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तुम्हारे रास्ते से
कविता

तुम्हारे रास्ते से

प्रिया सिंह लखनऊ (उत्तर प्रदेश) ******************** तुम्हारे रास्ते से ज़िन्दगी आबाद बाबूजी। इसी दर्जा मिरी करते रहें इमदाद बाबूजी।। मिरे जीवन में उन का मर्तबा इतना मुक़द्दस है, ख़ुदा सब से है आला और ख़ुदा के बाद बाबूजी।। मुसीबत से हमेशा आपने लडना सिखाया है, कहीं देखा नहीं है आप सा उस्ताद बाबूजी।। मिरे अंदर नहीं था कुछ जिसे मख्सूस कहते सब बदोलत आपके फिर भी मिली है दाद बाबूजी हमेशा सर पे मेरे आपका ही दस्ते शफ़क़त है करूँ फिर क्यों भला मैं ग़ैर से फ़रियाद बाबूजी परिचय :-  प्रिया सिंह निवासी : लखनऊ, (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहा...