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Tag: मित्रा शर्मा

कान्हा
कविता

कान्हा

====================================== रचयिता : मित्रा शर्मा कान्हा ! जब तुम पूछते हो  जब तुम देखते हो  चाहत भरी आँखों से तुम्हारे भाव  दिख जाते है।  कान्हा ! जब तुम मुरली बजाते हो  ऐसे सुबिरस मिलती है   कानों और हृदय को  सुध ही खो जाते है। कान्हा !  तुम्हारी प्रेम में अतीन्द्रिय झूले में  हम खो जाते है तुम्हारी भावनाओं में । परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें...🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे...
जिंदगी के खेल
कविता

जिंदगी के खेल

====================================== रचयिता : मित्रा शर्मा   जन्म से मृत्यु तक  कितने खेल होते है आते  वक्त रोता है इंसान जाते वक्त रुलाता है।  चिता के आग एक बार जलता  चिंता का चिता बार बार   आत्मा  उड़ जाता है जब शरीर हो जाता है जड़।  मैं और मेरा पन छोड़ दे   राग अनुराग छोड़  धन की मोह छोड़ मानव  कल्याण की दिशा मोड़ ।   भाई भाई की रिश्ता रख बदले भाव न रख   खुद बदले तो  जग बदले यह सद्भवना रख  क्या लेकर आए थे क्या लेकर जाएंगे  अच्छे कर्म से मानव जीवन सार्थक कर पाएंगे परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ...
सद्भावना
कविता

सद्भावना

====================================== रचयिता : मित्रा शर्मा अमृत तुल्य समयको सदुपयोग करना होगा सुकर्म के राह में चलकर सद्चरित्र अपनाना होगा। ढल जाती है यह रूप और यौवन तय वक्त पे सद्भावना प्रेम अपनापन सदा हराभरा रहता है। ख्वाहिशें क्या रखना यह नष्वर शरीर के लिए  पर उपकार सदाचार  बेहतर है जीने के लिए। कभी किसी के लिए किया हुआ  दुआ खाली नही जाती है  इस्वर के फैसले हमारे ख्वाहिशों से बेहतरीन होते है। परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने मोबाइल पर या ...
अपने हुए पराए
कविता

अपने हुए पराए

====================================== रचयिता : मित्रा शर्मा किसको कहें दिल खोलकर सारा जमाना वीरान है जो अपने भी अपने न हुए खुद भी अकेले परेशान है। परेशान यूं ही कब तलक गुजर जाएंगे राहत की सांस आखिर कब तलक ले पाएंगे। बेजार जिंदगी से उम्मीद ही क्या करें पलके की ओट से आखिर कितना छुपाया करें। रुसवाई से से कब तक यूं ही घाव मिलते रहेंगे रुंधे गले से ऐसे ही बिरह के गीत गाते रहेंगे। हम सफाई देते कैसे अपने बेगुनाही के करते रहे भरोसा  अपने उम्मीद ओर खुदाई के। तुम्हारा विस्वास का डगर ही डगमगाता हुआ था पराए पन के अनुभूति ने हमे भी  तोड़ दिया था। परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak1...
प्रकृति
कविता

प्रकृति

====================================== रचयिता : मित्रा शर्मा सूखते खेत खलिहानों से बंजर पड़े भूमि से बर्वाद होते जंगल से बेजार होते पेड़ पौधे से। पूछो उनकी अभिलाषा देखो बदलते परिभाषा । सुनो उनकी स्पंदन करते हुए क्रंदन। एक बूंद पानी की आस में ह्रास होते सम्बेदना के त्रास में। देख रही प्रकृति रोती बिलखती चीत्कार करती। भूल गया है तू अपना मानविय कर्तब्य पालना और सुरक्षा का फर्ज। खुदगर्ज हुआ है तू मानव समेटने में लगा है दानव । अब नही समझोगे तो कब मिटने वाला है तेरा अस्तित्व । प्रकृति प्रदत्त उपहार को बचाने के लिए अग्रसर होना पड़ेगा तुम्हे जीवन सँवारने के लिए। बचाना होगा पानी और पेड़ जंगल तय होगा तब जीवन मे सुकून और सम्बल। परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं...