Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: मनोरमा जोशी

बसंती मोसम
कविता

बसंती मोसम

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** आ गया बसंती मोसम सुहाना, गा रहा मन तराना। मिली राहत जिंन्दगी को, चेन दिल को आ गया, प्यार की अमराहयों से, गीत याद आ गया , आज अपने रंज गम को, चाहता हैं गम भुलाना, आ गया बसंती मोसम सुहाना। बाग की हर शाक गाती, झूमती कलियाँ दिवानी, पात पीले मुस्कुराते, मिली जैसे है जवानी, हर तरफ ही लुट रहा है, आज खुशियों का खजाना , आ गया बसंती मोसम सुहाना। सब मगन मन गा रहें है, आ गई ऐसी बहारें, प्राण बुन्दी मुक्त मन, दिलों की टूटी दिवारें, बहुत दिन के बाद उनका, आज आया है बुलावा, आ गया बसंती मोसम सुहाना। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख ल...
सखी मन तरसे
कविता

सखी मन तरसे

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** आयी-आयी बसंत बयांर, जिया में कैसे रंग बरसे मेरे पिया गये परदेश, सखीरी मेरा मन तरसे। सरसों बढ़ती अरहर बढ़ती, गढ़ती नयी कहानी, बाँट जोवते हो गयी उमर सयानी, टूट गये संयम के फूल, मन पुलके तन हरसे। सखीरी मेरा मन तरसे। बौर फूलते गैदां हस्ते, महुआं भी मदमाये, कौन जतन हो सखी हमारे, पिया लौट घर आये, दीप आंस के बुझे कहीं न सिसक उठी इस डर से। सखीरी मन तरसे। ऐरी सखी न पिया हमारे, दहकन लगें पलाश, पगलाई धरती लगती है, बौराया आकाश, चातक जैसी अकुलाहट है, बुझ पाये अमृत से। सखीरी मेरा मन तरसे। बसंती रंग बरसे। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता...
दुख से न घबराना
कविता

दुख से न घबराना

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** दुखः से मनवा क्या घबराना, सुख में मनवा न पोमाना। सुखः दुखः तो जीवन, का क्रम है, एक आना एक जाना। दुःख में मनवा न घबराना बाँध सके जो दुखः मे, मन को, पहचाना उसनें जीवन को बिखर न जायें कहीं राह में, यह अनमोल खजाना। सुखः तो मन का एक बहाना, आज यहाँ कल और ठिकाना, इसकी मायावी छलना में भ्रमवश खो मत जाना। संघर्षों में टूट न पाये, दुखः में सुख की राह बनायें, हर विपदा मे मुस्कानों से मन के दीप जलाना। दुःख से मनवा न घबराना। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। ...
सोच
कविता

सोच

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** संचित मनुज दिमाग में, भ्रमित श्रमित अचिरात, कर देती गुमराह ही, व्यर्थ निरथर्क बात। हर बातों में सोचना, आगे ही परिणाम, है न भला चिन्तन भला, जो हाथों काम। दिल दिमाग को साफ रख, सोच न कर दिन रात, कल की चिन्ता छोड़कर, करो आज की बात। दूर दर्षिता ठीक है, द्धष्टी जहाँ तक जाय, क्षितिज परिधि के पार तो, अंधकार हो जाय। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी...
नव वर्ष
कविता

नव वर्ष

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** हे प्रभु आशाओं का सूरज चमके, बीत गया साल बीस अब न रहें कोई टीस। नव वर्ष का अभिनंदन करते, विगत को भूल नव इतिहास रचायेगें। उत्साह उमंग से करें स्वागत, झूमे नाचे गायेगें। प्राप्त संबल हो सतत, उत्कर्ष का आदर्श का, नव वर्ष की कूख से, जन्म हो नित हर्ष का मातृभाव का वरण, हरण हो प्रेम भाव का, शुभ की दृष्टि सतत हो, सृष्टि बनें उजियारी। कलियों सी खिले, जीवन बगियाँ हमारी, रंगो सी रंगीन हो दुनियां सारी। वर्तमान की मिटे त्रासदी, उर में न् ऊर्जा का संचार हो, यथावत जन जीवन हो। नव वर्ष की नव ज्योति, में प्रभु ऐसी जोत जगा देना। नव वर्ष हो हम सबको, चरण चरण अनुकूल, रहे बरसते रातदिन, सुख वैभव के फूल। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - ...
संबल देते रहो।
कविता

संबल देते रहो।

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** मुझे तुम धैर्य बंधाते रहो, जुगनुओं की तरह ही सही, रौशनी हमको देते रहो। हम कठिन मार्ग पर चल सके, ऐसा विश्वास देते रहो। ये तो माना तूफान हैं, पंथ मे लाख व्यवथान है, पैर ठहरे न इनके लिये, तीव्र गति इनको देते रहो। ये अंधेरा घना हो रहा, पलक मूंदे ये जग सोता रहा, पल रूकेगा न इनके लिये चेतना इनको देते रहो। ये हवा तो विषेली हुई, बूँद भी तो नशीली हुई, प्राण घातक है इनके लिये आस्था इनको देते रहो। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान स...
व्योम के बादल
कविता

व्योम के बादल

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** व्योम के बादल बहा ले, नीर तू, देख धरती रो रही है। रो रही सारी दिशाऐं, ज्वार सागर में उठा है, रो रही जग की हवाऐं। व्योम के बादल बटा, ले पीर तू। रो रहे पाषाण जिन पर, खेलते निर्झर बहे है, रात दिन सरवर रहे हैं। व्योम के बादल हटाले, नीर तू। रो रहा मेरा हर्दय है, रो रहे है नैन मेरे। जल रही ज्वाला विरह की जल रहे सुख चैन मेरे। व्योम के बादल बंधा दे, धीर तू। व्योम के बादल बहा ले, नीर तू। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहि...
मंगल प्रभात
कविता

मंगल प्रभात

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** प्राची का पथ लीप सहेली घर घर मे मंगल प्रभात हो। दीन दुखी नंगे भूखों के, खुशहाली मय दिवस रात हो। अरुण थाल रोली भर लावे, आंगन मे सब के बिखरावें रहे न कोई इस वसुधा पर हर घूघट में मुस्कुराहट हो। जन मे मंगल घर घर मंगल, मंगल मय जंगल मे मंगल प्रांची तुम से एक अर्चना? अरुणोदय खुशियां लुटात हो। घर घर मंगल प्रभात हो। जन मन मे उल्लास भरा हो, खिल खिल करती धाम घरा हो। अश्व जुते रथ भरा आ रहा, हर्ष हर्ष गम को मिटात हो घर घर मे मंगल प्रभात हो। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का ...
माँ ऐसा वर देना।
कविता

माँ ऐसा वर देना।

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** नमन करु माँ मे तुझको, ऐसा वर मुझको देना। दुखियों के दुखः हम दूर करें, श्रृम से कष्टों से नहीं डरें, उर में सबके प्रति प्यार, भरें। ऐसी शक्ति मुझे देना। जल बनकर मरुस्थल, में बिखरें, बाधाओं से टकरा जाये माँ ऐसा ज्ञान हमें देना। आलस के दिवस कटें, न कभी, सेवा के भाव मिटे न कभी, पथ से ये चरण हटें न कभी, जनहित के कार्य न छूटे कभी, देवी क्षमतार विकसाये, ऐसा भाव हमें देना। यह विश्व हमारा ही घर है उर में स्नेह का निर्झर हो, मानव के बीच न अंतर हो, बिखरा समता का मृदु स्वर हो, ऐसा भाव जगा देना। माँ ऐसा वर मुझको देना। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन...
नारी है नारायणी
कविता

नारी है नारायणी

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** नारी है नारायणी, नारी नर की खान, नारी से ही उपजे नर, ध्रव प्रहलाद समान। घर परिवार का सबका, रखती ध्यान अनन्य गुणों की खान। बंधनों के निबद्ध भावनाओं की स्वतंत्र, अभिव्यक्ति हैं नारी। कटीली नागफनी राहों मे गुलाब है नारी। सोच का आंकडा बनाना, जटिलताएं विवशताऐं, समाज की समस्याएं, रुढ़ी वादी परम्पराऐं, सब निभाती नारी। झरणें की मानिन्द शान्त, कितनी पीड़ाऐं सहती, है नारी। रिश्तों की परिधि में घिरकर सब कुछ, सहती है नारी। दुर्गा लक्ष्मी अहिल्या, सीता सावित्री मीरा, न जाने कितने रुप है नारी। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती...
पंछी
कविता

पंछी

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** देखकर हालात कहता, है मेरे मन का अनुभव। नींड का निर्माण होना, है असंभव। देखते हो क्या नहीं तुम, घिर उठी बदली गगन में आंकते हो क्या नहीं तुम, क्षणिक देरी है प्रलय में। बहलिये का सर सधा है, आज इस नन्हें सदन में, जीत होगी क्या हमारी, हो रही शंका हर्दय में। स्वपन का साकार होना, है असंभव, नीड़ का निर्माण होना है असंभव। मिलन के इस मृदु क्षणों में क्यों न पूछू प्रश्न नटवर, घन्य यदि जग पा सके कुछ, शव हमारा प्राण प्रणवर। सुन बहे उदगार सत्वर। मिलन का अभिसार होना है असंभव। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र...
देश के नौजवान
कविता

देश के नौजवान

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** तुम देश के नौजवान हो, इस जगत की शान हो। तेरे दम पे बना यह, देश महान है। पाट दो जमीन पर, नफरतों की खाईयां, दूर हो समाज की, सारी वह बुराईयां, होसलें पे तेरे सारे, विश्व को गुमान है तुम तो नौजवान हो। जात पात तोड़ दो, वैमनस्य छोड़ दो, शांन्ति के समुद्र से, राह जग की जोड़ दो। एक नवीन विश्व का, तू बना निशान है। इस पवित्र भूमि पर, स्वर्ग है उतारना, इस के रुप को, है तुम्हें संवारना। तू ही देश की शान है तुझसे रौशन जहाँन है। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है।...
अनमोल खेल
कविता

अनमोल खेल

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. झूम उठे संसार ये सारा, प्रभु ऐसा खेल दिखा अनमोल। जहाँ जहाँ पर नजर घुमायें मस्ती का आलम हो, लग जायें खुशियों के मेले अपने आप बिदा गम हो। ऐसी तान छेड़ दो प्रभुजी मचल उठे पूरा भूगोल। ऐसा खेल दिखा अनमोल... मन में चंदन लगे महकने, दिल गंगा सा पावन हो, केवल घर ही नहीं हमारा, भारत भी वृन्दावन हो। जिससें गिरे धरा पर अमृत, ऐसे हमें सुनादे बोल। ऐसा खेल दिखा अनमोल... पूनम सी खिल उठे जिंन्दगी, पुलक उठे सारा माहोल, ऐसा खेल दिखा अनमोल... परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्...
डॉक्टर
कविता

डॉक्टर

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** डॉक्टर की एक मुस्कान, आधे रोग का निदान। डॉक्टर का हम पर बड़ा ऐहसास, हमें देता है जीवन दान, वो देता है खुशी और हम लूटते है उनकी खुशी। उनका ऐशो आराम, परिवार के साथ बिताने, का अवसर, पहुँचते है वक्त बेक्त कभी भी, वो निभाता है अपना कर्तव्य। लगती हैं कोई चोट, वह पहन आता है सफेद कोट, मारने वाले से बचाने वाला बड़ा, अस्पताल में डाक्टर खड़ा। मरीजों की सेवा मे सलंग्न। पत्नी की अपेक्षा बच्चों का जन्मदिन छोड़, हमारी सेवा में फर्ज निभाता। न डर न परवाह कितना महान कर्मवीर योद्धा। हम पर बड़ा उपकार, हम करें उनका सतकार। उनकी सेवा त्याग तपस्या को, शत शत प्रणाम।   परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र...
कृषक
कविता

कृषक

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** धरती माता के आँचल में, हरियाली जो बोते। अमन चमन की, खुशियाली को, श्रम का बोझा ढोते। वो किसान होते। शीत धाम आंधी वर्षा में हँसते कदम बढा़ते। खेत और खलिहानों के हीं गुण गोरव ये गाते। पले धूल मिट्टी में जन्मे इस में ही मिल जाते। अर्द्ध नग्न तन भूखे रत हैं किन्तु नहीं कुम्लाते। अन्न देश को जुटा रहें हैं ये किसान कहलाते। लगे जूझनें संघर्षों से, वे विश्राम न पाते। माँ समेट लेती गोदी में ये तो श्रम के है दीवाने। नमन उन्हें मे करती, उनकी व्यथा कोन जाने। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओ...
पिता का महत्व
कविता

पिता का महत्व

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** पिता हमारी पहचान हैं, उनसे रोशन सारा जहाँन है। पिता माँ का श्रृंगार है, पिता उज्जवल भविष्य, का हकदार है। पिता का दिल सागर समान है। पिता जीवन ,संबल शक्ति है। पिता खट्टा मीठा खारा है, पिता मेरा अभिमान है। पिता प्यार का अनुशासन है, पिता जन्म और दुनिया दिखाने का एहसास है। पिता रक्त के दिये, संस्कारों की मूरत है। पिता रोटी कपड़ा और मकान है। पिता छोटे से बड़े परिन्दों का आसमान है। सब यात्रा व्यर्थ है यदि बच्चों के होते पिता अस्मर्थ है। खुशनसीब है जो माँ पिता के साथ है, कभी न आती आँच है, मिलता आशीर्वाद है जीवन होता आबाद है। परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर...
चेहरें पीले
हायकू

चेहरें पीले

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** चेहरें पीले बिखरें बसंत है कहते लोग धंधा अच्छा है श्याह अंधेरे में बेचना धूप घर्म युद्ध में रावण नहीं मरा गरीब जात वर्षा की बूदें विराट नभ से ज्यों टूटे हो गीत शब्दाणू गिरे हुआं क्षत विक्षत कोमल तन प्रेम प्रतीक भाई बहन पर्व रक्षा बंधन परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप ...
पछतावा
लघुकथा

पछतावा

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** (हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय लघुकथा लेखन प्रतियोगिता में प्रेषित लघुकथा) आज अमन बहुत खुश है, माँ को पहली नौकरी की खबर देता है। माँ आशीर्वाद देते अतीत में खो गई। वह हृदय विदारक घटना जब पिता देव का दुर्घटना में आकस्मिक निधन हो गया। कैसे ! अमन को बीमार पड़ने पर रात में अकेली हॉस्पिटल लेकर दौड़ती, कैसे! स्कूल लेने छोड़ने...और ना जाने क्या-क्या याद आने लगा। माँ क्या सोचने लगी? कुछ नहीं बेटा जब तू तीन साल का था तब से आज तक....हाँ माँ कैसे सिलाई में दिनभर भीड़ी रहती हो, पर अब मत सोचो ये सब अब! कुछ समय बीता अमन को विदेश भेज जाना पड़ा, केरल के मूल निवासी थे, समय-परिस्थितियों ने यही का रख छोड़ा था। माँ-बेटे का कोई अपना ना था, बेटा माँ को एक वर्ष का वादा कर वृद्धाश्रम में छोड़कर चला गया।दो वर्ष बीत गए, शुरू में अमन का फोन आता था, अब वो ...
कहीं दूर चलें
कविता

कहीं दूर चलें

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** चलो कहीं चलें दूर सड़क के किनारे, किसी मोड़ पर, रौशनी के किसी खंभे के नीचे बैठकर मन की बातें करें। अपने अपने अतीत के, नुचे घुटे घरौदें से दूर, किसी सूखें हुऐ नाले की पुलिया, पर बैठकर बातें करें। चलो कहीँ दूर चलें। डरावने घने जंगलों की अंधेरी पगडंडियों पर रतजगा मनाएं जिन्दगी के हर मसलें पर बहस करें झगड़े, ढेर सारी सुख दुखः के अतीत को दोहराये और खो जायें । कुछ सुकून पायें, कहीं दूर। . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्...
धैर्य
कविता

धैर्य

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** दुखः आवे सह लिया, बुद्धिमान का काम, ज्यों धरती सहती सभी, मेह शीत या घाम। विचलित करता है नहीं, जलनिधि को तूफान, शान्ति भंग करते नहीं, दुखः मे पुरूष महान। किसी परिस्थिति में कभी, मन संतुलन गंवाय, धैर्य न खोते विपंति में, महा पुरूष समुदाय। सब छूटे छोड़ दे, किन्तु न धर्य विचार, छोड़े कभी न विपंति में, ईश्वर का आधार। . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindira...
केरोना
कविता

केरोना

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** यह कैसी असहनीय पीड़ा, अब तू जारे केरोना। कैसा तेरा प्रहार, प्रकृति भी मौन रही निहार, सबका मन अशांत, कब होगा कहर शान्त। घर में खाने के लाले, बच्चों को कैसे पाले। गृह मे है जिन्दगी कैद, सब हो रहें पस्त, मानव जीवन हो रहा अस्त व्यस्त। सेवा भावी पुलिस डाक्टर, उनका भी है अपना परिवार, इस पर करों विचार, कब तक थमेगा अत्याचार, है प्रभु अब आप ही पालनहार, बरसादों करूण रस की धार, सुनलो सबकी पुकार। . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्र...
गौरंया
कविता

गौरंया

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** तुम फिर से लौट आ जाओ गौरंया, तुम बिन दिल का आंगन सूना है, महका तो चहका दो गौरंया। रोज सुबह तुम चू चू करती, मीठे गीतों से मन बहलाती, सबेरा होने का एहसास कराती, फुदक फुदक कर आती थी। मुझे याद है माँ सकोरे, दाना पानी रखती थी, तुम संग सखी के झुम झुम कर खाती थी। आंगन मे पेड़ जाम का, छत की मुंडेर का कोना सूना सूना, रासायनिक खाद और कांकरेट के घर ने, तुम्हारा आशियाना तोड़ा, तभी से तुम रुठ कर चली गयीं, फिर से आशियानें को बसायगें, तुम फिर से लौट आओ गौरंया, लौट आऔ। . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। ...
बाँटो विश्व प्रेम
कविता

बाँटो विश्व प्रेम

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** इतना बाँटो प्यार, प्यार मे सारा जीवन लय हो। आज घृणा की नहीं देश मे विश्व प्रेम की जय हो। बिना प्यार प्यासा हर पनघट, नयन नयन मे आज उदासी। आंगन आंगन मे सूनापन प्यार हुआ जब से सन्यासी। रुठ गया सुख चैन दिलो का, यह दुनिया शमशान हो गई। एक प्यार की वर्षा के बिन, सब धरती वीरान हो गई। कटुता रहे न शेष कहीं भी इतना तो निश्चय हो। आज घृणा की .... जाने क्या तूफान आ गया आज सभी मे स्वार्थ समाया। कुछ ऐसा ठहराव आ गया, अपना ही हो गया पराया। दुखियों की सेवा में तेरा, दया भाव अक्षय हो। विश्व प्रेम की जय हो। मानव का कल्याण करों यदि मानव का जन्म पाया। मानवता का मान घटाया, उसनें जीवन व्यर्थ गँवाया अभी भूल मान कर बंदे, आज हर्द्रय मे पीर जगाओं। जितना जग पीड़ित है उससे बढ़कर प्यार लुटाओं। हर दिल प्यार भरा हो, अब तो हर दिल ममता मय हो। आज घृणा की नहीं देश में विश्व...
प्रकृति और मानव
कविता

प्रकृति और मानव

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** प्रकृति मानव जीवन का आधार, इस पर निर्भर हैं संसार। मन मोहक आकृति, मानव की प्रकृति, इससे उपजी ढेरों फसलें, मिलता असीम उर्जा का संचार, कितने हम पर है उपकार। प्रकृति मानव जीवन का आधार। प्रकृति मानव का घनिष्ठ संबंध, देती हमको आसरा, भूखों को तारती, कपड़ों को संवारती, शीतल पावन सौन्दर्य की प्रकृति, थक कर कभी न हारती। है आज जीवित हम अगर, जीवित नहीं हो कृतज्ञता, आनंद लेते हैं सभी जन, जननी की कोई न सोचता। चलो चले प्रकृति रक्षक का, जय जय कार करें, हम इसका सतकार करें। . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा - स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र - सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती ...
बुढ़ापा
लघुकथा

बुढ़ापा

मनोरमा जोशी इंदौर म.प्र. ******************** वह हाँपता-काँपता-खाँसता झुककर दोहरी झुकी कमर को तनिक सीधा करने का असफल प्रयत्न करता हुआ बुरी तरह से,छटपटा रहा था । अकस्मात मृत्यु ने प्रत्यक्ष होकर कहा, हमारा मिलन तो अटल ही था, फिर तू क्यों भयभीत हो रहा है? अगर तू सोचता हैं, झुककर मेरी नजरों से बच जायगा तो यह तेरा भ्रम है। मैं तुझसे भयभीत नहीं हूँ मैं तो तेरा स्वागत करने को तैयार बैठा हूँ, बुढ़ापे ने बिलखकर जवाब दिया। मेरे झुकने का कारण भी तेरी, नजरों से बचना नहीं बल्कि मेरी कमर तो झुक रही है, संसार से लिये हुए अपार कर्ज और भार से। मुझे हर समय यह ध्यान रहता है कि संसार से जितना मैने लिया, उसका एकांश भी चुका नहीं पाया। इसलिए मेरी कमर कर्ज भार से, और गर्दन ग्लानि से झुकी रहती है। यह सुनकर मृत्यु ने भी अपनी गर्दन झुका ली.... . परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इ...