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सौ जन्म भी कुर्बान जिसकी मुस्कान पर
कविता

सौ जन्म भी कुर्बान जिसकी मुस्कान पर

प्रशान्त मिश्र मऊरानीपुर, झांसी (उत्तर प्रदेश) ******************** सौ जन्म भी कुर्बान जिसकी मुस्कान पर। उसने कभी मुझको, गले लगकर नहीं देखा। खामोश लब हैं, और हम कुछ कह नहीं सकते। उसने अभी तक हाल ए दिल मंज़र नहीं देखा। रोता हूं मैं भी अक्सर, खामोश रात को। उसने कभी भी गौर से बिस्तर नहीं देखा। जिसके भी मन में आया, ज़ख्म देता ही गया। मैंने भी जान बूझकर खंजर नहीं देखा। उसके लबों पे हर तलक मुस्कान ही रहे। मैंने स्वयं का हाल ए दिल बंजर नहीं देखा। परिचय :-  प्रशान्त मिश्र निवासी : ग्राम पचवारा पोस्ट पलरा तहसील मऊरानीपुर झांसी उत्तर प्रदेश शिक्षा : बी.एस.सी., डी.एल.एड., एम.ए (राजनीतिक विज्ञान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र क...
बेवजह तुम कभी …
कविता

बेवजह तुम कभी …

प्रशान्त मिश्र मऊरानीपुर, झांसी (उत्तर प्रदेश) ******************** बेवजह तुम कभी मुस्कुराया करो, मेरे सपनों में हर रोज आया करो। ये जरूरी नहीं चांदनी रात हो, अपनी यादों के दीपक जलाया करो। नफरतों की गली से कब गुजरना पड़े, प्रेम के गीत हर रोज गाया करो। जब कभी भी बिछड़ने के हालात हों, मुस्कुराकर गले से लगाया करो। जब कभी भी हमारी मुलाकात हो, सारे शिकवे गिले भूल जाया करो। मेरे हर लब्ज़ में तुम रहो बस सदा, तुम मुझे भी कभी गुनगुनाया करो। मैं कभी भी न पूरा तुम्हारे बिना, तुम अधूरा न मुझको बताया करो। हम बुरे ही सही,पर हैं आपके, प्रेम ऐसे ही हम पर लुटाया करो। परिचय :-  प्रशान्त मिश्र निवासी : ग्राम पचवारा पोस्ट पलरा तहसील मऊरानीपुर झांसी उत्तर प्रदेश शिक्षा : बी.एस.सी., डी.एल.एड., एम.ए (राजनीतिक विज्ञान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है...
जीवन के नित संघर्षों में
कविता

जीवन के नित संघर्षों में

प्रशान्त मिश्र मऊरानीपुर, झांसी (उत्तर प्रदेश) ******************** कुछ सपने थे जो टूट गए, कुछ अपने थे जो रूठ गए। जीवन के नित संघर्षों में, हम कांच सरीखा टूट गए। जब बिखरे तो ऐसे बिखरे, फिर एक कभी भी हो न सके। माला के मोती मंहगे थे, हम पक्का धागा हो न सके। जब वक्त हुआ की हार बनूं, मैं भी उनका श्रृंगार बनूं। कच्चे धागे को तोड़ दिया, वो सारे मोती लूट गए। कालचक्र के घड़ी की सुइयां, कुछ ऐसे ही चलती है। गिरगिट तो बदनाम है केवल, दुनियां रंग बदलती है। जिसको चाहा उसको खोया, हंसना चाहा हरदम रोया। रिश्ते नाते बने भी ऐसे, चंद क्षणों में टूट गए। हम रात जगे और दिन जागे, जितना जागे उतना भागे। हम समय का पीछा कर न सके, हम पीछे वो हरदम आगे। जो चाहा था वो नहीं मिला, जो वक्त ने चाहा वही मिला। पाने खोने की विरहन में, आंखों से आंसू छूट गए। कुछ जीत मिली, कुछ हार मिली, पर...
हमें वो याद आते हैं
कविता

हमें वो याद आते हैं

प्रशान्त मिश्र मऊरानीपुर, झांसी (उत्तर प्रदेश) ******************** जरा सी बात से अक्सर, हम इतना टूट जाते हैं। वो हमको भूल बैठे हैं, हमें वो याद आते हैं। हमारी गिनती होती है, शहर के गुनहगारों में, गलतियां कोई करता है, सजा बस हम ही पाते हैं। वो अब तक मुझसे रूठा है, कोई उसको मनाओ अब, वहां वो रूठ जाते हैं, यहां हम टूट जाते हैं। ज़माने की हकीकत को अभी तुम जानते हो क्या, जिन्हें हम दिल से चाहेंगे, वही अक्सर रुलाते हैं। मेरे सारे गुनाहों की सजा मुझको मुनासिब हो, वो मेरी खातिर क्यूं तड़पे, जिसे हम ही सताते हैं। यहां हम छोटी बातों को लगाकर दिल से बैठे हैं, वो अक्सर दिल से रोते हैं, मगर सबसे छुपाते हैं। मैंने इन चंद छंदों में है दिल का दर्द लिख डाला, पढ़कर तुम भुला देना, हम लिखकर भूल जाते हैं। परिचय :-  प्रशान्त मिश्र निवासी : ग्राम पचवारा पोस्ट पलरा तहस...
जीवन की कठिन परीक्षा में
कविता

जीवन की कठिन परीक्षा में

प्रशान्त मिश्र मऊरानीपुर, झांसी (उत्तर प्रदेश) ******************** जीवन की कठिन परीक्षा में, अब वो ही अव्वल आएंगे। जो खुद से रोज़ लड़ेंगे अब, खुद को ही रोज हराएंगे। इसलिए कभी फूलों की खातिर, घर से नहीं निकलता हूं। कांटों की सेज बना ली है, अब कांटों पर ही चलता हूं। ये देख तमाशा दुनिया का, मैं अंदर से घबराया हूं। औरों की खातिर अपना हूं, अपनों के लिए पराया हूं। अब इस छोटे से जीवन को, तन्हां ही सही जिया जाए। औरों को खुशियां दी जाएं, अपनों का दर्द लिया जाए। मैं नहीं कभी अब रोऊंगा, ऐसा संकल्प लिया जाए। मेरी खातिर जो रोया है, खुश उसको आज किया जाए। परिचय :-  प्रशान्त मिश्र निवासी : ग्राम पचवारा पोस्ट पलरा तहसील मऊरानीपुर झांसी उत्तर प्रदेश शिक्षा : बी.एस.सी., डी.एल.एड., एम.ए (राजनीतिक विज्ञान) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौ...
वीर सपूत
गीत

वीर सपूत

प्रशान्त मिश्र मऊरानीपुर, झांसी (उत्तर प्रदेश) ******************** देश के प्यारे वीर सपूतों तुमको मेरा सलाम। देश की खातिर लड़ते लड़ते दे दी अपनी जान। इससे प्यार है मुझको, इससे प्यार है मुझको। गलत बात से दूर रहो तुम यही हमारा नारा है, भारत प्यारा देश हमारा सारे जहां से न्यारा है। प्यारे भारत देश के हित में सरस प्रेम फैला दें, दुश्मन के ऊपर हम मुसीबत के पत्थर बरसा दें। देश की खातिर मर मिट जाएं दे दें अपनी जान। इससे प्यार है मुझको, इससे प्यार है मुझको। भारत मां के चरणों में हम शीश काट कर रख दें, जिसने हम पर आंख उठाई उसे काट कर रख दें। भगत सिंह के वंशज हैं हम दुश्मन को समझा दें, और कारगिल विजय दिवस की उनको याद दिला दें। प्यारे भारत देश की खातिर हो जाएं कुर्बान। इससे प्यार है मुझको, इससे प्यार है मुझको। परिचय :-  प्रशान्त मिश्र निवासी : ग्राम पचवारा पोस्...
गज़ल, तरानों से …
कविता

गज़ल, तरानों से …

प्रशान्त मिश्र मऊरानीपुर, झांसी (उत्तर प्रदेश) ******************** १. गज़ल, तरानों से जिंदगी नहीं संभलती यारो, फिर भी ये मरहम है, दर्द ए दिल को ठीक करने के लिए। दुनिया को जीतकर कितने सिकंदर बन गए, सिकंदर तो वो हैं जो हार गए अपनों के लिए। २. गजलें, गीत, नज़्में बहुत रूहानी होते हैं, किसी का दर्द कहते हैं, किसी की कहानी होते हैं। जो लोग झोपड़ी में रहकर, महलों को मोहब्बत का पैग़ाम सुना दें, वो लोग ही अक्सर दिलों से खानदानी होते हैं। ३. जिंदगी को कभी हंसकर कभी रोकर गुजारना पड़ता है। हर जीत जरूरी नहीं जीवन के लिए, कभी अपनों के लिए हारना पड़ता है। जीवन के हार जीत दो पहलू हैं, जिसे स्वीकारना पड़ता है। मन के मानने से हर चीज़ हासिल नहीं होती, क्यूंकि कभी-कभी मन को भी मारना पड़ता है। ४. दुनिया को जीतकर सिकंदर तो बन जाओगे, लेकिन अपनों को कैसे जीत पाओगे। अपन...