से बचाने में सहयोग उसी का होता है। पैसे हो या कपडे सब पर पहला अधिकार है। समझदारी और शरारत के समन्वय से बढता भाई बहिन का प्यार है। . परिचय :- मुकुल सांखला सम्प्रति : अध्यापक राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, खिनावडी, जिला पाली निवासी : जैतारण, जिला पाली राजस्थान आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर ...
अखबार वाला
कविता

अखबार वाला

मुकुल सांखला पाली (राजस्थान) ******************** आता है वह अलसुबह सूर्य की पहली किरण के साथ टूटे चप्पल और पुराने कपडे अपनी साईकील पर थैला लिए और लाता है चंद पन्नों में समेटकर सारा संसार कुछ मीठी कुछ खट्टी खबरे होती है कुछ तीखी और कुछ चटपटी कहीं होता है राजनीति का दंगल कहीं बिखरा रहता है खेल होती है बाते फिल्मी जगत की कुछ मनोरंजन और होता है कुछ व्यापार कमाने को दो वक्त की रोटी बिक जाता है पूरा बचपन खिसकाकर अखबार हर दरवाजे के नीचे से भागता है स्कूल की और पढने की चाह इतनी बस मिल जाए वक्तौर जगह लाता है सूखी रोटी और थोडा अचार देने को आकार अपने सपनों को मजबूरी में करता है मजदूरी कोई और नहीं है वह भविष्य को खोजता अखबार वाला . परिचय :- मुकुल सांखला सम्प्रति : अध्यापक राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, खिनावडी, जिला पाली निवासी : जैतारण, जिला पाली राजस्थान आप भी अपनी कविताएं, कहानियां,...
कोरोना से डरे ना
कविता

कोरोना से डरे ना

मुकुल सांखला पाली (राजस्थान) ******************** आज व्यथित जरूर है मन, मगर डरना हमें मंजूर नहीं, लडना है इस मुश्किल से किन्तु हारना हमें मंजूर नहीं। हाथ न मिलाना, गले न लगाना, सबसे हमें रहना है दूर, कोरोना भी हार जाए, कर दो उसे इतना मजबूर। सरकार ने दिये है निर्देष, लाॅकडाउन है सारा प्रदेश, अगर अब भी बाज न आए तो संकट में होगा सारा देश। इसे बंदिशे न तुम समझो, ये तो हमारी फिक्र है, आज जन-जन की जुबा पर कोरोना का ही जिक्र है। थोडी सी हिम्मत और विष्वास दे देंगे कोरोना को मात, जागरूक रहो, जागरूक रखो, याद रखो मुकुल की यह बात। डाॅक्टर्स, आर्मी व पुलिस का हम करते अभिनंदन है, राष्ट्र सेवा में लगे वाॅरियर्स को मेरा शत् शत् वंदन है। . परिचय :- मुकुल सांखला सम्प्रति : अध्यापक राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, खिनावडी, जिला पाली निवासी : जैतारण, जिला पाली राजस्थान आप भी अपनी कविताएं, क...
वर्षाऋतु
कविता

वर्षाऋतु

मुकुल सांखला पाली (राजस्थान) ******************** प्रचंड गर्मी में झुलसने के बाद पृथ्वी को ठंडक की आवश्यकता पडने पर सुनकर पुकार अपनी भगिनी की और उसकी असंख्य संतान की प्रकृति देती है आदेश षट्ऋतु में से एक उस ऋतु को जो है मनभावन, मनहरषावन, दिलजीत जिसकी कृषक देखते है वर्ष पर्यन्त राह उस वर्षा ऋतु के आने पर धरती करती है सोलह श्रृंगार और होता है स्वागत मिट्टी की सौंधी-सौंधी सुगंध से नदीयों के कलरव अउर पक्षियों के नृतन-गान से फैल जाती है हरीतिमा की चादर चऊँऔर खेतों में सुन मधुर आवाज हल की नाच उठता है मन मयूर हलधर का जैसे गूँज उठी हो आंगन में शहनाई गलियों में जाग जाता है सुनहरा बचपन कागज की नाव में होती है स्वप्निल यात्रा अउर प्रथम बरखा का वह आत्मीय स्नान मंत्रमुग्ध करता वह सतरंगी इंद्रधनुष देखना है फिर इन दृश्यों को इस बार मन के चक्षु खोल देखे, आनंद है अपरंपार . परिचय :- मुकुल सांखल...