विदिशा डे
नितेश मंडवारिया
नीमच (मध्य प्रदेश)
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आज विदिशा का छठा जन्मदिन था। हर साल विदिशा नानाजी के घर पर ही अपना जन्मदिन मनाती। जन्मदिन के दिन विदिशा सवेरे जल्दी उठकर माता-पिता के चरण स्पर्श कर सूर्यदेव को जल अर्पण करती। प्रणव और श्रेया के साथ गौमाता को घास खिलाती, और नानाजी से कहती आज मेरे जन्मदिन पर गायत्री शक्तिपीठ जाकर गायत्री हवन करेंगे और एक पौधा जरूर लगाएंगे। उसके बाद वह कहने लगी नानाजी आज हम काशी विश्वनाथ मंदिर चलें, कड़कड़ाती ठंड का मौसम था विदिशा ने ठंड से ठिठुरते लोगों को देखा तो उसकी आँखें भर आई, उसने कहा नानाजी हम इन जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़े और कंबल दे, और कहती नानीजी ये तो मानव सेवा है और जो कोई भी यह सेवा करता है, उसे प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और फिर गंगा घाट पर पक्षियों को दाना डालने लगी। शाम को भजन संध्या और केक काटने का प्रोग्राम थ...