वह-मौसम
बृजेश आनन्द राय
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
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सुप्त सौन्दर्य
की नींद
और
भावनाओं का
उद्वेलन
तन्द्रा की
बेपरवाही
और
प्रतीक्षा का
जागरण
धैर्य-शक्ति का
परीक्षण
और
घुटन का
अवलम्बन
शून्यात्मक-
अभिव्यक्ति
और
हृदय का
तुमुलनाद
टीले की
रेत
और
सागर का
शोर...
बहुत-कुछ
शान्त
हो गया
हर एक
ज्वार का
अन्त हो
गया...
'वह-मौसम' भी
निस्पन्द हो गया!
परिचय :- बृजेश आनन्द राय
निवासी : जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र.द्वारा शिक्षा शिरोमणि सम्मान २०२३ से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्...