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डम-डम डमरू दिगम्बरा
भजन

डम-डम डमरू दिगम्बरा

बबिता सिंह हाजीपुर वैशाली (बिहार) ******************** डम-डम डमरू दिगम्बरा, देवाधिदेव भगवान! जयति-जयति जगदीश्वरा। कर त्रिशूल कर्ण कुण्ड, जपता रहे मन पंचाक्षर! जयति-जयति जगदीश्वरा। भाल चन्द्र तन बाघम्बरा, शिवम् सत्यम् सुन्दरा ! जयति-जयति जगदीश्वरा। अंग विभूति छवि मनोहरा, नमामि सदा शिव शंकराय! जयति-जयति जगदीश्वरा। जगत सर्जन प्रलयंकरा, नाथ दयानिधि दानिशवरा! जयति-जयति जगदीश्वरा। सरल हृदय मेरे कालेश्वर, हे जटाधारी अभयंकरा! जयति-जयति जगदीश्वरा। पार्वती पति प्राणेश्वरा, विश्वनाथ विश्वंभरा! जयति-जयति जगदीश्वरा। श्री नीलकंठ सुरेश्वर, चन्द्रमौलि चिदम्बरा! जयति-जयति जगदीश्वरा। नागेन्द्रहारा हे गंगाधारा, जय-जय महायोगीश्वरा! जयति-जयति जगदीश्वरा। परिचय : बबिता सिंह निवासी : हाजीपुर वैशाली (बिहार) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिका...
आशा का परचम 
कविता

आशा का परचम 

बबिता सिंह हाजीपुर वैशाली (बिहार) ******************** सूर्य क्षितिज पर होता ओझल संध्या तुझे बुलाने को निशा हुई स्वप्निल लोरित उषा नागरी भी विह्वल है आशा का परचम लहराया। बहता सलिल समीर सदा से अनल जले आघातों से गति द्रव तेज सहे निर्झरिणी आकुल जलद का अंतर भी है आशा का परचम लहराया। नभ भी उतर-उतर शिखरों पर अवलोकित करते दृग  दर्पण गिरि का गौरव गाते झरने परिवर्तन हो रूप प्रकृति का आशा का परचम लहराया। आँचल में भू के है गंगा मोती की लड़ियों सी बहती जलद-यान में विचर के पावस नव किसलय पर स्नेह वार कर आशा का परचम लहराया। धूप-छाँह के रंग की किरणें पवन ऊर्मियों से लहराती हरित वर्णी पीपल छाया सोन खगों को सौंप के काया आशा का परचम लहराया। जीवन उन्नति के सब साधन फिर मानव क्यों करता क्रंदन? क्या जीवन की यही परिभाषा बोल पड़ी है मूक निराशा आशा का परचम लहराया। ...