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गौ माता
कविता

गौ माता

पूनम ’प्रियश्री’ प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) ******************** ’गौमाता’ एक प्यारा सा शब्द एक अटूट सा रिश्ता पर हो जाता व्यथित मन देख इनकी दुर्दशा । एक गहरा ज़ख्म एक रिसते घाव घूमती गली–गली होकर लाचार । देती थी जब दूध तो पाती लाड दुलार अब देखो खाती कितनों की ही मार। माना किसान का करती फसल नुकसान पर उसकी ऐसी सजा तूं जानवर है या इंसान । माना कि नहीं हैं सब एक से पर होनी चाहिए गौ रक्षा देश से । ’गाय बचाओ’ का जब गूंजेगा संदेश तभी मिटेगा गौ माता का क्लेश। परिचय :-  पूनम ’प्रियश्री’ निवासी : प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) सम्प्रति : प्रधानाध्यापिका काव्य विशेषता : काव्य में स्त्री प्रधानता और प्रेम की प्रगाढ़ता। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ले...