Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: मित्रा शर्मा

नमन योद्धा
कविता

नमन योद्धा

मित्रा शर्मा महू, इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मातृ भूमि के वीर पुत्र! आप के सम्मान में उठे हुए मस्तक प्रणाम करते हैं गर्व से तनी हुई छाती और अवरुद्ध कंठ से भी आप के गुणगान करते हैं। आप का जाना साधारण नहीं था साजिशों की बू आती है गद्दारों के मन में पनपते रंजिशों के भास आती है। योद्धा घर पर नहीं पर्यण करते वीर गति को पाते हैं दुश्मनों के चक्रव्यूह में अभिमन्यु अकेले ही लड़ते हैं। नमन वीर सिपाही ! तुम्हे नमन! भारत मां महान बनाने वाले आप को नमन। परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिं...
मन होता है
कविता

मन होता है

मित्रा शर्मा महू, इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मन होता है कभी-कभी उड़ती तितलियों को देख मेरा मन भी होता है कि उड़ जाऊँ और स्वयं को आकाश के सप्त रंगों से रंग लूँ। नदी को देख लगता है निर्मल धार बनकर कल-कल बहती रहूँ। जब मन का कोई कोना घोर अंधेरे में होता है तब निशा से पूछने का मन होता है क्यों खाली-खाली सा है मन कहीं कोई आशा का चिराग क्यों नहीं जलता है ? उगते सूरज से पूछने का मन होता है भोर के संग क्यों नहीं उठती उमंग ? मन के अंतर्द्वंद से पीछा क्यों नहीं छूटता है? चलते रहते हैं प्रश्न मन को दौड़ाती रहती हूँ। मन तो आखिर मन है कभी होता उदास कभी कहीं खुशी के पल ढूँढता है। परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्र...
हाँ, मैं नारी हूँ
कविता

हाँ, मैं नारी हूँ

मित्रा शर्मा महू (मध्य प्रदेश) ******************** जब भ्रूण बनकर आई थी दादी के मन में यह बात आई थी मेरा कुल का चिराग है या मनहूस मां ने अपनी वेदना छुपाई थी। मां कहने लगी भगवान से आने दो इसको संसार में मेरा हिस्सा है यह अनोखा सिचूँगी अपनी कोख़ में । मैने सोचा आऊंगी जरूर आऊंगी सब को समझाने के लिए सबकी सोच को बदलना है मै अब हार नहीं मानने वाली। नारी होकर नारी पर ही अत्याचार कभी होता दुर्व्यवहार कभी लगते उसपर लांछन कभी मिलता व्यभिचार। मैं अहल्या, पत्थर बन तप करने वाली सावित्री हूँ , सत्यवान को जगाने वाली। दुर्गा हूँ राक्षस का संहार करने वाली लक्ष्मी हूँ , धनधान्य करने वाली। हाँ, मैं नारी हूँ ! हां मैं सरस्वती, वीणावादिनी हूँ ज्ञान देने वाली मैं यशोदा हूँ ,कान्हा को दुलारने वाली। द्रोपदी बन कृष्ण को पुकारने वाली , सीता बन सहन करने वाली । हां, मैं नारी हूँ ! हाँ, मैं नारी हूँ !! परिचय :-...
रश्मियां भोर की।
कविता

रश्मियां भोर की।

मित्रा शर्मा महू, इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सुबह की लाली धरा पर उतर रही बसंत की उमंग भर रही रश्मियां भोर की। पीले पीले सरसों के खेत महक रहे ओस की बूंद चमक रहीं पत्ता-पत्ता सौंदर्यमय हो रहा उन्मुक्त हवा बह रही चारों ओर फागुन के गीत गुनगुनाने लगी रश्मियां भोर की। गुदगुदाने लगी सताने लगी याद प्रियतम की भ्रमर को बुलाने लगी रश्मियां भोर की। परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 आप...
वे सब नारी थीं
कविता

वे सब नारी थीं

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** वे सब नारी थीं फिर भी मर्दानी कहलाई कभी लक्ष्मीबाई कभी दुर्गावती के रूप में शत्रुओं को मुँह की खिलाई। तलवार लेकर खड़ी हो गई कोई भय उसे बाँध न पाया रणचंडी कहो या दुर्गा कहो कोई राक्षस बच न पाया। पन्ना धाय बन जन्मी तो पुत्र का बलिदान किया कोई क्या उससे छीनता पद्मावती ने जौहर किया। स्वतंत्रता की वीरांगना चलती रही बलि पथ पर गाती रही आग के गीत लाठी गोली से ना घबराई। भारत भूमि की वीर बेटियाँ आसमान से टक्कर लेती हैं आंधी, तूफान से खेलती देश की आन पर मरती हैं। परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ह...
देख मां
कविता

देख मां

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** अमिट कहानी लिख डाली है बेटों ने, तेरी लाज बचाने कदम बढ़ाए है बेटों ने। सोंधी खुश्बू तेरी माटी की महक गई , तेरे रक्षा के लिए जान भी कुर्बान गई। मनाते है हम दीवाली घरों में बैठकर, वो खेलते है होली सरहदों पर जाकर। जब दुश्मन अपनी पंख फड़फड़ाते है, तब वीरों ने डटकर अपना लहू बहाते है। दांव पेच खेलकर कायरों ने हराने को, शूरवीर हारते नहीं आंखे चार कराने को। परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे ...
मेरा वजूद
कविता

मेरा वजूद

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** किन्नरों की भावनाओ को ध्यान में रखकर लिखी गई रचना :- मेरा होना किसी को भाता नहीं सभ्य समाज में, मैं समाता नहीं। जन्म से धिक्कार, कोई अपनाता नहीं सभ्य समाज से मेरा कोई नाता नहीं। सिर्फ हँसी के लिए बना हूँ दर्द पीने के लिए बना हूँ तालियाँ मेरे नसीब में नहीं ताली बजाने के लिए बना हूँ। पेट भरने के लिए मेरी झोली फैली रहती सबकी मुरादें मेरी झोली में सिक्कों संग गिरती रहती अपने तन से नफरत कैसे करूँ बस, खुद मन ही मन धीर धरूँ आँसू को मुस्कान के पीछे धरूँ उसने भेजा धरती पर, कबूल करूँ। तन अधूरा मन अधूरा, ना कुछ मुझमें भी पूरा लेकिन स्त्री का श्रृंगार कर, करूँ कुछ मन का पूरा। कोई नहीं दे सकता मुझे जो रह गया मुझमें अधूरा विनती यही कि दुआ लेते रहना, हो ख्वाब तुम्हारा पूरा। परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहान...
कुछ कहना है
कविता

कुछ कहना है

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** दीप! तुम रोशन करो उन घरों को जहां तुम्हे जलाने को रुई भी न हो, तेल खरीदने को पैसे न हो तुम्हे जलाने को दिये न हो। तुम वहां दैदीप्यमान रहो, जहां तमस हो अंधियारा हो अज्ञानता का वास हो। बढ़ा दो ज्योति की लौ मन का उजियारा शिक्षा मिले बेटियों को चमके चमन । बदल दो दुनियां को तुम जो आपसी रंजिश में मानवीय मूल्य की आपसी भाईचारे की भुल रहा इंसान दंभ में। तुम सुगन्ध फैला दो सामंजस्य की नैतिक मूल्य की प्यार भावना की परोपकार की। ऐसे आ दीवाली ! जहां राधा और सलमा खुशियों के मिठाई बांटे आफताब और सूरज देश के लिए मर मिटे। परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्...
अहसास हार का…
कविता

अहसास हार का…

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** फलक तक आकर न लौट ए खुशी हम दीदार की आस लगाकर बैठे हैं। गम के सायों से जरा दूर रह ए खुशी इंतजार में आंसू बहाकर बैठे है। छलछलाती आखों से विदा किया था। तेरे शब्दों के कसीदे पे भरोसा किया था। जब अपने ही पराये से होने लगे, जजबातों से खिलवाड़ करने लगे होता रहे अहसास हार का रिश्तों में इशारों इशारों में किस्से लिखने लगे . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें...
पन्ने जिंदगी के
कविता

पन्ने जिंदगी के

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** कुछ पन्ने थे पुराने जिंदगी के, कुछ नए कोरे, कोई थे सुनहरे पन्ने, कोई मनहूसियत से भरे। गिरेबान में झांका तो, मिले कई ऐसे पन्ने, चाहत रखते - रखते, हुए पुराने कोरे पन्ने। किसी में थे खिलते सपने, किसी में मुरझाते ख्वाब थे, खोजता रहा, ढूंढ़ता रहा, पन्नो में दबे कई राज थे। त्याग था, समर्पण था, पर खामोश थे वो पन्ने, उम्मीद कि किरण में जीते रहे, वो भरोसे के पन्ने। कई पन्नों के साथ आस, हवाओं में उड़ गई। उड़ गए अरमान, बिखर गई थी तस्वीरें कई कई पन्नों धूल में मिल गए, फट गए थे कुछ पन्ने लिखा न गया उसमे, भीग गए अश्कों से पन्ने। . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित कर...
तम अंधेरा
हाइकू

तम अंधेरा

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** तम अंधेरा मिटा दो भगवान डरते जन। महामारी ने निगलता जा रहा फैला है तम। छिन रहा है मजदूर की रोटी भूखा जहान। क्रंदन भरा हतोत्साहित मन डरता जन। आखों में आते बिना नीद के ख्वाब आजमाते है। रकीब बन सता रहा है हमे यह समय। जीवन डोर छूट जाने का डर कोरोना काल। हारेंगे नहीं लड़ते ही रहेंगे थमेंगे नहीं। परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल प...
मां
कविता

मां

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** जन्नत की खुशियों की चाहत रखते रखते, भूल गए कि हमारी जन्नत हमारी मां थी। जीवन के आपा धापी में दौड़ते दौड़ते, यह नहीं समझ पाए कि आखिर मां क्या थी। तुम रखती थी कलेजे से लगाकर मुझे, बिना सौदा किए प्यार बरसाती थी तुम मुझे। बहुत रुला लिया ए जिंदगी तूने, मां की आंखों से ओझल क्या हुए थे। परवाह करने वाले की कमी नहीं थी राहों में, मतलब के फ़रिश्ते थे जैसे नाग लिपटते बाहों में। तेरे हर दुआ कबूल हो जाती शायद, मेरे तकदीर को चुनौती देती हो तुम शायद। क्यों भुल जाते है तेरे अहसानों को, जिंदगी के सफलता के पीछे के तेरे अफसानों को। शर्म क्यों आती यह कहने में, हम मां के साथ रहते है यह जताने में। तेरे आंचल की छांव पर पल बढ़कर खड़ा हुं, खड़ा हूं मां, बस तेरे बिना लड़खड़ा जाता हूं। खुद गीले में सो कर तूने गरमाहट दी थी, मेरी हर मुश्किल तूने आसान की थी। रह रह कर आ...
मै हूं
कविता

मै हूं

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** मै हूं तेरे बिना कुछ नहीं हूं मै, तेरे पसीने की कर्जदार हूं मैं। क्या लौटा पाऊंगा तेरी वफादारी का कीमत, कभी कर पाऊंगा तेरे भूखे नंगे बच्चो पर रहमत। नहीं हूं काबिल तुझ से आंख मिलाने के डर है मुझे मुझे मेरे हाथ खाली रह जाने के। छोड़ दिया अब तुझे सड़क पे मरने को, कुछ बचा नहीं तेरे पास पेट भरने को। खुदगर्ज इंसान हूं यह फितरत है मेरी, तेरे पसीने का खाकर तुझ से उलझने की ताकत है मेरी। बख्श दे प्राण दाता तेरे रहमों कर्म पर, जिंदा हूं इठलाता हूं अपने गुमान पर। . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमे...
दिल आईना
कविता

दिल आईना

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** दिल के आइने से देखा तू रकीब बन पड़ा है, उजाड़कर घरौंदा किसी का, सुकून पा रहा है। दिल न था तो पत्थर ही सही पिघला-पिघला सा था, तुम्हारी बेपरवाही से तनहा-तनहा सा था। हजारों जख्म देकर तुम इजाद थे, मरहम के इंतजार में हम बेकरार थे। . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें...🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो ...
खौफ
कविता

खौफ

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** भाग दौड़ की जिंदगी में ठहराव सा आ गया, ऐसा लग रहा जैसे नया युग आ गया। गली चौबारा शांत सा दिलों पे तूफ़ान सा आ गया, रह रहकर इंसान भय पे अपने पर आ गया। न किसी की निंदा न कोई पर चिंता, दूरियां बना रहा मानव घर को बनाकर पिंजरा। सोना, चांदी, धन कोई काम नहीं आ रहा, थोड़े में गुजारा करने की हुनर सा आ रहा। अनहोनी आशंका से घिरता हुआ मन, अब जीवन पाने कि आस में मर रहा है इंसान। खूबसूरत जिंदगी के सपनों के झरोंखे ने प्रकृति ने भी क्या खूब नजारे दिखाए है। . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak1...
नारी
कविता

नारी

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** कई कसीदे काढ़े गए तेरे चाहत पे, निहारा होगा तुझे मन के आइने से । कोमलांगी कहलाई तू हृद यांगिनी कहलाई, कभी राधा कहलाई तू कभी लक्ष्मी कहलाई। कभी दुर्गा बनकर करती है संहार, कभी अन्नपूर्णा बनकर भरती है भंडार । सृजना की खानी जननी जगत की, धरा बन सहती सारे कष्ट दामन की। चिंता के साए में भी होठों पे मुस्कान बिखेर कर , सारा गम भूल जाती है थोड़ा प्यार जताने पर। अपनों के लिए रोज मैराथन दौड़ती है, अपने अरमानों को रौंदकर सहचरी बन आगे बढ़ाती है।` . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@...
मेरा भारत
कविता

मेरा भारत

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** यह कैसी रीत चली है खून बहाना, भाईचारा भूलकर दुश्मनी निभाना। चहुं ओर अंधियारा फरेब की राह पर देश की गरिमा को रखकर ताक पर। जिस राधा का लहंगा सलमा ने सिला था चांद तारे भरे गोट चुनरी में जड़ा थी। बेरंग हो गया हलकी धूप की आंच पर प्रेम भावना सदाचार लगी सब दांव पर। त्रासदी और भयावह अमानवीय काम से राजनैतिक वैमनस्यता धर्म के नाम से। . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३...
दर्द
कविता

दर्द

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** तपती रेत में चलने की आदत सी हो गई, जिंदगी अनसुलझे सवालों से घिर गई। हमने भी देखे थे कभी हसीन सपने, भावना और जज्बातों को समझेंगे हमारे अपने। मगर क्या था कि कुदरत को कुछ और ही मंजूर था, नजारा दिखाना ही उसका दस्तूर था। जिंदगी मिलती है यहां पनाह नहीं मिलती, हर किसीको मुकम्मल जहां नहीं मिलती। दर्द के सैलाबों पे आंसूओं को पीते है, छलनी होता है दिल नस्तरों को चुभने से फिर भी हम जीते है। . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हम...
बचपन
कविता

बचपन

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** कुछ धुंधली सी याद है बचपन की कुछ टूटी हुई निशानियां, कुछ अनकही कहानियां, बेदर्द जिंदगी की यादों की लड़ियां। वह परियों का देश वह ख्वाबों की दुनियां वह सात समुंद्र पार राज कुमार की दुनियां। चंदा मामा को यह कहते सोना, कल सोने कि छोटी सी कटोरी गिरा देना। वो भोर सुबह में कटोरी ढूंढ ना ना मिलने पर उम्मीदों की चादर में तारे गिनना। ढूंढा करती है आंखे और मन अब भी वह पल छीन, वह मासूम सुबह और खुशनुमा दिन। ए जिंदगी ले चल मुझे वही बचपन में न रहे कोई कोई खौफ सफ़र में। . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमे...
जीवन का कड़वा घूंट
कविता

जीवन का कड़वा घूंट

मित्रा शर्मा महू - इंदौर ******************** जीवन का घूंट है कड़वा शिकवा न कीजिए, मौन से स्वीकारें या समझौता कीजिए। गर्दिशों में तबाही का मंजर देखा, मुकद्दर के खेल में भी दुआओं का असर देखा। मेरे शब्दों से आप का दिल छू जाएं , इत्तफाक ही है सोचती हूँ लिखा जाए। दर्द बयां करने को हम बेताब थे, पर किसी ने पूछा ही नही हम खामोश क्यों थे। दूर रहने पर भी यह खबर दिलको सुकून देता है, तुम्हारी खैरियत जानने के बाद रूह को ठंडक दे जाता है . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हम...
सोचा न था …
कविता

सोचा न था …

********** मित्रा शर्मा महू - इंदौर सोचा न था ... सोचा न था कभी बदल जाओगे फूल की जगह कांटे बन जाओगे। आहत है यह दिल मिले तुम्हे अपनी मंजिल। आंसुओं के समंदर में गोता लगाती यह जिंदगी मुबारक हो तुम्हे मिल गई है तसल्ली। वक्त है हमेशा की तरह अपनी रफ्तार में चलता है दिन और रात का चक्र चलता ही रहता है। रात ढलेगा तब सवेरा आएगा आएगा कल सवेरा आएगा प्यासे के पास समंदर भी आएगा राहगीर को राह भी मिल जाएगा। रोक न पाएगा कोई अनवरत बढ़ता जाएगा बढ़ता ही जाएगा , सब पीछे छोड़ता जाएगा .... परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (...
यादों का सिलसिला
कविता

यादों का सिलसिला

********** मित्रा शर्मा महू - इंदौर यादों का सिलसिला ऐसा हो विशवास की लौ जलती रहे दर्द ऐसा हो कभी खत्म न हो जिंदा होने की अहसास बना रहे। जरा सब्र कर ए बुलन्दी वाले आसमान पे पैर रखने की जगह नही होती कायनात पे कोई ऐसा मुकम्मल मीले यह जरूरी नही होता। बेरुखी की आलम इस कदर हावी न हो तुम अपने को संभालते रहो, अपनी परछाई भी आखिर में साथ नही देती यह जान लो। . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने ...
भीगे थे तेरी मोहब्बत में हम
कविता

भीगे थे तेरी मोहब्बत में हम

********** मित्रा शर्मा भीगे थे तेरी मोहब्बत में हम वह कागज की तरह जलने में काम आया न लिखने में . खुले आखों से सपने देखे थे हमने न साकार हुए न ओझल हुए . अजनबी सी तुम्हारी खामोशी के साये में पलते रहे वीरान मरुस्थल की तपती रेत पैरों को जलाते रहे। . आहत करती वह लफ्जों को अनवरत सहते रहे और जख्मों के निशान पर नमकीन करते रहे। . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirak...
मेरा जवाब
कविता

मेरा जवाब

********** रचयिता : मित्रा शर्मा सवाल क्या करते हो मेरे गहराई को भीगते पलकों ने खोल दिए जज्बात को । . नही भाता कुछ और तेरे सिवा दस्तूर बना है कि सिर्फ तुझे याद करूँ खामोश रहूं  तेरे साथ ओ खुदा तुझ में ही मेरी सबकुछ पूरी करूँ . होठों से जिक्र न करूं पर अस्कों से तुझे पुकारूँ लाख छुपालुं तेरी मोहब्बत पर हर स्याही पर तेरे नाम करूँ . परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.h...
बेटियां
कविता

बेटियां

********** रचयिता : मित्रा शर्मा पापा की सहजादी होती है बेटियाँ माँ की  परछाई होती है बेटियां। मिलती है   बड़े नसिबवालों को बेटियां  आंगन की रौनक  घर की मान होती है बेटियां ।  चार दिवारी से निकलकर  कदम ताल में  बढ़ रही है आगे  दे रही है साथ  सुगम चाल में । बनकर योद्धा  जय की नारा के हुंकार से   उड़ रही है विजय की ध्वजा  लेकर आसमान पे ।  विदुषी के उपमा लेकर  दे रही है रोशनी   शिक्षा रूपी बीज को कर रही है बोबनी । दूर हो अंधियारा  कलम की हथियार से   चहुं ओर  उजियारा हो बेटियों के नारा से परिचय :- मित्रा शर्मा - महू (मूल निवासी नेपाल) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६०...