अपनत्व की पंखुड़ियां
मीना सामंत
एम.बी. रोड (न्यू दिल्ली)
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चलता है वह खूबसूरत एहसास लेकर,
कीचड़ के छीटे गिरते उसी पर!
चलता है वह रंगों का गुलाल लेकर,
कालिख के रंग उड़ते उसी पर!
चलता है वह भरोसे के रोशन दिए लिए,
षड्यंत्रो की आंधियां रहती उसी पर!
चलता है वह अपनत्व की पंखुड़ियां लिए
कांटे बिखेर दिए जाते हैं उसी पर!
चलता है वह मुस्कुराहटों की चादर ओढ़कर,
कड़वाहटें उड़ेल दी जाती है उसी पर!
चलता है वह एक अलग तस्वीर का सपना लिए,
धमकियां देकर कैनवास गिरा दिया जाता, क्यों उसी पर!
परिचय :- मीना सामंत
निवासी : एम.बी. रोड (न्यू दिल्ली)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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