प्रेमिल मधुमास
मीना भट्ट "सिद्धार्थ"
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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चंचल मन आह्लादित होता,
है प्रेमिल मधुमास सखी री।
बहे पवन शीतल पावन भी,
कुसुमित फूल पलास सखी री।।
ऋतु बसंत मदमाती आयी,
नव पल्लव पेड़ो पर छाए।
झूम रहे भौरे मतवाले,
अल्हड़ अमराई मुस्काए।।
पीली चूनर ओढ़े धरती,
हिय में रख उल्लास सखी री।
चंचल मन आल्हादित होता,
है प्रेमिल मधुमास सखी री।।
उन्मादित नभ धरती आकुल,
यौवन का मौसम रसवंती।
महुआ पुष्पित गदराया है,
सरसों का रँग हुआ बसंती।।
नाच रही है कंचन काया,
हिय अनंग का वास सखी री।
चंचल मन आल्हादित होता,
है प्रेमिल मधुमास सखी री।।
हुआ सुवासित तन गोरी का
अंग अंग लेता अँगड़ाई।
हृदय कुंज में मधुऋतु आयी,
भली लगे प्रिय की परछाई।।
मधुर यामिनी देख मिलन की,
सभी सुखद आभास सखी री।
चंचल मन आल्हादित होता,
है प्रेमिल मधुमास सखी री।।
परिचय :- मीना भट्ट "सिद्ध...