Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: प्रीतम कुमार साहू

शिक्षादाता
कविता

शिक्षादाता

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** हाथ पकड़कर जिस गुरुवर ने, लिखना हमें सिखाया जीवन पथ पर कैसे चलना चलकर हमें दिखाया।। कैसे भूलूँ उस गुरुवर को, कभी हार न माना होगा क्षमा कर गलतियों को जिसने काबिल हमें बनाया।। सही गलत का ज्ञान कराकर, सत्य मार्ग बतलाया कैसे जीना हमें चाहिए जी कर हमें दिखलाया।। शिक्षा, और संस्कार के दाता, हमारे भाग्य विधाता अज्ञानता को दूर भगाकर ज्ञान का दीप जलाया।। सफलता के राह पर चलकर सच का राह दिखाया मिलती नहीं मंजिल तब तक चलना हमें सिखाया।। थककर कभी बैठ न जाना, मंजिल की इन राहों पर कठिनाइयों से लड़कर आगे बढ़ना हमें सिखलाया।। परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
गजानंद स्वामी
आंचलिक बोली, भजन

गजानंद स्वामी

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** रिद्धी-सिद्धि के तै स्वामी, तोरेच गुन ल गावत हँव सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! हे गणपति, गणनायक स्वामी, महिमा तोर बड़ भारी हे माथ म मोर मुकुट सजत हे, मुसवा तोर सवारी हे !! साँझा बिहिनिया करौव आरती, लाड़ु भोग लगावंत हँव सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! माता हवय तोर पारबती अउ पिता हवय बम भोला दिन दुखियन के लाज रखौ, बिनती करत हँव तोला !! पान, फूल अउ नरियर भेला, मै हर तोला चघावंत हँव सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! अंधरा ल अखीयन देथस अउ बाँझन ल पुत देवइयां बल, बुद्धी के तै हर दाता, सबके बिगड़े काम बनइयां ।। हे गणराज, गजानंद स्वामी मै हर तोला मनावंत हँव सजे सिहासन आके बइठो, पँवरी म माथ नवावंत हँव !! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्ष...
आजादी के वीर सपूत
कविता

आजादी के वीर सपूत

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** आजादी के वीरों सपूतों का, आओ यश गान करें! श्रद्धा, सुमन अर्पित कर, उनका हम सम्मान करें !! कतरा कतरा खून देकर, जो देश बचाया करते है..! ऐसे वीर सपूतों का, हम सब यश गाया करते है !! घर से दूर सरहद में रहकर, देश का गान करते है! सर्दी, गर्मी, बरसात सहकर, तिरंगे की मान रखते है !! दुश्मनों से लड़ते-लड़ते, जो वीर गति को पाते है! ऐसे वीर सपूत जग में, मरकर अमर हो जाते हैं..!! आओ मिलकर देशहित में, कुछ अच्छा काम करें! पेड़ लगाकर धरती में, वीरों के हम नाम करें..! राष्ट्रहित में मर मिटने को जीवन अर्पण करते है ! ऐसे वीर सपूतों का हम, शत-शत वंदन करते है..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह र...
इश्क में वक्त बेकार न कर
कविता

इश्क में वक्त बेकार न कर

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** लेकर हाथों में लाल गुलाब न चला कर ! दिल की बात दिल में रख न जला कर !! नजरें मिला के यूँ नजरें ना झुकाया कर ! इश्क है हमसे तो लफ्जों में बयां ‌‌ कर !! हम तेरे दीदार को तड़पते है रात दीन ! आसमां में चांद सा यूँ ना छिप जाया कर दिल की बात दिल में ना दबा के रख ! शिकायत है मुझसे तो सरे आम कहा कर बेवजह मेरे ख्वाबों में तू  न आया कर ! चैन से सोने दे नींद से न जगाया कर !! मुलाक़ात करना है तो मिलो हमसे आकर दरवाजा खुला है घर में आ जाया कर !! इश्क नहीं है तो इश्क का इजहार न कर वक्त कीमती है! मुहब्बत में बेकार न कर लाखों अजमा चुके है किस्मत इश्क कर ! खाकर ठोकर संभल चुके है लोग इश्क कर परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्...
अब इम्तिहान की बारी है
कविता

अब इम्तिहान की बारी है

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** हो जाओ तैयार साथियों, अब इम्तिहान की बारी है। लक्ष्य भेद कर दिखला दो, कौन किस पर भारी है !! मुश्किलों से लड़ककर तुमको, लक्ष्य मार्ग पर बढ़ना है..! छोड़ आलस का दामन तुमको रगो में साहस भरना है..!! कर्म से किस्मत लिखने की अब तुम्हारी बारी है..! हो जाओ तैयार साथियों अब इम्तिहान की बारी है..!! सफलता नहीं मिलती उनको, जो किस्मत पर भरोसा करते है..! मंजिल उन्हीं को मिलती है, जो दिन रात मेहनत करते है..!! मेहनत करने वालों पर हीं, सफलता बलिहारी है..! हो जाओ तैयार साथियों, अब इम्तिहान की बारी है..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी...
सीखो
कविता

सीखो

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** खुद की लड़ाई खुद लड़ना सीखो खा कर ठोकर सम्हलना सीखो..!! खुशी और गम आएंगे जिंदगी मे स्वीकार दोनों को करना सीखो..!!1 नदियों सा हर दम बहना सिखों सूरज की तरह निकलना सीखों..!! थककर ना बैठ मंजिल के मुसाफिर मंजिल की राह पर चलना सीखों..!! मुश्किलों से डटकर लड़ना सीखों पाने के लिए कुछ करना सीखों..!! बिन मेहनत के नहीं मिलता कुछ मेहनत पर भरोसा करना सीखों..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर ...
बेरोजगार हूँ साहब
कविता

बेरोजगार हूँ साहब

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** बेरोजगार हूँ साहब! मै बेईमान तो नहीं दिल में मेरे हजारों अरमान तो नहीं..!! नौकरी सबूत नहीं है अच्छे इंसान होने का इंसान हूँ मैं इंसानों से अलग तो नहीं..!! अपनी जिंदगी कि मैं लड़ाई लड़ रहा हूँ सपनों के लिए बस आशियाना बुन रहा हूँ..!! अपनों से गीला नहीं गैरो से शिकवा नहीं रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहा हूँ..!! भविष्य की चिंता मुझे सताती है हरपल जख्म मेरे रोज़ नए हो जाते है पल पल..!! सहम सा जाता हूँ लोगों का सवाल सुनकर ना पूछा कर क्या कर रहा है आज कल ? ना देश लूट रहा हूँ, ना देश चला रहा हूँ ना हत्या कर रहा हूँ, ना फरेब कर रहा हूँ..!! ना कोई गुनाह किया हूँ, ना गुनहगार हूँ रोजगार की तलाश करता मैं बेरोजगार हूँ..!! आखिर ये सवाल क्यों पूछते है लोग मुझसे क्या रिश्ता है जमाने में उनका और मुझसे..!! ...
सफर जिंदगी का
कविता

सफर जिंदगी का

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** खुद की लडाई खुद को लड़ना पड़ता है, राहें कठिन हो फिर भी चलना पड़ता है..!! थम जाने में नहीं है अस्तित्व किसी का, अस्तित्व बचाने के लिए चलना पड़ता है..!! कभी दूर तो कभी पास रहना पड़ता है, कभी मिलना, कभी बिछड़ना पड़ता हैं..!! कभी कुछ पाना तो कभी खोना पड़ता है, कभी हँसना तो कभी रोना पड़ता है..!! खुशियाँ और गम तो आएंगे जिंदगी में, कभी ख़ुशी, तो कभी गम सहना पड़ता है..!! कभी टूटना तो कभी जुड़ना पड़ता है, कभी चलना तो कभी रुकना पड़ता है..!! परिंदों कि तरह हर सुबह जगना पड़ता है, सूरज कि तरह हर शाम ढलना पड़ता है..!! जिंदगी की सफर में रोज़ निकलना पड़ता है मोड़ आए राहों में तो मुड़ना पड़ता है..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्र...
कर्म से किस्मत लिखें हम
कविता

कर्म से किस्मत लिखें हम

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** जंग अपनी थी जंग लड़े हम लड़ के खुद सम्हल गए हम..!! दर्द था दिल में जताया नहीं अश्क आँखों से बहाया नहीं..!! राहें अपनी खुद गड़कर हम बाधाओं से खुद लड़कर हम..!! लक्ष्य मार्ग पर बढ़कर हम..!! सफल हुए मेहनत कर हम..!! किस्मत पर भरोसा किए नहीं कर्म से किस्मत लिख दिए हम..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी मे...
अग्निवीर बन जाओ तुम
कविता

अग्निवीर बन जाओ तुम

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** उठो जागो और भागो तुम सुख,चैन को त्यागो तुम देशहित में मर मिटने को अग्निवीर बन जाओ तुम आपस मे लड़ने से बेहतर देश के काम आओ तुम देकर अपना खून देश को अग्निवीर बन जाओ तुम दुश्मनो से टक्कर लेने सीमा पर डट जाओ तुम दुश्मन को मार भगाकर अग्निवीर बन जाओ तुम देश की रक्षा करते करते दुश्मनो से लड़ते लड़ते देश का यश गाओ तुम अग्निवीर बन जाओ तुम परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानिय...
अपना गम
कविता

अपना गम

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** पास आकर बैठो तो बताएंगे अपना गम दूर से पूछोगे तो कहेंगे बहुत खुश है हम..!! घर की तलाश में घर छोड़ आए है हम, अपने ही घर से मानो बेघर हो गए हम..!! चार पैसे कमाने गांव से शहर क्या आ गए लोगों की नजरों में मेहमान बन गए हम..!! न गांव के रहे अब ना शहर के रहे हम मेहमान की तरह जिंदगी बिता रहे है हम…!! शहरों तक नहीं आती मिट्टी की खुशबू, गांव की मिट्टी से बहुत दूर आ गए हम..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी...
कभी खिलाफ थे…
कविता

कभी खिलाफ थे…

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** कभी खिलाफ थे, इश्क में जुदाई के हम ! आज दर्द जुदाई के, गुलाम हो गए हम..!! ना जी सकते है, न मर सकते है हम ! दर्द जुदाई का, बया न कर सकते है हम..!! देखे थे सपने बनाने को उन्हें हम-दम ! सपने तो आज भी है, पर टूट गए हम..!! साथ मिलकर पेड़ो में लिखे थे जो नाम ! वो नाम आज भी है, पर छूट गए हम..!! ना अपना, ना पराया कह सकते है उन्हें ! साथ जीने मरने की कसमें खाए थे हम..!! कभी पास थे उनके, अब दूर हो गए हम इश्क की गलियों में, मशहूर हो गए हम..!! साथ मिलकर बिताये है हमने जो लम्हें याद कर उन्हें अश्क में डूब जाते है हम..!! इश्क से पहले रंगीन थी जिंदगी हमारी ! अब जिंदगी तो है, पर रंगहीन हो गए हम..!!! कैसे कह दूँ उनसे हमारा वास्ता ना रहा कुछ पल सही साथ तो चलें थे हम…!!! परिचय :- प्रीतम कुमार स...
कभी-कभी मेरे दिल में…
कविता

कभी-कभी मेरे दिल में…

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** कभी-कभी मेरे दिल मे ख्याल आता है क्यों कर बैठा इश्क ये सवाल आता है..!! अकेला था मैं ना कोई साथ था मेरा अब उनकी याद क्यों हर वक्त आता है..!! ना तालुक था कभी इन आँसुओं से मेरी अब आँसुओं की क्यों शैलाब आता है..!! कही डूब न जाऊँ आँसुओं की दरिया में तैराक हूँ पर आँसुओं में तैरना नहीं आता है..!! ना याद करता हूँ ना यादों में समाया है फिर यादें उनकी क्यों बेहिसाब आता है..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्...
शहर से अलग है, गांव के घर
कविता

शहर से अलग है, गांव के घर

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** शहर से अलग है गांव के घर घास मिट्टी से बने है घर !! बर पीपल के छांव में घर लगते सुंदर न्यारे घर !! तुलसीचौरा सबके घर, गौ माता पूजे घर घर !! पशुओं को भी घर में रखते, हरदम उनकी सेवा करते ! गोबर से घर आँगन लिपते, स्वच्छ सुंदर घर है दिखते ! कोसो दूर बीमारी रहते, घर से दूर शौचालय रखते ! दादा परदादा साथ में रहते, आपस में सब बाते करते ! रिश्ते नाते साथ निभाते, गीत ख़ुशी के सब है गाते !! मम्मी, चाची पारस करते, बैठ जमी में खाना खाते! बंद दरवाजा कभी ना रखते, मेहमानों का आदर करते ! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी क...
यादें मेरे गांव के
कविता

यादें मेरे गांव के

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** यादें मेरे गांव के आने लगे हैं, मिट्टी मेरे गांव के बुलाने लगे है बचपन की यादें, बसी हैं गांव में, खेले हैं खेल बरगद की छांव में यादें मेरे गांव के आने लगे है...! पहली बारिश में जमकर नहाना घर की छत से पतंग को उड़ाना नदि, नहर में डुबकियाँ लगाना कागज की नाव पानी में बहाना यादें मेरे गांव के आने लगे है...! रेत में अपना आशियाना बनाना किचड़ में मस्ती से खेल खेलना हाथो से मिट्टी के खिलौने बनाना बरगद के बरोह में झूला झुलना यादें मेरे गांव के आने लगे है...! पेड़ो, पौधों में पक्षी का चहकना घर आंगन में तुलसी का महकना गर्मी में घर के आँगन में सोना ठण्ड के दिनों में अलाव जलाना यादें मेरे गांव के आने लगे है...! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीस...
मेरा वजूद
कविता

मेरा वजूद

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** मिलेगा  गम  तो खुशियों  में  बदल देंगे ! खुशियों के सौदागर है, गम के खरीददार नहीं !! खुश है और खुश रहकर हम खुशियाँ बांटेंगे ! लूट ले मेरी खुशियाँ किसी का अधिकार नहीं !! लोगों  को  खैरात में  हम खुशियाँ  दे देंगे ! माँगे किसी से  खुशियाँ  हम तलबगार नहीं !! ना दिखाओ ज़ख्म  जमाने को, दर्द ही मिलेंगे ! मिटा सके ज़ख्म मलहम का कारोबार नहीं !! ये जालिम  जमाना  है यहाँ गम ही मिलेंगे ! दे दे  रंज भर सुकून हमें, कोई वफादार नहीं !! आएंगे   बुरे  वक़्त  तो सामना कर लेंगे ! वक़्त  के सिपाही  हैं कोई  गुनहगार नहीं !! इतिहास के  पन्ने  है  हम, लोग पलटते रहेंगे ! मिट जाए  वजूद  मेरा  मैं अखबार  नहीं !! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेर...
नजरें ना झुकाया कर
कविता

नजरें ना झुकाया कर

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** लेकर हाथों में लाल गुलाब न चला कर ! दिल की बात दिल में रख न जला कर !! नजरें मिला के यूँ नजरें ना झुकाया कर ! इश्क है हमसे तो लफ्जों में बयां ‌‌ कर !! हम तेरे दीदार को तड़पते है रात दीन ! आसमां में चांद सा यूँ ना छिप जाया कर !! दिल की बात दिल में ना दबा के रख ! शिकायत है मुझसे तो सरे आम कहा कर !! बेवजह मेरे ख्वाबों में तू न आया कर ! चैन से सोने दे नींद से न जगाया कर !! मुलाक़ात करना है तो मिलो हमसे आकर ! दरवाजा खुला है घर में आ जाया कर !! इश्क नहीं है तो इश्क का इजहार न कर ! वक्त कीमती है! मुहब्बत में बेकार न कर !! लाखों अजमा चुके है किस्मत इश्क कर ! खाकर ठोकर संभल चुके है लोग इश्क कर !! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र ...
यूँ ही नही मिलती मंजिल
कविता

यूँ ही नही मिलती मंजिल

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** यूँ ही नही मिलती मंजिल, सतत चलना पढ़ता है कोशिशे बार-बार हमें अनवरत करना पढ़ता है. मेहनत दिन-रात कर, लक्ष्य के मार्ग पर, लोगों से लड़ कर, राहें अपनी गड़ कर. चलना पढ़ता है........!! सपने को साथ लिए, जोश और जुनून. लिए, जीत का लक्ष्य लिए, हार कर भी जीत के लिए. चलना पढ़ता है........!! कांटों भरी इन राहों में संघर्ष की इन मैदानों में सुखों का त्याग कर, लक्ष्य अपनी साध कर, चलना पढ़ता है.......!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाश...
बेटियाँ है वरदान ईश्वर का..
कविता

बेटियाँ है वरदान ईश्वर का..

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** अश्क बहाया करते थे बेटियों के जन्म लेने से.! माँ भी सहमी रहती थी बेटियों को जन्म देने से..!! बेटियों को बदनसीब, बेटों को नसीब समझते थे.! बित गया वो दौर जो बेटों की चाहत रखते थे..!! बेटियाँ अब कमजोर नहीं बेटों के संग चलते है.! बेटा बेटी दोनों समान इनका अनुसरण करते है..!! बेटियाँ है वरदान ईश्वर का, देवी से वो कम नहीं.! लाख मुसीबत सहकर भी, होती आंखे नम नहीं..!! सफलता के शिखर पर बेटियां परचम लहराते है.! ऊंचे पर्वतों को लांघकर बेटियाँ तिरंगा फहराते है..!! देश की रक्षा करने बेटियाँ, दुश्मन से टकराते है.! मातृभूमि की रक्षा करते तिरंगे पर लिपट जाते है..!! बेटियों ने बदल दिए रीति-रिवाज हिंदुस्तान की.! बाप की अर्थी को कंधा देते बेटियाँ हिंदुस्तान की..!! गर्व है इन बेटियों पर जो कंधे मिलाकर चलते है.! अ...
पिंजरे के परिंदे
कविता

पिंजरे के परिंदे

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** आकाश में उड़ते परिंदे को तुम किस गुनाह की सजा देते हो..! अपने खुशियों के खातिर तुम पिंजरे में कैद कर लेते हो..!! अपनों से उन्हें तुम करके दूर पिंजरे में कैद क्यों करते हो..! उनका भी अपना एक जीवन है उन्हें जीने क्यों नहीं देते हो..!! इंसान हो तुम, इंसान ही रहो दानव सा काम क्यों करते हो..! उड़ने की उन्हें भी आजादी दो हक उनका तुम क्यों छीनते हो..!! बंद पिंजरे में तड़पते परिंदे, तरस नहीं तुम खाते हो..! आकाश में उड़ते परिंदे को तुम किस गुनाह की सजा देते हो..!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्री...
मिलकर उन्हें करें नमन
कविता

मिलकर उन्हें करें नमन

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** (१५ जनवरी थल सेना दिवस) आओ मिलकर उन्हें करें नमन जिनके लिए सब कुछ है वतन..! देश की रक्षा के लिए जिन्होंने निछावर कर दी तन और मन…!! घर से दूर वतन के लिए लड़ते मुश्किलों से लड़कर आगे बढ़ते..!! देकर दुश्मनों को जंग में मात भारत माँ की हिफाजत करते..!! आओ मिलकर उन्हें करें नमन जिनके लिए सब कुछ है वतन..! सरहद में दुश्मन से टक्कर लेते तिरंगे को कभी झुकने न देते..!! ठंडी,गर्मी और बरसात को सहते ईट का जवाब, पत्थर से देते ..!! दुश्मनों की गोली सीने में खाकर अपने वतन को महफूज रखते.है.!! आओ मिलकर उन्हें करें नमन जो देश के लिए कुछ करते है परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्...
वक़्त की गाड़ी
कविता

वक़्त की गाड़ी

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** वक़्त की गाड़ी है वक़्त के  साथ चलेगा ! उगता हुआ सूरज भी शाम को   ढलेगा !! ज़ख्म है जिस्म में तो मल हम भी मिलेगा ! आज है ख़ुशी तो  कल गम भी मिलेगा  !! बागों में कलिया है तो फूल भी खिलेगा ! महकेगा चमन तो कभी कांटे भी चुभेगा !! कभी जीत मिलेगा तो कभी हार मिलेगा ! कभी पतझड़ मिलेगा तो कभी बहार मिलेगा !! कर रहे हो  मेहनत  तो  फल भी मिलेगा ! दुनिया में हर समस्या का हल भी मिलेगा !! थक कर ना बैठ ऐ मंजिल के मुसाफिर ! आज नहीं तो कल  मंजिल  भी  मिलेगा !! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक ...
करना है मुहब्बत तो …
कविता

करना है मुहब्बत तो …

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** करना है मुहब्बत तो वतन से करो यारों माशूका के मुहब्बत में, रखा ही क्या है..!! देकर छणिक सुख लूट लेगी तेरी खुशियाँ मिलेगा गम, तड़प, कशिश, ताउम्र मेरे यारों..!! इश्क में दिल तोड़ने की फितरत है उनकी टूट जाए गर दिल तो गम ना करना यारों..!! करना है मुहब्बत तो वतन से करो यारों…. करेंगे लाख वादे साथ जीने मरने की ताउम्र वादे से मुकरने की पुरानी फितरत है यारो..!! ना कर मोहब्बत उनसे कदर न कर पाएगी साथ तेरा छोड़ गैर को गले लगाएगी यारों..!! करना है मुहब्बत तो वतन से करो यारों…. इश्क में तुम्हें करके बर्बाद,खुद आबाद रहेगी बना के तुम्हें इश्क में गुलाम आजाद रहेगी..!! ना अपनायेगी तुझे तेरी दौलत खोने के बाद थाम लेगी दामन किसी दौलतमंद का यारो..!! करना है मोहब्बत तो वतन से करो यारों…. कत्ल तेरा करके इल्जाम तुम...
बेटा-बेटी दोनों समान
कविता

बेटा-बेटी दोनों समान

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** खुदा ने तो इंसान बनाया इसमें न तुम मतभेद करो बेटा बेटी है दोनों समान इसमें न तुम भेद करो जीस राह पे रख सकते हैं बेटा अपनी पहली कदम उसी राह पर रख सकते हैं बेटियां भी दमदार कदम बेटियां है संतान खुदा की कमजोर क्यों समझते हो बेटों को तुम आजादी देते बेटियों का हक़ छिनते हो आये ना कुछ काम बेटियां यह सोच अब बदलना है मैदान ए जंग में बेटियां भी बेटों के संग अब लडता है संघर्ष के हर पथ पर देखो बेटों ने कई जख्म खाएं हैं इतिहास गवाह देता है देखो बेटियां भी तलवार उठाए है परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आद...
किस्मत के भरोसे मत बैठो
कविता

किस्मत के भरोसे मत बैठो

प्रीतम कुमार साहू लिमतरा, धमतरी (छत्तीसगढ़) ******************** जीवन पथ पर लड़ सकते हो आगे तुम भी बढ़ सकते हो त्याग दो आलस का दामन किस्मत के भरोसे मत बैठो….!!! मिला नहीं उसे ला सकते हो श्रम कर आगे बढ़ सकते हो जो चाहो तुम पा सकते हो किस्मत के भरोसे मत बैठो…...!! रगो में साहस भर सकते हो मुसीबतों से लड़ सकते हो दौड़ नहीं तो चल सकते हो किस्मत के भरोसे मत बैठो….!! सूरज सा निकल सकते हो लक्ष्य हासिल कर सकते हो इतिहास नया तुम गड़ सकते हो किस्मत के भरोसे मत बैठो….!! परिचय :- प्रीतम कुमार साहू (शिक्षक) निवासी : ग्राम-लिमतरा, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़)। घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित कर...