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Tag: प्रेक्षा दुबे

इस दीवाली …
कविता

इस दीवाली …

प्रेक्षा दुबे उज्जैन ( म. प्र.) ******************** एक दिन के लिए ही सही सबकी उदासी मिटाने को... अँधेरे दिलों में भी रोशनी जगाने को... कड़वे रिश्तों में मीठी चाशनी घोल जाने को... बेरंग सड़कों पर रंग बिखराने को.... भागती सी जिंदगी को थोड़ा थमाने को... मोबाइल से बाहर की दुनिया दिखाने को... सारा शहर आज यूँ जगमगाने को.... रामचन्द्रजी की याद दिलाने को... आध्यात्मिकता से फिर जोड़ जाने को.. और सारे आलसीयों को काम पर लगाने को...!!! तुमने किया इतना अब मेरी बारी हैं... ग्रीन दिवाली की पूरी तैयारी है.. चीनी सामानों की ना कोई पारी है मिट्टी के दिये और रंगोली प्यारी है बिना पटाखों के मस्ती भी जारी है प्रदूषण रोकना सबकी जिम्मेदारी है बदलाव लाने की सोच हमारी हैं..... . लेखिका का परिचय :- प्रेक्षा दुबे निवासी - उज्जैन ( म. प्र.) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्...
बारिश के बाद
कविता

बारिश के बाद

प्रेक्षा दुबे उज्जैन ( म. प्र.) ******************** जब कई दिनों की बारिश के बाद वो प्यारी सुनहरी सी धूप खिली मन किया गले लगा लू इसे बताऊँ की कितना याद किया तुम्हें .. हालाँकि मैं जानती हूँ कि नाराज़ हो, पिछली गर्मियों में तुमपर गुस्सा करती थी तुमने भी तो कम परेशान नहीं किया पर अब छोड़ो ना सब जाने भी दो दुनिया में सभी ऐसा ही तो करते हैं अपनी तकलीफ़ मे ही किसी को याद हाँ.... बस उतनी ही देर... क्यूंकि उसके बाद तुम बोझ सी ही लगोंगी फ़िर तुमसे बचने की कोशिश के आलम मेरी गलती नहीं हैं... दस्तूर ही यही है.. ज़रूरत के हिसाब की मोहब्बत लेखिका का परिचय :- प्रेक्षा दुबे निवासी - उज्जैन ( म. प्र.) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु...
धरा सी मैं
कविता

धरा सी मैं

********** प्रेक्षा दुबे उज्जैन ( म. प्र.) इस धरती सा हृदय लिए कुछ इस जैसी मैं जीती हूँ बाहर हो गर बारिश भी फ़िर भी अंदर से जलती हूँ कोई मेरा नहीं जहां मे सबकी अपनी सी लगती हूँ जो धूप सभी को मिल जाए तो सूरज से मैं तपती हूँ मेरे रहस्य हैं जग से परे इतिहास सभी का रखती हूँ सुख दुख त्याग सभी मैं अपना कष्ट मैं सारे सहति हूँ ना आम कोई ना खास मुझे सब पर ममता मैं रखती हूँ पर पाप जहाँ में जब भी बढ़े तो प्रलय रूप मे धरती हूँ कोमल सा मैं मर्म लिए स्त्री स्वरूप मैं पृथ्वी हूँ लेखिका का परिचय :- प्रेक्षा दुबे निवासी - उज्जैन ( म. प्र.) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindiraksh...
शिक्षक
कविता

शिक्षक

********** प्रेक्षा दुबे उज्जैन ( म. प्र.) ज्ञान गंग की धार बहा जो, चित्त शिष्य का शुद्ध करे। स्वप्न भवन निर्माण सिखा जो, अटल भविष्य की नींव बने। जो भेदभाव के अन्धकार में, बन शिक्षा का दीप जले। शिक्षक है वो महाकोष जो, ज्ञान निधि बन अमर रहे। लेखिका का परिचय :- प्रेक्षा दुबे निवासी - उज्जैन ( म. प्र.) आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें...🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा...