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Tag: मनमोहन पालीवाल

होली
गीत

होली

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** कहा छिपे हो मोरे कान्हा, होरी खेलो रे होरी खेलो रे ....(२) कान्हा होली खेलो रे ...(२)... चार कोस मे चल कर आई कहां छिपे होरे कान्हा कहा छिपे होरे पिचकारी लाओ रंग उराओ । होरी खेलो रे होरी खेलो रे कान्हा होली खेलो रे ...(२)... लाज शरम सब छोड़, आई पीचकारी लाई रे पीचकारी लाई रे कहां छिपे हो मोरे कान्हा पीचकारी लाई रे......। तोहरे रंग मे रंगने आई कहां छिपे हो रे कहां छिपे हो रे होली खेलो रे ..... होली खेलो रे नंदलाला, होली खेलो रे (२)... सास ससुर सु बचकर आई होली खेलो रे होली खेलो रे होली खेलो रे नंदलाला होली खेलो रे चूड़ी टूटी चोली भीगी ओर भीगे सब अंग ओर भीगे सब अंग जम कर रंग उड़ाओ कान्हा बचन पाए कोई रंग बचन पाए कोई रंग इतना ड़ारो रंग की मुझ पर दिखे न कोई अंग दिखे न कोई अंग। कहां छिपे हो मोरे कान्हा खेलो मोरे संग खेलो मोरे संग र...
प्रथम पूज्य नारी
कविता

प्रथम पूज्य नारी

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** प्रथम पूज्य नारी कहलाई आदि अनंत तुम शक्ति कहलाई थी कायनात की रचयिता वो शिव गामीनी कहलाई नही अबला थी नहीं आज की नारी पूज्य बन कर नारी शक्ति कहलाई बडे बडे दैत्यों का कर संहार वो वैश्व पालन वो शक्ति कहलाई बन सरस्वती ब्रह्मणी, रूप लक्ष्मी मै नारायणी ओर शिव वरदाई कहलाई यश गाऊ मै नारी का, गा नहीं पाऊगा माॅ बनी है बहन बनी, वाम अंग समाई जन कल्याण मे त्रिशूल उठा कर महिषासुर मर्दिनी कहलाई कष्ट निवारणी दया की देवी आज तू अन्तः मन से शिवकल्याणी कहलाई कैलाश वासिनी पूछता हूॅ तुझसे मै तेरा ही ये रूप ले माॅ दुर्गे कहलाई मनमोहन अब बतादो इन सबको तूम नारी जग मे रूप मेरा कहलाई परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता ह...
बंद दीवारो मै
कविता

बंद दीवारो मै

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** बंद दीवारो मै इश्क सवाल करने लगा हजारो बंदीशे बाद भी सवाल करने लगा छु कर हमें वो खामोश कदमो चल दिये हे बीना सोचे वो हमसे बवाल करने लगा लौट के फिर आएगे इक दिन वो यहां पर तन्हाई के आलम मे वो मलाल करने लगा हमने तो बे इंतहां उन पर यकीं किया, मगर मुहब्बत के नाम पर वो हलाल करने लगा यकीं कोई करता नही सुनाएं किस्से किसको हमारा तो हाल हर कोई बे हाल करने लगा कैद भी किया है हमें तो कच्चे धागे से साहब सच मानोगे यारो हर कोई सवाल करने लगा इश्क के सफ़र मे ऐसी जोफ वो दे गए मोहन यकीनन खुदा भी अब तो कमाल करने लगा परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
इश्क की सुबह कब होगी
कविता

इश्क की सुबह कब होगी

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** इश्क की सुबह कब होगी जाने, वो रात कब होगी गुजर रही है ये धीरे धीरे ढा रही है वो गज़ब होगी रास्तो की नही मंज़िले है जो मर्जी रब की होगी बात तुम चाहो वही हो वह रात यहां तब होगी तेरे वादो से लिपटा हूॅ मै वो बाते यहा सब होगी कुछ तुम्हारी कुछ हमारी यहा अपनी अदब होगी जमाना देखेगा मोहन को इश्क मे बात अजब होगी परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवा...
उठ जाओ मेरे हिंदुस्तानी भाई
कविता

उठ जाओ मेरे हिंदुस्तानी भाई

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** उठ जाओ मेरे हिंदुस्तानी भाई देश की हालत कैसी हो आई अन्न दाता जो कहलाते हो मेरे हवा कैसी चली, नही हे पूर्वाई हिज़ाब मे कोई ओर खडा है क्यों पाल रहे अपनी ढीटाई अपने देश से क्यू कर रहे गद्दारी कब लेले ये सरकार अंगडाई तुम भी अपने जख़्म देने वाले भी, आकर बहकावे मे जाल बिछाई तिरंगे से खिलवाड करा कर यारो दुश्मन कोई ओर वो खाए मलाई हर मौसम मे तुम राजा हो भाई फिर से बजा दो खूशी की शहनाई जब जब किसान देश का जगा है कहूँ ओर हे बिजलिया गरजाई हर मौसम के तुम राजा हो "मोहन" फिर से बजे खूशी की शहनाई परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी ...
छब्बीस जनवरी आई हे
कविता

छब्बीस जनवरी आई हे

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** देखो खुशीया लहराई हे आजाद तिरंगा फहरा कर संवैधानिक खूशिया मनाई है अपना देश अपना कानून हर चेहरे पर रित नई पाई है नई दिशा पाकर भारत वासी ज्ञान जोत, हमने जलाई है ऊंचाई नीच का भेद मिटा कर बजी खूशीयो की शहनाई है पंचशील के पाकर सिधान्त विश्व मे नविनअलख जगाई है न कोई भूखा होगा न नंगा कोई संविधान ने कसम जो खाई है सबका साथ सबका विकास धर्म निरर्पेक्ष पहचान बनाई है दिलाकर मुल अधिकार मैने कर्तव्यनिष्ठा सबको सिखाई है न अन्याय न पक्षपात हो यहां यही सब ईमानदारी अपनाई है बोइतरहवा गणतंत्र अपना कर मोहन ने खुशियां बंटवाई है परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं...
आओ हिन्दी का गुणगान कराएं
कविता

आओ हिन्दी का गुणगान कराएं

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** आओ हिन्दी का गुणगान कराएं भारत माॅ की हम शान बढाएं घर बाहर विदेशी मे जाकर हम बोल हम हिन्दी का मान बढाएं अंग्रजी भी माना एक भाषा है होठो पर हिंदी की मुस्कान लाए सरल, सहृदय, कोमल है भाषा अपनी नन्ही जुबान पर सजाएं अंग्रेजी, उर्दं, अन्य समझ से परे कोशीश हमारी विदेशी अपनाएं हिन्दी से हिन्दुस्तान की पहचान आओ ऐसे हम शीश नमाएं मातृ भाषा अपनी न पशेमा हो तब हिन्दुस्तानी हम कहलाएं सब आभूषण से पूर्ण आभूषण हिन्दी का हम गोरव गान गाएं मील कर शंखनाद करे हम सभी ग्रंथ सभी मील कर हार बनजाएं हाथ जोड़ विनती करू हिन्दी सब अपना मोहन सबसे विनती करे इसे सब अपनाए परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार ...
अलविदा २०२० को यारो
कविता

अलविदा २०२० को यारो

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** २०२० ने हमें रूलाया है काफी ज़ख़्मो को पाया है महामारी है ये यारो अपनो से भी बिछुड़ाया है कोरोनो ने सताया भी तो घर मे रहना सीखाया है दो गज रख दूरियां अपनी ऑखो से सब कुछ पाया है गम हो या जश्न अपनो ने हमे आकर भी उठाया है खो गए नाते रिश्ते हमारे मोबाइल ने फिर जगाया है मंज़िल के आगे तूफां हारते मास्क ने हमें सिखाया है गर इरादे पक्के सामने हो मुश्किल को आसां बनाया है अलविदा २०२० को यारो मोहन २०२१ अब आया है परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो...
मेरी दीवानगी
कविता

मेरी दीवानगी

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** मेरी दीवानगी हद से परे गुजरने लगी है प्यार तुझसे दीवार किसी की गिरने लगी है चलते गये उन राहो पर जहां महक तेरी हे देखा रकीबो के राहें अब फिसलने लगी है मेरे ख़्वाब मे आना मुमकिन नही ओर का शब होते -होते नींदे मेरी सिमटने लगी है मै भी सूरत तेरी देख कर इतराने लगा सामने तेरे आइने की चमक मिटने लगी है मै खामोश था तो क्या हो गया अब आसमां से सूरत पर बिजली पड़ने लगी है हर शाम मेरी सिन्दूरी बने साथ "मोहन" प्यार की वो बरसात अब बरसने लगी है परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच...
दीपो का त्योहार
कविता

दीपो का त्योहार

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** दीपो का मेरा त्योहार है रोशनी तेरी देख कर दीप जलते देख कर चेहरो पर मुस्कान है कितना प्यारा अपना त्योहार है दीपो का मेरा त्योहार है रोशनी तेरी देख कर चेहरो पर मुस्कान है रूप लक्ष्मी का देख कर कुदरत भी हैरान है सोने के जैसी चमक, हिरानी के जैसी चाल है अंधेरे घरो को करे जो रोशन खुद दीपक भी हैरान है भिन्न भिन्न रंग के टिमटिमाते दीपो को देख कर चेहरो पर मुस्कान है फूलो सी महक तेरी मधुर मुस्कान है दीपो का मेरा त्योहार रोशनी तेरी देख के दीप जलते देख के चहुँ ओर खीलते गुलदान है सारे जहा मे दीप के जैसा कोई त्योहार नही जिसने दिया है सब कुछ है तुझको मा लक्ष्मी का वो रूप है करते है यारो लक्ष्मीकी पूजा जीवन मे उसके कांटे नही दीपो का मेरा त्योहार है रोशनी तेरी देख कर दोप जलते देख कर 'मोहन' भी हेरान है परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नाराय...
बना दुश्मन जमाना
कविता

बना दुश्मन जमाना

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** तुम दिल में क्या बसी बना दुश्मन जमाना नज़र ऊपर उठाते हम बना दुश्मन जमाना सदियों से ख्वाब तुम्हारा ही देखा मैंने मालूम होने लगा बना दुश्मन जमाना मुहब्बत-ए-जिंदगी खुशहाल बन गई यारों रहा न गया हबीबों से बना दुश्मन जमाना हरिफों का यही मशगला 'मोहन' कैसे तोड़े कुछ न कर सके फ़कत बना दुश्मन जमाना देर है अंधेर नहीं इंतजार है इशारा-ए-खुदा मुहब्बत करने वाले का बना दुश्मन जमाना शब्दार्थ- मशगला- मुद्धा, उदेश्य, बस यही एक कार्य परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिच...
हे माँ तुझको नमन है
कविता, भजन

हे माँ तुझको नमन है

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** हे माँ तुझको नमन है स्वीकार करो माँ हे माँ तुझको नमन है बारम्बार नमन है हे माँ तुझको नमन है स्वीकार करो माँ ऐसा वर माँ मुझको दो करता रहूं गुणगान जीवन पथ पर अडिग न होऊं हे माँ तुझको नमन है स्वीकार करो माँ प्रेम प्यार मुझमें भर दो जो आए खाली न जाए कर्म वचन से न मैं रहूँ दूर सदा हे माँ तुझको नमन है स्वीकार करो माँ भक्ति में शक्ति है माँ सदा रहूँ चरणों में तेरे इतनी शक्ति मुझे दे दो झूठ कभी न बोलूं मैं माँ हे माँ तुझको नमन है स्वीकार करो माँ अबोध बालक हूँ मैया करो मेरा कल्याण दया दृष्टि डालो मुझ पर दो मैया तुम ऐसा वरदान हे माँ तुझको नमन है स्वीकार करो माँ हो तुम जगत दात्री माँ मोहन की रख लो लाज जो आता शरण में तेरे जगदात्री करो स्वीकार हे माँ तुझको नमन है स्वीकार करो माँ परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी...
एक बहाना था
कविता

एक बहाना था

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** पतंग ऊड़ाने का तो एक बहाना था इसी बहाने तुमसे मिलने आना था नज़र क्या चूके हम, घोर से देखो कटी ऊॅगली तुमको दिखाना था नज़र अंदाज कर रहे थे कभी कभी हक़ीकत-ए-नज़रो से खीजाना था भिन्न रंगो से सज रहा आसमा अपना इन्द्र धनुषी रंगो मे तुमको भीगोना था यही मिलन का एक रंग हे मेरा बार-बार तिरे दिल को लुभाना था "मोहन" तो इक रंग मे डूब गया हे बस इसमे तुमको भी अब नहाना था परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीयहिंदी रक्...
गर हमारी हिम्मत तुमसे नजरे मिलाने की होती
कविता

गर हमारी हिम्मत तुमसे नजरे मिलाने की होती

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** गर हमारी हिम्मत तुमसे नजरे मिलाने की होती हकीकत-ए-जिंदगी की कहानी दिखाने की होती बाते करते है अक्सर लोग घर दुब्बकर बैठै क्यूं नशे मन कुछ बाते राज़ की छुपाने की होती उनसे राब्ता तो रहा है थोड़ी दूर फ़ासले का हसरते मानो साथ उनके जमाने की होती अदब करते रहे है हम रूतबे नही जानते क्या है यही मासूमियत तो उनमे पहचानने की। होती तुम अभी वाकिफ़ नही शायद मेरी दीवानगी से खुदा के दर कद्र भी इश्क के परवाने की होती यही इल्म तो ज़मी के बंदो को समझाए कौन फरिश्ता नही नुमाइदा हूं हिम्मत झुटानै की होती परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अ...
जाता लम्हा
कविता

जाता लम्हा

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** जाता लम्हा मेरे लिये रूक जा कुछ बात मेरे से भी कर जा सदियों से इंतजार किया जिसका चांदनी रात मे अमृत बरसा कर जा दिल का इरादा चाॅद भी जान रहा सितारो की बारात ले कर जा समुद्र की लहरे शहनाई बजा रही मौजे अपनी जगह नृत्य कर जा साहिल ने भी देखो करवट बदली ए पलों आज उनको मिला कर जा कभी के बे कशी में जीये जा रहे है बारात फूलों की मोहन सजाकर जा परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीयहिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं,...
तुम्हारी बाहों मे
कविता

तुम्हारी बाहों मे

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** तुम्हारी बाहों मे रहने को जी चाहता हे गेसूंओ मे तेरे सर छुपाने को जी चाहता हे जिंदगी के कानून तो हमने निभा ही लिये मुन्तज़िर हू उम्मीदें जताने को जी चाहता है नही शिकवे कोई, नही बाते हंसी की है कोई अब तो तुमसे दिल लगाने को जी चाहता है गुजर रहा ज़माना वक्त-ए-दौर बाकी अभी ऑसूं-ए-दरिया में बह जाने को जी चाहता है खुद की तीरगी से बाहर निकल कर झांकों साथ तुम्हारे जिस्त बिताने को जी चाहता हे चकोरी का चाँद से क्या रूठना है "मोहन" फिर भी न माने तो मनाने को जी चाहता है परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ले...
ताल्लुकात
ग़ज़ल

ताल्लुकात

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** किस रिवायात से ताल्लुकात रखते हो सुबूं से मय से पीने से ताल्लुकात रखते हो बे वक्त कोई किसी को दखल नहीं देता यारो हर बात हुजूर की पीने से ताल्लुकात रखते हो न जमाने का ख़ौफ़ न नज़र से लेना कोई फ़कत तुम पीने से ताल्लुकात रखते हो तुम होश मे हो या किसी मस्ती के आलम मे करीब हे कोई पीने से ताल्लुकात रखते हो उन्हे हमें गिराने की ज़िद हे तो घूंघट उठा दूं शिकस्त-ए-मोहन पीने से ताल्लुकात रखते हो शब्दार्थ - रिवायात - घराना, खानदान सुबूं - जाम परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक म...
हर जन्म मे
कविता

हर जन्म मे

मनमोहन पालीवाल कांकरोली, (राजस्थान) ******************** हर जन्म मे इंसा अपनी कहानी खुद लिखता है न कलम से न किस्मत से खून से खुद लिखता है कौन पूछते हे परिंदो को गर खुद वो न उड़ते आसमां की ऊंचाई को होसलों से खुद लिखता है आज की राह कल की मंज़िल अपनी हे यारो फ़कत ख़्वाबो से नही समसीर से खुद लिखता है हर राह मुकव्ल-ए-मंज़िल की तरफ जाती यारो कदमों तलो कुचल अपनी कहानी खुद लिखता है हाथ करोड़ो ऊठ आते है हस्ती मेरी मिटाने को जाबाज हुनर से अपना इतिहास खुद लिखता है ज़िदगी कब-कहा बदरंग मे बदल जाती है यारो फिर भी तकदिर-ए-"मोहन" खुद लिखता है परिचय :- मनमोहन पालीवाल पिता : नारायण लालजी जन्म : २७ मई १९६५ निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान सम्प्रति : प्राध्यापक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं,...