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Tag: मानाराम राठौड़

पांडे की प्राण
कविता

पांडे की प्राण

मानाराम राठौड़ जालौर (राजस्थान) ******************** वह भावना शौर्य की जो पहले गई, ना रही राष्ट्र प्रेम और आजादी की स्मृति, नयनाभिराम घटना देखने को आंखें तरसती, कहीं हाड़ी रानी का सिर कटा, वह रानी लक्ष्मी गई, फिर भी इस देश की मेहमानी रही, सन् सत्तावन का संवत्सर, खीज गए सेनानी, पांडे की उग्रता चली, लेफ्टिनेंट की प्राण गई, पहचान रही चिरस्थाई पांडे ने भी प्राण गंवाई, स्वर गूंजा किसानों का, ब्रिटिश का राज हिला, जुड़े गुजराती गांधी, भारत में लाई नई आंधी, अंग्रेजों से लिया लोहा, न था उसमें वज़न, कौड़ी भाव बिका दिया, जनता ने बनाई तलवार, शीश काटे उग्रवादी, उन पर भारी वार, सब बन गए देश के महान पहरेदार, जगह-जगह खेली खून की होली, अंत समय में टूट गई ब्रिटिश राज की झोली, छोड़ निंदिया जाग उठे हिंदुस्तानी, भागने को विवश ब्रिस्टानी।। कुछ सीखना है, इस कलम से सीखो। ...
सपनों में झुका
कविता

सपनों में झुका

मानाराम राठौड़ जालौर (राजस्थान) ******************** भगवान ने सब कुछ दिया, दीये में दीया नहीं दिया। फिर अंधकार है। क्या, जो पथ भूल रुका नहीं, वह हार के आगे झुका नहीं। उपवन को लुट लिया वह माली, फूलों ने अपनी महक संभाली। लहरों के स्वर में कुछ बोलो, इस अंधड़ में साहस तोलो। कभी कभी जीवन में मिलता है। तूफानों का प्यार, कृष्ण-कदंब का वह प्रेम, गोपियों ने पाया, लोगों ने देखा, वृहत इतिहास में इसका लेखा। परिचय :- मानाराम राठौड़ निवासी : आखराड रानीवाड़ा जालौर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित...
मेरा भी एक गांव है
कविता

मेरा भी एक गांव है

मानाराम राठौड़ जालौर (राजस्थान) ******************** हार न होय मेहनत की हार होय ईमानदार सत्य की। गांव के चमकीले साथी उठाकर उत्संग में झूठ को फिरे। जय उसी की जय बोले जो विश्वास माने मिथ्या को। निंदिया बनी हरामी ग्रामीणों पर संकट बनी भविष्य पर। जाग्रत जीवनी उसकी लिखी सत्य पर निर्भर ज्ञान सिखी। दोषारोपण में बीज बोय झूठ का साथ चमकीले साथी उकसाने का। सचेत और ईमानदारी की ना जड़ें फिर भी हम गांव में हैं खड़े। यह कैसी पंक्ति है श्रेणी की यह हमारी संगति है श्रेणी की। ना सचेत ना जागरूक इसीलिए तो अंधकार है। जहां प्रकाश नहीं वहां उजाला कैसा मेरा भी एक गांव है यहां उजाला कैसा। गांव के चमकीले साथी उठाकर उत्संग में झूठ को फिरे। कहीं दाल पुरी तो कहीं खीर पुरी यह सब जगह होती है जरूरी। छोटा-सा क्षेत्र गांव का बड़े रास्ते कानाफूसी के। परिचय :- मानाराम राठौड़ निवासी : आखराड...
हिंदी की अभिलाषा
कविता

हिंदी की अभिलाषा

मानाराम राठौड़ जालौर (राजस्थान) ******************** मैं राष्ट्रभाषा बन जाऊं सभी के मुंह पर खिल खिलाऊ। यह मेरी प्यारी भाषा सभी को सीखने की अभिलाषा। जिसमें मैंने सीखें न ट ख ट इसमें बात करता झ ट प ट। गोपन मन को दे दी भाषा हिंदी मेरी प्यारी भाषा। इसको कबीर ने अपनाया मीराबाई ने मान दिया। आज़ादी के दीवानों ने इस हिंदी को सम्मान दिया। भारत की आशा है हिंदी मेरी प्यारी भाषा है हिंदी। आओ हिंदी में पढ़े-लिखे करें काम सारे हिंदी में। जिसका सौंदर्य एक बिंदी में यह मेरी प्यारी भाषा। सभी को सीखने की अभिलाषा परिचय :- मानाराम राठौड़ निवासी : आखराड रानीवाड़ा जालौर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचि...
गौरी की रक्षा…
कविता

गौरी की रक्षा…

मानाराम राठौड़ जालौर (राजस्थान) ******************** किसानों का यह असली साथी हर फुर्सत है इसके उपयोगी पीते हम गोरी का गोरस शरीर अपना बनाते मक्खन, छाछ, दही जैसे और कई मिठाइयां हम खाते गोबर से खाद बनता उपयोग इसका खेत में होता हरि घास से ये खाती है सूखे खाने में रह लेती है कभी न कोई इसकी शिकायत होती हर पल, हर समय यह शांत रहती ग्रामों में लोग शौक से पालते शहरों में इसके लिए कोई घर नहीं गौशाला का निर्माण करवाओ माता रूपी गाय की सेवा करो और तुम रक्षा करो परिचय :- मानाराम राठौड़ निवासी : आखराड रानीवाड़ा जालौर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, रा...
रास्ते का अंधा बटोही …
कविता

रास्ते का अंधा बटोही …

मानाराम राठौड़ जालौर (राजस्थान) ******************** मंजिल कितनी दूर है! देख ले सपना कितना सच है! देख ले सपना है! मंजिल की पहुंच अपना है! सपने का मंजिल देख ले मंजिल की राह कांटो से भरी कंकड़ सड़क जाते मंजिल चटक-भटक मंजिल कितनी दूर है! सपना कितना सुदूर है! बटोही नहीं देखे राह अपनी कौन कहे यह कहानी अपनी घर आते आते ढल जाती है! संध्या सुबह होते-होते भूल जाते हैं! सपना परिचय :- मानाराम राठौड़ निवासी : आखराड रानीवाड़ा जालौर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहान...
श्रम का प्रकाश
कविता

श्रम का प्रकाश

मानाराम राठौड़ जालौर (राजस्थान) ******************** श्रम का प्रकाश था मनुष्य का अहंकार था इस धुंध जगत में श्रम का आलोक था काल बीत जाएंगे जन उदीसी रह जाएंगे फुर्सत को किसी ने नहीं पहचाना फुर्सत किसी को नहीं पहचानता जो रेख़्ता सोते रहे वह उडीसी ही रह गए जो जन नींद के पीछे नहीं दौड़े वह आगे बढ़ गए परिश्रम है मनुज का अर्थ परिश्रम को कौन जाने पहचाने यह ही है। श्रम का प्रकाश तन मन के उजियारे में परिचय :- मानाराम राठौड़ निवासी : आखराड रानीवाड़ा जालौर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशि...
म्हारो राजस्थान
कविता

म्हारो राजस्थान

मानाराम राठौड़ जालौर (राजस्थान) ******************** रंग बिरंगे धोरों का हरे भरे द्रुमो का सदन है राजस्थान म्हारो प्यारो राजस्थान पुराने तकनीकों का पुराने किलो का जन्म सदन है राजस्थान म्हारो प्यारो राजस्थान नई-नई सरकारो का बुरे-बुरे विचारों का जन्म सदन है राजस्थान म्हारो प्यारो राजस्थान सम्राट है राजस्थान के बुरे विचार है सरकार के म्हारो प्यारो राजस्थान परिचय :- मानाराम राठौड़ निवासी : आखराड रानीवाड़ा जालौर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...
मधुमास की चांदनी
कविता

मधुमास की चांदनी

मानाराम राठौड़ जालौर (राजस्थान) ******************** था मधुमास का मौसम पड़ा था उल्टा अम्बर न जाने थी थाल भरी मोतियों आंगन में फैले दूध के झाग आकाश था या आंगन विभावरी थी चांदनी उजास था दीपक टिमटिमाते दुध के झाग आया है नवजीवन बालक मुस्कुराहट भरी जिंदगी था मधुमास का मौसम परिचय :- मानाराम राठौड़ निवासी : आखराड रानीवाड़ा जालौर (राजस्थान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने क...