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सबसे न्यारी है मेरी माँ
कविता

सबसे न्यारी है मेरी माँ

पारस चवदहिया बाड़मेर (राजस्थान) ******************** मेरी माँ प्यारी जग मे सबसे न्यारी है मेरी माँ खुद भुखी सोती है हमे खिलाती है मेरी माँ! न जाने यह कैसा अनमोल रत्न है मेरी माँ मुझे रुठे किस्सो पर हंस कर बतलाती है मेरी माँ !! मेरे दिल की परी है अपनी बात पर खरी है मेरी माँ मेरे दिल ने कह दिया उसने न मांगे दे दिया ! वह गिले पर सोती है हमे सुखे मे सुलाती है मेरी माँ अपने लहु का कण-कण एक करके दुध पिलाती है मेरी माँ!! अपने जीवन की सारी खुशिया मुझे देती है मेरी माँ मा यह सब कैसे करती हैं मेरी माँ! मेरे बुलन्द हौसलो को उडान देती हैं मेरी माँ मेरी टुटी हर उम्मीद फिर से जगा देती हैं मेरी माँ!! जब दुर तेरे से होता हु मेरी मा सच कहु तो रोना होता हैं मेरी माँ! हर ख्वाहिश पूरी कर लेती हो मेरी माँ सच की राह पर चलना सिखाया हैं तूने मेरी माँ जीवन चलाने का सही पथ बताया तूने मेरी ...