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Tag: निरूपमा त्रिवेदी

कारे बदरा देख झूमे मनवा
कविता

कारे बदरा देख झूमे मनवा

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** उमङ-घुमङ कर कारे बदरा छाए देखो-देखो कितना जल भर लाए रिमझिम-रिमझिम देख बरखा खिल-खिल जाए मुखड़ा सबका मतवाला मयूर घूम-घूम नाचता पीहू-पीहू पपीहा भी गाता दादुर टर्र-टर्र टर्राता किसना खेत देख हर्षाता मुनिया रानी नाव बना तैराती छप-छप कर मुन्ना छीटे उङाता गरमा-गरम भुट्टा सबको अति भाता पकोड़े की खुशबू जियरा ललचाता बचपन देखो होता कितना प्यारा मेंढक देख फुदकता मुन्ने का मनवा ताल-तलैया में पानी सुहावना अमुआ की डाल पर झूला मनभावना शीतल सोंधी-सोंधी माटी की खुशबू खुशहाली छा गई देखो-देखो हरसू कभी तितली सा मन रंगों से भरता कभी चिहू-चिहू चिड़ियों सा चहकता परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एव...
हिंदी है पहचान हमारी
कविता

हिंदी है पहचान हमारी

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हिंदी हिंदजन का है ललित अलंकरण हिंदी भाषा का है वृहद-समृद्ध व्याकरण हिंदी सरस-सरल सम्मोहिनी शक्ति हिंदी है सहज स्वाभाविक अभिव्यक्ति शब्दों-अर्थों में है भावों का रस माधुर्य हिंदी घनवन मन मयूर-सा करता नृत्य हिंदी सूर-तुलसी के वात्सल्य की मिठास हिंदी हैं देवभूमि का मधुर मधु-सा उल्लास हिंदी महादेवी का विरह सुभद्रा का ओज गीत हिंदी राष्ट्र गौरव आओ बने हम इसके मीत कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक सूत्र में बांधती फिर क्यों न वाणी हमारी इस सच को स्वीकारती हिंदी शिव के डमरू से निसृत स्वरों का ज्ञान हिंदी है पहचान हमारी हिंदी हिंद का है मान परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
सुनो !! प्राणाधार!!!
कविता

सुनो !! प्राणाधार!!!

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सुनो !! प्राणाधार!!! तुम्हारे स्नेहिल स्पर्श से फूट पड़ते हैं मेरे मन में प्रेम के नव अंकुर स्नेहमयी रक्तिम कोपले नवागत किसलयो पर खिल उठते हैं परागमय सुमन सुरभि से सुवासित मेरी सांसे अधरो पर तुम्हारे मुस्कान चाहे सुनो !! प्राणाधार!! तुमसे जीवन की सार्थकता तुमसे ही पाती मैं पूर्णता तुम्हें हर्षित देखकर ही तो सजती है अधरो पर मेरे हर्ष भरी मधुरिम मुस्कान गहराई अमराई देखकर ज्यो कोकिल गा उठती है मधुर गान अनुभूति होती है सुखद प्रियतम ज्यो जीवन उत्सव- सा उल्लासमय सुनो !! प्राणाधार!!! सजा लो ना तुम भी मुखड़े पर अपने प्रेम विश्वासमयी एक मधुर मुस्कान तुम्हारी मुस्कान से सजता मेरा संसार हाँ ! तुम्हारा प्रेम करता है मेरा श्रृंगार परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत...
आओ संकल्प करें
कविता

आओ संकल्प करें

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** अद्वितीय संस्कृति अनुपम नववर्ष वंदन अभिनंदन करें हम अतिहर्ष सहज प्रेम मानवता का हो उत्कर्ष घृणा-द्वेष दानवता का हो अपकर्ष मानव मानव का बने सच्चा मित्र नैतिक मूल्यों से महके सबका चरित्र खुशियों के घर-घर गूंजे मंगल गीत अपनों के अपनेपन भरी हो रिश्तो में प्रीत सेवा- सत्कार करें हम पूर्ण मनोयोग एक-दूजे संग हो सामंजस्य - सहयोग शुभ मंगल से हो नित- नित संयोग कर्मशील श्रमसाधक बन करें कर्मयोग दिनचर्या में सम्मिलित हो प्राणायाम योग स्वस्थ निरोगी काया हो सताए न कोई रोग परिष्कृत विचारों से भरा हो मन व्योम शुद्ध सात्विक आहार का हो उपयोग परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप ...
दशरथ महल जन्मे रघुराई
भजन, स्तुति

दशरथ महल जन्मे रघुराई

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सखी हर्षित मन देती हूं मैं बधाई, दशरथ महल जन्मे रघुराई माह चैत्र पक्ष शुक्ल तिथि नवमी पुनीता दशरथ महल जन्म लीन्हो प्रभु दीनदयाला सखी मिल मंगल गाओं दशरथ महल जन्मे रघुराई हर्षित चकित नयन भई सब रानी दमकत मुख अनूप शोभा अति न्यारी सखी मिल मंगल गाओ दशरथ महल जन्मे रघुराई स्यामल गात नयन पुनि-पुनि जात बलिहारी मंगल गान शुभ रुदन स्वर गूंजे अवधपुरी सखी मिल मंगल गाओ दशरथ महल जन्मे रघुराई झूमत शाख हर्षित लतावृंद उपवन शोभा न्यारी देव अप्सरा सब गगन से करत सुमन वृष्टि सखी मिल मंगल गाओं दशरथ महल जन्मे रघुराई आंगन-आंगन सजी रंगोली घर घर दीप जले नाचत झूमत अवध नर नारी बधाई गीत गूंजे सखी मिल मंगल गाओ दशरथ महल जन्मे रघुराई परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित...
श्रद्धांजलि
कविता

श्रद्धांजलि

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************  भारत की स्वर कोकिला हुई मौन कूच कर गई वह हरि के भौन सुर संगीत सरगम सब रूठे भजन नवगीत गजल गम में डूबे मां वीणा पाणि की वीणा के झंकृत तार मानो मूक शोक संतप्त होकर गए हार सप्त सुरों से रुठे सुर सुरो की मलिका हुई जो हमसे दूर अपनी आवाज से मंत्रमुग्ध करता हुआ वह सितारा स्वयं टूटकर बन गया नीलगगन का चमकता तारा मधुर आवाज से किया जिसने सब के दिलों पर राज अलविदा कहते हुए दिल भी सबका रोया आज रंक हो या राजा रहा ना सदा कोई इस जहान देह किराये का घर मत करना मानव तू अभिमान काया छोड़ इस जग में करना पड़ता है सबको महाप्रयाण परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहा...
नर्मदा
भजन, स्तुति

नर्मदा

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** अमरकंटक शिखर उद्भूता होहि अरब सागर विलीना नर्मदा अति पुण्य सलिला दूजा नाम मेकलसुता, रेवा बड़ी रोचक ऐहि उत्पत्ति कथा शिव स्वेद से जन्मी एक कन्या तासु नाम भयो तब नर्मदा गंगास्नान से जो पुण्य फल होई सोई फल नर्मदा दर्शन मात्र से होई सोनभद्र नाम एक राजा जब देखहि पिता मेखल तासु शुभ विवाह इच्छहि विवाह पूर्व सोनभद्र दर्शन उपजी इच्छा नर्मदा देखी तहां सोनभद्र संग दूजी कन्या तेहि अवसर नर्मदा मन क्रोध उपजा दुखित मन लीन्ही एक दृढ़ प्रतिज्ञा विवाह न करहू संकल्प तब लीन्हा विपरीत प्रवाह तेहि अवसर कीन्हा जासु हर पाषाण भयो ईश्वर रे मन! तासु पुण्य दर्शन कर रसना भज हर-हर नर्मदे ! पापनाशिनी सर्व कलुष हर ले परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधि...
ऋतुराज बसंत 
कविता

ऋतुराज बसंत 

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** उषा की लालिमा निराली कुंज-कुंज छाई हरियाली लो आ गया ऋतुराज बसंत सखी महक उठे दिग् -दिगंत ठंडी-ठंडी मदमस्त बयार आई लेकर बासंती उपहार शाख-शाख खिले प्रसून हर्षित बेलें करें आलिंगन फैली चहुं ओर मकरंद सुगंध मंडराते-गुनगुनाते भ्रमर वृंद विथियों में फैला वासंती वैभव प्रीतियों में भूला सुधि प्रणीत मन आम्र मंजरी से सजी अमराई देख-देख उनको पिक बौराई प्रकृति पीली-पीली चुनर ओढ़े मन की कोयल कुहू-कुहू बोले जिया मेरा बन बैठा अनुरागी वन-वन डोले जैसे बैरागी मन के आंगन फिर सजी खुशियों की रंगबिरंगी रंगोली ऋतुराज बसंत श्रृंगारित फूलों की डोली अलंकृत बासंती चांद बासंती चांदनी बहका अंबर महकी यामिनी परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वा...
नव तरंग
कविता

नव तरंग

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** महके मधुबन-सा जीवन गुंजार करे भ्रमर-सा मन बजे खुशियों की पायल कूके मन के आंगन कोयल करे ना अपनों से कोई छल बने मन पावन जै से गंगाजल उमंगों की हो मन में नव तरंगें हर्ष सुमन खिले हो रंग बिरंगे नववर्ष लेकर आए जीवन में नव मधुमास महके हर तन मन लेकर नव सुवास सजे घर-घर संस्कृतियों की थाली फैले चहुं ओर  संस्कारों की सुरभि निराली सपने सच हो सबके सहनी पड़े ना अब कोई पीर पूर्ण हो अभिलाषा हृदय की चाहे अब यही "नीर" परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्...
सुहानी भोर
कविता

सुहानी भोर

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सुनो ना ! उषा के आलोक हुई आलोकित मैं तुम्हें विलोक अंतस: में मेरे फैला उजियारा तमस का न रहा कोई गलियारा सुहानी भोर भर रही नव चेतना किसी ठौर न रही अब कोई वेदना पल-क्षण दिवस-निसि निर्निमेष भरा उजास अंतस: तम न रहा शेष नव आशा संग उषा का हो आगमन नव उमंग संग हरषे सब के अंतर्मन नित-नित उषा आ वातायन से आलोकित करें आंगन जीवन में रहो आलोकित उषा के आलोक तुम हो तिरोहित जग के सब रंजो-गम आलोक नाम तुम्हारा हो सार्थक हर लो अज्ञान तिमिर सब निरर्थक सुनो ना ! उषा के आलोक होती प्रफुल्लित मैं तुम्हें विलोक उषा संग नित-नित तुम आना घर आंगन संग अंतर्मन जगमगाना परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलि...
हरसिंगार
कविता

हरसिंगार

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** सुनो !!!! प्राणाधार तुम मेरे सौंपा था जो तुमने कभी जो मुझे रोपा था जिसे कभी हाथों से अपने स्नेह से सींच-सींच वह हरसिंगार मैने रखा है सदा सहेजकर अपने आंगन में जलधि रखता है जैसे मोती सीप में आंधियों से बचाते हुए बहुधा उसे देखा था तुम्हें भी तो मैंने यत्न से हां !हां! वही हरसिंगार है अब कुसुमित नेह परिजात उस पर है सुशोभित तुम-सा ही तो महकता है यह हरसिंगार झर - झरकर मेरी राह में बिछता है बार-बार सुनों ! ! प्राणाधार तुम मेरे तुमसा ही तो महकता-महकाता है ये हरसिंगार परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अ...
ऐ! चांद…
कविता

ऐ! चांद…

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ऐ! चांद तू किसका है...!!! भ्रांति है चंद्रिका को तू बस उसका है !!! कभी किसी अटारी पर कभी वन-उपवन में कभी किसी के आंगन में कभी किसी के मन में कभी सरिता के जल में कभी कवि की कल्पना में चुपके-चुपके जा बसता है गर मनमीत पास हो तो शीतल अहसास देता है कभी शीतल चंद्रिका संग भी पावक-सा तन-मन धधकाता है ऐ ! चांद तू किसका है !!! भ्रांति है चंद्रिका को तू बस उसका है !!! परिचय :- निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहा...
मेरी महफिल में फिर आप…
ग़ज़ल

मेरी महफिल में फिर आप…

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मेरी महफिल में फिर आप आ जाइए दर्द का गीत कोई सुना जाइये इस मुकद्दर का कुछ भी भरोसा नहीं आप खुद ही इसे आजमा जाइए इश्क मेरा समंदर की लहरों सा है डूब कर इसमें मुझको डूबा जाइये जब तलक आप मुझसे मिलोगे नहीं कुछ तसल्ली तो मुझको दिला जाइए मैं मोहब्बत का मारा मुसाफिर हूं अब रास्ता कुछ नया तो बता जाइए मुस्कुरा कर मुझे देखिए आप फिर आप मुझको गले से लगा जाइए प्यार के रास्ते तो कठिन है मगर सिलसिला ऐसा कुछ तो चला आ जाइए परिचय :-  निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित ...
मुस्कान
कविता

मुस्कान

निरूपमा त्रिवेदी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** प्रिये ! मधुर मधु-सी तुम्हारी मुस्कान सजाने लगी आकर अधरन बंधनवार स्मृति विथियों से ध्वनित तुम्हारी पदचाप हृदय बसी छवि ले आई यादों का मधुमास जूही-सी सुकुमार कली चंपे सी सुवास तन-मन महका गई महकी-सी हर सांस हिय हिलोर नित-नित निहारन की आस सांझ सवेरे रहती हरदम दिल के पास मैं तितलि अजान-सी तुम भ्रमर बन गाते गान फूल-फूल मंडराते हम दिखलाते अपना मान सुमन रस पगी तुम्हारी कोमल सुरभित गात उपवन खिल उठता था मानो पाकर हमारा साथ तरु-तरु शाख-शाख थी झूमती-सी डोलती अल्हड़ समीर मस्ती में मस्त सी हर्षित हो बरसाती थी अपने झर-झर पात प्रिये!! तुम संग मधुर मिलन फिर आया याद परिचय :-  निरूपमा त्रिवेदी निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना,...