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विनय
भजन

विनय

प्रो. डॉ. विनीता सिंह न्यू हैदराबाद लखनऊ (उत्तरप्रदेश) ******************** सत्ता तुम्हारी भगवन जग में समा रही है तेरी दया सुदृष्टि सृष्टि सजा रही है रवि चंद्र और तारे तूने सभी बनाए विस्तृत वसुंधरा पर सागर भी हैं बहाए जिनकी सतह हैं सुंदर मोतियों से सजाये (२) इन सब में ज्योति तेरी इक जग मगा रही है सुंदर सुगन्ध वाले फूलों में रंग तेरा पशु पक्षी चर अचर में कण कण में रूप तेरा हे ब्रह्म विश्व कर्ता वर्णन हो तेरा कैसे (२) हर कृति झलक तेरी तेरा करतब दिखा रही है भक्ति तुम्हारी भगवन क्यों कर हमें मिलेगी तेरी रची जो माया पल पल हमें ठगेगी तेरी चरण शरण हैं तुमसे यही विनय है (२) हो दूर यह अविद्या जग भ्रम बढ़ा रही है परिचय :- प्रो. डॉ. विनीता सिंह निवासी : न्यू हैदराबाद लखनऊ (उत्तरप्रदेश) व्यवसाय : नेत्र विशेषज्ञ सेवा निवृत, भूतपूर्व विभागाध्यक्ष नेत्र विभाग, के....