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मुट्ठी भर न मिला अनाज
कविता

मुट्ठी भर न मिला अनाज

प्रीति नेमा भैंसा, (नरसिंहपुर) ******************** अपनी विजय पर मत इतराना कर न कभी तू इस पर नाज मिट्टी से कुछ पूछ ले बंदे सोता कहां सिकन्दर आज उनका भी कुछ पता पूछना लूटा करते थे जो लाज जितने राजे महाराजे थे उनके आज कहाँ हैं ताज जो मालिक थे रतन खान के भूखे ही मर गए बेताज न तो मिला कफन ही उनको न मुट्ठी भर मिला अनाज जाना जहाँ है तुम्हें अंत में कल भी था सुनसान है आज न शहनाई न बाजे- गाजे वहाँ काम न आये साज प्रभु की लाठी जब पड़ती है सदा पड़े वो बेआवाज़ बिन कौधे बिजली गिरती है यमदूतो की गिरती गाज केवल तेरे पुण्य कर्म ही आ पायेंगे तेरे काज किये कुकर्म जाने अनजाने बे हर लेगें तेरी लाज परिचय :- प्रीति नेमा पिता : श्री रामजी नेमा निवासी : भैंसा जिला- नरसिंहपुर जन्म दिनांक : १४-०८-२००० शिक्षा : बी.एस.सी घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अ...
माँ
कविता

माँ

प्रीति नेमा भैंसा, (नरसिंहपुर) ******************** कितने देवी और देवता की चौकी पर माथा टेका तुझे दिखाने घर की चौखट दर्द बहुत है माँ ने देखा माँ ही यतन-जतन से तेरे तन का मैल छुटाती है तन व धन के साथ ही बच्चों पर जान लुटाती है रात रात भर वो जागी है तुझको बैठे गोद लिए ख़ुद ना खाकर तुझे खिलाया कितने व्रत उपवास किये तुम कितने मचले थे रोये कितनी बार बीमार पड़े माँ ने सब कुछ वारा तुझ पर फिर भी उससे ही झगड़े गीले बिस्तर पर बच्चों संग अनगिनती रातें सोई तेरी हँसी देखने को वो अंदर से है बहुत रोई सभी देवताओं पर भारी माँ की प्यारी एक मुस्कान तेरी एक मुस्कान देखने उसने त्यागी कई मुस्कान माँ के वृद्धापन में उसको प्यार खूब तुम दे देना याद रहें जो उसने दिया है ब्याज सहित लौटा देना माँ के उपकारों का कर्जा जिसने चुका दिया दिल से तैर के पार निकल जायेगा भवसागर के दलदल से एक और माँ है ध्यान रहें यह वह हम सबकी ...