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Tag: माधवी तारे

चांद की टीस
कविता

चांद की टीस

माधवी तारे लंदन ******************** चांद आधा आज गगन में कहता है धरती को मन में क्यों मैं पूरी चमक दिखाऊं जब श्रद्धा ही न हो विश्व में जनता भटके भ्रमण ध्वनि में समय नहीं है उनको घड़ी पल बंद कमरे में वीडियो गेम पर देखा करते कृत्रिम चांद बेदर्द पड़े दिल सर्द पड़े भटक-भटक ये कहां चले मुझ पर न किसी की नज़र पड़े कहता है चांद मायूसी में सत्ता की धुन में खोए कुछ अमर्यादित चाल चले ऐश्वर्य का संचयन करते-करते कुमार्ग का चयन कई लोग करें कैसे चमकूं पूरा मैं फिर भारत की संस्कृति छूटी चलते सब पश्चिमी पथ पर कैसे चमकूं पूरा अब मैं यह सोच रहा है चांद मन में अकूत ऐश्वर्य का था वो मालिक स्वयं रहा सदा सादगी में विकास के उस रतन को आखिरी नमन करने आधा ही आया मैं नभ में परिचय :-  माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) अध्यक्ष : अंतर्राष्ट्रीय ह...
अनाथों की मोक्षदात्री
लघुकथा

अनाथों की मोक्षदात्री

माधवी तारे लंदन ******************** बंद कमरे की खिड़की की मद्धम रोशनी में बैठकर मैं उस ठंडी शाम को ऊर्जा और प्रेरणा से ओतप्रोत थी। विश्वमांगल्य नाम की एक पत्रिका मेरे हाथ में थी और उसमें मैं एक अतिविलक्षण महिला डॉ. भाग्यश्री के बारे में पढ़ रही थी जिसने एक अलग ही तरीके से अपने जीवन को सार्थक किया है। वैसे तो स्त्री शक्ति ने अपनी ताकत का और सफलता का परचम आज चूल्हे-चौके का दायरे सहित आसमान तक फहराया है। तभी तो घर ही क्या सारी दुनिया कहती है कि तुलसी बिना आंगन सूना वैसे स्त्री बिना घर सूना। आज तक एक ही क्षेत्र स्त्री के लिये कोमलांगी, भावनाशील, समझकर अछूता रखा गया था वह स्थान है श्मशान। वैसे आज वहां भी स्त्रियां जाती हैं। लेकिन इंदौर की इस प्रतिभाशाली महिला ने तो अपना कार्यक्षेत्र ऐसी जगह को बनाया है जहां सामान्य लोग जाने का विचार भी नहीं करते. इस प्रेरणास्पद नायिका का विवाह एक चतुर्थ श...
कुरुक्षेत्र में
कविता

कुरुक्षेत्र में

माधवी तारे लंदन ******************** अब की बार चुनावी कुरुक्षेत्र में चाकू, खंजर, तीर, तलवार खूब लड़ रहे थे आपस में कौन ज्यादा गहरा जख्म दे शब्द पीछे बैठे मुस्कुरा रहे थे जिव्हा की लेकर तेज तलवार आई थी महिलाएं भी मंच पर चतुरतर पद की गरिमा भूलकर अपनी वाणी की कला दिखाने और शब्द पीछे बैठे मुस्कुरा रहे थे कुछ सत्तांधों ने एक होकर किया भ्रमण था देश भर सिंहासन की चाह पकड़कर झूठे वादों की वर्षा करने माहौल बिगाड़ने वाले मनोरुग्णो ने चपत मुंह की खाई आखिर सत्य पीछे बैठा मुस्कुरा रहा था... पूर्वकालीन कारनामों को होना था उजागर देश भर तभी तो रामलला ने तीसरी बार कर दिया मोदी जी का बेड़ा पार सनातनता जागृत हो पीछे मुस्कुरा रही थी पक्ष-विपक्ष तो हैं लोकतंत्र की दो सुदृढ़ बाहें वैचारिक मेल-मिलाप से देश को उन्नति के पथ पर लाए फिर क्यों प्रथमग्रासे मक्षिका पतन करने उतावले...
एक चेहरे पर कई चेहरे
आलेख

एक चेहरे पर कई चेहरे

माधवी तारे लंदन ******************** जब भी भारतीयों की प्रगति की बात होती है, विदेशों में बसे भारतीयों के गुणगान गाने को तत्पर रहते हैं और विदेशी लोगों को आमंत्रित करने का मौका हम ढूंढते रहते हैं। वहां रहने वाले भारतीय इस अवसर को संपन्न करवाने में हम जी जान से मदद करते हैं। लेकिन विदेशी समाज में रहकर खुद को साबित करना, अच्छे पद कर काम करना आसान नहीं होता. गलतियां ढूंढने को तैयार लोगों की घाघ नज़रों के बीच हर दिन अपने आप को प्रमाणित करना पड़ता है। कई देशों में भारतीय नर्सें काम करती हैं और उनके काम को काफी सराहा जाता है। लेकिन कई बार ऐसा भी सुनने में आता है कि आप्रवासी नर्से सारी तैयारी करके रखती हैं लेकिन उसका सारा श्रेय स्थानीय नर्सें ले जाती है, डॉक्टरों को जानबूझकर दिखाया जाता है कि स्थानीय कर्मचारी ही बेहतर हैं। अक्सर आयोजन में देखा जाता है कि आज भी हमारी गुलामगिरी की मानसिकता गई न...
मौसम ने करवट क्यों बदली
आलेख

मौसम ने करवट क्यों बदली

माधवी तारे लंदन ******************** भारी गर्मी में सूरज के ताप से हैरान गौरेया जैसे बेसुध हो कर गिर जाती है। वैसे ही आज इंसानों की हालत है। कुछ साल पहले का हरे-भरे बैंगलोर का मौसम खुशमिज़ाज था। वृंदावन गार्डन देखकर मन खुश हुआ था लेकिन आज वही बैंगलोर पानी की बूंद-बूंद के लिये तरस रहा है। अब इंदौर की भी हालत ऐसी ही हो रही है। पिछले ६०-६५ साल में आज जैसी गर्मी देखने को नहीं मिली है। सौ-सौ साल पुराने पेड़ सड़क के नाम पर कुरबान हो रहे हैं और नए लगाए नहीं जा रहे जबकि पूरे के पूरे पेड़ दूसरी जगह लगाने की तकनीक भी आज उपलब्ध है। फिर भी बागीचे उखाड़ कर अट्टालिकाएं रोपी जा रही हैं। इंसान भी चिड़ियों की तरह चलते-चलते ना टपके इसके लिये हरियाली चाहिये। सीमेंट कांक्रीट के रास्तों के आसपास नालियां नहीं हैं और अगर हैं तो पानी वहां से प्रवाहित हो जमीन में नहीं जाता, बह जाता है। बहुमंजिला इमारतें अपनी प्...
महिला दिवस पर स्लोगन
कविता

महिला दिवस पर स्लोगन

माधवी तारे लंदन ******************** १. तुलसी बिना आंगन सूना, नारी बिना नर जीवन सूना। २. त्रिभुवन की ही संजीवन शक्ति, एक ही है महिला शक्ति। ३. गृहस्थाश्रम के नभाकाश की, है स्त्री शीतल चांदनी प्रसंग पड़ता जब बांका, बन जाती है वह शेरनी। ४. है स्त्री दैवी ही धर्मज्योति, गृहस्थाश्रम की अमोल शक्ति बिना उसके नहीं मिलती, प्रपंच-रथचक्र को गति। ५. वो गुणवान संस्कारी वह निडर करारी. परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अप...
रामरस
कविता

रामरस

माधवी तारे लंदन ******************** ये क्या हुआ कब हुआ, क्यों हुआ जब हुआ, तब हुआ ओ छोड़ो, ये न सोचो हम क्यों शिकवा करें झूठा जो हुआ वो अच्छा हुआ सपना पुराना था मोदी जी ने पूरा किया फिर क्या हुआ? हमने तो सुना था, जाना था मामला पांच सौ साल पुराना था, नेताओं ने भी उस पर चुनावी जामा चढ़ाया, रामलला को भी उन्होंने टेंट में बिठा दिया था... फिर क्या हुआ? न्यायविदों ने जब न्याय का आदेश दिया तब जा के बाईस जनवरी का शुभ-दिन आया फिर क्या हुआ? मंदिर बन के तैयार हुआ रामलला को भी विधि से मंदिर में बिठा दिया फिर क्या हुआ? देश सारा राम रस में डूबता चला गया दीवाली जैसा माहौल विश्व में फैल गया विश्व में फैल गया... परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एव...
भीति … मराठी कविता
आंचलिक बोली

भीति … मराठी कविता

माधवी तारे लंदन ******************** मला वाटते ही कसली भीति, ना चोरा ची न अंधारा ची, अथाह साहित्य सागरातूनी गवसेल कसा मज सुषमानुकूल शब्द मोती? वालुकामयी समुद्र किनारी पाहुनी वेगमयी लाट उसळती, भय पतनाचे मम नेत्र मिटती. दुर्गम असे मज सादा शिंपला नी मोती. कुशल अशा रचनाकारांना नवे आव्हान मायमावशी देती होतं शब्दांची साहित्य निर्मिती त्यात कशी टिकावी हीच भीति पणती माझी मिणमिणती… परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु ...
लोकतंत्र का पर्व
लघुकथा

लोकतंत्र का पर्व

माधवी तारे लंदन ******************** “ये लोकतंत्र का पर्व है सामने काल खड़ा है तू वोट कर, तू वोट कर” आशुतोष राणा जी की प्रभावी वाणी में ये कविता सुनते-सुनते मुझे १९९८ में लोकसभा मतदान का दिन याद आ गया। सड़कों पर समूहों में चर्चा करते हुए लोग, बूथ पर जाकर मतदान कर रहे थे। तो कई लोग इसे छुट्टी का दिन समझ कर घूमने भी चले गए थे। सुहासिनी के घर के सभी लोग मतदान कर आए थे। उसके पति कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे थे और कमजोरी और दर्द से कराहते हुए बिस्तर पर लेटे थे। वह उनके जागने से पहले ही मतदान कर आई थी। कुछ समय के बाद सुहासिनी ने उनकी आवाज सुनी – “अरे मेरा सफारी सूट तो लाओ जरा मैं मतदान के लिये जाने का सोच रहा हूं कहीं मेरे एक मत का अभाव पार्टी पर भारी न पड़ जाए।” उसने कहा – “आप कैसे जा सकते हैं, ज़रा खुद की स्थिति तो देखिये” पर आत्मविश्वास से वे बोले- “मेरी जाने की इच्छा है” “दो तीन म...
स्त्री और रंग
कविता

स्त्री और रंग

माधवी तारे लंदन ******************** दुनिया की आधी आबादी की, अटल अमिट शान है स्त्री जीवन को रंगीन बनाने वाली, चिर प्रेरणादायिनी है स्त्री कभी चांद सी शीतल, कभी सूर्य सी दाहक, प्रेम इज़हारी, दंडदायिनी है स्त्री. कभी पदार्थाभाविनि, रसस्वादिनी, पाकगृह की कुशल, स्वामिनी है स्त्री शिव की शक्ति, हरि की चरण दासी, समर क्षेत्र में रणरागिणी है स्त्री संत विद्वानों की जन्मदात्री, रत्न प्रसविनी है स्त्री रंग उसका हो कौन सा भी, रस रंगहीन है स्त्री बिन जिंदगी प्रातः स्मरणीय पंच कन्याओं की स्मृति, पंच रंगयुता पाप विनाशिनी है स्त्री परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट...
मानवीयता
लघुकथा

मानवीयता

माधवी तारे लंदन ******************** कई साल से विदेश में मरीजों की सेवा करने वाले प्रख्यात चिकित्सक अपने अस्पताल की ड्यूटी खत्म होने के बाद अपनी क्लिनिक में आकर बैठे। वहाँ भी मरीजों की कतार लगी थी। एक-एक मरीज लाइन से आकर अपने समस्या बताकर दवाई की पर्ची ले जा रहा था। अभी लाइन खत्म ही नहीं हुई थी कि एक वृद्ध महिला के चीखने चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। उसके पैर में गहरा जख्म था, वेदना असह्य हो रही थी। वह बहुत ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी उसके साथ उसकी बेटी थी, चिल्लाने की आवाज सुनकर डॉक्टर अपनी सीट छोड़कर बाहर आए और पूछा – “क्या हुआ बेटा” ? परिस्थिति की गंभीरता देखकर डॉक्टर ने लोगों से उस महिला को टेबल पर लिटाने को कहा, बाकी मरीजों को छोड़कर डॉक्टर उस महिला के जख्म का इलाज करने लगे। फिर डॉक्टर दूसरे मरीजों को देखने चले गए और उस महिला को और क्लिनिक के पलंग पर लेटे रहने दिया, महिला की स्थिति को देख...
लोकतंत्र का पवित्र मंदिर हूं मैं
कविता

लोकतंत्र का पवित्र मंदिर हूं मैं

माधवी तारे लंदन ******************** (नया संसद भवन २८ मई २००३) आज की रवि किरणों से चमकता हुआ न कोई गगन से उतर कर आया फरिश्ता परतंत्रता का चोला उतार, अपनों के परिश्रम से निर्मित स्वतंत्र देश के अमृत महोत्सव का प्रतीक हूं मैं. देश का विकास या समस्या का हो मसला या विदेश का हो कोई मामला सबसे खुली चर्चा करके, हल निकालने वाला हलधर हूं मैं न तो मैं विदेश में स्थापित होने वाला न ही देश की हर बात जग भर फैलाने वाला दूरदर्शन का कोई चैनल हूं मैं सब देशवासियों की रगों में देशभक्ति स्रोत जगाने वाला निर्मल बहता हुआ निर्झर हूं मैं गीता का वचन है ”यो माम् यथा प्रपद्यन्ते, ताम् तथैव भजाम्यहम ” मंत्रोच्चार से स्थापित लोकतंत्र का पवित्र मंदिर हूं मैं प्रस्तुति - एक वरिष्ठ भारतीय महिला नागरिक (वर्तमान निवास लंदन) परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवास...
प्रश्न का उत्तर
कविता

प्रश्न का उत्तर

माधवी तारे लंदन ******************** (काव्य रचना, श्रद्धेय स्वामी विवेकानंद के चरित्र के आधार पर) एक दिन विवेकानंद जी से पूछ लिया एक मासूम ने मात पिता का संतान पर अपने रहता है न समान अधिकार? तो फिर मां का ही गुणगान जरा ज्यादा होता रहता संसार भर बोले स्वामी-बालक का प्रश्न सुनकर सामने दिखी ईंट को ले आ तू सत्वर मिल जाएगा फिर तुम्हें तुम्हारे प्रश्न का उत्तर गया ईंट लाने बच्चा दौड़कर कहे स्वामी, इसे अब बांध लो तुम्हारे पेट पर खाना, पीना, सोना, उठना, बैठना करते रहो नौ घंटे ऐसा ही रहकर आज्ञाकारी बालक कर बैठा कहे अनुसार अल्पकाल में ही असहनीय कष्ट से हुआ बेहाल पछताकर बोला मन में-क्यों गया मैं स्वामी जी को प्रश्न पूछने ! समय पूर्व आते बालक को देखकर तकलीफ उठाते हुए आते उनके घर पर मुस्कुराते बोले स्वामी, मिल गया लगता है तुम्हें तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दर्द भरी...
ये दाग़ कौन धोएगा…?
आलेख

ये दाग़ कौन धोएगा…?

माधवी तारे लंदन ******************** लंदन में यहां की संसद में राहुल गांधी का वक्तव्य सुन कर मन द्रवित हो गया। आज तक कितनी बार मैं यहां आई हूं पर ऐसा अनुभव मुझे कभी नहीं हुआ। भारत के लोकतंत्र का चीरहरण और खासकर देश के प्रधानमंत्री की बुराइयां, बीबीसी जैसे ख्यात न्यूज चैनल पर सुनकर मुझे गुस्सा आया। परदेश की सर जमीं, जहां पर अपने ही देश का मूल निवासी जो उच्च पद पर आसीन है, उनके सम्मुख देश के लिये अपमानजनक शब्दों को सुन कर गुस्सा नहीं आएगा क्या? परदेश में अपने देश की बुराई सुनकर मैं शर्मसार हो गई। गुस्से में मैंने मेरे बेटे को टीवी बंद करने को कह दिया। एक साधारण सा सांसद, जिनके पूर्वजों ने ७० साल तक इस देश की बागडोर संभाली और अनिर्बंध रूप से शासन चलाया। उनके एक शख्स का देश के प्रजातंत्र पर कुठाराघात करते हुए आलोचना करना, हमारे जैसे भारतीयों की नाक कटवाने जैसा है। वर्तमान में अपना सर उ...
धर्म और विज्ञान
आलेख

धर्म और विज्ञान

माधवी तारे लंदन ******************** धर्म: रक्षति रक्षित: ऐसा एक वाक् प्रचार है जिसका भावार्थ है धर्म ही धर्म की रक्षा करने वाले का रक्षण करता है। प्राचीन ग्रंथों और पुराणों ने यह बात सिद्ध करके दिखाई है। हमें उनकी चर्चा में आज नहीं पड़ना है। वास्तविक बात यह है कि ज्ञान विज्ञान और अध्यात्म या धर्म दोनों ही मनुष्य को आत्मोन्नति के मार्ग पर चलने में सहायक होते हैं। एक अंदर से या मन-मस्तिष्क से तो दूसरा भौतिकता से या बाह्य जगत के ज्ञान से, दोनों के रास्ते अलग-अलग हैं परंतु खोज उत्कर्ष अथवा स्व की उन्नति को ही महत्व है। सारांश यह है कि विज्ञान बाह्य रूप से और धर्म अंतर स्वरूप से ब्रह्मांड की खोज करने की कोशिश में लगे रहते हैं। राक्षसों द्वारा डूबी पृथ्वी को धर्म ने संवारा तो उसका हर तरह से विकास करना विज्ञान में संभव कर दिखाने की ठानी है। कहां पैदल यात्रा भ्रमण करने वाले, कहां पैदा, कह...
कर्तव्यबोध
लघुकथा

कर्तव्यबोध

माधवी तारे लंदन ******************** दरवाजे की बेल बजी– “आंटीजी दरवाजा खोलो मैं आई हूं” ये कामवाली की आवाज थी. द्वार खोलते ही मैंने उससे कहा – “अरे... तुम्हारे पति शांत हो गए हैं न ... तुमने अपनी जगह दूसरी बाई दी थी। वो दो दिन से अच्छी तरह से काम कर रही है फिर तुम आज कैसे?” “आंटीजी माफ करना, काहे का पति, और काहे का बच्चे का पिता... आज २५ साल पहले बिना कहे वो मुझे और मेरे चार साढे चार साल के बेटे को बेसहारा छोड़ कर गया था... हमें नहीं मालूम, तब से आज तक उसने ये तक न पूछा कि हम जिंदा हैं कि मर गए... अपने कर्तव्य से मुंह फेर कर गुलछर्रे उड़ा रहा था... पर कर्म ने किसे छोड़ा है क्या ! २५-२७ साल तक न उन्हें हमारी याद आई न अपने परिवार की.... पर अबकी बार बीमार हो कर अपनी बहन के घर आ गया।” ननंद जी को मैंने कहा कि “आपने मुझे क्यों बताई ये बात... जबसे गया तभी से मैंने बेटा बड़ा किया, उसकी प...
कालांतर
कविता

कालांतर

माधवी तारे लंदन ******************** बड़ी हुई तब एक दिन पूछा अपनी माँ से मैंने, कितनी पीड़ा सह ली तूने देकर हमको छह बहनें? धीरे से तब बोली माता पुरुषों की तब चलती ज्यादा, थी औरत तो केवल अबला कौन सुनता उनकी भला? कालचक्र का घूमता पहिया बदलता गया सारी दुनिया, कुल दीपक की बढ़ती चाह ने नारी मन का छल किया। वंश की वृद्धि, मुक्ति की इच्छा सर पर चढ़ बलवान हुई , तब जबरन भ्रूण हत्या समाज मन पर छाती गई। बुझाकर ज्योति की पवित्र बाती दीपक की लौ जलने लगी, मातृत्व प्राप्ति की सारी खुशियाँ आंसुओं में बहने लगी। अमौलिक कन्या रत्न की कमी जन अनुपात बिगाड़ गई, मानवीयता पाशवी वृत्ति के आगे शर्मसार होती ही गई। नफरत भरी आँधी से सूज्ञ नरों की नींद खुली, भ्रूण हत्या को जाकर तब से अक्षम्य गुनाह श्रेणी मिली। परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश...
हंसिका
कविता

हंसिका

माधवी तारे लंदन ******************** हिंदी रूठ गई, अपनी मां से बिखरित करके केश कहे मुझे दो, बिंदी लाके तभी मैं सवांरूं केश परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com...
मजबूरी
सत्यकथा

मजबूरी

माधवी तारे लंदन ******************** (सत्य घटना पर आधारित) “बेटा मेरी उम्र अब ८०-८२ साल के ऊपर हो गई है शरीर भी दिन-ब-दिन थकता जा रहा है... और तू है कि सवेरे शाम धंधे में लगा रहता है। तेरे बेटा और बेटी भी नौकरी पानी के लिए दूर रहते हैं, तुम्हारी बेटी तो ससुराल में अपनी नौकरी और घर के कामकाज में व्यस्त रहती है तू रोज़ नौकर के हाथों जमा पूंजी और कमाए हुए रकम बैंक में भेजता रहता है तुमने बैंक में नॉमिनेशन करके रखा है कि नहीं? सुबह से रात के ८-९ बजे तक दुकान पर ही बैठा रहता है एकाध दिन फुर्सत निकालकर बैंक का काम जरूर कर लेना” “हाँ माँ तू चिंता मत कर मेरा ध्यान है इस तरफ” “बेटा, समय बताकर नहीं आता है, समझ रहा है ना” “माँ मत घबरा मैं सब कर लूंगा” माँ का रोज-रोज कहना बेटे का हामी भरना ये सिलसिलेवार चलता रहा। एक दिन संध्या बेला थी, घर के पास धीरे-धीरे लोगों की भीड़ इकट्ठा होने लगी, आने ...
निर्णय
लघुकथा

निर्णय

माधवी तारे लंदन ******************** लग्न मंडप से अपने-अपने कमरों में चले गए दूल्हा और दुल्हन, थोड़े समय बाद पूरी रात भर सुनाई देने वाली दूल्हे के कमरे से चिल्पो सुन रही थी दुल्हन, सुबह वरमाला लेकर मंडप में तो गई, पर सबके सामने बोल पड़ी मैं ससुराल नहीं जाऊंगी डोली हटा लो कहारो.... परिचय :- माधवी तारे वर्तमान निवास : लंदन मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु ...
आजादी की चाल
कविता

आजादी की चाल

माधवी तारे लंदन ******************** जागो! री सखी! दिनकर भी नभ में उन्नत है छाया छाने दो प्रियकर आज उसको कितना भी ऊपर चलूँगी मैं आज आजादी की "सेवाभावी चाल ॥ १ ॥ आज सारे विश्व में महिला का दिन है छाया चौका चूल्हा धंधा घर का है तुम्ही को ही संभाल चलूँगी में आज आजादी की सेवाभावी चाल ।।२।। मानव जगत से पीड़ा का संसार मिटाने दानव-मन में करुणा सागर फिर सँजाने पीना पड़ेगा मुझे आज गर विष-हलाहल फिर भी चलूँगी मैं आज आजादी की सेवा भावी चाल ॥३।। स्वार्थ-तुहिन हल जीवन बगियाँ की कलियों को हँसाने प्रणय सिंदूर से जन-मन का सँजाने भाल प्रदेश विशाल चलूँगी मैं आजादी की आज सेवा भावी चाल ॥४।। दुखियारी माताओं के आँचल में उल्लास भर देने नवजात शिशुओं को जीवन - मधुहास पिलाने सुरक्षा की बन के ढाल चलूँगी मैं आजादी की आज सेवाभावी चाल ।।५।। भूखे कंकाल में भरने दो दाने खेतों पर अमृ...
एक चिकित्सक की कहानी उनकी जुबानी
कविता

एक चिकित्सक की कहानी उनकी जुबानी

माधवी तारे इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** एक मामूली सा डॉक्टर हूं बेशक कोई भगवान नही डॉक्टर का डॉक्टर होना मगर इतना भी आसान नहीं इस दर्जे की खातिर मैने बचपन खोया हैं मैं वो हूं जो एक एक मार्क्स को रोया हूं सुकून की जिंदगी को कुर्बान करता हैं डॉक्टर कभी किताब तो कभी, इमरजेंसी टेबल पे सोया है जाने कब होली बीती, जाने कब दिवाली गई जाने कितने रक्षाबंधन, मेरी कलाई खाली गई परीक्षाओं की लड़ी ने, नही छोड़ा साथ अब तक मेरे हजारों दिन खा गई उतनी ही राते काली गई फिर भी तुम्हे हर वक्त जो खुश दिखे परेशान नहीं उस डॉक्टर का डॉक्टर होना इतना भी आसान नहीं मैंने क्रिकेट का बैट छोड़ा, टीवी का रिमोट छोड़ा सफेद एप्रन की खातिर मैंने जैकेट कोट छोड़ा स्कूल का टॉपर मेडिकल में आने पर फेल होने से डरा हैं जब भी कोई शॉर्ट नोट छोड़ा मेरी कोई संडे नही छुट्टी की गुजारिश ...
कवच समान है पिता
कविता

कवच समान है पिता

माधवी तारे इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बच्चे की माता गर है प्रथम शिक्षिका तो कवच समान है पिता भी उसी का तभी तो नाम के आगे उसके जुड़ा ही रहता है नाम पिता का ll१ll माता होती गर धरती उसकी पिता होता आकाश उसी का संस्कार यद्यपि देती माता संघर्ष उसे पिता सिखाता ll२ll कभी आग का गोला बनता श्रीफल-सा कभी कोमल लगता संवेदनाओं के बंधन बांधे होता रिश्ता पिता-पुत्र का ll३ll उंगली पकड़कर उसे पिता बाहरी दुनिया परिचित कराता प्रसंग विशेषी सख्त और कठोर बनने की सीख ही देता ll४ll तपा-तपा कर कुंदन जैसा पिता स्वयं प्रकाशी उसे बनाता अपने से भी आगे निकलता पुत्र देखने की ख्वाहिश रखता ll५ll परिचय :- माधवी तारे निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकत...
मां तुझे सलाम नमन
स्मृति

मां तुझे सलाम नमन

माधवी तारे इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जिनके हाथों में पालने की डोरी, उसकी महिमा जगन्नाथ से भी भारी।। मातृ दिवस का मर्म इन दो पंक्तियों में समाया है। अहिल्या सीरियल दूरदर्शन पर देखते-देखते मां से जुड़ी कई यादें दिमाग में पुनः ताजा हो गई हैं। कुछ बातें आपके साथ साझा करने का प्रयास कर रही हूं। स्वानुभूति के समंदर में गोते लगाते हुए मेरी मां ने कुछ उसूलों के मोती पाए थे और उनको अपने मन मंदिर में सजाकर आज की दृष्टि से विशाल परिवार को सभ्य, सुसंस्कृत, संस्कारित, आध्यात्मिक संबल से पालने का निश्चय किया था। बात पुराने जमाने की है अर्थात ३० के दशक से शूरू होती है.... शादी के समय मेरी मां की उम्र ९-१० साल की और पिताश्री की उम्र १९-२० साल की थी। गांव के मुखिया की बेटी थीं वे। खेत-खलिहान, बाग-बगीचे भव्य बाड़े, नौकर-चाकर तथा भरे-पूरे परिवार से थीं हमारी मां। मुखिया जी के घर...
मासूमियत
लघुकथा

मासूमियत

माधवी तारे इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************   'वक्त की कैद में जिंदगियाँ हैं, मगर चंद घड़ियाँ हम सब सब्र करें, प्राण वायु की आपूर्ति के लिए तो कम से कम।' संपूर्ण विश्व की त्रासदी से हम सब वाकिफ हैं। एक अनाहत भय से हर शख्स परेशान सा है। बच्चें, बूढ़े एवं युवा सब-के-सब आज की स्थिति का गुनहगार स्वयं को मान रहे हैं। स्वार्थांध होकर मानव ने प्रकृति के साथ की हुई ज्यादतियां या खिलवाड़ का नतीजा वर्तमान स्थिति में कैसा भारी पड़ रहा है, सब देख रहे हैं, मान भी रहे हैं। 'वनराजी, वृक्षबेलियाँ हमारे सगे-संबंधियों जैसी है', यह हमारे देश की परंपरा युगों-युगों से चली आ रही है। ऐसे में एक घर की बुजुर्ग महिला सुबह-सुबह उठकर, नहा-धोकर, पुजा की थाल हाथ में लेकर जंगल की ओर निकल पड़ती है। दरवाजे की आहट सुनकर उसका छोटा पोता उठकर, "दादी माँ, रुको। मैं भी आपके साथ जंगल की और आता हूँ," कहकर जल्दी से ह...