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Tag: धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू

आओ दीपक बन दीप जलाऍ
कविता

आओ दीपक बन दीप जलाऍ

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** आओ दीपक बन दीप जलाऍ, अंतर्मन की ज्योति दमकाऍ। ईर्ष्या,द्वेष त्याग करके हम, प्रेम-भाव की किरणें बिखराऍ। माटी की काया का क्या गुमान? किस बात की तूझे अभिमान? जिंदगी रहते बंदगी कर लें, आज ही गंदगी को दूर भगाऍ। राम के आदर्शों को अपनाऍ, सीता माई से सतीत्व पाऍ। लक्ष्मण जी से लक्ष्य निभाऍ, भाईचारे की ज्योति जगमगाऍ।। परिवार में रहकर प्यार बांट लें, नवल दीपक बन प्रकाश फैला दें। हर ग्राम अयोध्या नगरी बन जाऍं, हर दिन हर पल रोशनी बिखराऍ।। नशा दुर्व्यसन से मुक्त करा दें, नवल ऊर्जा नव उमंग भर दें। नव किरणें नई तरंगें लहराऍ, नये आयामों से पर्व मनाऍ।। बेटी रूप ही असली लक्ष्मी है, संस्कारों के दीप जला दें। शक्ति-भक्ति का पाठ पढ़ा दें, सारे कष्टों को दूर भगा दें। व्याप्त बुराईयों को दूर भगाऍ, नवाच...
अंतर्मन का रावण जलाओ
कविता

अंतर्मन का रावण जलाओ

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** घर-घर में रावण बन बैठा, तो राम कहाँ से आएगा, कुसंस्कारी दिशा गमन करें, तो राम कहाँ से पाएगा। मनुज चरित ही धर्म-कर्महीन है, तो राम कहाँ लाएगा... कामी, क्रोधी, लोभी, हिंसा, स्वार्थी असूरी गुणी समाया है, अहंकारी, चोरी, व्यभिचारी को दैत्य कारज बताया है। छोड़ो, त्यागो, दफन करो ये सब, तब तो राम मिल पाएगा.. सोकर सपना देखोगे तो सोना कहाँ से मिल पाता है, जाग कर अपने को देखो तो सोना हीरा बन जाता है। घट-घट में जो राम बसा है वहीं तो सबको जगाएगा... दशानन दसगुणी रहा इसलिए वेदों का ज्ञान पाया है, रावण ब्राह्मण कुल लंकेश अधिपति वह कहलाया है। विद्वान होकर भी पाखंडी बना तो राम कहाँ से आएगा .. ब्राह्मण रूप धर छल कपटकर परनारी सीता को लाये हैं, मंदोदरी सखी सहेली मिल, पति रावण को समझाये हैं। पर नारी हरण हिंसाकारी...
शिक्षक का आदर्श भाव
कविता

शिक्षक का आदर्श भाव

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** विश्व के इतिहास में शिक्षक सदैव अमर ही रहेगा। जब तक साँस है शिक्षा का अलख जगाते ही रहेगा।। अंधकार भगाकर उजियारा में रहना सिखाता है दीपक बनकर दीप प्रज्वलित कराना सिखाता है। अपनी आभा बिखेरकर प्रतिभा को उकेरते ही रहेगा ... माता प्रथम गुरू जो अंगुली पकड़कर चलना सिखाती है, ममता वात्सल्य लुटाकर सदा आगे बढ़ना ही सिखाती है। मुश्किलों से लड़कर जीवन को धन्य बनाते ही रहेगा ... पिता द्वितीय गुरू जो पढ़ा लिखाकर गुणवान बनाता है, सद्गति कर्मो से ही पैरों में खड़ा होना ही सिखाता है। शुद्ध भाव से बच्चे माँ-बाप का फर्ज निभाते ही रहेगा ... सत्मार्ग दिखाकर एक अच्छा इंसान ही बनाता है, अपने बल बुद्घि और विद्या से हीरा ही तराशता है। जिंदगी को सँवारकर जीवनभर हुनर सिखाते ही रहेगा ... शिक्षक ही अध्यापक है जो स्वाध्...
हिन्दी है भारत की पहचान
कविता

हिन्दी है भारत की पहचान

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** (१४ सितम्बर २०२१ को हिंदी दिवस पर राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता सृजन प्रतियोगिता प्रतियोगिता विषय हिंदी और हम में तृतीय स्थान प्राप्त कविता।) पंक्तियाँ - १९ हिंदी है गौरव गान की भाषा ... हिंदी है हिदुस्तान की आशा ... वाचन में बेहद सरल हैं, लेखन में बहुत आसान हैं ... पठन में सहज सुबोध हैं, हिंदी ही मेरी पहचान हैं ... हिंदी है जन-संपर्क की भाषा.... हिंदी हमारी मान है, हिन्दी में ही राष्ट्रीय गान है ... हिंदी हमारी शान हैं, हिन्दी ही मानस वरदान हैं ... हिंदी है जन-संपर्क की भाषा.... हिंदी हमारी आत्मा है जो भावनाओं की साज़ है ... हिंदी विचारों की माला हैं जो अंतर्मन की आवाज़ है ... हिंदी है जन-संपर्क की भाषा.... हिंदी ही हमारी सहारा हैं, जो प्राणों में बहती धारा हैं ...
शिक्षक है दीपक
कविता

शिक्षक है दीपक

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** शिक्षक है दीपक की छवि जो जलकर दे दूसरों को रवि वही तो राष्ट्र निर्माता कहलाता है.... तन-मन-वचन से कर्तव्य निभायें जो प्रतिभा की आभा बिखरायें वही तो ज्ञानदाता गुरू कहलाता है.... ईश्वर से महान तो गुरू बतलाये जीवन शैली की तो गुर सिखलाये वही तो भाग्य विधाता कहलाता है.... शिक्षक सद्ज्ञान की ज्योति है वो प्रकाश पुंज की मोती है वही तो दिव्यदाता कहलाता है... सत्-असत् पथ पर चलना सिखायें विद्यार्थी जीवन का मार्ग बतलायें वही तो सुविधादाता कहलाता है ... शैक्षिक सह-शैक्षिक पाठ पढ़ाये सबक सिखाकर आगे बढ़ाये वही तो सीख प्रदाता कहलाता है.... सर्वांगीण विकास कर धन्य बनाये पढ़ा लिखाकर नागरिक बनाये वही तो जीवनदाता कहलाता है .... हर कला क्षेत्र में पारंगत बनाये प्रशंसनीय प्रयास अनुसरण कराये वही तो स...
भारत की महिमा
गीत

भारत की महिमा

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** गाओ माँ भारती की महिमा, जीवन सुखमय आराम है.... वीर सपूतों ने दे दी बलिदानी, मातृभूमि खातिर हो गए कुर्बानी। उनके वीरता को करे सलाम हैं ... जग में सोने की चिड़ियाँ कहलायें, विश्व पटल पर जो परचम लहरायें। यही भारत भूंईया के काम हैं... अमर शहीदों को नमन करते हैं, हर-पल, हर-क्षण वंदन करते हैं। यही तो मातृभूमि की धाम हैं तीन रंगों से निर्मित हैं तिरंगा, आन-बान-शान इनके है अंगा। माँ भारती की असली दाम हैं ... अनेकता में एकता यही विशेषता हैं, समन्वय भाव पुष्प यही विशालता हैं। भारत की करते हम बखान हैं ... भारत देश प्राणों से प्यारा हैं, गंगा यमुना सरस्वती तीनों धारा हैं। दृश्य अनुपम नयनाभिराम हैं ... स्वदेश की रक्षा हिमालय करती है, कन्याकुमारी चरणों को धोती हैं। चारों दिशाओं में तीरथ धाम है...
गुरु की महिमा
कविता

गुरु की महिमा

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** आओ गुरु की वंदना करें, जो सच्ची बात बतलाते हैं। गुरू की सुमिरन जो करें, सो जीवन बदल जाते हैं।। पुरानी परम्परा में आचार्य जी, कठोर नियमों का पालन किया। यम नियम संयम में ही रहकर, चेला जो गुरू का सम्मान किया।। यही गुरू चेला का संबंध बतलाते हैं ... जीवन में कई गुरु मिलते हैं, पर सब सीख जरूर देते हैं। असतो मा सद् गमय सुक्ति ऐसे शिष्य गुरुकुल में सीख लेते हैं।। जो सद्कल्याण का पाठ पढ़ाते हैं ... माता पिता भी प्रथम गुरू हैं, समाज के लिए संस्कार शुरु हैं। शिक्षक का भी क्या कहना, छात्र जीवन का असली गहना।। जो सर्वांगीण विकास कराते हैं ... श्रवण की बात समझ लें प्यारे, जो गुरुवर क महिमा गाते हैं ... परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू निवासी : भानपुरी, वि.खं. - गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद ...
शिव की महिमा
भजन

शिव की महिमा

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** आज मानव भी अपना तीसरा नेत्र तो खोलें, अंतरघट में बसे अंतर्यामी साक्षी से तो बोलें, वही त्रिलोचन तो ज्ञान चक्षुधारी शिव कहलाते हैं। समाज में फैले कुरीतियों को स्व-विवेक से भगायें, हर रोज नित नये आयाम लेकर सहजता से अपनायें। वही हर-हर महादेव शिव सिद्धीश्वर कहलाते हैं .... भौतिक जीवन को त्यागकर सत्य की अनुभूति करायें, भूत, भविष्य, वर्तमान तीनों कालों के रहस्य बतायें। वही हितकारी शिवशंभु त्रिकालदर्शी कहलाते हैं .... बारह मासों में एक बार सावन जरूर आते हैं, कल्याणकारी भोलेनाथ भी तो ससुराल आते हैं। वही पूजा-पाठ घर मंदिर ही शिवालय कहलाते हैं ..... रिमझिम फुहार ही तो विवेक वैराग्य जगाते हैं, झूठी मिथ्या कल्पनाओं को तो दूर भगाते हैं। वही जो जटा से ज्ञान की गंगा जटाशंकर बहाते हैं ...... रजो, तमो, सतो ...
प्रयास ही श्रेष्ठ पूजा है
आलेख

प्रयास ही श्रेष्ठ पूजा है

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ********************  हमारे देश का सुप्रसिद्ध शास्त्र "योगवाशिष्ठ रामायण" उद्यम के विषय में क्या कहता है तुमने सुना है? "यदि मनुष्य ने ठीक-ठीक तथा सच्चे ह्रदय से प्रयास किया हो, तो इस संसार में कुछ भी अलभ्य नहीं है। किसी वस्तु की प्राप्ति की इच्छा से प्रेरित होकर यदि कोई सच्चा प्रयास करें, तो उसे निश्चित रूप से सफलता मिलेगी। मनुष्य अपने जीवन में कुछ पाने की इच्छा करें, उसे प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करता रहे, तो देर-सबेर वह अवश्य सफल होगा। परंतु उसे अपने मार्ग पर अटल भाव के साथ आत्मसात करते हुए बेहिचक चलना होगा।" इस जगत में बहुत से लोग अभाव तथा निर्धनता की गहराई से निकलकर सौभाग्य के शिखर पर पहुंच गए। केवल अपने भाग्य पर ही निरर्थक विश्वास रखने वालों ने नहीं, अपितु अपने उद्यम पर निर्भर रहने वाले बुद्धिमान लोगों ने ही कठिन तथा संक...
करते है चिकित्सक का सम्मान
कविता

करते है चिकित्सक का सम्मान

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** पढ़ लिखकर जो पाए ज्ञान, सेवा करें जो जीव कल्याण। मरीजों की जो बचाएँ जान, बनता वही चिकित्सक महान। करते हैं चिकित्सक का सम्मान। सचमुच में हैं वे धरती के भगवान।। कोई मन की इलाज करते हैं, कोई रोगियों की सेवा करते हैं। कोई मीठी बोली ही बोलते हैं , कोई धैर्य का पालन करते हैं। स्वस्थ हो जाते हैं आखिर इंसान। सचमुच में हैं वे धरती के भगवान।। मरीजों से करते हैं जो प्यार, मिट जाते हैं सब मनो विकार। अस्वच्छता से होते हैं बीमार, जांच परख से करते हैं उपचार। तंदुरुस्त कर देते हैं जीवन महान। सचमुच में हैं वे धरती के भगवान।। योद्धा बनकर सेवा करते, रात दिन मेहनत वो करते। शल्यक्रिया समय देख करते, संयम नियम का पालन करते। श्रवण करते हैं चिकित्सक का मान सचमुच में हैं वे धरती के भगवान।। परिचय :...
बदला रूप बादल दिखाया
कविता

बदला रूप बादल दिखाया

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** जेठ निकले तो आषाढ़ आया, उमड़-घुमड़ कर बादल आया। बदला रूप बादल दिखाया, झमाझम रिमझिम पानी बरसाया।। धरती माता कर रही पुकार, बिल से निकलो दौड़ो पार। साँप बिच्छू सब जीव अपार, मेंढक टर्र टर्र किया जोरदार।। मेघ देख जल बरसाया, बदला रूप बादल ... बैसाख की घमोरियां मिटाई, गरमी की तो उमस भगाई। पुरवैय्या,पछुआ से जग सरसाई, धरती की सौंधी खुशबू आई।। पेड़-पौधे,फूल-पत्ती मौज मनाया, बदला रूप बादल ... किसान खेती में लग गये भाई, हल चलावत करे बुआई। आगे महिना आषाढ़ जुलाई, मदरसा खुल गई करें पढ़ाई।। गुरूजी ने तो खूब पढ़ाया, बदला रूप बादल ... भारत भूंईया हरियाली छाई, मौसम देख कर मुस्कराई। देखो देखो घटा अब आई, मोर पपिहा सब चिल्लाई।। मनोरम दृश्य श्रवण को भाया; बदला रूप बादल ... परिचय :- धर्मेन्द्र कुम...
करें योग रहें निरोग
कविता

करें योग रहें निरोग

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** जगत गुरु की पथ में हमने, आगे कदम बढ़ाया है । योग को भारतवर्ष ही नहीं, विश्व में पहचान दिलाया है ।। जोड़ सकें तन मन आत्मा को, योग वही कहलाता है । जुड़ जाये आपस में तो फिर, भेद सभी का मिट जाता है ।। योग सहज साधन है ध्यान की, हमने साधना से यह पाया है योग को भारतवर्ष ही नहीं ..... करता है जो योग हमेशा निरोग वही रह पाता है । तन के सारे कष्टों से, मुक्ति उसको मिल जाता है ।। बात बड़ी सच्ची है यह, इसको हमने अजमाया है योग को भारतवर्ष ही नहीं ... तन हो स्वस्थ वचन हो मस्त , यूं ही निर्मल हो जायेगा । शारीरिक मनोविकार जैसे , ध्यान से ही भाग जायेगा ।। नरक के जगह स्वर्ग बनाकर, प्रेम का अलख जगाया है योग को भारतवर्ष ही नहीं .... सम्प्रदाय मजहब धर्मों से, योग का ना कोई नाता है । सीमाओं में कोई बंधन...
वृक्ष कल्याण… जीवन महान
कविता

वृक्ष कल्याण… जीवन महान

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** वृक्ष दवा है, वृक्ष दुआ है, वृक्षों से हैं जीवन। वृक्ष साँस है, वृक्ष आस है, वृक्षों से हैं सावन।। वृक्ष सबेरा, वृक्ष बसेरा, वृक्षों से हैं साधन। वृक्ष फल है, वृक्ष फसल है, वृक्षों से हैं कानन।। वृक्ष जलद है, वृक्ष जलज है, वृक्ष बिना है सुनापन। वृक्षों से वायु, वृक्षों से आयु, वृक्षों से हैं अपनापन।। वृक्ष हरापन, वृक्ष भरापन, वृक्षों से हैं मधुबन। वृक्ष सुहावन, वृक्ष मनभावन, वृक्षों से हैं हर्षित मन।। वृक्ष महान है, वृक्ष जहान है, वृक्षों से हैं कल्याण। वृक्ष दान है, वृक्ष खान है, वृक्षों से हैं भगवान।। वृक्ष मनन है, वृक्ष चिंतन है, वृक्षों से हैं ये ज्ञान।। वृक्ष तन है, वृक्ष मन है, वृक्षों से हैं ये ध्यान।। वृक्ष नमन है, वृक्ष सुमन है, वृक्षों से हैं ये भजन। वृक्ष आज है, वृक्ष काज है, वृक...
अपना कर्म सुधारों भाई, जीवन की यही सच्ची भलाई
कहानी

अपना कर्म सुधारों भाई, जीवन की यही सच्ची भलाई

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** लोग कहते है कि सतनाम कहो पाप कट जायेगा, राम नाम कहो पाप कट जायेगा, गंगा में नहा लो पाप कट जायेगा। इसलिए मैं मानता हूँ कि पाप, तुम करो ही मत। कभी हो गया तो हो गया, आगे अब गलती न करो। गलती तो इंसान से ही होती है, दिवार से नहीं। अत: गलती से बचने के लिये गलती का रास्ता छोड़ना है, यह नहीं कि कोई मंत्र-वंत्र जपकर उसको काटने की बात करनी है। कोई मंत्र-वंत्र जपने की आवश्यकता नहीं है कि जिससे आपका पाप कट जाए। सब कुछ सामने आता है। समझ है अपने कर्म को सुधार करने की, इसी में ही मानव समाज की भला है। मानव को समाज में रहकर जीवन जीने की कला सीखना चाहिए। सदाचार व नैतिकता पर आधारित मार्मिक कहानी का अंश राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच के पावन पटल पर रखने का प्रयास है। इसी आशा और विश्वास के साथ पाठकगण सहर्ष अपनाएंगे और इसके अध्ययन मनन से सच...
जग की कल्याणी
कविता

जग की कल्याणी

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** शिशु को नौ मास देह में रखकर गर्भ में ही पोषण आहार कराती है । जनम देकर इस जगत् में तूम उस दिन से ही तू माॅ कहलाती है ।। नहलाना धुलाना और संवारना लाड प्यार से आगे बढ़ाती है । बोलना चलना और सिखाकर बड़े ही स्नेह से बात मनवाती है।। जनम देकर इस जगत् .............. जब बड़ा हुआ उम्र पढ़ने का एक-एक अक्षर ज्ञान कराती है । खुशमिज़ाज खुशहाल होकर अपना संपूर्ण कर्तव्य निभाती है ।। जनम देकर इस जगत् .............. पढ़ा लिखा गुणवान बनाकर महापुरुषों का दर्शन बताती है । नारी जग का कल्याणी तू माॅ मातृ शक्ति का पाठ पढ़ाती है ।। जनम देकर इस जगत् .............. शारीरिक मानसिक व चारित्रिक और सर्वांगिण विकास कराती है । परिवार ही समाज का प्रथम शाला पहला गुरू यह माॅ बतलाती है।। जनम देकर इस जगत् .............. सत्-असत् मार्ग परख कर सत्य-पथ पर ...
पेड़ लगाये… भविष्य संवारे
कविता

पेड़ लगाये… भविष्य संवारे

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** इंसान को कितना कौन समझाये समझकर भी अनजान बनता है । यदि प्रकृति को समझ जाये तो वह इंसान भगवान बनता है ।। बुद्धिमान होकर भी आदमी नासमझ और बेईमान बनता है । सभी प्राणियों में ही सिरमौर है वह मानव का आज पहचान बनता है ।। यदि प्रकृति को समझ ........ ..... कहते है वृक्ष आस है वृक्ष सांस है वृक्ष से कई औषधि बनता है । पेड़ लगाओ भविष्य संवारो वृक्ष से ही तो ऑक्सीजन बनता है।। यदि प्रकृति को समझ ......... ..... आओ मिलकर कर आज ही शपथ ले पर्यावरण संरक्षण का समझ बनता है। प्रकृति के तत्वों को आज जान ले पर्यावरण प्रेमी श्रवण बनता है ।। यदि प्रकृति को समझ ......... ..... परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू निवासी : भानपुरी, वि.खं. - गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़ कार्यक्षेत्र : शिक्षक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हू...
सावधानी ही बचाव है
कविता

सावधानी ही बचाव है

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** स्वस्थ रहो मस्त रहो कोरोना से डरो नही वर्तमान की यह रीत है संयम मे रहो सादगी रहो अभी सबका यही मीत है स्वस्थ रहो ......... दो गज दूरी नियम में रहो यही बचाव का गीत है स्वस्थ रहो .......... जान है तो जहान में रहो इसी से सबका प्रीत है स्वस्थ रहो .......... घर पर रहो सुरक्षित रहो यही जिन्दगानी की जीत है स्वस्थ रहो .......... घरेलू नुस्खे अपनाते रहो डाॅ.की सलाह लेते रहो यही लाकडाउन की जीत है स्वस्थ रहो .......... स्वस्थ रहो मस्त रहो कोरोना से डरो नही वर्तमान की यह रीत है।। परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू निवासी : भानपुरी, वि.खं. - गुरूर ,पोस्ट- धनेली, जिला - बालोद छत्तीसगढ़ कार्यक्षेत्र : शिक्षक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि र...