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Tag: भारत भूषण पाठक

अब तो चेतो…
छंद

अब तो चेतो…

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** लावणी छंद- १६-१४ की मात्रा पर यति, चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत तथा चरणांत गुरु अनिवार्य अब तो चेतो भारतवासी, अपनों को वो मार रहा। क्या पैसों का होगा बोलो? जब संबल ही हार रहा।। अजी नौकरी बहुत हुई अब, श्रम स्वदेश को दान दो। कुछ कौड़ी वो देकर तुमको, खाए मलाई जान लो।। नहीं मित्र वो कभी हुआ था, वैरी था, वो वैरी है। लौटो, देखो हाल हमारा, कैसी अब जी देरी है।। परिचय :  भारत भूषण पाठक लेखनी नाम : तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी : ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र : आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता : बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास : साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में। सम्मान : र...
नीर
कविता

नीर

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** नयनों में नीर तो प्रायश्चित जलाशयों में नीर तो पिपासा तृप्त नीर अम्बर में तो है वर्षण प्रसूनों पर नीर तो ओस है नीर शक्कर में तो चाश्नी है नीर सहसा आए तो आत्मशुद्धि है नीर बिनु जीवन तो निष्प्राण है . परिचय :- भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका (झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ...
नाम की चाह नहीं मुझे
कविता

नाम की चाह नहीं मुझे

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** नाम नहीं बस वह अनुभव चाहता हूँ जिससे नाम बनाई जाती है यहाँ सीखता रहूँ बस मात्र ये आशीर्वाद चाहता हूँ वो महाविद्या चाहता हूँ मैं जो मुर्दों में भी प्राण फूँक जाए वो विलक्षण शक्ति परमात्मा की वह असली भक्ति चाहता हूँ मैं जो निर्जीव में भी प्राण ढूँढ ले बस वही जादूगरी सीख लेना चाहता हूँ मैं सम्मान अपमान का ध्यान नहीं मुझ को बस केवल बस इस छोटी उम्र में ही सब सीख लेना चाहता हूँ मैं . परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है...
भारत भूषण पाठक इंदौर म.प्र. मे हिंदी रक्षक 2020 सम्मान से सम्मानित हुए
साहित्यिक

भारत भूषण पाठक इंदौर म.प्र. मे हिंदी रक्षक 2020 सम्मान से सम्मानित हुए

इंदौर म.प्र. मे दुमका झारखंड के कलमकार श्री भारत भूषणजी पाठक को हिंदी रक्षक २०२० सम्मान से सम्मानित किया गया वे आज से हिंदी रक्षक भारत भूषण के नाम से जाने जाएंगे। इन्दौर। हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का स्थान दिलाने व हिन्दी साहित्य के रक्षण हेतु बनाये गए हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में ३२ कवियों व साहित्यकारों को हिन्दी रक्षक सम्मान २०२० से सम्मानित किया गया। हिन्दी रक्षक मंच के संस्थापक एंव hindirakshak.com के संपादक पवन मकवाना ने बताया कि कार्यक्रम में इन्दौर सहित भारत के अलग-अलग राज्यों व शहरों झारखंड, मनावर, उज्जैन, धार, रीवा, कानपुर, देपालपुर, भोपाल, देवास, दरभंगा बिहार, कोटा राजस्थान, चंपारण बिहार, बेगमगंज मेरठ, मोतिहारी बिहार से पधारे ३२ साहित्यकारों को हिन्दी रक्षक सम्मान २०२० से सम्मानित किया गया कार्यक्रम में मुख्य अतिथी महामण्डलेश्वर दादु महाराज, देवपुत्र के संप...
ट्यूशन
कविता

ट्यूशन

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** ट्यूशन अर्थात होता विशेष शिक्षण। पर पड़ी आवश्यकता क्यों विद्वतजन।। दे रहे दोष आज इसे जो भी सज्जन। उत्तर सूझाएँ हम सब मिलकर इसका। है आखिर दोष होता इसमें किसका।। ट्यूशन आधुनिक शिक्षा की मार है। उलझना इस पर बिल्कुल बेकार है।। लिख रहे हम इस विषय पर बड़े-बड़े ये व्याख्यान। पर जान रहे हम इसके कारण से नहीं अन्जान।। प्राचीनतम काल से ही हो चुका जब इसका प्रबन्धन। गुरू द्रोण राजकुमारों को इसलिए तो देते थे शिक्षण।। ज्ञान विशेष को दे रहे सब ये ट्यूशन। क्या किया जाय चल चुका है यह प्रचलन।। है इसके लिए उदाहरण बस मेरी इतनी। सरकारी दवा फायदा न करती है उतनी। फायदा करती है कीमती दवा है जितनी।। . परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी...
अँग्रेजी की आग
कविता

अँग्रेजी की आग

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** एक आग कल भी लगी थी। एक आग आज भी लगी है।। कल आग अंग्रेजों ने लगाया। आज अँग्रेज़ी ने लगा रखी है।। अँग्रेज़ी का खेल तो देखिये हुजूर। जीवित पिता को डेड बना डाला। भला इसमें उस पिता का क्या कसूर।। कल तक जो बेटा चरणों तक झूकता था। आज घुटनों पर ही रुक जाया करता है।। कल पिता की चलती थी जो अंगुली पकड़ कर। आज उंगली छुड़ाती बरबस ही दिख जाती है।। कल लोगों में प्रेम भरपूर दिख जाता था। आज प्रेम का व्यवसाय सा दिखता है।। एक आग कल लगाई थी भारत को बनाने को। एक आग आज लगाई जाती है भारत को मिटाने को।। कल लोग गुलाम थे पर मन में आजादी थी। आज जब आजादी है मन में सिर्फ बरबादी है।। . परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्य...
जाग मातृभूमि
कविता

जाग मातृभूमि

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** जाग मातृभूमि जाग प्रलय का ले आग कर अब ताण्डव तू फिर भेंट चढ़ी है तेरी ही एक बेटी विकृत मानसिकता वाले दनुजसम मनुज की जाग मातृभूमि जाग गा विध्वंश का राग जाग भारतवंश जाग डरा रहे फिर वो नाग तेरी सुता को कुचल अब उनका फन डस रहे हैं जो तेरी उस पुण्यात्मजा को जाग मातृभूमि जाग फूँकने विनाशक शंख करने फिर हूँकार अपमानित हुई फिर वो हाय बेचारी बेटी निष्कलंक जाग मातृभूमि जाग गा ले प्रलय का राग आखिर कब तक ???? . लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व...
चारों ओर है मस्ती छाई
कविता

चारों ओर है मस्ती छाई

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** चारों ओर है मस्ती छाई। आई देखो बाल दिवस आई।। बच्चों के मन को है भाता। हरओर उमंग है छाता।। सूर्यदेव भी हर्षित से नभमण्डल में दिख हैं रहे। बगिया में भी प्रसून असंख्य प्रफुल्लित से हो रहे।। यह पर्व बाल मन को है खूब अधिक भाता। हमसब को भी बालपन की याद है कराता।। वैसै तो सब बच्चे खुश हैं दिखते। पर कुछ बच्चे दिख जाते हैं रोते।। बेचारों के मम्मी पापा जो न होते । आओ इन बच्चों को भी गले लगाएँ। इनके मन को भी हर्षित कर जाएं।। सम्पूर्ण भू-मण्डल के बच्चों को बालदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं इस चाचा, भैया, मामा, दादा, नाना, मित्र, अध्यापक की ओर से..... . लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता -...
जीवन क्या है
कविता

जीवन क्या है

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** जीवन क्या है एक बहता सागर है झंझावातों में हिलकोरता नाव है कोई अपने अक्ष पर घूमता कोई ग्रह है जीवन हथेली से नितदिन फिसलता रेत है एक समरभूमि है जीवन जब तक प्राण तब तक कर्म कर दो अर्पण कर्म ऐसा हो जिससे अंकुरित हो सके नवजीवन बन कर एक शिक्षक खुद अपना और औरों का अज्ञान मिटा तू स्वरचित . लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने ...
जय छठ महारानी
ग़ज़ल

जय छठ महारानी

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** जय, जय, जय छठ महारानी। महिमा तोरी को न जानी।। जन के काया निर्मल कर दीजे।। माँ भारती के कष्ट हर लीजे।। जय, जय, जय छठ महारानी। संकट हरणी, जगत संचालिनी।। प्रथम दिवस को नहाये-खावै। कद्दू-भात का भोग लगावै।। द्वितीय दिवस खरना आवै। खीर मातु को भोग लगावे।। तृतीय दिवस पूजन का आवे। अस्तांचल सूर्य को अर्घय चढ़ावे।। चतुर्थ दिवस उदित सूर्य को। डाला छठ नाम यशगान को।। . लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में। ...
जय श्री राधे
कविता

जय श्री राधे

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** श्याम बिनु राधा कैसी, राधा बिनु कैसे श्याम। बोलो मन जय राधे नाम, बोलो मन जय श्रीराधे श्याम। मुरली बजा जियू हर लीन्हों, ये तेने कैसो जादू किन्हों। कह रयो गोपी संग नंदग्राम, बोलो मन जय श्रीराधे श्याम। ब्रज की माटी उछल-उछल कर, बता रयो कान्हा जी आयो। यमुनाजी भी मस्त हो रयो, लता-बेल आजु है गा रयो। आयो कान्हा फेरू है नंदग्राम, बोलो मन जय श्रीराधे श्याम। . लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में। ...
अरे कब समझेंगे ये लोग
कविता

अरे कब समझेंगे ये लोग

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** अरे कब समझेंगे ये लोग। क्यों जानकर हैं लगवा रहे ये अपना काल को भोग।। जब भी अखबार खोली जाती है। एक न एक मौत की खबर दिख जाती है।। मानता हूँ होना है सो होना है । पर थोड़ा तो अपना रक्षा का सोचना है। मुझको है ये नहीं समझ आता। है हेलमेट पहनने से इनका क्या है चला जाता।। आखिर क्यों नहीं समझते ये लोग। घर पर इन्तजार कर रहा है कोई इनका। एक छोटी सी भूल। और बिखर जाता है सब कुछ बनके तिनका -तिनका। क्या कर लेते हैं ये लोग। इतनी तेज रफ्तार का लगाकर यूँ रोग।। अन्त में क्या कहा जा सकता है इनसे। यूँ जान गँवाना है। तो जाकर सरहद पे गँवाओ। अब ऐसे माँ बाप को न तरशाओ।। वैसे जाओगे तो गर्व होगा देश को तुम पर। ऐसे जाओगे तो। सोचेंगे लोग पल भर।। माँ बाप ने बड़े प्यार से है पाला। मत बनो यों मतवाला। कितनी बार बताएंगे तुमको। हेलमेट पहनने पुलिस कहती है। सुरक्षित करने को...
आता ही नहीं लिखना मुझे
कविता

आता ही नहीं लिखना मुझे

********** भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) आता ही नहीं लिखना मुझे क्या लिखूँ मैं ??? शब्द सौष्ठव का नहीं ज्ञान मुझे कैसे अलंकृत करूँ अब मैं ! दर्द को एक आवाज दे लेना आता नहीं मुझको अपने मनोभाव को कैसे उकेरा जाए इसका भी भान नहीं मुझको . . लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रक...
दर्द माली का
कविता

दर्द माली का

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** व्यथित बहुत हुआ मन। शाक ने माली से पूछा जब माली तूने मेरे लिये आज तक किया ही आखिर भला क्या है ??? दर्द से तड़प उठा माली। ये तो शाक ने आज दे दी थी संभवतः आज गाली।। उस शाक को अब तक जिसने सींचा था पसीने से अपने। आज शाक उससे है पूछ रहा। आज तक आखिर मेरे लिए तूने किया ही क्या है ????? रो रहा था माली यह सोचकर। धूप में जले हाथों को देखकर।। आखिर उसने उसके लिए भला ही आज तक किया ही क्या है ??? . लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान...
हे मिसाइल मानव
कविता

हे मिसाइल मानव

भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ******************** हर्षित है आज यह नभतल। याद कर वो सुनहरा कल।।अग्निमानव का कर रहा सहर्ष स्वागत। मानो कहता हो यह सकल जीव-जगत।। अर्पित कर दिया जिसने अपना जीवन। आओ मिल हम उन्हें करें नमन।। कर अर्पित हृदयतल से उनको श्रद्धार्पण। हे अग्निमानव मेरा भी नमन करें स्वीकार। हे माँ भारती के आदरणीय सजग पहरेदार।। . लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने पर...
मैं माँ भारती का भारत हूँ
कविता

मैं माँ भारती का भारत हूँ

********** भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) मैं माँ भारती का भारत हूँ। उनके आशीर्वाद का स्वप्न साकार हूँ मैं। मैं माँ भारती का भारत हूँ।। चल पड़ा हूँ अपनी  ही वो डगर। करना विजित जहाँ है मुझे सकल समर। मैं माँ भारती का भारत हूँ। अँग्रेजों की अँग्रेज़ी न भूला दूँ तो तुम कहो। मैं तो निकला हूँ लेकर साथ अपने हिन्दी माँ को। अपना न ले यह जबतक यह जग प्रेम से संग मेरे हिन्दी माँ को।। मैं माँ भारती का भारत हूँ। मातृस्वरूपा हिन्दी का उपासक हूँ मैं माँ भारती के आँगन में खेला मातृस्वरूपा हिन्दी का संग्राहक हूँ।। . लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्...
मातेश्वरी की स्तुति
कविता

मातेश्वरी की स्तुति

********** भारत भूषण पाठक धौनी (झारखंड) ॐ जय शैलपुत्री माता, मैया जय शैलपुत्री माता। मैया जी को निशदिन ध्याता,वो नर यश निश्चय पाता।। ॐ जय ब्रह्मचारिणी माता, मैया जय चन्द्रघण्टा माता।। जो नर तुमको ध्याता, है वो सर्वसिद्धि  पाता। कुष्माण्डा माता को जो भजता, सुख समृद्धि पाता।। माँ स्कंदमाता की कृपा, है जो नर पाता । जन्म-मरण से मुक्त होकर, मोक्ष वो पाता।। माँ कात्यायनी जी की स्तुति, जो कोई नर गाता। शोक संताप से वो मुक्त होकर, अन्त परम पद वो पाता।। कालरात्रि नाम लेकर, माँ का ध्यान है जो करता। भयमुक्त वो है होता, शत्रु मुक्त है वो होता।। महागौरी माँ की कृपा, अलौकिक सिद्धि है देती। सिद्धिदात्री माता का ध्यान जो करता, सकल सिद्धि  है वो पाता। माँ के इन नौ रूपों का जो नर ध्यान है करता। कील, कवच, अर्गला, कुञ्जिका मन से पढ़ता।। माँ की परम कृपा है वो पाता, अन्त माँ में ही वो मिलता।। . लेखक पर...
मातृस्वरूपा माँ हिन्दी की आरती
कविता

मातृस्वरूपा माँ हिन्दी की आरती

********** रचियता : भारत भूषण पाठक ॐ जय हिन्दी माता, मैया जय हिन्दी माता। तुमको निशदिन ध्यावत, हर भाषा विज्ञाता।। ॐ जय हिन्दी माता --------------- ज्ञान, मान, वाणी, तुम ही बल-दाता। धरा, अम्बर ध्यावत, खग- मृग गाता।। तुम अज्ञान-निवारिणी, यश-बुद्धि दाता। जो कोई तुमको ध्यावत, निश्चय-शुभ-फल पाता।। ॐ जय हिन्दी माता -------------------- तुम संस्कृत की बेटी, ममतामयी माता। जो जन तुमको ध्याता, चहुँओर सुख पाता ।। लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र - आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास - साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में। ...
तीज विशेष -खटमल की सरगही
कविता

तीज विशेष -खटमल की सरगही

************ रचयिता : भारत भूषण पाठक उठकर अहले सुबह तीज के दिन। घड़ी में बजे थे तभी साढ़े तीन।। बोली खटमल की तब पत्नी । जानूँ ...सरगही लेट्स राॅक्स। खटमल प्यारा धीरे- से बोला जानूँ..... सरगही हाऊ यू राॅक्स।। बोली फिर से खटमल की पत्नी। बनकर थोड़ी -सी मीठी चाश्नी।। प्यारे प्रियतम पति देव जी हमारे। यह बात नहीं समझ आती तुम्हारे।। दिन भर करना है मुझे उपवास। होता नहीं है क्या तुम्हें विश्वास ।। जाओ मानव का ला दो खून। चौंक गया यह पति फिर सुन।। बोला आई एम सो शाॅक्ड। वाट डू यू से ओ माई गाॅड।। बोली फिर भी खटमल की पत्नी। जानूँ ,इट्स नॉट ए प्राॅब्लेम। सरगही तो राॅक्स सो राॅक्स। सो जानूँ सरगही लेट्स राॅक्स।। लेखक परिचय :-  नाम :- भारत भूषण पाठक लेखनी नाम :- तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी :- ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र :- आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग...
मर्म
कविता

मर्म

========================== रचयिता : भारत भूषण पाठक मृत्यु शय्या पर लेटी। है  करूणा की गाथा।। कहती वो मनुज-मनुज से। निर्मोही निर्मम से कर दो दया अब मुझपर। मेरे बहते इन अश्रुपर।। थी जब जीवन से पूरण। है मुझको वो सब स्मरण।। रहती थी घर में अपने। थे कितने मेरे सपने।। बिखर गए वो सपने। जैसे फँसता कोई है मधुकर। पीते हुए जब वो पुष्परस।। मृत्यु शय्या पर लेटी। है करूणा की गाथा।। कभी मैं थी मासूम सी गुड़िया। अपने बाबुल की चिड़िया।। रहती थी मस्त मलंग में। हो कर बाबुल के संग में।। है तुमने जब से तोड़ा। मेरा अस्तित्व झिंझोड़ा।। तब से प्राण विहीन में। कर दो दया अब मुझ पर। अब तो छिन्न-भिन्न में। मृत्यु शय्या पर लेटी। है करूणा की गाथा।। लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र :- आई.एस.डी., सरैयाहाट मे...
मालिनी छन्द
छंद

मालिनी छन्द

========================== रचयिता : भारत भूषण पाठक विधा :- मालिनी छन्द विधान :- नगण नगण मगण यगण यगण होत अलौकिक प्रकाश, जेल में देख के कंस मन,हिय अकुलायो। है ये कैसो प्रकाश जो ऐसो ताहि के पार न देखि पायो।। द्वार खुले अरू बेड़ी टूटे चहुँओर देखो धुँध है छायो। लेत वसुदेव जग तारण को। यमुना जी में पाँव बढ़ायो।। है ये कैसो भाग वसुदेव को। घर में जो जगतारण आयो। फूल गिरे अरू अम्बर से जो। स्वयं हरि के ऊपर आयो।। देख हरि को यमुना जी में यमुना जी भी ऊपर धायो। है यह कैसो भाग जो हमरो आयो स्वयं नारायण आयो।। लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र :- आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास :- साहित्य...
जय, जय माँ भारती
कविता

जय, जय माँ भारती

========================== रचयिता : भारत भूषण पाठक विधा-तेवरी जय, जय माँ भारती।   सिंह-सुता दहाड़ती।।  आगे कभी, पीछे कभी   नीचे कभी, ऊपर कभी   घूम-घूम अग्नि बाण मारती   जय, जय माँ भारती ।   सिंह-सुता दहाड़ती।।  मार्ग दुष्कर था,लक्ष्य अटल था।  पर निश्चय उसका भी, प्रबल था।।   बढ़ रहे थे , असंख्य दुशासन।    चीर डालने को, तेरा दामन।।     जय, जय माँ भारती ।     सिंह -सुता दहाड़ती।।     मानो खड़ी हो साक्षात माँ चण्डी।    ़धर जोर वो जब थी हूँकारती ।।       जय, जय माँ भारती ।     सिंह -सुता दहाड़ती।।  असंख्य तोप थे गरज रहे।  नरमुण्ड भी थे बिखर रहे।।    जय,जय माँ भारती।  सिंह -सुता दहाड़ती।। होकर खून से लथपथ।   माँ तेरी चरणों को   वो थी पखार रही।  और दुशासनों पर अपने अन्त तक थी वो हूँकार रही।। जय, जय माँ भारती। सिंह-सुता दहाड़ती।। लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि '...
भारत माता
दोहा

भारत माता

========================== रचयिता : भारत भूषण पाठक जय जय जय है भारत माता। शौर्य, बल, बुद्धि ,यश प्रदाता।। जय जय जय है भाग्य विधाता। अखण्ड ब्रह्मांड की अधिष्ठाता।। जय जय जय है पतितपावनी। सुख, समृद्धि ,ऊर्जा प्रदायिनी।। जय जय जय है महातपस्विनी। अध्यात्म, योग, विज्ञान प्रवाहिनी। जय जय हे आयुर्वेद प्रदायिनी। सकल जगत की संताप हरिणी।। लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र :- आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है। काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास :- साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशि...
कल पेड़ आया था सपने में
कविता

कल पेड़ आया था सपने में

================================================== रचयिता : भारत भूषण पाठक कल पेड़ आया था सपने में एक मेरे आकर वो बोला यूँ मुझसे। मैं एक बात पूछता हूँ तुझसे।। बताना यह तुम सच-सच मुझको। आती कभी दया नहीं तुम सबको।। उखाड़ते हो अंग-प्रत्यंग सब हमारे। मन में आती नहीं यह बात तुम्हारे।। हैं प्राणयुक्त तुम सब की भांति हम सब भी। असहाय वेदना होती है हमें उखाड़ते हो जब भी।। सोचा कभी है तुमने हम हैं तभी तुम हो। गर हम नहीं तो तुम सब भी तो नहीं हो।। जीवित हैं जब हम रहते कितना सुख तुम्हें पहुँचाते। सोचो तुम ही न भला अन्न,जल,छाया कहाँ तुम पाते।। कहाँ बैठकर थककर भला यूँ सुस्ता तुम कभी पाते। बताओ न कहाँ बीतता बचपन तब तुम सबका। कहाँ से मिलते कुछ क्षण वो अति आनन्द का।। सोचो न जीवित थे तो तब भी जीते थे तुम्हारे लिए। आज मर रहे हेैं हम सब जब हरदिन तो तुम्हारे लिए।। वृक्ष लगाएं ..... जीवन बचाएं ..... लेखक ...
हे मोदी!
कविता

हे मोदी!

================================================== रचयिता : भारत भूषण पाठक हे मोदी ज्ञान पयोधि तुम्हारा अभिनन्दन । है नरेन्द्र माँ भारती के मृगेन्द्र। तुम्हारा वन्दन माँ भारती के मान का करने वर्धन।। है विकासपुरुष ।स्वीकार हो स्नेहपुष्पगुच्छ।। धन्य हो पंकज संरक्षक।भयाक्रान्त रहते तुमसे आतंकपोषक।। धन्य हो तुम है महात्मन।भारत भक्ति को भारत करता है तेरे नमन।। है मोदी स्थापित रहे तेरा कीर्तिमान । बस अब और शहीद न हों रखना इतना सा ध्यान।। धन्य है तुम्हारी नेतृत्त्व शक्ति। स्वीकार हो शुभकामना भारत को बनाने विश्वशक्ति।। धन्य है तुम्हारी ओजस्विता ।धन्य तेरी दूरदर्शिता।। लेखक परिचय :-  नाम - भारत भूषण पाठक लेखनी नाम - तुच्छ कवि 'भारत ' निवासी - ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड) कार्यक्षेत्र :- आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक योग्यता - बीकाॅम (प्रतिष्ठ...