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Tag: धैर्यशील येवले

पीपल
कविता

पीपल

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मैं एक वृक्ष पीपल का अनेक झंझावात झेल आज खड़ा हूँ सुद्रढ़ तना व गहरी जड़ो के साथ। दीर्घ जीवन का प्रतीक हूँ प्राणवायु उत्सर्जन ही मेरा कर्मयोग है कच्चे धागों से बंध मैं खड़ा हूँ जीवन के साथ। मैं विश्वास भी हूँ और आस्था भी जड़ हूँ पर चेतन भी मैं गतिमान हूँ निष्काम भाव के साथ। तुझ सी सुकोमल लता के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है मेरा सुद्रढ़ तना मेरा भाग्य तय करेगा की तुम पुष्प पल्लवित लता बन मुझे महकाती हो या छा जाओगी मेरे ऊपर अमरबेल सी अपनी नियति के साथ। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्...
बेवजह रोने की वजह बता
ग़ज़ल

बेवजह रोने की वजह बता

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** बेवजह रोने की वजह बता मत छुपा घुटन बता बता जुल्म सहता ही चला गया कोई है जो इसकी खता बता वो जिया सिर्फ तेरी आस में वादा पूरा किया तूने बता बता नाजुक होती है यकीन की डोर तुझ पर किया यकीन खता बता किसी से इतना न खेलिए जनाब मौत पूछने लगे उसका पता बता टूट टूट के बिखरा, धैर्यशील, वो पूछे क्या बचा है बता बता परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, क...
बहुत हो चुका
कविता

बहुत हो चुका

धैर्यशील येवले इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** धर कर भेष हलधर का मजमा जमा विषधर का स्वार्थियों की भीड़ से परेशान व्यक्ति घर घर का ऐसी क्या आन पड़ी विपत्ति जो तोड़ रहे देश की संपत्ति फैला रखी है अराजकता अब लेनी ही होगी आपत्ति देशप्रेमी नही करते ऐसा कर्म इनके कृत्यों से आ रही शर्म ईंट का जवाब पत्थर से दो निभाओ अब अपना राजधर्म राष्ट्र हितो की सुध लो अब विषधरों को कुचलो भय बिन होत न प्रीत अब धनुष की प्रत्यंचा खिचलो वो करने लगे एलान ए जंग कर रहे हर मर्यादा भंग करो कार्यवाही कारगर समूचा राष्ट्र खड़ा तुम्हारे संग परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्व...
तुम भारत के हो भाल
कविता

तुम भारत के हो भाल

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** तुम भारत के हो भाल तुम भारत के हो लाल सुभाष, सुभाष, सुभाष हो रण केसरी तुम तलवार, खुखरी तुम लावा तुम्हारी रगों में झुके नही तुम दगो में तुम सा नही कोई बलिदानी तुम हिन्द की अमर कहानी काट दे ते हो रिपु का हाथ नही करते उसके सामने गाल तुम भारत के हो भाल तुम भारत के हो लाल सुभाष, सुभाष, सुभाष मांगते हो लहू आज़ादी के लिए जीवित हो सिर्फ अरि की बर्बादी के लिए ढोंग पाखंड से हो दूर तुझसा न कोई दुजा शुर खाली नही होने देते तुम रणचंडी की थाल तुम भारत के हो भाल तुम भारत के हो लाल सुभाष, सुभाष, सुभाष तेरा कर्ज़ न उतार पायेंगे सौ जन्म भी गर पायेंगे तुझसा नही आज़ादी का रिंद हर भारतीय कह रहा जयहिंद तुम देशभक्ति की मिसाल तुम भारत के हो भाल तुम भारत के हो लाल सुभाष, सुभाष, सुभाष। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल ...
सावधान… सावधान…
कविता

सावधान… सावधान…

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** बदमाशों की खैर नही कार्यवाही में देर नही नारी के सम्मान में पुलिस डटी मैदान में सावधान सावधान।। बबली को अब घूरना नही उसका पीछा करना नही छेड़ना उसे भूल जाना वरना पड़ेगा जेल जाना जागी चेतना जन जन में नारी के सम्मान में पुलिस डटी मैदान में सावधान सावधान।। नष्ट होगा हर भक्षक डगर डगर पर है रक्षक बहकाना आसान नही न कहना विधि का ज्ञान नही मत समझ भोली भाली है हर बेटी यहाँ दुर्गा काली है गीत गाये हम लाडली तेरी शान में नारी के सम्मान में पुलिस डटी मैदान में सावधान सावधान।। कैसी सुंदर फुलवारी है महक रही हर क्यारी है निडर हो घूम रही प्रदेश की हर नारी है कर सपने पूरे अपने भर उड़ान आसमान में नारी के सम्मान में पुलिस डटी मैदान में सावधान सावधान।। होगा दानव का दलन चलेगा केवल नेक चलन बातें नही होगा समर बेटी की रक्षा में कस ली है कमर निर्भय हो विचरण कर चर्च...
सत्संग
कविता

सत्संग

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** मुझे मेरे होने पर अहंकार है राग, द्वेष, ईर्ष्या, क्रोध मेरे अलंकार है। करू हर काम मे मनमानी मैं जो ठहरा अभिमानी देख दुसरो का दुःख मुझे अच्छा लगता है दुसरो को दुःख देना मुझे अच्छा लगता है परपीड़ा में आता मुझे आनंद है हँसते हँसाते चेहरे मुझे नापसंद है हम प्रजा हम ही सरकार है राग, द्वेष, ईर्ष्या, क्रोध मेरे अलंकार है। दुसरो की बात मैं क्यों मानु अपराध बोध मैं न जानु स्वार्थसिद्धि मेरा लक्ष व धाम है मुझे दुसरो से नही कोई काम है पर निंदा में आता मुझे रस है दुसरो को दबाने में ही जस है ब्रह्मांड सा मेरा विस्तार है राग, द्वेष, ईर्ष्या, क्रोध मेरे अलंकार है। कर ले तू मन मानी चाहे जितनी मार ठोकर दुनिया को चाहे जितनी समय का पहिया रहा है घूम आज तू मद में चाहे जितना झूम दब जाएगा मिट्टी में जल जाएगा भट्टी में कर ले तू अभिमान मूढ़ तू क्या जाने जीवन के ग...
नागरिक की अभिलाषा
कविता

नागरिक की अभिलाषा

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** अखबारों में न हो कोई सनसनीखेज खबर टी वी चैनलों पर न हो अनावश्यक मुद्दों पर निरर्थक बहस। हर सवार चलता रहे रोड पर नियमानुसार बाएं पैदल चले फुटपाथ पर सायकल दौड़े उसके ट्रेक पर हो खड़े रेहड़ी ठेले वाले अपने नियत स्थान पर निगम कर्मी ट्रैफिक कर्मी हो सच्चे जन सेवक नागरिक करे उनका अभिवादन हस हस। नेताजी के कार्यक्रम न हो सड़क पर न मने भाई साहब का जन्मदिन सड़क पर न हो दुल्हेराजा कि बारात हावी सड़क पर बे वजह न बजाए कोई हॉर्न कचरा न फेंके सड़क पर खाके पॉपकॉर्न हो जाये बंद दस बजे रात्रि में बजता जो डीजे ज्यास्ति में शहर के हर कोने में हो अनुशासन के दरस हर कोई बोल पड़े वाह वाह बरबस। सरकारी कार्यालय हो सुविधा के साथ सहयोग पूर्ण नागरिको का कार्य हो चुटकियों में पूर्ण सुशासन का सपना हो सम्पूर्ण हर हाथ को काम हो हर पेट मे अन्न हो बुझे सभी की प्यास जन जन की बस य...
आगंतुक
कविता

आगंतुक

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** आइए श्रीमान आशा करते है आप वैसे न होंगे जैसे बिता साल था वो साक्षात काल था। आपसे हमे बस इतना चाहिए सुख, शांति, सद्बुद्धि सहयोग, उन्नति के साथ भाईचारा चाहिए। मत लाना अपने साथ राग, द्वेष, ईर्ष्या, क्रोध जगाए जो मन मे वितृष्णा का बोध। पवन स्वच्छ हो धरती उगले सोना समय पर आए ऋतुएँ प्रकृति का संतुलन रहे बना । माना कि हम स्वार्थी व उदण्ड है मिल चुका हमे कर्मो का दण्ड है। कण-कण में जीवन हो हर आत्मा पावन हो सभी के सामने भरी थाली हो चंहु और खुशहाली हो हर हाथ कर्मशील हो हर व्यक्ति धैर्यशील हो नूतन वर्ष स्वागत, वंदन, अभिनंदन तुम्हारा, छोटी सी आशा करना पूरी ह्रदय खंडित न करना हमारा। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान म...
२०२० तू जा
कविता

२०२० तू जा

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** पाखंडी, निष्ठुर, निर्दयी जारे बीस बीस अब तू जा कर अपना मुंह श्याम कारागार में चक्की पीस तू जा जारे बीस बीस अब तू जा। तूने अपनो से किया अलग आज भी ह्रदय रहे सुलग जीवन से तूने नाता तोडा किया सभी को अलग थलग गांव क्या स्मृति से भी तू जा जारे बीस बीस अब तू जा। आंखों से आँसू पाव से रक्त बहाया तूने रोजी रोटी को तरसाया भूखा प्यासा सुलाया तूने सुनी मांग व गोद कह रही तू जा जारे बीस बीस अब तू जा। मिलना था जो दंड मिल गया मेरी करनी का फल मिल गया अब रखूंगा तालमेल सृष्टि से अब चौकड़ी भरना भूल गया मैं हूँ अब प्रभु शरण मे तू जा जारे बीस बीस अब तू जा जारे बीस बीस अब तू जा। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के...
मोक्ष
कविता

मोक्ष

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** न लिखने की इच्छा है न छपास की मन खाली हो गया है वाह प्रयास की न मिलने की इच्छा है न बिछड़ने की प्रेम के साथ जाती रही इच्छा लड़ने की न कुछ पाने की इच्छा है न ही खोने की पूर्णता, विराम है मरने जीने की न आगमन है न गमन है नही बात शंका की मुमुक्षु नही रहा अब मैं जय हो मोक्ष की। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्ष...
रक्कासा
कविता

रक्कासा

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** सजी है महफ़िल कोठे पर इश्क़ के प्यासे हुस्न के दीवाने जमा हो रहे कोठे पर। भूख से तड़पते दवा के लिए रोते अपने मासूम के लिए माँ नीलाम हो गई कोठे पर। आँसुओं में डूबे घुँघरू बजना करते है शुरू होशमंदो की उलटबाँसी में ममता फँसी है बेबसी में दूध रोटी के सवाल पर रक्कासा नाच रही कोठे पर। बहते आँसुओं को अदा समझ वाह वाही कर रहे नासमझ चिल्ला रहे सिक्के उछाल कर पड़ रहे चांटे गुरबत के गाल पर रक्कासा नाच रही कोठे पर। सितार सिसक रही तबले पर उदासी छा रही हारमोनियम रो रही बिखरे पड़े है फूल मोगरे के कुचले हुए जमीन पर रक्कासा नाच रही कोठे पर। उजाले के पीछे कौंन देखे अंधेरा जरूरतों ने जिंदगी को आ घेरा जिंदगी तेरा हर फैसला कबूल मत रो याद कर के अपनी भूल मैंने जीना सिख लिया है आंसू पीना सिख लिया है चमकते जो किरदार उजाले में वही चेहरे चले आते है स्याह रात में यहाँ...
भारत के पूत
कविता

भारत के पूत

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** बहुत सो चुका मत लेटा रह आँखे मूंदे भीतर बाहर से ललकार रहा शत्रु तुझे मृत्यु खड़ी है द्वार पर। मृत्यु का तांडव होना जब निश्चित है कायर बन मृत्यु का वरण कर माँ की कोख क्यो करना चाहता है कलंकित चल शत्रु पर वार कर। उठ खड़ा हो ले शमशीर हाथों में दे कर अपना लहू कर रक्षा मातृभूमि की गायेगी तेरी शौर्य गाथाएँ जनता हिन्दुस्थान की लिख नया इतिहास अरिहंत अरि का अंत कर। लड़ ऐसा जैसे लड़े थे वीर गोविंद, शिवा और प्रताप गीदड़ की मौत मरने से अच्छा है, लड़ मरे केसरी की भांति रणभूमि पर। तू अकेला नही सम्पूर्ण राष्ट्र तेरे साथ है याद कर अपने इतिहास को इतिहास कायरों का नही लिखा जाता है, लिखा जाता है विरो का, रणबांकुरों का लाल बाल और पाल का होती है माताएं धन्य अपने लालो पर। तू भूल रहा लड़ी थी तेरी माँ तुझे अपनी पीठ पर बांधे झांसी में, रोक न पाए थे, शत्रु के परकोटे ...
रात की बात
कविता

रात की बात

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** रात आज मुझ से बात कर रही थी चाँद सितारों का जिक्र कर रही थी। बीच बीच मे जुगनुओं को डपट देती कभी सुनी पड़ी सड़को को निहार रही थी। मैं पूछ बैठा कभी उजाले से बात हुई है। उसकी निगाहें उठी, वो सितारों को ताक रही थी। वो गुनगुना रही थी, सन्नाटे की धुन पर सूरज का कोई पुराना गीत गा रही थी। अचानक खींच लिया उसने मुझे आगोश में नींद के साथ वो मेरी ही बात कर रही थी। रात का जादू अपने पूरे शबाब पर था। ख्वाबो में वो मुझे सूरज से मिला रही थी। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घ...
मृगतृष्णा
कविता

मृगतृष्णा

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** कोई भूख से परेशान है कोई बदहजमी से हलकान है शहर के इस हालत पर बताओ कौन कौन पशेमान* है। सभी को पता है ये बात ऊंट किस करवट बैठेगा खत्म हो जाएगा वो शख्स ये बात अगर किसी से कहेगा। गांव के लिए कोई सच्चा न था ये बुरा है तो वो भी अच्छा न था किससे करे गिला शिकवा हमारा नसीब ही पक्का न था। रहबर है तू, बारबार जता नही जाना कहा है, कुछ पता नही अब दौड़ने लगे है सभी उधर जिधर कोई रास्ता जाता नही। हर निगाह में यही एक सवाल है न मैं न तु फिर कौन मालामाल है कान पक गए ये सुन सुन कर देगा खुशियां आने वाला साल है *पशेमान- लज्जित होना परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष...
परमात्मा
कविता

परमात्मा

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** खुद को जाना नही दुसरो को जानेगा भरम में जी रहा है सच कब मानेगा। घर से कभी निकला नही लौटने की बात करता है, दरवाजे पर दे रहा दस्तक वहम में जिया करता है। उत्तर तुझे पता है क्यो प्रश्न करता है, ढोंगियों के जाल में फसने को करता है। जो माया रचता है वो भीतर ही बैठा है, तू सोया ही कब था जो उठ कर बैठा है। याद रखो या भूलो कोई फर्क नही होगा अवचेतन की चेतना में तमस नही होगा । सर्वत्र तुझे देख रहा हूँ मुझसे कुछ छुपा नही रोम रोम में बसने वाले मेरी नजरो से तू छुपा नही। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिं...
मेरा जिस्म कब्रिस्तान हो गया
ग़ज़ल

मेरा जिस्म कब्रिस्तान हो गया

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** मेरा जिस्म जैसे कब्रिस्तान हो गया नश्वर शरीर मे अमर आत्मा लिए हूँ सांसे ही भारी लगने लगी है अब तो फिर भी रिश्तों का बोझ लिए लिए हूँ किसी से मिलने को जी नही करता मैं हर किसी के कदम चुम लिए हूँ तेरे लिए जान दे देंगे वो कहा करते वो सिर्फ बातें ही थी परख लिए हूँ अपनी परेशानी को खुद कंधा देना है वक़्त और तजुर्बे से मैं सिख लिए हूँ दर्द बताएगा तो लोग तुझ पर हँसेंगे इसीलिए मैं होठों पर मुस्कान लिए हूँ परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित कर...
चरैवेति चरैवेति
कविता

चरैवेति चरैवेति

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** मत फड़फड़ा पंछी मर्जी उसकी ही चलेगी कर कोशिश भले ही थकहार हाथ ही मलेगी। तेज बहती हवा से तिनके बुलंदी पा जाते है थमते ही हवा का शोर जमीन पर आ ही जाते है। भरम में मत रह नादान कोई सम्बल दे जाएगा सिर पर रख पाव तेरे वो ऊपर चढ़ जाएगा। लेकर फूल अपने हाथ मे उससे मिलने क्यो जाएगा ऐसी क्या मजबूरी है तेरी जो बारम्बार मिलने जाएगा। तू तब तक ही मीठा है जब तक तुझ में रस है जब हो जाएगा खाली कहेंगे सब ये तो नीरस है। तेरे साथ सिर्फ तू है बात कड़वी पर सच है उतार फेंक फालतू बोझ यही रिश्तों का सच है। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindi...
प्रसाधन
हास्य

प्रसाधन

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** हैरान है, परेशान है क्या करें, क्या न करें इसी ऊहापोह में कुछ सहायता मिल जाये लगाया फोन साहब को जवाब मिला साहब बाथरूम में है। छोटे लोगो की छोटी समस्याएं लगती उन्हें पर्वत सी हो निदान शीघ्रता से इसी आशय से लगाया फोन साहब को जवाब मिला साहब बाथरूम में है। सीमांत किसान अंत के करीब दिहाड़ी मजदूर दहाड़े मारता जिनके आँसू छुप जाते है पसीने में, मिले कुछ राहत लगाया फोन साहब को जवाब मिला साहब बाथरूम में है। जिले से शुरू परिक्रमा राजधानी तक पोहच कर भी, अंतहीन है करने अंत उसका लगाया फोन साहब को जवाब मिला साहब बाथरूम में है। इन्हें सुना, उन्हें सुना सुना-सुना कर काम भले ही न हुआ पर मन हल्का हो गया बताने ये बात लगाया फोन साहब को जवाब मिला साहब बाथरूम में है। कितनी भग्यशाली व ऐश्वर्य लिए है साहब की बाथरूम जो निरंतर उन्हें सुख दे सानिध्य पाती है साहब क...
मेरा जिस्म
कविता

मेरा जिस्म

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** मेरा जिस्म जैसे कब्रिस्तान हो गया नश्वर शरीर मे अमर आत्मा लिए हूँ सांसे ही भारी लगने लगी है अब तो फिर भी रिश्तों का बोझ लिए लिए हूँ किसी से मिलने को जी नही करता मैं हर किसी के कदम चुम लिए हूँ तेरे लिए जान दे देंगे वो कहा करते वो सिर्फ बातें ही थी परख लिए हूँ अपनी परेशानी को खुद कंधा देना है वक़्त और तजुर्बे से मैं सिख लिए हूँ दर्द बताएगा तो लोग तुझ पर हँसेंगे इसीलिए मैं होठों पर मुस्कान लिए हूँ परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ। सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित कर...
अहम ब्रम्हास्मि
कविता

अहम ब्रम्हास्मि

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** जोड़ नाता मानवता से ईश्वर मिलेगा सरलता से।। जो ढूंढ रहा है तू बाहर वो बैठा है तेरे ही भीतर खोल कपाट अंतस के कर दर्शन परमात्मा के जीवन के खेल निराले कुछ उजले कुछ काले कह रहे कोमलता से जोड़ नाता मानवता से ईश्वर मिलेगा सरलता से।। राम नाम की शरण में मोक्ष छुपा है मरण में जीवन को स्वर्ग बनाकर दूजे का बन दिवाकर नित नये आनंद पायेगा जगत चैतन्य हो जायेगा मिला दे कर्म धर्मता से जोड़ नाता मानवता से ईश्वर मिलेगा सरलता से।। जीवन की यही आस है प्रभुमिलन की प्यास है भीतर मेरे जो घट रहा लोगो मे है वो बट रहा आलोकित है मन मेरा दूर कर दूंगा तमस तेरा नाता न रहा दुर्बलता से जोड़ नाता मानवता से ईश्वर मिलेगा सरलता से।। सरिता के जल सा वसुधा के तल सा नभ के परिमल सा दीप के अनल सा पवन के निर्मल सा हो गया मैं ब्रह्मांड सा पंच तत्व की पावनता से जोड़ नाता मानवता से ई...
हिन्दू हूँ… मैं हिन्दू हूँ…
गीत

हिन्दू हूँ… मैं हिन्दू हूँ…

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** हिन्दू हूँ, मैं हिन्दू हूँ प्रेम दया का सिंधू हूँ।। सबका सोचूं मैं मंगल हो न किसी का अमंगल कण कण में विश्वास है देश को अर्पण सांस है धर्मनिष्ठ का बिन्दु हूँ हिन्दू हूँ मैं हिन्दू हूँ प्रेम दया का सिंधू हूँ।। राम नाम का सहारा है सारा जगत हमारा है अहिंसा परमोधर्मः है योगक्षेमं मेरा कर्म है गंगा का जलबिन्दू हूँ हिन्दू हूँ मैं हिन्दू हूँ प्रेम दया का सिंधू हूँ।। गीता के ज्ञान से दूर हूँ अज्ञान से तुलसी सूर के गाऊ गीत राम कृष्ण है मेरे मीत पुष्प पर दवबिन्दु हूँ हिन्दू हूँ मैं हिन्दू हूँ प्रेम दया का सिंधू हूँ।। सत्य ही मेरा शिव है सुंदर हर एक जीव है सदाशिव में रमता हूँ बंधुभाव से रहता हूँ करुणा का चरम बिन्दु हूँ हिन्दू हूँ मैं हिन्दू हूँ प्रेम दया का सिंधू हूँ।। राष्ट्र मेरी माता है गोद मे हर कोई सोता है वन्य जीव से नाता है वनांचल मुझे भात...
मायाजाल
कविता

मायाजाल

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** सूरज आहिस्ता आहिस्ता धरती के आगोश में समा जाता है, हम जमीन से पत्थर उठा कर बेवजह दरिया के सीने पे मारते है देखते है उठती हुई तरंगे जो साहिल से टकराती है तरंगे दिल पर चोट करती है हमआँखों का बांध टूटा पाते है सन्नाटे की बज़्म में न जाने कब तक अपने गीत सुनाते है और न जाने कब तक स्याह आसमा में सितारों के पैबंद लगाते है रात की सिसकियों की महफ़िल शुरू होती है हर निगाह में सवाल होता है हम गुमसुम से क्यो बैठते है मुसलसल कदमो की आहट आती है कोई नज़र नही आता ये कोई राह का जादू है या हमआगत को देख नही पाते है ये हवा का शोर रक्स करते पत्ते ये रात बड़ी अजीब है कोई जरूर हमारे करीब आता है हम है कि उससे दूर भाग जाते है हर रोज सूरज डूबते ही शुरू होती है ये वारदातें हम अपना जिस्म छोड़ कर न जाने क्या क्या खोजते है। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३...
प्रतिज्ञा
कविता

प्रतिज्ञा

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** ये कैसा महारथ ये कैसा पराक्रम ये कैसी श्रेष्ठता भरे दरबार मे एक स्त्री के शील की रक्षा करने में असमर्थ महारथी ,कुल शिरोमणि। ये कैसा पुरुषार्थ ये कैसा साहस निशक्त विचित्रवीर्य के लिए कर लेते हो अपहरण अंबा, अम्बिका, अंबालिका का उनकी कामना के विरुद्ध जाकर बांध देते हो उन्हें परिणय सूत्र में तुम महारथी, कुल शिरोमणि। पिता शांतनु की काम लोलुपता पर अपने स्वप्नों व दायित्व का बलिदान कर दिया तुमने, देवव्रत काश, किंचित सोच लेते मातृभूमि के लिए तत्समय जो तुम्हारे निज नाम से बड़ी थी महारथी, कुल शिरोमणि। तुम्हारा मौन तुम्हारी सहमति बन कुल को ला खड़ा कर देता है विनाश के द्वार पर तुम क्या सोचते रह गए हस्तिनापुर के सिंहासन के लिए महारथी, कुल शिरोमणि। उतरे भी रणभूमि में अनीति का साथ देते परिलक्षित हुए, काश की तुम भी दिखाते साहस युयुत्सु जैसा तुमने अपने प...
ऐसा क्यों, कब तक…???
कविता

ऐसा क्यों, कब तक…???

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** मैं देख रहा हूँ युगों से कभी तुम पत्थर की शिला बन जाती हो तो कभी देकर अग्निपरीक्षा धरती में समा जाती हो कभी काट दी जाती है तुम्हारी गर्दन तो कभी अंगभंग की शिकार हो जाती हो। कभी भरी सभा में अपमानित की जाती हो तो कभी स्वार्थ वश हर ली जाती हो। कभी सधवा हो कर भी विधवा सा जीवन जीती हो तो कभी वरदान को श्राप सा झेल जाती हो। कभी बनती हो खिलौना लम्पटों का तो कभी स्वाभिमान के लिए जलती चिता पर बैठ जाती हो। कभी कुचल कर जला दिया जाता है तुझे तो कभी गर्भ में ही मार दी जाती हो। कब तक बनी रहोगी विनीता क्यो नही करती हो तुम, प्रश्न अहल्या, सिया, रेणुका मीनाक्षी, द्रौपदी, अम्बिका उर्मिला, कुंती, उर्वशी पद्मिनी, वामा। ऐसा क्यों, कब तक? ऐसा क्यों, कब तक? कितने सुंदर रूप है तुम्हारे माँ, बहन, बेटी पत्नी, सखी। फिर भी तुम स्त्री, होने का दंड पाती हो। परिच...
कर्म फल
कविता

कर्म फल

धैर्यशील येवले इंदौर (म.प्र.) ******************** तुम्हारे आत्मग्लानि में डूबने से, इतिहास का पहिया वापस नही घूम सकता द्रोणाचार्य। दंभ और अहंकार से भरे, अपने वचन याद करो, जो तुमने कहे मैं मात्र राजपुत्रो को विद्यादान देता हूँ। सूतपुत्र या वनवासी को नही। क्या तुम्हारा दंभ व अहंकार रोक पाया था कर्ण व एकलव्य को श्रेष्ठ धनुर्धर बनने से। तुम फिर गिरे दूसरी बार मांग कर अंगूठा एकलव्य से तुम जितना गिरे थे उतना ही ऊंचा उठा एकलव्य, तुम्हे अपना अंगूठा गुरुदक्षिणा में देकर। अगर शापित न होता सूर्यपुत्र न किया होता हस्तक्षेप केशव ने, कुछ और होता परिदृश्य महाभारत का। कर्मफल भोगना अनिवार्य है। शायद तुम्हारे ही कर्मफल आज तक भोग रहा है अश्वथामा। परिचय :- धैर्यशील येवले जन्म : ३१ अगस्त १९६३ शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक व...