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Tag: पुरु शर्मा

उजालों की निशानी
ग़ज़ल

उजालों की निशानी

पुरु शर्मा अशोकनगर (म.प्र.) ******************** . उजालों की निशानी संभाले रखना उम्मीदों की लौ जलाऐ रखना गुजरेंगी मुश्किलों की हवाएँ भी बस होठों पे मुस्कुराहट बनाएँ रखना मंजिलें मुकम्मल होंगी जरूर, बस सदाक़त का सफ़ीना थामे रखना ग़र हैं बेसबब मोहब्बत वतन से तो अमन-ए-पैगाम बनाए रखना यह धरती हैं माँ का आँचल इसकी आन को संभाले रखना . परिचय :-  पुरु शर्मा निवास : बहादुरपुर, जिला - अशोकनगर (म.प्र.) कई समाचार पत्रों में लेख व कविताएँ प्रकाशित, निरंतर लेखन कार्य जारी। वर्तमान में भोपाल में स्नातक की पढाई में अध्ययनरत आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...
लौटना चाहता हूँ
कविता

लौटना चाहता हूँ

********** पुरु शर्मा अशोकनगर (म.प्र.) . लौट जाना चाहता हूँ दोबारा बचपन की उन संकरी सी तंग गलियों में जिनमें सिमटा था जहां सारा समेटना चाहता हूँ उस गली में बिखरे यादों के पत्तों को और सुनना चाहता हूँ उन पत्तों की खड़खड़ाहट का मधुर संगीत महसूस करना चाहता हूँ दोबारा उस गली में गूँजते पदचिन्हों की चाप, देखना चाहता हूँ दोबारा उस बरगद पर चिड़ियों का डेरा जिसकी डालों पर झूलते बीता बचपन मेरा . जाना चाहता हूँ उस गली के अंतिम छोर तक और पार करना चाहता हूँ दोबारा उस पुराने घर की मीठी दहलीज को जिसे लाँघ कर गया था कड़वाहटों की दुनिया में . खोलना चाहता हूँ सालों से बंद जर्जर किवाड़ अपने अंतर्मन के जिनमें कैद हैं वक्त की मार से झुक चुके पंछी कई खटखटाना चाहता हूँ बंद कमरे की खिड़की को और ढूढ़ना चाहता हूँ दुबारा उन्ही चारदीवारों में खुद को चढ़ना चाहता हूँ दोबारा उस छत की मुंडेरों पर जहाँ सूर्य स...