थोड़ी उससे प्रीत बढ़ा लूं
प्रेम नारायण मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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ईश्वर ने एकांत दिया है,
कुछ उसकी महिमा को गा लूं।
उसके सुमिरन में रम के मै,
थोड़ी उससे प्रीत बढ़ा लूं।
ईश्वर ने .........
ईश्वर है करुणा का सागर,
भक्ति के मोती लुटा रहा है।
उसकी भक्ति पाने के मित,
मैं भी तो झोली फैला लूं।
ईश्वर ने.......
वो तेरे अंतर में रहकर,
प्रतिपल तेरा ध्यान धर रहा।
उसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापन,
मित मैं थोड़े अश्रु बहा लूं।
ईश्वर ने .........
वो तो सदा पिता बनके ही,
सबको निज संतान मानता।
मैं भी बनके बालक उसका,
चरणों में निज शीश नवा लूं।
ईश्वर ने..........
परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा
निवास : जानकीपुरम (लखनऊ)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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