Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: बाबुलाल सोलंकी

मजदूर की बेटी हूं
कविता

मजदूर की बेटी हूं

बाबुलाल सोलंकी रूपावटी खुर्द जालोर (राजस्थान) ******************** मैं आप की तरह पत्थर नही जिंदादिल इंसान हूं ! ईंट से कोमल हूं ! पर चट्टान से मजबूत क्योंकि मैं चट्टान तोड़ती हूं ! मैं ईंट पत्थर की चोट से नही डरती क्योंकि- मजदूर की बेटी हूं ! मैं डरती हूं महल वालो की लाल आंखे ओर डांट से क्योंकि- कंही उनकी नारजगी शाम का चूल्हा ठंडा न कर दे ! मैं महलो में नही रहती पर महल बनाती हूं ! ईंट पकाती हूं! बनाती हूं ! मेरी कोमलता गर्म भट्टी में ईंट सेंकते पक गई है। सिवाय हृदय, सब कठोर है। आप संगमरमर से सजे महलो में सोते है ! रहते है ! हम संगमरमर के शेष टुकड़ो पर अपनी रात बिताते है। तुम अपने बच्चो को प्यार से बांहों में नही उठाते। उससे ज्यादा हम ईंट गोदी में संभाल के रखते है क्योंकि- एक ईंट का टूटना हमारे लिए बहुत कुछ तोड़ सकता है जैसे- आबरू, खाना,रोजी, सपने, हमारे लिए घर आंगन नशीब कँहा है ? जंहा भी मा...
अपना अपना देश प्रेम
यात्रा वृतांत

अपना अपना देश प्रेम

बाबुलाल सोलंकी रूपावटी खुर्द जालोर (राजस्थान) ******************** गांव से अहमदबाद जा रहा हूं। मेहसाणा बस डिपो पर दस मिनिट के लिए बस रुकी है। थोड़ी आरामदेही के लिए डिपो के चौड़े आंगन से टहलता हुआ हाइवे तक पहुँचा। कोई १०-१२ साल का एक लड़का और फटे-पुराने कपड़ो से लदी उसकी माँ तिरंगी टोपी व तिरंगा झंडा लिए जोर जोर से चिल्ला रहे थे .....तिरंगा लेलो .......झंडा लेलो.......! देश प्रेम नी एकज ओळखान.......(आगे की पंक्तिया समझ नही आई)......! हाइवे पर सरपट दौड़ती मारुति आल्टो ८०० से बी एम् डब्लू जैसी कारो वाले देश भक्त लोग भी है तो साइकिल से लेकर रॉयलफील्ड व महंगी स्पोर्ट्स बाइको पर सवार लोग भी है। कोई ईधर नजर घूमाता कोई न भी। कोई महँगी कारो की ए.सी. से हल्का सा ग्लास नीचे कर पूछता - अल्या केटला पइसा ? सेठ...ए....क....ना दस रुपिया, बीस रुपया ! देशप्रेम महंगा हो गया, ग्लास ऊंचा हो जाता और गाड़ी रवाना ! ल...