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Tag: पवन मकवाना

ऐ जिंदगी….
कविता

ऐ जिंदगी….

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** मुझ पर विश्वास तो कर ऐ जिंदगी, मैं तुझ से खफा नहीं। लोग समझते हैं तू बेवफा हो गई, मगर तेरी रजा है ही निराली, जिसने जैसे तुझे अपनाया, तू उसके लिए वैसी ही बन गई ऐ जिंदगी। किसी के लिए स्वप्न तो किसी के लिए रंंगमच बन गई जिंदगी। तू किसी के लिए गमों का खारा सागर तो किसी के लिए प्यार का गीत बन गई ऐ जिंदगी। किसी के लिए संघर्ष तो किसी के लिए पुष्पों की सेज बन गई जिंदगी। इंसान का असली चेहरा दिखाने के लिए आईना बन गई ऐ जिंदगी। किसी के लिए अभिशाप तो किसी के लिए वरदान बन गई जिंदगी। सच कहूँ तो हमने तुझे जीना सीखा ही नहीं ऐ जिंदगी। जीने का जज्बा ग़र दिलों में जगा हो, संघर्षों और मुफलिसी के अंधकार को आशाओं की किरणो से प्रकाशित कर, बुलंद हौसलों की उड़ानों से नित नए मार्ग प्रशस्त करती है जिंदगी। हस...
जमीं पर नहीं पैर मेरे!
कविता

जमीं पर नहीं पैर मेरे!

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** जाने क्यों आज, जमी़ पर नहीं पैर मेरे ! मैं होंसलों के पंख लगा, एक नई उडा़न भरना चाहती हूँ नील गगन में। मैं पंछी बन स्वच्छंद, ऊँचाइयाँ चूमना चाहती हूँ नील गगन में। मीलों दूर चली जाऊंँ अनंत आकाश में, खिसक न जाए जमीं पैरों से मेरे, मैंआना चाहती हूँ पुनः घरोंदों में, पैर सदा रहें जमी पर मेरे। जाने क्यों आज जमी पर नहीं पैर मेरे! सागर में गहराई जितनी हृदय में इतनी थाह ले, जीवन का हर संघर्ष मैं जीतना चाहती हूँ जिंदगी के बाद भी अस्तित्व मेरा बना रहे, पैर सदा रहें जमीं पर मेरे। जाने क्यों आज ज़मीं पर नहीं पैर मेरे! मैं अतीत, मैं वर्तमान हूँ, मैं जननी भविष्य की हूँ, मेरी संतति, मेरी संस्कृति मेरेअस्तित्व की जड़ें सागर की गहराई सी. जमी रहें हर काल में, उपस्थिति सदा रहे मेरी, नीलाम्बर की ऊँचाइयो...
ऐ दुनिया वालो
कविता

ऐ दुनिया वालो

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** ना खुरचो परत मेरे जख्मों से ऐ दुनिया वालो। ब-मुश्किल फरेरा किया है मैंने गमों के जख्मों को, ये गहरे घाव न बन जाएंँ तुम्हारी बेरूखी से, ऐ दुनिया वालो। बार बार गिरा हूँ लड़खड़ाया हूँ, मगर चौखट पर आकर उसकी फिर संभला हूँ, ऐ दुनिया वालो। मुझे सहारा दे देना मैं रुह को अपनी रब से मिलाने आया हूँ ऐ दुनिया वालो। परिचय :-  प्रभात कुमार "प्रभात" निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत शिक्षा : एम.काम., एम.ए. राजनीति शास्त्र बी.एड. सम्प्रति : वाणिज्य प्रवक्ता टैगोर शिक्षा सदन इंटर कालेज हापुड़ विशेष रुचि : कविता, गीत व लघुकथा (सृजन) लेखन, समय-समय पर समाचारपत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कव...
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् धार का “अनूप सारस्वत सम्मान” एवं काव्य समारोह संपन्न।
साहित्यिक

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् धार का “अनूप सारस्वत सम्मान” एवं काव्य समारोह संपन्न।

धार/नौगांव। अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला इकाई धार के तत्वावधान में कविवर स्व. बाबू लाल परमार 'अनूप' नौगाँव धार की समृति में दिनांक १५ मार्च २०२२ को आयोजित तृतीय "अनूप सारस्वत सम्मान एवं काव्य समारोह" प्रसिद्ध ग़ज़लकार श्री नवीन माथुर "पंचोली" अमझेरा के मुख्य आतिथ्य, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच के संस्थापक श्री पवन मकवाना इन्दौर की अध्यक्षता, रेनेसा यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष, दिव्योत्थान एजुकेशन एण्ड सोशल वेलफ़ेयर सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ. दीपमाला गुप्ता इन्दौर के विशिष्ट आतिथ्य में श्री गुजराती रामीमाली धर्मशाला नौगाँव के सभागार में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन, पूजन एवं माल्यार्पण से हुआ। सरस्वती वन्दना कवयित्री श्रीमती आभा "बेचैन" ने सस्वर प्रस्तुत की। तत्पश्चात अखिल भारतीय स...
लो आ गई होली
कविता

लो आ गई होली

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** लो आ गई होली मन में है उल्लास दिलों मे भरा उत्साह आओ हम सब खेलें होली। लो आ गई होली हर घर-आँगन गाँव-मढैया होली गावें हर गाँव गवैया वृंदावन की कुंज गलिन में प्रेम रंग में रंगकर होली खेलें रास रचैया भक्ति रस में डूब-डूबकर आओ हम सब खेलें होली। लो आ गई होली गाँव-नगर चौपाल-क्लब आ गए बालम और कुमार भांग खुमार, रंग, गुलाल बोला सबके सर चढ़कर होली के रंगों में रंग कर आओ हम सब खेलें होली। लो आ गई होली क्या हिन्दू क्या मुस्लिम क्या सिख-इसाई मनमुटाव द्वेष बुराई भुला कर दुनिया को भाईचारे की राह दिखा कर मानवता के रंग में रंगकर आओ हम सब खेलें होली। लो आ गई होली बच्चों की पिचकारी रंगों से भरे गुब्बारे जीवन में भर रहे रंग बारम्बार विविध रंगों से विद्यमान आओ हम सब खेलें होली। लो आ गई होली एक अनोखा...
नियति ही प्रारब्ध है
कविता

नियति ही प्रारब्ध है

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** मत गुमान कर ऐ चाँद अपनी खूबसूरती पर। मत भूल कुछ दाग तो हैं, तेरे भी चेहरे पर। माना कि तेरी चांदनी की बराबरी किसी से नहीं, तेरे मुखमण्डल की आभा किसी से छिपी नहीं, पूर्णिमा की रात- चाँद की शीतलता किसी से सिमटी नहीं। कैसा विधि का विधान है महाकाल के ललाट पर गंगा की भांति मिला सम्मान है। किंतु यह भी सत्य है, प्रति-पल मानो अस्तित्व तेरा घटने लगता है, खूबसूरती का खुमार (रंग) प्रति क्षण उतरने लगता है। तिमिर अमावस्या की रात का, चंद्र की चांदनी को आगोश में ले लेता है, देखकर व्यथा तेरी हृदय सिहर उठता है। यह नियति ही है शून्य की गोद में समाने तक निरंतर घटना, किंतु हार न मानना, फिर प्रति पल संपूर्णता (यौवन) की ओर निरंतर आगे बढना। सुख-दुख, उतार-चढ़ाव यश-अपयश मानो जीवन चक्र है, सुर, जीव, मनुज सब नियति ...
आ गया ऋतुराज बसंत
कविता

आ गया ऋतुराज बसंत

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** आ गया ऋतुराज बसंत, मन हो रहा मगन। मनोहर छटा बिखेरता मदमस्त गगन, खिल रहा सूर्यरश्मियों से धरा का मुखमंडल समस्त भूमण्डल बन रहा उत्तम उपवन। पुहुप रस पी-पीकर मधुकर कर रहे गुंजन, बन रहा प्रकृति में सहज संतुलन। आ गया ऋतुराज बसंत मन हो रहा मगन। धारण किया धरा ने पीत वसन, प्रकृति ने किया श्रंगार सहज। आज सज रही ऋतुराज की दुल्हन, मानो कामदेव-रति का हो रहा मंगल-मिलन। आ गया ऋतुराज बसंत, मन हो रहा मगन। परिचय :-  प्रभात कुमार "प्रभात" निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत शिक्षा : एम.काम., एम.ए. राजनीति शास्त्र बी.एड. सम्प्रति : वाणिज्य प्रवक्ता टैगोर शिक्षा सदन इंटर कालेज हापुड़ विशेष रुचि : कविता, गीत व लघुकथा (सृजन) लेखन, समय-समय पर समाचारपत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर प्रकाशन। घोषणा पत्र : मैं यह प्...
मस्तक की बिंदी है हिंदी
कविता

मस्तक की बिंदी है हिंदी

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** भारत मां के मस्तक की बिंदी है हिंदी। भारत मां का अलंकार है हिंदी, भारत मां का शीश सुशोभित करती है हिंदी, देव-भाषा की अनमोल कृति है हिंदी, जन गण मन की शक्ति है हिंदी, भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति है हिंदी, नन्हे मुन्नो की तुतलाई बोली है हिंदी विद्वानों की विद्वता को परिभाषित करती है हिंदी जब-जब इस पर संकट की परछाईं भी दिखती, कलमकारों की कलम से निकली हर हुंकार हिंदी रक्षण में आंदोलन करती, भारत मां के मस्तक की बिंदी है हिंदी। भाषाओं में सर्वोपरि राष्ट्रभाषा है हिंदी हर जन मानस में रची बसी है हिंदी हर भारतवासी को एक सूत्र में बांधती है हिंदी, भारत मां के मस्तक की बिंदी है हिंदी। परिचय :-  प्रभात कुमार "प्रभात" निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत शिक्षा : एम.काम., एम.ए. राजनीति शास्त्र बी.एड. सम्प्रति :...
अंधकार को चीरता सूरज
कविता

अंधकार को चीरता सूरज

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** देखो अंधकार को चीरता सूरज आया। अंधी रातें, काली रातें सर्दी के यौवन में जमती जीवन की राहें। अंधकार ने जब अपने यौवन का जाल बिछाया ठिठुरती सर्दी ने अंधकार को दीनों-दुखियों बच्चों-बूढ़ों का कठिन काल बताया, देखो अंधकार को चीरता सूरज आया। मत घबराओ, मत घबराओ पप्पू-गप्पू,चीनू-लक्की, अम्मा-बाबा, नाना-नानी, नहीं रहा सदा समय एक सा अंधकार अब हुआ है बूढ़ा, यौवन भी इसका हुआ ढला ढला सा। देखो अंधकार को चीरता सूरज आया। काली रातें, बीती रातें भोर हुआ अब नभ जग थल में व्योमनाथ आए लिये रश्मियां संग में मानो प्राणी मात्र को जीवन दान मिला रश्मियों से। सात घोड़ों के रथ में होकर सवार देखो अंधकार को चीरता सूरज आया। नई आशाओं का अंकुर जन्मा, समय भी फिर से अंगड़ाई लेकर नए कलेवर में आया तुमको, मुझको, हमको,...
आओ मिलकर दीप जलाएँ
कविता

आओ मिलकर दीप जलाएँ

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** आओ प्रदूषण रहित दिवाली मनाएं, सबके जीवन में खुशियॉं लाएँ आओ मिलकर दीप जलाएँ। हर घर आँगन चौवारों पे, मन मन्दिर और शिवालयों में, यह रात अमावस्या की धोखा खा जाए, आओ मिलकर दीप जलाएं। किसी झोपड़ी, किसी गली और चौराहे पे, कहीं अंधेरा रह न जाए आओ प्रदूषण रहित दिवाली मनाएँ, सबके जीवन में खुशियाँ लाएँ, आओ मिलकर दीप जलाएँ। नहीं जलाएँगे आतिशबाजी, नहीं जलाएँगे बम धमाके, प्रण ऐसा जन-जन में कर जाएँ, जीवन को न नरक बनाएँ, वातावरण शुद्ध बनाएंँ आओ प्रदूषण रहित दिवाली मनाएँ, सबके जीवन में खुशियाँ लाएँ, आओ मिलकर दीप जलाएँ। अध्यात्म, विज्ञान का लाभ उठाकर, घर आँगन लक्ष्मी बुलाकर, पर्यावरण का दीप जलाकर, राष्ट्र प्रेम का दीप जलाकर, आओ प्रदूषण राहित दिवाली मनाएँ , सबके जीवन में खुशियाँ लाएँ, आओमिलकर दीप ज...
कर्मयोगी बनो
कविता

कर्मयोगी बनो

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** शब्द सारगर्भित हों अंदाज में तुम्हारे स्वाभिमान हो। जिंदगी जीने की कसक हृदय में हो, तो मृत्यु से भयभीत न हो। शांतमन के आकाश में सप्तर्षियों का ज्ञान भरो। कभी भौतिक भटकाव से ग्रसित हो तो आध्यात्म (हृदय) की आकाशगंगा में स्वयं पवित्र हो। राजमहलों में प्रेम न खोजो, जहाँ कुटिलताओंं का जाल बिछा हो, इंद्रधनुषीय रंगों सी छटा बिखेरता निश्छल प्रेम पाना हो तो झोपड़ियों की ओर चलो। तुम निष्काम निस्वार्थ रचनाकार हो गुदड़ी के सपूतों का मर्म रचो। सम्मान में उनके स्वतंत्र कलम तुम्हारी सदैव तत्पर हो। जीवन के महायज्ञ में कर्म को प्रधान जान कर्मयोगी बनो। परिचय :-  प्रभात कुमार "प्रभात" निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत शिक्षा : एम.काम., एम.ए. राजनीति शास्त्र बी.एड. सम्प्रति : वाणिज्य प्रवक्ता टैगोर शिक्षा सदन इ...
मैं क्या हूँ …?
कविता

मैं क्या हूँ …?

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** मैं क्या हूँ ? स्वयं का अहम हूँ, कौन हूँ? पानी का एक बुलबुला हूँ, फिर भी इठला रहा हूँ । क्योंकि मैं "मैं" हूँ।। अपने जीवन और अस्तित्व से भली भांति परिभाषित हूँ , किंतु अहम के आवरण से ढका हूँ। क्योंकि मैं "मैं" हूँ।। अस्तित्व में आने के लिए सदैव कसमसाता हूँ, किंतु काल के गाल में कब समा जाऊं ! यह जानने के लिए, नियति को प्रतिपल मनाता हूँ। क्योंकि मैं "मैं" हूँ।। सहसा क्या देखता हूं ! काल के सम्मुख स्वयं को पाता हूँ संभलना चाहता हूँ, नादानियों का प्रायश्चित करना चाहता हूँ, किंतु संभल ही नहीं पाता हूँ। क्योंकि मैं "मैं" हूँ।। फिर भी सौभाग्यशाली हूँ, अहम को छोड़कर पाप-पुण्य को त्याग कर, जीवन-चक्र को भूलकर, मुक्ति के आगोश में चला जाता हूँ। क्योंकि मैं अब "मैं" नहीं हूँ, पानी का बुलबुला हूँ। कर...
कर्मभूमि के पथ पर
कविता

कर्मभूमि के पथ पर

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** कर्मभूमि के पथ पर चलते-चलते जीवन की इस यात्रा में थक जाऊंँ तो साथ मेरा तुम छोड़ न देना।। सत्कर्म के कठिन मार्ग पर चलते-चलते ठोकर खाकर गिर जाऊंँ तो हाथ मेरा तुम छोड़ न देना।। जीवन संघर्षों से लड़ते-लड़ते लड़खड़ा जाऊँ तो मनोबल मेरा तोड़ न देना।। असत्य, अधर्म, अनीति के चक्रव्यूह में अभिमन्यु की भांँति घिर जाऊँ तो जीवन रण में एकाकी छोड़ न देना।। श्री चरणों में भक्ति करते-करते राह यदि भटक जाऊँ तो शरण में अपनी ले लेना।। परिचय :-  प्रभात कुमार "प्रभात" निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत शिक्षा : एम.काम., एम.ए. राजनीति शास्त्र बी.एड. सम्प्रति : वाणिज्य प्रवक्ता टैगोर शिक्षा सदन इंटर कालेज हापुड़ विशेष रुचि : कविता, गीत व लघुकथा (सृजन) लेखन, समय-समय पर समाचारपत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का निरंतर...
दीप प्रज्वलित करेंगे जरूर
कविता

दीप प्रज्वलित करेंगे जरूर

प्रभात कुमार "प्रभात" हापुड़ (उत्तर प्रदेश) ******************** हम दीप प्रज्वलित करेंगे जरूर। निर्धन, पीड़ित, शोषित की आशा और विश्वास के लिए, असहाय ,मजबूर, निर्बल की सहायता और सहारे के लिए, हम दीप प्रज्वलित करेंगे जरूर। कुव्यवस्था, अन्याय, बेबसी के शिकार, जिन पर न घर है न काम, जो हर हाल में हैं बेहाल, उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए, हम दीप हम दीप प्रज्वलित करेंगे जरूर। अंधकार में प्रकाश के लिए, राष्ट्रोत्थान की कामना के लिए, जन-गण-मन कल्याण के लिए, हम दीप प्रज्वलित करेंगे जरूर। साम्प्रदायिक सौहार्द के मानवता की मंगलकामना के लिए, जो चले गए उनकी आत्मशांति के लिए, हम दीप प्रज्वलित करेंगे जरूर। परिचय :-  प्रभात कुमार "प्रभात" निवासी : हापुड़, (उत्तर प्रदेश) भारत शिक्षा : एम.काम., एम.ए. राजनीति शास्त्र बी.एड. सम्प्रति : वाणिज्य प्रवक्ता टैगोर शिक्षा सदन इंटर कालेज हापुड़...
राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का अखिल भारतीय बाल कवि सम्मेलन सम्पन्न।
साहित्यिक

राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का अखिल भारतीय बाल कवि सम्मेलन सम्पन्न।

इंदौर। हिन्दी दिवस के सुअवसर पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा दिनांक ०८ सितम्बर से दिनांक १४ सितम्बर तक सात दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, आज सप्ताह के चतुर्थ दिवस पर दिनांक १२ सितम्बर रविवार को अखिल भारतीय बाल कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमे देश के विभिन्न राज्यों के बाल कवि एवं बाल कवयित्रियों ने प्रतिभागिता कर अपनी उत्कृष्ट रचनाएं सुनाई। कवि सम्मेलन से पूर्व राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच के संस्थापक एवं हिन्दीरक्षकडॉटकॉम के सम्पादक पवन मकवाना (हिन्दी रक्षक) ने मंच पर पधारे सभी रचनाकारों का स्वागत व अभिवादन कर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा चलाये जा रहे अभियान व कार्यों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की, तत्पश्चात सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन आरम्भ हुआ। https://youtu.be/bW4me58gUrM कवि सम्मेलन का संचालन ७ वर्षीय कु. श्रीधी मकवाना (इंदौर मध्य प्रदेश) ने कि...
राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सम्पन्न। भाग ०३
साहित्यिक

राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सम्पन्न। भाग ०३

इंदौर। हिन्दी दिवस के सुअवसर पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा दिनांक ८ सितम्बर से दिनांक १४ सितम्बर तक सात दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, आज सप्ताह के तृतीय दिवस पर दिनांक १० सितम्बर शुक्रवार को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमे देश के विभिन्न राज्यों के कवि एवं कवयित्रियों ने प्रतिभागिता कर अपनी उत्कृष्ट रचनाएं सुनाई। कवि सम्मेलन से पूर्व राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच के संस्थापक एवं हिन्दीरक्षकडॉटकॉम के सम्पादक पवन मकवाना (हिन्दी रक्षक) ने मंच पर पधारे सभी रचनाकारों का स्वागत व अभिवादन कर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा चलाये जा रहे अभियान व कार्यों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की, तत्पश्चात सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन आरम्भ हुआ। https://youtu.be/v0VeVEahr6w कवि सम्मेलन का संचालन वरिष्ठ रचनाकार श्री धीरेन्द्रजी जोशी (कोदरिया महू) द्वारा किया गया...
राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सम्पन्न। भाग ०२
साहित्यिक

राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सम्पन्न। भाग ०२

इंदौर। हिन्दी दिवस के सुअवसर पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा दिनांक ८ सितम्बर से दिनांक १४ सितम्बर तक सात दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, आज सप्ताह के तृतीय दिवस पर दिनांक १० सितम्बर शुक्रवार को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमे देश के विभिन्न राज्यों के कवि एवं कवयित्रियों ने प्रतिभागिता कर अपनी उत्कृष्ट रचनाएं सुनाई। कवि सम्मेलन से पूर्व राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच के संस्थापक एवं हिन्दीरक्षकडॉटकॉम के सम्पादक पवन मकवाना (हिन्दी रक्षक) ने मंच पर पधारे सभी रचनाकारों का स्वागत व अभिवादन कर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा चलाये जा रहे अभियान व कार्यों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की, तत्पश्चात सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन आरम्भ हुआ। https://youtu.be/Iruf5plVEQ8 कवि सम्मेलन का संचालन वरिष्ठ रचनाकार श्री धीरेन्द्रजी जोशी (कोदरिया महू) द्वारा किया गया...
राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सम्पन्न। भाग ०१
साहित्यिक

राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सम्पन्न। भाग ०१

इंदौर। हिन्दी दिवस के सुअवसर पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा दिनांक ८ सितम्बर से दिनांक १४ सितम्बर तक सात दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, आज सप्ताह के तृतीय दिवस पर दिनांक १० सितम्बर शुक्रवार को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमे देश के विभिन्न राज्यों के कवि एवं कवयित्रियों ने प्रतिभागिता कर अपनी उत्कृष्ट रचनाएं सुनाई। कवि सम्मेलन से पूर्व राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच के संस्थापक एवं हिन्दीरक्षकडॉटकॉम के सम्पादक पवन मकवाना (हिन्दी रक्षक) ने मंच पर पधारे सभी रचनाकारों का स्वागत व अभिवादन कर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा चलाये जा रहे अभियान व कार्यों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की, तत्पश्चात सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन आरम्भ हुआ। https://youtu.be/n3rp8gsKtfY कवि सम्मेलन का संचालन वरिष्ठ रचनाकार श्री धीरेन्द्रजी जोशी (कोदरिया महू) द्वारा किया गया...
राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच के सात दिवसीय कार्यक्रम का शुभारम्भ सम्मान समारोह, पुस्तक विमोचन के साथ हुआ।
साहित्यिक

राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच के सात दिवसीय कार्यक्रम का शुभारम्भ सम्मान समारोह, पुस्तक विमोचन के साथ हुआ।

https://youtu.be/cOjgLTy7DhY इंदौर। हिन्दी दिवस के सुअवसर पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा दिनांक ८ सितम्बर से दिनांक १४ सितम्बर तक सात दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं, आज सप्ताह के प्रथम दिवस पर शुभारम्भ समारोह, सम्मान समारोह, व पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसी तहत १००८ परमपूज्य महामंडलेश्वर श्रीदादूजी महाराज (महंत श्रीगजासीन शनि मंदिर इंदौर) के कर कमलों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा को माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता का निर्वहन प.पू. श्रीदादूजी महाराज ने किया वहीँ मुख्य अतिथि के रूप में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के जिला अध्यक्ष (इकाई धार) श्रीशरदजी जोशी "शलभ", व विशेष अतिथि श्रीमती मनोरमा जोशी (इंदौर) मंच को सुशोभित कर रहीं थीं। अतिथियों का स्वागत राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच के संस्थापक एवं हिन्दीरक्षकडॉटकॉ...
हाहाकार
कविता

हाहाकार

आशा जाकड़ इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** कोरोना ने मचाया हाहाकार कृष्णजी लगा दो नैया पार बेचारे बच्चे पूछ रहे हैं कब हम बाहर निकलेंगे? कब हम स्कूल जाएंगे ? कब हम मैदान में खेलेंगे ? सुन लो भक्तों की पुकार कृष्णजी लगा दो नैया पार।। बड़े -बूढ़े प्रार्थना कर रहे, घर में कब तक बंद रहेंगे? हाथ धोए सब परेशान हुए शुद्ध हवा कब सांस लेंगे ? जीना हो गया अब दुश्वार, कृष्णजी लगा दो नैया पार।। मजदूर बेचारे बिलख रहे दाने -दाने को तरस रहे हैं। कामकाज सब छूट गए, घर बार अब टूट रहे हैं।। दाने-दाने को हुई दरकार कृष्णजी लगा दो नैया पार।। जब-जब होवे धर्म की हानि तब तब तुम जग में आते हो कोरोना दानव ताण्डव नृत्य क्यों नहीं अब चक्र उठाते हो? वादे को करो अब साकार। कृष्णजी लगा दो नैया पार।। मानवता अब जाग गई है सर्वत्र सेवा भावना आ गई डॉक्टर, पुलिस, कर्मचारी तन मन...
भोपाल में राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सम्मान समारोह व कवि सम्मेलन सम्पन्न
साहित्यिक

भोपाल में राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सम्मान समारोह व कवि सम्मेलन सम्पन्न

भोपाल। राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी भाषा का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार के संकल्प अभियान के अंतर्गत राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा विश्व स्तर पर साहित्यकारों, कवियों, लेखकों कों जोड़ने का सफलतम प्रयास किया जा रहा हैं। राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच के इस आंदोलन में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हजारों साहित्यकार, लेखक व नवीन रचनाकार जुड़ते चले जा रहे हैं। हिन्दी भाषा का परचम विश्व में लहराए इस उद्देश्य कों लक्ष्य बनाकर इन दिनों राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच तेजी से प्रयासरत हैं। साथ ही कोरोना काल के चलते राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा "साहित्यकार का सम्मान साहित्यकार के घर-द्वार" अभियान चलाया जा रहा है इसी के अंतर्गत राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच ने भोपाल के वरिष्ठ व नवोदित रचनाकारों का सम्मान उनके घर-द्वार, भोपाल स्थित सिंधु भवन में किया। http...
गुरु नवचेतना वर दो
कविता

गुरु नवचेतना वर दो

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** ज्ञान चाहता है अंतर्मन हर्षित हो जाएं जन जन करते मन में हम यह प्रण शिक्षा का करें अभिनंदन अनुपम प्रकाश भर दो गुरु नवचेतना वर दो। चारों ओर है घोर अंधेरा कर सकते हो तुम उजेरा ज्ञान का होवे यहाँ बसेरा सुख सूर्य का रोज सवेरा ऐसी शक्ति भर दो। गुरु नवचेतना वर दो। नफरत और ईर्ष्या मिट जाए ऊंच-नीच का फर्क मिट जाए जाति-पांति का भेद मिटजाए परस्पर समता भाव लहराए ऐसा ज्ञान भर दो। गुरु नवचेतना भर दो। आज समय की मांग पुकारे कर सकते हो तुम्हें उबारे तुम्ही हो भारत के रखवाले राष्ट्र निर्माता पूज्य हमारे ऐसे गुरु भक्ति दो। गुरु नवचेतना भर दो।। जगती का उद्धार तुम्हीं हो मुक्ति का सही मार्ग तुम्हींहो प्रेम का सद्व्यवहार तुम्हीं हो नैया की पतवार तुम्हीं हो बुद्धि विकास वर दो। गुरु नवचेतना वर दो।। परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, स...
गजानन सुनलो हमारी पुकार
कविता

गजानन सुनलो हमारी पुकार

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** गजानन सुनलो हमारी पुकार। गजानन लाओ खुशियां अपार।। विघ्नों के हर्ता हो कष्टों के हर्ता हो मंगलदायक तुम सुखों के कर्ता हो भर दो समृद्धि का भंडार गजानन लाओ खुशियांँ अपार।। कोई काम शुरू हम करते पहले नाम तुम्हारा ही लेते हर संकट करे निवार। गजानन लाओ खुशियाँ अपार।। अज्ञान का छाया है अंधेरा कर सकते हो तुम्ही उजेरा ज्ञान की रोशनी अपार गजानन लाओ खुशियाँ अपार।। विपदाओं का लगा है डेरा कोरोना का है रूप घनेरा। कृपा की कर दो बौछार। गजानन लाओ.खुशियां अपार। कोरोना को तुम दूर भगाओ कष्टों से तुम मुक्ति दिलाओ करो मानवता का उद्धार गजानन लाओ खुशियां अपार गजानन सुन लो हमारी पुकार।। परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, साहित्यकार एवं समाजसेविका) शिक्षा - एम.ए. हिन्दी समाज शास्त्र बी.एड. जन्म स्थान - शिकोहाबाद (आगरा) निवासी - इंदौर म.प्र....
आओ साथी अयोध्या चलकर राम- पर्व मनाएँ
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आओ साथी अयोध्या चलकर राम- पर्व मनाएँ

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** राम हमारी अयोध्या जन्मे कण-कण राम बसे हैं, सरयू नदी के तट पे अयोध्या पावन नगरी बसे हैं। पावन नगरी अयोध्या को हम राम- नगरी बनाएँ, आओ साथी अयोध्या चलकर राम- पर्व मनाएँ। राजा दशरथ परम प्रतापी अयोध्या नरेश हुए थे, कैकेई सुमित्रा और कौशल्या के चार पुत्र हुए थे। राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के दर्शन कर आएँ, आओ साथी अयोध्या चलकर राम- पर्व मनाएँ। राम हैं मर्यादा पुरुषोत्तम परम पूज्य कहलाए, सीता मैया आदर्श जननी जग में पूजी जाएँ। राम सीता के मंदिर को हम जाकर शीश नवाएँ, आओ साथी अयोध्या चलकर राम- पर्व मनाएँ। राम की महिमा गाने से ही कष्ट निवारण होता, राम नाम लेने से ही बस मोक्ष प्राप्त हो जाता। हम भी आज राम दर्शन से थोड़ा पुण्य कमाएँ, आओ साथी अयोध्या चलकर राम पर्व मनाएँ। परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, साहित्यकार एवं समाजसेविका) शिक्षा -...
आज होली खेलें अपने आंगन में
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आज होली खेलें अपने आंगन में

आशा जाकड़ इंदौर म.प्र. ******************** आज होली खेलें अपने आंगन में। रंगों का त्योहार मनाएं फागुन में।। टेसू के रंग यूँ बरसाए , तन मन पीला हो जाये। ईर्ष्या-नफरत दूर रहे, मन प्रेम से भर भर जाए। रिश्तो के फूल खिलाए गुलशन में। आज होली खेले अपने आंगन में। हरा रंग हम ऐसे बरसाए , कण-कण हरियाली होजाए । जन-जन की भूख मिटे , घर पर खुशहाली आजाए। मेहनत के फूल खिलाए उपवन में। आज होली खेलें अपने आंगन में। वंशी कीतुम तान सुनाओ, राधा बन हम रंग बरसाएं। रंग पिचकारी भर-भर के , मन का सार संसार लुटाएं। हम तुम दोनों रास रचाए मधुबन में। आज को खेलें अपनी आंगन में। .परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, साहित्यकार एवं समाजसेविका) शिक्षा - एम.ए. हिन्दी समाज शास्त्र बी.एड. जन्म स्थान - शिकोहाबाद (आगरा) निवासी - इंदौर म.प्र. व्यवसाय - सेन्ट पाल हा. सेकेंडरी स्कूल इन्दौर से सेवानिवृत्त शिक...