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Tag: मिर्जा आबिद बेग

आजादी का जश्न
कविता

आजादी का जश्न

मिर्जा आबिद बेग मन्दसौर मध्यप्रदेश ******************** चाहे चीन हो या पाकिस्तान हमसे भीडा तो बना देंगे कब्रस्तान.. आजादी का जश्न आज हम मना रहे, आपसी प्रेम, प्यार, सद्भाव बना रहे, बर्दाश्त न करेगे अब हम अपमान.. हम चाहते हैं बना रहे यह सम्मान .. चाहे चीन हो या पाकिस्तान.. तुम्हारे आंतक और भय से डरते नहीं है हम, आंख अगर दोनों ने दिखाई तो ले लेगे दम, चाहे चीन हो या पाकिस्तान.. किसी से कम नहीं है हमारा हिन्दूस्तान.. हरा, सफेद, केसरिया तिरंगा है हमारा, जो हम सबको जान है प्यारा, तिरंगा हम सब की है जान... चाहे चीन हो या पाकिस्तान.. तुम न दो एक दूसरे को सहारा, और समझलो हमारा ईशारा, तुम दोनों से लडने का हमें है अभिमान.. चाहे चीन हो या पाकिस्तान,, आजादी के लिए हम लडे थे और लडेगे आबिद चाहे चली जाए हमारी जान.. चाहे चीन हो या पाकिस्तान. परिचय :- ११ मई १९६५ को मंदसौर में जन्मे मि...
गणतंत्र दिवस
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गणतंत्र दिवस

मिर्जा आबिद बेग मन्दसौर मध्यप्रदेश ******************** गणतंत्र हमारी आन बान और शान है, गणतंत्र हमारी आन बान और शान हैं, दुनिया में सबसे बड़ा हमारा हिन्दूस्तान है यहाँ सबका अपना मान-सम्मान है, राम भी है रहीम-रसखान और रहमान है सम्पूर्ण, प्रभूत्व सम्पन्न गणराज्य का मतलब आज समझलो, अम्बेडकर जी ने लिखा जो संविधान है राम रावण, हुसैन यजीद की जंग एक इतिहास बनी है, अदलो-इन्साफ की खातिर कई लोग होगये कुरबान है, जो इन्सान को इन्सान से लडवाता है, वह हमारी नजरों में इन्सान नही शैतान है, यह सूफी-सन्तों की धरती है आबिद जिसका नाम हिन्दूस्तान है, . परिचय :- ११ मई १९६५ को मंदसौर में जन्मे मिर्जा आबिद बेग के पिता स्वर्गीय मिर्जा मोहम्मद बेग एक श्रमजीवी पत्रकार थे। पिताश्री ने १५ अगस्त १९७६ से मंदसौर मध्यप्रदेश से हिंदी में मन्दसौर प्रहरी नामक समाचार पत्र प्रकाशन शुरू किया। पिता के सान...
सवाल दर सवाल है
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सवाल दर सवाल है

मिर्जा आबिद बेग मन्दसौर मध्यप्रदेश ******************** सवाल दर सवाल है, सबका एक जैसा हाल है। रिश्ते आजकल वहां बनते जिसके पास माल है। सरकार कैसे चली गई, सब पूछ रहे हैं ये सवाल है। उससे तुम्हें हो गई मोहब्बत, क्या उसे इसका ख्याल है। माँ-बाप का साथ जरूरी है, उनके बिना बुरा हाल है। समझ ना सके वहां मुझे आबीद, बस इस बात का मलाल है। . परिचय :- ११ मई १९६५ को मंदसौर में जन्मे मिर्जा आबिद बेग के पिता स्वर्गीय मिर्जा मोहम्मद बेग एक श्रमजीवी पत्रकार थे। पिताश्री ने १५ अगस्त १९७६ से मंदसौर मध्यप्रदेश से हिंदी में मन्दसौर प्रहरी नामक समाचार पत्र प्रकाशन शुरू किया। पिता के सानिध्य में रहते हुए मिर्जा आबिद बेग ने कम उम्र में ही प्रिंटिंग प्रेस की बारीकियो को समझते हुए अखबार जगत कि बारीकियों को कम उम्र में ही समझ लिया और देखते-देखते इस क्षेत्र में निपुणता हासिल कर मात्र २१ वर्ष की ...
अपने पराये
कविता

अपने पराये

मिर्जा आबिद बेग मन्दसौर मध्यप्रदेश ******************** अपने भी अब पराये होने लगे हैं, जज्बात भी अब रोने लगे हैं क्या तू भी उन्हें समझता है, जो दूसरों को उलझाने लगे है, उसने जो किया अपने बलबूते पर, उसके किस्से लोग सुनाने लगे हैं, अच्छे बुरे का जो फर्क ना समझे, उसकी गलतियां भी गिनाने लगे है, तरक्की, विकास के मायने समझ लो, मंजिलें, इमारत बनाने में जमाने लगे है, उन इज्जतदारों की इज्जत भी देख लो, साहूकार बनके दूसरों पर उंगली उठाने लगे है, इज्जत बड़ी शर्मिली होती है आबीद वह क्यों मुंह छुपाने लगे हैं, . लेखक परिचय :- ११ मई १९६५ को मंदसौर में जन्मे मिर्जा आबिद बेग के पिता स्वर्गीय मिर्जा मोहम्मद बेग एक श्रमजीवी पत्रकार थे। पिताश्री ने १५ अगस्त १९७६ से मंदसौर मध्यप्रदेश से हिंदी में मन्दसौर प्रहरी नामक समाचार पत्र प्रकाशन शुरू किया। पिता के सानिध्य में रहते हुए मिर्जा आबिद...
हद हो गई
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हद हो गई

मिर्जा आबिद बेग मन्दसौर मध्यप्रदेश ******************** हद हो गई इस दुनिया में पाप की, आज अगर हैं यहां जरूरत कल न होगी आपकी, कितना ही तुम दूध पिलाओं, बिन बजाके राग सुनाओ, फिर भी तुम्हें वह डंस लेगा, ये आदत है साँप की, शहर छोड जंगल वह सिंधारा, फिरता रहा वह मारा मारा, याद आ गई मुझे कहानी, महाराणा प्रताप की, किसी गरीब को तुम पास बिठालो दुख दर्द उसका तुम बांटलो, फिर जरूरत नहीं है भजन और जाप की, क्यों करते हो तेरा मेरा, यह दुनिया है एक रैन बसेरा, यह धरती है उस मालिक की, नही किसी के बाँप की, अब मै अपना ताअरूफ तुम्हे कराता हूँ, नाम है मेरा आबिद मिर्जा, हाईट हैं मेरी पाँच फिट ढाई ईन्च, अब जरूरत नही है नाप की, . लेखक परिचय :- नाम : मिर्जा आबिद बेग कवि : लेखक पत्रकार निवासी : जिला मन्दसौर मध्यप्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने पर...