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आनंदमयी प्रेम
कविता

आनंदमयी प्रेम

*********** भारती कुमारी (बिहार) फूलों-सा सम्पूर्ण हो गयी रोम-रोम में उमड़ गयी प्रेम प्रेममयी झंकार की मधुर तरंग . अरूपमयी होकर भी मृदुल मधुर रूप में परिवर्तित हो गयी सुनहली प्रेममयी छवि सहसा . ह्रदय में प्रेममयी स्नेह भर गयी दीप्त ज्योति-सी प्रेममयी ह्रदय प्रदीप्त होकर प्रेममयी संगम में पड़ी . स्वर्णिम नीली प्रेममयी प्रकाश अनहद नाद की कम्पन में खोई छल नहीं सकती कभी-भी प्रेम . रंगी है प्रेममयी परिणत मन से संगम है मधुर प्रेममयी स्नेह का श्यामल तन की कोमल अनुभूति . प्रेममयी सहानुभूति संदेश जो भेजी सहसा ह्रदय पुष्प - सी खिल गयी पुलकित-सी ह्रदय विह्वल आनंद भर जाती . लेखक परिचय :-  भारती कुमारी निवासी - मोतिहारी , बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहान...