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Tag: प्रीति शर्मा “असीम”

इस बार दिवाली पर
कविता

इस बार दिवाली पर

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** इस बार दिवाली पर पटाखे नहीं चलाएंगे। इस बार दिवाली पर पूरे देश को वैक्सीन से, कोरोना मुक्त बनाएंगे। इस बार दिवाली पर कोरोना से कमजोर हुई अर्थव्यवस्था को, मजबूती से फिर से आगे हम बढ़ाएंगे। इस बार दिवाली पर चाइना का सामान नहीं घर लाएंगे। शिक्षा के दीपक घर-घर जलाएंगे। इस बार दिवाली पर अंधविश्वासों की पकड़ से मानव को बचाएंगे। इस बार दिवाली पर स्वर्णित भारत के सपनें को, पटाखों से नहीं हरित दिवाली से सजाएंगे। इस बार दिवाली पे, आत्मनिर्भर जन जन को बनायेंगें। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अ...
७५ वां स्वतंत्रता दिवस
कविता

७५ वां स्वतंत्रता दिवस

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** देश ७५ वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। जनमानस खुद को, कोरोना का गुलाम पा रहा है। जिस समानता के अधिकार को पाया था। इतनी जद्दोजहद से, आज दो-गज की दूरी पर भी डरा जा रहा है। देश ७५ वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। धर्म की आड़ लेकर खेल-खेलती रही सियासतें। धर्म को इंसानियत से, अलग न कोई भी कर पा रहा है। वोट की राजनीति का हाल तो देखो। मुद्दा जाति गणना का अब उठाया जा रहा है। देश ७५ वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है । जनमानस खुद को कोरोना का गुलाम पा रहा है। मर रहा देश आज कोरोना से, भुखमरी, बेरोजगारी, डूबती अर्थव्यवस्था की परेशानी से, जिंदगी में जहर खाने को आज जहां पैसे नहीं है। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। देश ७५ वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है । जनमानस खुद को सियासी कोरोना का गुलाम पा...
सिस्टम से बाहर
कविता

सिस्टम से बाहर

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** जो सिस्टम से बाहर जायेगा... अपनी अलग एक सोच रखकर। भीड़ की मूर्खता से टकरायेगा। सिस्टम की मशीन में, सबसे पहले वहीं काटा जायेगा। जो सिस्टम से बाहर जायेगा... भेड़-बकरी की सोच रख, और झुंड में ही जो जीवन बितायेगा। अपनी-अपनी दुनिया में मस्त होकर। भीड़-सा व्यस्त जो नही रह पायेगा। नयी सोच से जब-जब भी, दुनिया को तू जगायेगा। यह दुनिया वैसे ही चलेगी। बस तू सिस्टम से कटकर, सदा की नींद सो जायेगा। जो सिस्टम से बाहर जायेगा... इस भीड़ की अपनी दुनियां है, तू किस-किस को समझायेगा। बहुत आयें बदलने इसको, लेकिन नई सोच दे नही पायें है। जिस-जिस ने भी सिर उठाया है। सिस्टम की मशीन से, खुद को कटा हुआ पाया है। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्व...
कलम का सिपाही
कविता

कलम का सिपाही

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** कलम सिपाही प्रेमचंद ने, मानव चरित्र का आख्यान लिखा। धनपत राय श्रीवास्तव से, प्रेमचंद हो, जीवन का संपूर्ण व्यवधान लिखा। कलम सिपाही प्रेमचंद ने, समाज में फैली बुराइयों को, दूर करने का संकल्प लिखा। मानसरोवर के आठ भागों में, देकर कहानियों के ३०१ मोती। उस युग का महा त्राण लिखा। कलम सिपाही प्रेमचंद ने, मानव चरित्र का आख्यान लिखा। कर्मभूमि की राहों में, रंगभूमि का नया आयाम लिखा। नारी की दुर्दशा सहेज कर, मंगलसूत्र का प्राण लिखा। विधवा विवाह की कर अगवाही, कायाकल्प का आगाज़ लिखा। कलम सिपाही प्रेमचंद ने, मानव चरित्र का आख्यान लिखा। देकर नवजीवन, नवल सोच साहित्य को, वह कथा सम्राट नौ कहानी संग्रह, नौ उपन्यास का, कर योग गया। प्रथम अनमोल रत्न साहित्य का, कर गोदान, कफन में, ...
गुरु के महत्व को अवलोकित करता पर्व… गुरु पूर्णिमा
आलेख

गुरु के महत्व को अवलोकित करता पर्व… गुरु पूर्णिमा

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** मानव जीवन में "गुरु" का महत्व वो स्थान रखता है। जिसके बिना मानव के महत्व और असितत्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती। तभी "मां" को प्रथम गुरु कहा गया है। जीवन में हम जिस व्यक्तिव से कुछ सीखते हैं वो हमारे लिए गुरु तुल्य है। जीवन को, जो उत्कृष्ट बनाता है। मिट्टी को, जो छूकर मूर्तिमान कर जाता है । बाँध क्षितिज रेखाओं में, नये आयाम बनाता हैं। जीवन को, जो उत्कृष्ट बनाता हैं। ज्ञान को, जो विज्ञान तक ले जाता है। विद्या के दीप से , ज्ञान की जोत जलाता है। अंधविश्वास के, समंदर को चीर, नवीन तर्क के, साहिल तक ले जाता है। मानवता की पहचान से, जो परम ब्रह्म तक ले जाता है। सत्य -असत्य, साकार को आकार कर जाता है। जीवन-मरण, भेद-अभेद के भेद बताया हैं। वह प्रकाश-पुंज , ईश्वर के बाद गुरु कहलाता है। कल आषाढ...
ईश्वर तेरे नाम पर
कविता

ईश्वर तेरे नाम पर

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** ईश्वर तेरे नाम पर, कितना व्यापार चलता है। सुख की आस में, हर इंसान दुःख के मझधार में पलता है। ईश्वर तेरे नाम पर, कितना व्यापार चलता है। कौन ......सुखी हैं? इस प्रश्न का उत्तर ही नहीं मिलता है। यह कौन-से कर्मों का फल है। जिसका लेखा-जोखा फलता है। ईश्वर तेरे नाम पर, कितना व्यापार चलता है। दुनिया भी तूने बनाई। इंसान भी तेरे सभी। फिर कहां से बुरे कर्मों की, पहेलियाँ तुमने घड़ी। हर इंसान जिंदगी भर नर्क की आग में जलता है। कहाँ..... कौन सा स्वर्ग है। जो दुख-दर्द मिटाने के लिए, सुख की झूठी आस पर चलचित्र -सा चलता है। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अप...
असीम तुम्हारी कविता
संस्मरण

असीम तुम्हारी कविता

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** आज तुम्हारी फाइलों को तुम्हारे जाने के बाद लोगों को वापस देने के लिए कुछ किताबों के पन्नों में से एक डायरी का पन्ना निकला। मेरे छोटे भाई अनुज ने वह पेज उठाया और कहा दीदी आप की कविता। मेरी कविता मुझे हैरानी हुई कि असीम की फाइलों में मेरी कविता। लेकिन जब मैंने देखा तो मैंने उसे लिखावट देख कर बताया कि यह मेरी नहीं उनकी (असीम) कविता है। शीर्षक लिखा था....दर्द     दिल में ऐसा ...क्या होता है। खून के आंसू क्यों रोता है। निष्ठुरता की चादर ओढ़े, पैर पसारे जग सोता है। प्यार की भाषा कहां खो गई। भावनाएं लाचार हो गई। मतलब तक इंसान है सीमित। हमदर्दी भी कहां सो गई। नेक दिली थी ...सीखी हमने। सिर्फ आज तक "अपनों" से, चोट लगी तो संभलें ऐसे। जागे जैसे सपनों से। चोट पे चोट लगी दिल पे। पर रा...
खुद को गढ़ना…. होगा
कविता

खुद को गढ़ना…. होगा

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** अपनी तकदीर से, अब तुम को, खुद ही लड़ना होगा। तुम हाथों की, कठपुतली नही। अपने अस्तित्व को, खुद ही गढ़ना होगा। खुद ही लड़ना होगा। अपनी तकदीर से, अब तुम को, युगों-युगों से, हाथों के कारागृह बदलते आये है। तुम को कैसे जीना है। यह सीखाने वाले, बस नाम बदलते आयें है। अपने नाम को, नारी तुम... आयाम नये भर दो। खोखले आडंबरों पर, पलट अब वार जरा कर दो। खुद को गढ़ कर, अपनी पहचान बिना... किसी के मोहताज तुम कर दो। जीवन को असितत्व देती हो। तुम क्यों रहो मोहताज। खुद को गढ़ लो। फौलाद से, तोड़ दो अबला का ताज। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्...
मिट्टी के घर
कविता

मिट्टी के घर

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** जिंदगी खेल-खेल में, मिट्टी के घर बनाती है। और दूसरे ही पल, गिरते ही, जिंदगी बदल जाती है। जिंदगी खेल-खेल में, मिट्टी के घर बनाती है....। कितनी हसरतों से, सहेज कर सपनों को, महलों को धीरे-से थपथपाती है। नन्ही-सी एक ठेस से, रेत-सी जिंदगी की तस्वींरें बदल जाती है। जिंदगी खेल-खेल में, मिट्टी के घर बनाती है....। हर बार बिखर के, फिर से, सपने सहेजती है। जिंदगी के खेल में, रेत-सी कितनी बार, बनती और बिगड़ती है। लेकिन यह खेल, फिर भी...कहां छोड़ती है। जिंदगी खेल-खेल में.... परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक म...
गहन निराशा और अंधकार से तारती – मां तारा
आलेख, धर्म, धर्म-आस्था, धार्मिक

गहन निराशा और अंधकार से तारती – मां तारा

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** तारा जयंती विशेष जयंती चैत्र माह की नवमी तिथि तथा शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इस वर्ष महातारा जयंती २१ अप्रैल २०२१, के दिन मनाई जाएगी। चैत्र माह की नवमी तिथि तथा शुक्ल पक्ष के दिन माँ तारा की उपासना तंत्र साधकों और उनके भक्तों के लिए सर्वसिद्धिकारक मानी जाती है। दस महाविद्याओं में से एक हैं-भगवती तारा। महाकाली के बाद मां तारा का स्थान आता है। जब इस दुनिया में कुछ भी नहीं था तब अंधकार रूपी ब्रह्मांड में सिर्फ देवी काली थीं। इस अंधकार से एक प्रकाश की किरण उत्पन्न हुई जो माता तारा कहलाईं। मां तारा को नील तारा भी कहा जाता है। जब चारों ओर निराशा ही व्याप्त हो तथा विपत्ति में कोई राह न दिखे तब मां भगवती तारा के रूप में उपस्थित होती हैं तथा भक्त को विपत्ति से मुक्त करती हैं। देवी तारा को सूर्य प्रलय की अघिष्ठात्री देवी का उग्र रुप मान...
यह कैसा …… वैशाख
कविता

यह कैसा …… वैशाख

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** जिंदगी की बैसाखियों पर, चलकर ..............यह आज, कैसा ..........वैशाख आया। न आज भांगड़े हैं। न मेले सजे हैं। फसल कटने -काटने का, किसे ख्याल आया।। ज़िंदगी की बैसाखियों पर, चलकर आज, कितना मजबूर वैशाख आया। गेहूँ की फसल का, घर के, आंगन में आज न ढेर आया। कोरोना विस्फोटक हुआ। मेलों की रौनक का, न किसी को चाव रहा। जिंदगी को, पिछले साल से, कहीं ज्यादा मजबूर पाया। दिहाड़ी -दार अपना दर्द, ढोल की तान पर ना भूल पाया। जिंदगी की बैसाखियों पर, चलकर यह कैसा वैशाख आया। वह हल्की गर्म हवाओं के साथ, न तेरी धानी चुनर का, पैगाम आया । यह कैसा ......!!! उदास ...........???? ऊबा हुआ वैशाख आया। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक...
बार्डर और कोरोना
कविता

बार्डर और कोरोना

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** ओह...!!! ओह... !!! ओह...!!! क्वारंटाइन हुए जाते हैं। टेस्ट डराते हैं। रिपोर्ट जब आती है। पोजिटिव कर जाती है। कि कोरोना कब जाओंगे। कोरोना कब जाओंगे।। लिखो..क्या वैक्सीन से जाओंगे।। तेरे साथ हर ...घर सूना -सूना है। अस्पताल के डॉक्टर ने, वहां की नर्सों ने, हमें रिपोर्ट में लिखा है। कि हमसे पूछा है..... किसी की हाफ़ती सांसों ने, किसी की खांसी ने, किसी की छीकों ने, किसी के इंफेक्शन ने, किसी के कचरे ने, कोरोना के चर्चे ने, बकबकी सुबहा ने, मितलाती शामों ने, डिस्टेंस की रातों ने, सोशल मीडिया की बातों ने, फैली अफवाहों ने, मजदूरों की बददुओं ने, और पूछा है कम होती कमाईयों ने, कि कोरोना कब जाओंगे। कोरोना कब जाओंगे।। लिखो..क्या वैक्सीन से जाओंगे।। तेरे साथ हर ...घर सूना -सूना है। क्वारंटाइन हुए जाते हैं। टेस्ट डराते हैं। रिपोर्ट जब आती...
जिंदगी के रंग
कविता

जिंदगी के रंग

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** कोई रंग भरने, जीवन में तेरे, बाहर से नहीं आएगा। तेरे जीवन में रंग, तो .........तेरे ही भरने से आएगा। कोई रंग भरने, जीवन में तेरे, बाहर से नहीं आएगा। किस सोच में .......हो। कोई बांध के, रंगों को सारे, इंद्रधनुष.....! तेरे हाथ में थमा जाएगा। जिंदगी को तेरी, रंगों से रंगीन, वह कर जाएगा। कोई रंग भरने, जीवन में तेरे, बाहर से नहीं आएगा। हकीकत के, उन बदरंग दागों से लड़। तू अपनी...... हिम्मत से, जिंदगी में रंग नये ... जब तक ना भर पाएगा। दुनिया के, रंगों के इंतजार में, बंदरंग तू हो जाएगा। कोई रंग भरने, जीवन में तेरे, बाहर से नहीं आएगा। तेरे जीवन में असल रंग तो, तेरे भरने से ही आएगा। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौल...
जल जीवन
कविता

जल जीवन

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** जल से जीवन पाते हैं। हो रहा प्रकृति पर जो, अत्याचार देख... आंखों में नीर आ जाते हैं। जल से जीवन पाते हैं। बूंद-बूंद बचाएं #पानी की, ना व्यर्थ करें पानी को, नहीं मिलता जब पानी, आंखों से नीर भी सूख जाते हैं। जल से जीवन पाते हैं। खुशियों की चौखट पे जब मां वारी-वारी जाती हैं। बिन वारि के खुशियां भी अधूरी रह जाती हैं। जल से जीवन पाते हैं। इसी पय से प्यास का अर्थ पाते हुए, अंतिम तृप्ति पा, इसी में लीन हो जाते हैं। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं,...
शिव तत्व को आत्मसात करवाता नालागढ़ हिमाचल का प्राचीन पंचमुखी शिव मंदिर
आलेख

शिव तत्व को आत्मसात करवाता नालागढ़ हिमाचल का प्राचीन पंचमुखी शिव मंदिर

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** देव-भूमि हिमाचल में जहां कण-कण में भगवान शिव विराजमान है। बस आपको अपने भीतर शिव तत्व को आत्मसात करने की आवश्यकता है। जब आप ईश्वर का साक्षरताकार पा जाते हैं तो फिर आप बाहरी आडंबर, उनकी परिकल्पना से परे हो जाते हैं। हिमाचल प्रदेश के जिला सोलन में नालागढ़ क्षेत्र के अंतर्गत भगवान शिव का पंचमुखी शिव मंदिर का इतिहास सोलहवीं सदी के लगभग माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना की बड़ी ही रोचक कथा है कहां जाता है कि राजा नलसेन जो कि उस समय के राजा थे महल परिसर में शिव मंदिर की स्थापना करवा रहे थे, पहाड़ पर ले जाते हुए अचानक उनके हाथ से भगवान शिव का प्रतिरूप शिवलिंग छूट गया और नीचे चोए में गिर गया। चोया हिमाचली भाषा में पानी के उस स्त्रोत को कहते हैं जो पहाड़ी क्षेत्रों में बहता रहता है। इस मंदिर का एक अन्य नाम चोय वाला मंदिर भी है। कहा जाता...
महिलाएं क्या चाहती हैं।
कविता

महिलाएं क्या चाहती हैं।

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** महिलाएं तो बस सम्मान चाहती है। बदलें में हर रिश्ते से, फर्ज निभाती हुई भी जब अपमान ही पाती है। महिलाएं तो बस सम्मान चाहती है।। शक्ति स्तंभ होते हुए भी, समर्पित कर देती हैं खुद को। वह प्रेम में कहां.... कोई व्यापार चाहती हैं। महिलाएं तो बस सम्मान चाहती हैं। बेटियां पराई है। बहू भी पराई है। वह अपने होने का एक अलग एहसास चाहती हैं। महिलाएं तो बस सम्मान चाहती हैं। ना देह से आंकी जाए। ना वस्तु समझ कर जांची जाए। जो सृजक है पूरे संसार की, अपने संसार का अधिकार चाहती हैं। महिलाएं तो बस सम्मान चाहती हैं।। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने प...
चंद्रशेखर आज़ाद
कविता

चंद्रशेखर आज़ाद

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** अपना नाम ... आजाद । पिता का नाम ... स्वतंत्रता बतलाता था। जेल को, अपना घर कहता था। भारत मां की, जय -जयकार लगाता था। भाबरा की, माटी को अमर कर। उस दिन भारत का, सीना गर्व से फूला था। चंद्रशेखर आज़ाद के साथ, वंदे मातरम्... भारत मां की जय... देश का बच्चा-बच्चा बोला था। जलियांवाले बाग की कहानी, फिर ना दोहराई जाएगी। फिरंगी को, देने को गोली...आज़ाद ने, कसम देश की खाई थी। भारत मां का, जयकारा ...उस समय, जो कोई भी लगाता था। फिरंगी से वो...तब, बेंत की सजा पाता था। कहकर ...आजाद खुद को भारत मां का सपूत, भारत मां की, जय-जयकार बुलाता था। कोड़ों से छलनी सपूत वो आजादी का सपना, नहीं भूलाता था। अंतिम समय में, झुकने ना दिया सिर, बड़ी शान से, मूछों को ताव लगाता था। हंस कर मौत को गले लगाया था। आज़ाद... आज़ादी के गीत ही गाता था।। परिचय :- प...
तुम जब
कविता

तुम जब

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** बसंत तुम जब आते हो। प्रकृति में नव-उमंग, उन्माद भर जाते हो। बसंत तुम जब आते हो हवाएं चलती हैं सुगंध ले कर। जीवन में खुशबू बिखराते हो। बसंत तुम जब आते हो। कितने नए एहसास जागते हैं। सृजन की प्रेरणा दे। नित-नूतन संसार सजाते हो। हर तरफ फूलों से बगियाँ तुम सजाते हो।। कहीं पीले -कहीं नारंगी। लाल गुलाब महकाते हो। बसंत तुम जब आते हो। जीवन में उमंग भर जाते हो। नदिया इठला कर चलती है। दिनों में मस्ती छा जाती है। मीठी-मीठी धूप में , शीतल चांदनी-सी रात झिलमिलाती है । आसमां में चहकते हैं पक्षी। कोयल के साथ मधुर गीत गाते हो। बसंत तुम जब आते हो। जीवन में उमंग भर जाते हो। नई आस-नई प्यास नए विचार-नए आधार। बन कर रच जाते हो। बसंत तुम आते हो। नई तरंग से जीवन को, तरंगित कर जाते हो।। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश घ...
खून की मांग
कविता

खून की मांग

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** "खून मांग" कर आजादी के, सपने को साकार किया। सुभाषचंद्र बोस ने आज़ाद, भारत का निर्माण किया।। "खून मांग" कर आजादी के, सपने को साकार किया। कौन..... भूला पाएगा। मातृभूमि के सपूत ने... जो किया। होकर खड़े अकेले "आजाद हिंद" सेना को साकार किया।। "खून मांग" कर आजादी के, सपने को साकार किया। भीख में नहीं मिलती आजादी। जीवन देकर यह आह्वान किया।। अपने खून के कतरे-कतरे को, आज़ाद भारत के नाम किया।। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशि...
अब और….. नहीं
कविता

अब और….. नहीं

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** सिमटी-सिमटी जिंदगी में बसर। अब और नहीं... अब और नहीं। ठहरी -ठहरी राहों का सफ़र। अब और नहीं.. अब और नहीं। बांध ले अपनी हिम्मत को, तिल-तिल कर मरना । अब और नहीं.. अब और नहीं। सिमटी-सिमटी राहों में बसर। अब और नहीं.. अब और नहीं। आशाओं के दिए जला ले, निराशा को दूर भगा ले, वक्त बदलेगा । बदलना होगा...... वक्त को। जीवन का क्रूर प्रहास। अब और नहीं.. अब और नहीं। तुम अकेले नहीं। साथ यह धरा-गगन हैं। मिलेगी हर... राह पर मंजिलें। किस राह पर चलूं....यह सोचना। अब और नहीं.. अब और नहीं। तुझको अपने हाथों से, बदलनी है किस्मत अपनी। बदलेगी...... यह लकीरें। इस इंतजार में गुजर।। अब और नहीं.. अब और नहीं। गमों से भरें, जिंदगी में कल्पनाओं के भंवर। अब और नहीं.. अब और नहीं। जिंदगी को जीना है.. झेलना तो नहीं। जिंदगी से टकराव। अब और नहीं.. अब और न...
मुझे समझौता ही रहने दो…
कविता

मुझे समझौता ही रहने दो…

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** जिंदगी से , मैंने सौदे तो नही कियें। सच का सामना करने के लिए, मुखौटे भी नही लिए।। मेरा सच, मेरे साथ रहने दो। मुझे समझौता ही रहने दो....... जिंदगी से,प्यार किया। छल तो नही किया।। शब्दों की सलाखों को, मेरे दिल के आर-पार ही रहने दो। मुझे समझौता ही रहने दो......... शिकवे और शिकायतों पर, अब न वक्त जाया कर। शिकायतें सब मेरी, मेरे साथ रहने दो। मुझे समझौता ही रहने दो........ मैं किसी का , अपना कहाँ हो पाया। पराया था, पराया ही रह गया। मुझे अपना तो...रहने दो। मुझे समझौता ही रहने दो....... देख लिया चेहरा दुनिया का, मकसदों और सियासतों का है। मेरा चेहरा, बस मेरा ही रहने दो। मुझे समझौता ही रहने दो। मुझे समझौता ही रहने दो।। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट...
मौन
कविता

मौन

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** मौन तो, केवल मन से है। जीवन की आपाधापी में, कलह, क्यों........? मन-मन है। मौन तो, केवल मन से है। कौन जीत गया। कौन हार गया। एक लड़ रहा। एक तैयार खड़ा। यह सारी, क्या........? भागमभागी है। जो चुप न रहा। जो कहता ही रहा। यह शब्द भी, बहुत खुराफाती है। जो समझ गया। और मौन रहा।। मन को मथ, ज्ञान रत्न वो ढूंढ लिया। शोर-शोर में सब गया। मन को तो, कुछ न मिला। जीवन मंथन, जब-जब किया। मौन को, मन में जब धरा। लेश यहीं ही वाकि है। शेष यहीं ही वाकि है।। मौन तो, केवल मन से है। मौन तो केवल मन से है।। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्...
उदासी से… परे
कविता

उदासी से… परे

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** चाहे!!! जिंदगी उदास हो.... उदासी भरा दिन, उदासी भरी एक लंबी रात हो... वही जिंदगी की, चक्की पर चलती। दिन और रात के कामों की, हर दिन की तरह वही लिस्ट हो। चाहे!!!जिंदगी उदास हो..... गलियों से गांव... गांव से शहर.... फिर चाहे!!!! शहर से जंगल तक उदास हो। एक धुंध में पसरी हुई, जिंदगी की हर आस उदास हो। सुनना खामोशियों के शोर, और खुद से बात करना। भीड़ का तो..... हर इंसान अकेला है। फिर किस साथ के लिए उदास हो। मिलोगे ना जब तुम खुद से, हर तरफ उदासी दिखेगी। प्यास.... बाहर नहीं। तुझे तेरे भीतर ही मिलेगी। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ले...
किसान
कविता

किसान

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** हाथ की लकीरों से लड़ जाता है। जब बंजर धरती पे, अपनी मेहनत के हल से लकीरें खींच जाता है। हाथ की लकीरों से लड़ जाता है। कभी स्थितियों से कभी परिस्थितियों से, दो-दो हाथ कर जाता है। वो पालता है, पेट सबके। खुद आधा पेट भर के, मुनाफाखोरी के आगे, हाथ-पैर जोड़ता रह जाता है। हाथ की लकीरों से लड़ जाता है। जो जीवन को जीवन देता है। सबको अपनी मेहनत से ऊचाईयां देता है। उसकी महानता को, अगर समझें होते। कर्ज में डूबे किसान, फांसी पर यूं न चढ़ें होते।। आज अनशन लेकर, सड़कों पर क्यों खड़े होते। दीजिए सम्मान, उसे......जिस का हकदार है। वह धरा पर, जीवन धरा का प्राण है। डॉक्टर, इंजीनियर .....बनने से पहले, जीवन देने वाला है। अमृत सदृश रोटी हर रोज देने वाला है।। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानि...
छठ व्रत करते है।
कविता

छठ व्रत करते है।

प्रीति शर्मा "असीम" सोलन हिमाचल प्रदेश ******************** हे! सूर्य देव प्राणों के वेग हम प्रणाम करते है। छठ व्रत करते है। जीवन को तुम ही, प्रकाशित करते हो। चर-अचर जीवन का, तुम ही संचालन करते हो। जीवन को, ज्ञान और आशा से, परिभाषित करते हो। नित उठ हम आपका वंदन करते है। आभार व्यक्त करते है। तुम्हें प्रणाम करते है। छठ व्रत करते है। उर्जा का तुम स्रोत किरणों से, जगत को करते ओतप्रोत। नित-नित हम वंदन करते है। हम छठ व्रत करते है। रहे तुम्हारा आशीर्वाद यहीं शुभ मंगल गान करते है। परिचय :- प्रीति शर्मा "असीम" निवासी - सोलन हिमाचल प्रदेश आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करक...