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Tag: धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू

विश्व जल दिवस पर चौपाई-छंद
चौपाई, छंद

विश्व जल दिवस पर चौपाई-छंद

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** आज विश्व जल दिवस मनाओ, सब जनता को यह परखाओ। अब जन जागरूकता लाओ, गली खोर अभियान चलाओ।। जल बिन मछली तड़पे कैसे, प्राण वायु बिन मरते जैसे। एक बूँद का कीमत जानो, कितना महत्व इसको मानो।। आओ प्यारे सब मिल गाओ, बचाने का संकल्प उठाओ। अब जन जागरूक हो जाओ, जल संरक्षण मिशाल लाओ।। पानी के बिन यह जग सूना, जीव जंतु है प्रकृति नमूना। बेकार की अब इसे न बहाओ, आसपास को स्वच्छ बनाओ।। जल बचाव का नियम बनाओ, जल-जंगल-जमीन महकाओ। पेड़ लगाकर छाया पाओ, खुशहाली जीवन हर्षाओ।। जल बिन सावन भादो कैसा, धरा तृषित अनावृष्टि जैसा। धरती मैय्या हरियाली पाओ, पानी बचाने घर-घर समझाओ।। *श्रवण* मनन कर लिख चौपाई, जल ही जीवन समझो भाई। हँसी खुशी महोत्सव मनाओ, अब प्रतिज्ञाबद्ध हो जाओ।। परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श...
होली पर चौपाई
चौपाई

होली पर चौपाई

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** हिरण्यकश्यप पापी राजा, काम क्रोध का मृदंग बाजा। विष्णु भक्त घर में अवतारी, दिये जन्म कयाधु महतारी।। प्रहलादा मारे किलकारी, किया नरेश जब अत्याचारी। मंत्र जाप सुन नहीं सुहाया, पापी होलिका को बुलाया।। बहन यंत्र जल्द सीख पाया, भैया का कह मान बढ़ाया। मिली होलिका को वरदाना, आग दहन से जल ना पाना।। राजा का आज्ञा वो पायी, जलती ज्वाला में बैठायी। असुरी भक्तिन स्वाहा होई, अजर अमर पुत्र श्री हरि कोई।। नाम प्रहलाद संतति पाया, ब्रह्म ज्ञान से मन हर्षाया। सत्य धर्म पथ जो चल पाया, विष्णु भक्त विजयी हो आया।। आत्म शुद्धि का पर्व मनाया, शक्ति भक्ति से भाव जगाया। मन पवित्र तब हो बढ़ पाया, परब सफलता गुण सिखलाया।। मिलजुल कर उत्सव मनाया, प्रेम रंग सब जन को भाया। रंग भरो मारो पिचकारी, भींगे चाहे गोरी कारी।। छ...
मेरी माटी मेरा देश
कविता

मेरी माटी मेरा देश

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** मेरी माटी मेरा देश .. भारत का यही संदेश .. आओ मिल-जुल गाओ जी .. भारत का मान बढ़ाओ जी .. अमर शहीदों के कुर्बानी से, मिली है हमें आजादी जी। जय हिंद के नारा लगाकर, अमृत उत्सव मनाओ जी। तिरंगा का तो प्रतीक है, आन, बान और शान जी। आओ इन्हें नमन करें हम, भारतवासी हिंदुस्तान जी। मानव बनकर मानवता का, भाईचारा का भाव गढ़ों। इंसान बनकर इंसानियत का, देशप्रेम का पाठ पढ़ो। हिंदु मुस्लिम सिक्ख इसाई, संस्कृति का संवर्धन करो। जन-गण-मन गान कर सब, राष्ट्रीयता का पहचान करो। परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू निवासी : भानपुरी, वि.खं. - गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़ कार्यक्षेत्र : शिक्षक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविता...
रक्षाबंधन तिहार के गाड़ा-गाड़ा बधाई
आंचलिक बोली, कविता

रक्षाबंधन तिहार के गाड़ा-गाड़ा बधाई

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ के भूंइया म, आथे जी तिहार। रक्षासूत्र म बंध जाथे, भाई बहन के प्यार।। माथा म तिलक लगाके, हाथ म बंधाय डोर। बहन के सुरक्षा खातिर, भइया लगाय जोर।। एक दुसर मीठा खिलाके, देवत हे उपहार। चरण छुके आशीष मांगे, बने प्रेम व्यवहार।। परब सावन महीना म, आथे साल तिहार। संस्कृति ल संवारे बर, करत हे घर परिवार।। युवा भाई मिलजुल के, करव बेटी उद्धार। बेटी के ईही रुप हरे, जानव ए अधिकार।। वसुंधरा के पहुंचे ले, जगत म उड़गे शोर।। चंदा मामा खुश होगे, बांधिस प्रीत के डोर। मंगलकामना पठोवत, श्रवण करत पुकार। रक्षाबंधन के तिहार म, लाओ खुशी बहार।। परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू निवासी : भानपुरी, वि.खं. - गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़ कार्यक्षेत्र : शिक्षक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणि...
आओ पुस्तक पढ़ें … जिंदगी गढ़ें …
कविता

आओ पुस्तक पढ़ें … जिंदगी गढ़ें …

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** पुस्तक पढ़ना जिंदगी गढ़ना हमें महकना सिखाती हैं.. आगे ही बढ़ना संघर्ष करना हमें सॅंवरना सिखाती है .. नई किरणें लेकर बिखरना नई उम्मीदें जगाती हैं.. नई आशाएं लेकर निखरना परिभाषाएं बतलाती हैं.. चिंता न कर चिंतन करना चेतना चित में जगाती हैं.. चिरसम्मत सद्कर्म गढ़ना चिरायु स्मृति ये दर्शाती हैं.. जीवन उपवन सा महकना चेहरों पे मुस्कान लाती हैं.. वनों जैसे आच्छादित होना पर्यावरण संदेश बताती हैं.. कलकल कर नदियां बहना अनवरत ये गीत गाती हैं.. कलरव कर पंछी चहकना संगीत लयबद्ध भाती हैं.. हिसाब करना किताबें पढ़ना जाॅब का चयन कराती हैं.. पढ़ लिखकर गुणवान बनना आदर्श पथ पर चलाती है.. परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू निवासी : भानपुरी, वि.खं. - गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़ कार्...
हमर भीम बाबा
कविता

हमर भीम बाबा

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** अंजोर के बगरैय्या हमर भीम बाबा जी धन्य होगे लिखित संविधान के रचैय्या अम्बेडकर महान होगे सरल अउ सहज व्यक्तित्व के धनी रिहिस हे सादा जीवन उच्च विचार के मणि रिहिस हे धरम-करम के रद्दा बतैय्या वो तो पूजनीय होगे ... अंजोर के बगरैय्या हमर भीम बाबा धन्य होगे ... जात-पात अउ भेदभाव के गड्डा ला पाटीस हे छुआछूत अउ कुरीति के जड़ ल वो गाढ़िस हे अइसनहा मानव मन के जनैय्या महामानव होगे अंजोर के बगरैय्या हमर भीम बाबा धन्य होगे ... संत मनीषी साधू सन्यासी मन के संग ल धरिस हे तीन रतन अउ पञ्चशील के सन्देश ल गढ़िस हे अष्ट मारग म चलैय्या बौद्ध धरम के पुजारी होगे अंजोर के बगरैय्या हमर भीम बाबा धन्य होगे ... बाबा के रद्दा अपनाही उंकर जिनगी सरग बन जाही खान-पान रहन-सहन सुधारही उंकरे बेड़ापार हो जाही *श्र...
जल ही जीवन है
कविता

जल ही जीवन है

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** जल है तो कल है, कल से ही सकल है। जल‌ है तो फल‌ है, फल से ही सफल है। जल है तो अधि है, अधि से ही जलधि है। जल‌ है तो वारि है, वारि बिना व्याधि है। जल ही तो अज है, जल से ही जलज है। जल है तो आज है, आज से ही समाज है। जल है तो वन है, वन से ही जीवन है। जल है तो घन है, घन से ही सघन है। जल है तो बल है, बल से ही सबल है। जल है तो हल है, ‌ हल से ही महल है। जल ही तो नीर है, नीर से ही समीर है। जल है तो खीर है, खीर से ही बखीर है। जल है तो तन है, तन से ही वतन है। जल है तो मन है, मन से ही मनन है। जल है तो वर्ण है, वर्ण से ही सवर्ण है। जल है तो वर्ग है, वर्ग से ही संवर्ग है। जल है तो धन‌ है, धन बिना निर्धन‌ है। जल है तो जन है, जन से ही सज्जन है। जल है तो जीव है, जीव से ही सजीव है...
गुरु बाबा के गुण गाबो
आंचलिक बोली, कविता

गुरु बाबा के गुण गाबो

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी कविता चलना झंडा फहराबो... गुरुबाबा के गुण गाबो... मानवता संदेश खातिर धाम गिरौधपुरी जाबो... मनखे मनखे सब्बो ऐके समान हे ... सब्बो समान हे ...बाबा ... सब्बो समान हे ... मानुस काया के तो इही ह पहचान हे ... इही ह पहचान हे ...बाबा... इही ह पहचान हे ... ऐके ही खून अउ ऐके ही तो चाम हे.. एक ही चाम हे.. बाबा... एक ही चाम हे.. . चलना नवा बिहान लाबो... चलना तीरथ धाम जाबो.. मानवता संदेश खातिर धाम गिरौधपुरी जाबो... सच के रद्दा बतैइया गुरु घासीदास बाबा हे.. घासीदास संत हे...बाबा... घासीदास संत हे.. जीव हतिया रोकैइया बाबा मांहगू के लाला हे.. मांहगू के लाला हे... बाबा... घासीदास बाबा हे.. सतनाम के संदेश बगरैइया अमरौतिन के दुलरवा हे.. अमरौतिन के दुलरवा हे...बाबा... घासीदास बा...
नारी का महत्व
कविता

नारी का महत्व

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** जब मैंने जनम लिया, वहां एक *नारी* थी। जिसने मुझे थाम लिया, वो *जननी महतारी* थी।। जैसे-जैसे मैं बढ़ा हुआ, वहां भी एक *नारी* थी। खेली कूदी और मदद की, वो मेरी *बहन* प्यारी थी।। बड़ा हो करके शाला गया, वहां भी एक *नारी* थी। पढ़ाई लिखाई खूब करायी, *शिक्षिका* भविष्य सॅंवारी थी।। जब भी मैं निराश हुआ, वहां भी एक *नारी* थी। जीवन से मैं कभी ना हारा, *महिला मित्र* न्यारी थी।। प्रेम की आवश्यकता पड़ी, वहां भी एक *नारी* थी। हमेशा जीवन साथी रही, *धर्म पत्नी* परम प्यारी थी।। जब भी गोद में हलचल हुई, वहां भी एक *नारी* थी। मेरे व्यवहार को नरम किया, वो मेरी *बेटी* दुलारी थी।। नौ दिन में नौ रुप उजियारे, वहां भी एक *नारी* थी। नौ रात्रि में नौ स्वरुप सॅंवारे, *दुर्गा* शेर पे सवारी थी।। जीवन की कला...
कुछू समझ नइय आवत हे …
आंचलिक बोली

कुछू समझ नइय आवत हे …

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** छत्तीसगढ़ी रचना मोला तो बिल्कुल ऐ बात के समझ नइय आवत हे.. ११ दिन पूजा करीन बिसर्जन मॅं डीजे बजावत हे.. कोनो ह पीये हे दारु त‌ केते चखना मॅं झड़त हे लाड़ू .. कोनो ह पीयत नशा मॅं गांजा पीइय ह जादा होगे त बजावत हे बाजा.. झूमत-झूमत झूपत-झूपत अऊ नाचत कूदत जावत हे.. ग्यारह दिन पूजा करीन बिना रंग ढंग के डीजे बजावत हे.. देवत हे एक दूसर ल गारी नशा मॅं नांचत हे जम्मो संगवारी आना जाना ल जाम कर दीस सड़क चलैय्या मन‌ ल‌ हलाकान कर दीस सियान मनखे ह समझा परीस त अंगरी ल दिखावत हे .. ग्यारह दिन पूजा करीन बिसर्जन मॅं डीजे बजावत हे.. धीरे-धीरे पहुंच गे नरुवा तरिया पूजा करे बर सब्बो सकलागे जहुंरिया जय-गणेश, जय-गणेश.. पूजा करीन जम्मो संगी चोरो-बोरो लंबोदर ल धरीन तैरे बर आईस तैंहा बचगे न...
अगर हमारे शिक्षक ना होते..?
कविता

अगर हमारे शिक्षक ना होते..?

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** अगर हमारे शिक्षक ना होते तो कहाॅं संस्कार का बीज बोते..? कौन सिखाता भाषा वाणी ..? कौन बताता कथा कहानी ..? कौन बनाता अक्षर ज्ञानी..? कौन बतलाता गिनती गानी..? अगर शिक्षक शिक्षा ना देते तो कहाॅं संस्कार का बीज बोते..? अगर हमारे शिक्षक ना होते तो कहाॅं संस्कार का बीज बोते..? कौन सीख देता आचार-विचार..? कौन बतलाता वो शिष्टाचार ..? कौन सिखाता मधुर व्यवहार..? कौन अपनाता मर्यादा संस्कार..? अगर शिक्षक मैला ना धोते तो कहाॅं संस्कार का बीज बोते..? अगर हमारे शिक्षक ना होते तो कहाॅं संस्कार का बीज बोते..? कौन बताता जीवन का आधार..? कौन बताता भूखंड का विस्तार..? कौन बताता इतिहास का सार..? कौन गढ़ता विश्व का परिवार..? अगर शिक्षक कर्मठ ना होते कहाॅं संस्कार का बीज बोते..? अगर हमारे शिक्षक ना...
आजादी का अमृत महोत्सव
कविता

आजादी का अमृत महोत्सव

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** घर-घर तिरंगा, हर-घर तिरंगा। फहर-फहर फहराएं तिरंगा।। तीन रंगों से निर्मित तिरंगा। आन-बान-शान है इनके अंगा।। सबसे ऊपर केसरिया कहलाएं, शौर्य ,ताकत ,साहस दिखलाएं। शांति और सत्य सफेद बतलाएं, खुशहाली जीवन हरा परखाएं।। बहाओ प्यारे विचारों की गंगा ... लहर-लहर लहराएं तिरंगा ... कुंठित विचार और त्यागो द्वेष, ना रखें ईर्ष्या ना किसी से क्लेश। सत्य व अहिंसा का पहनो भेष, विश्व गुरु कहलाएं भारत देश।। मन में उठे सद् विचार तरंगा ... डगर-डगर लहराएं तिरंगा ... युवा शक्ति अब जाग जाओ, जात-पात का फंदा मिटाओ। मानवता का संदेश बिखराओ, नई-किरणें की उम्मीद जगाओ। अमृत उत्सव का यही उमंगा ... शहर-शहर फहराएं तिरंगा ... आओ प्यारे अब देश सॅंवारें, सादा जीवन उच्च विचारे। देश-प्रेम सारे जग में पसारें, माॅं भ...
आगे संगवारी हरेली तिहार
आंचलिक बोली

आगे संगवारी हरेली तिहार

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी कविता) मनाबो संगी हरेली तिहार, धरती माई ह देवत उपहार। बारह मास मॅं हरेक परब, हमर संस्कृति हमु ला गरब। चलो मनाथन पहली तिहार, धरती माई ह देवत उपहार.. अन्न उपजइया गंवइया किसान, भूंईया के हरे इही भगवान। हरियर दिखत हे खेत-खार, धरती माई ह देवत उपहार.. गरुवा-गाय बर बनगे दवा, रोग-राई भगाय बर मांगे दुआ। घर के डरोठी मॅं खोंचत डार, धरती माई ह देवत उपहार.. रुचमुच रुचमुच बाजत हे गेड़ी, सुग्घर दिखत हे संकरी बेड़ी। रोटी-पीठा महकत हे घर दुआर, धरती माई ह देवत उपहार.. रापा, कुदारी, बसुला, बिंधना, धोवा गे नागर सजगे गना। रहेर हरियागे दिखत मेड़-पार, धरती माई ह देवत उपहार.. पेड़ लगाबो चलो जस कमाबो, मिल-जुल के हरेली मनाबो। छत्तीसगढ़ मैइया होवत श्रृंगार, धरती माई ह देवत उपहार.. प्रकृति...
महात्मा गौतम बुद्ध
कविता

महात्मा गौतम बुद्ध

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** जन्म – ५६३ ई.पू., लुम्बिनी (नेपाल) ; कपिलवस्तु के पास मृत्यु - ४८३ ई.पू., कुशीनगर (भारत) ; माता – महामाया(मायादेवी), पिता – शुद्धोधन जीवनसाथी – राजकुमारी यशोधरा, पुत्र – राहुल, विमाता – महाप्रजापती गौतमी -------------------------------------------------------------------- :::::::::::गौतम बुद्ध के जीवन दर्शन:::::::::: ######################### भारत की पवित्र भूमि पर कई देव तुल्य महापुरुषों ने जन्म लिया | अपने कृत्य व कृति के बल पर मानव समाज का कल्याण किया || ऐसे असाधारण विभूति महात्मा बुद्ध का मानव रूप में अवतरित हुए | अध्यात्म की ऊँचाइयों को छूकर विश्व - पटल पर नाम रोशन किये || ________भाग - १________ ------------------------------------------------------------------- ::::::::: शिक्षा व विवा...
माॅं की महिमा निराली है
कविता

माॅं की महिमा निराली है

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** माॅं की ममता, माॅं की क्षमता महिमा गजब निराली है । ९ माह कोख में रखकर, सकल जगत को पाली है... माॅं न्यारी है , माॅं प्यारी है । माॅं कोमल-सी महतारी है । परिवार की खुद रक्षा कर, धरम करम करनेवाली है... माॅं बहू है , माॅं ही सास है । परिवार की अटूट विश्वास है । घरेलू कारज निर्वहन कर, माॅं गृह प्रमुख घरवाली है... माॅं ही अम्मा, माॅं ही मम्मा है । माॅं ही नींव-सी खम्भा है । अमृत-सी दूग्ध-पान कराकर, वात्सल्य सिंचती माली है ... माॅं वंदनीय है, माॅं पूजनीय है । जगत दायिनी आदरणीय है । घर गृहस्थी बीड़ा उठाकर, संस्कार देकर संभाली है ... माॅं करुणामयी, माॅं ममतामयी शीतल-सी छत्र छाया है । नित्य सद्गुण अपनाकर, दया दृष्टि वृक्ष-सी डाली है... माॅं की भक्ति, माॅं की शक्ति है । सद्गुणों से सजती सॅ...
मैं जीता जागता  मजदूर हूँ
कविता

मैं जीता जागता मजदूर हूँ

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** मैं काम से चूर हूँ इसलिए मजबूर हूँ मैं बहुत दूर नहीं इसलिए मजदूर हूँ मैं आपके पास हूँ तभी तो सबके साथ हूँ मेरे द्वारा प्रयास ही सबके लिये आस हूँ मैं श्रम का नूर हूँ इसलिए मजबूर हूँ मैं बहुत दूर नहीं इसलिए मजदूर हूँ मेरे पास कान हैं रोज खोलता दुकान हूँ मेरे पास हाथ हैं मिस्त्री बनाता मकान हूँ मैं तो कोहिनूर हूँ इसलिए मजबूर हूँ मैं बहुत दूर नहीं इसलिए मजदूर हूँ मैं हर रोज करम करता तब परिवार चलता है मैं लगन से मेहनत करता हूँ पूरे संसार चलता है मैं महज दूर नहीं इसलिए मजबूर हूँ मैं बहुत दूर नहीं इसलिए मजदूर हूँ पंचतत्व ढांचा से बना ये हाड़ है इसलिए पहाड़ हूँ जंगल में मंगल मनाता है इसलिए शेर का दहाड़ हूँ मैं श्रम से चूर हूँ इसलिए मजबूर हूँ मैं बहुत दूर नहीं इसलिए मजदूर हूँ जल जंगल जमीन...
वर्तमान, हनुमान और प्रतिमान
कविता

वर्तमान, हनुमान और प्रतिमान

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** वर्तमान परिवेश में बताओ अब हनुमान कहां..? मान नहीं मिल पाया तो परखो अब सम्मान कहां..? धीर वीर गंभीर होते हैं वहीं तो बाहुबली है, जो रंग व ढंग बंदल दे वही तो बजरंगबली है। अष्टसिद्धियों में कुशल अब सर्व शक्तिमान कहां..? वर्तमान परिवेश में बताओ अब हनुमान कहां..? मान नहीं मिल पाया तो परखो अब सम्मान कहां..? काम क्रोध लोभ अंहकार को सूर्य जैसे निगल दिया, पवन जैसा वेग मारूत जैसे आवेग सबको बता दिया। केसरीसुत बलशाली जैसे अब स्वाभिमान कहां...? वर्तमान परिवेश में बताओ अब हनुमान कहां..? मान नहीं मिल पाया तो परखो अब सम्मान कहां ..? भावों का अंत नहीं उनके जैसे हनुमंत कहां..? मनगढ़ंत बातें नहीं उनके जैसे पारखी संत कहां..? दार्शनिक महावीर जैसे अब वर्धमान कहां... मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी के सच्चे वो भ...
हमर बाबा धन्य होगे
आंचलिक बोली, कविता

हमर बाबा धन्य होगे

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** अंजोर के बगरैय्या हमर भीम बाबा धन्य होगे। लिखित संविधान के रचैय्या अम्बेडकर महान होगे।। सरल अउ सहज व्यक्तित्व के धनी हाबे जी। सादा जीवन उच्च विचार के मणि हाबे जी।। धरम करम के रद्दा बतैय्या वो तो पूजनीय होगे .. अंजोर के बगरैय्या हमर भीम बाबा धन्य होगे .... जाति–पाति भेदभाव के गड्डा ला वो पाटीस हे। छुआछूत अऊ कुरीति के जड़ ल घलो वो गाढ़िस हे।। अइसनहा मानव जन के जनैय्या महामानव होगे ... अंजोर के बगरैय्या हमर भीम बाबा धन्य होगे... संत मनीषी साधू संन्यासी मन के संग ल धरिस हे। तीन रतन अउ पञ्चशील के सन्देश ल गाढ़िस हे।। आष्टगिंक मारग म चलैय्या बौद्ध धरम के अनुयायी होगे.. अंजोर के बगरैय्या हमर भीम बाबा धन्य होगे... बाबा के मारग ल अपनाही वोकरे जिनगी सरग बनत हे। खान-पान, रहन-सहन सुधारही उंख...
आया रे हिंदू नव वर्ष महिना
कविता

आया रे हिंदू नव वर्ष महिना

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** आया रे हिंदू नव वर्ष महिना भाया रे हिंदू नव वर्ष महिना चैत्र माह शुक्ल प्रतिपदा साजे नवरात्रि पर ढोल मंजिरा बाजे मन भाया रे नव वर्ष महिना.. पेड़ों में नये-नये कोंपलें आती वसुंधरा माॅं की शोभा बढ़ाती हर्षाया रे नूतन वर्ष महिना.. राम नवमी में श्रीराम जनमे आदर्श को अपनाओ मन में सरसाया रे नव वर्ष महिना.. मनोरम दृश्य प्रकृति ने सॅंवारी हैं शिक्षा दीक्षा से संस्कृति न्यारी हैं आया रे सहर्ष नव वर्ष महिना.. सुख व समृद्धि जीवन में भरा हो हर्षोल्लास उमंग मन में उमड़ा हो बताया रे श्रवण हर्षित जीना.. परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू निवासी : भानपुरी, वि.खं. - गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़ कार्यक्षेत्र : शिक्षक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं म...
भक्त माता कर्मा की महिमा
भजन, स्तुति

भक्त माता कर्मा की महिमा

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** गाओ जी मां कर्मा की महिमा गाओ जी मां कर्मा की महिमा जीवन सुखमय आराम है... जय कर्मा बोलो, जय कर्मा बोलो जय कर्मा बोलो, जय कर्मा बोलो नारी शक्ति में कर्मा महान है... कहलाती है मेवाड़ की मीरा तेलीय वंश की है भक्त हीरा जगन्नाथ पुरी में उनकी धाम है... गाओ जी मां कर्मा की महिमा जीवन सुखमय आराम है... बचपन से ही भक्ति भाव में लगी है भक्त बनके भगवान की दृष्टि जगी है खिचड़ी खिलाना सदा काम है ... गाओ जी मां कर्मा की महिमा जीवन सुखमय आराम है... अपनी प्रतिभा से आभा बिखेरती जन मानस में कल्याण कारज करती कुल देवी को करते सलाम है... गाओ जी मां कर्मा की महिमा जीवन सुखमय आराम है... भावों की धनी और विचारों की मणि है सद्भाव सद्कर्म से ही संत शिरोमणि है नारी शक्ति व भक्ति में नाम है ... ...
आओ मिल जुल होली मनाएँ
कविता

आओ मिल जुल होली मनाएँ

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** प्रेम के रंग में रंग जाओ भाई, होली परब पर आत्मीय बधाई| काम क्रोध लोभ मोह को जलाओ रे, अंतस मन अंहकार को दूर भगाओ रे| यही संदेश देते शुभ घड़ी आई..... ईर्ष्या जलन द्वेष भाव को दफनाओ रे, समाज में फैले कुरीतियों को भगाओ रे| जीवन की यही असली सच्चाई ..... बुराई हराकर अच्छाई के हार पहन लो, दया प्रेम करुणा का गहना अपना लो| परिवार सुसंस्कारी बनाओ भाई ..... चोरी नशा दुराचार भष्टाचार को मिटाओ, संवर जायेगा देश सदाचार को अपनाओ| संकल्पित भाव से ज्योति जलाई..... जल जंगल जमीन प्रकृति के अंग है, पर्यावरण मित्र बनो जीने के ढंग है| ‘धर्मेन्द्र’ फूलों की होली मनाई.... परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू निवासी : भानपुरी, वि.खं. - गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़ कार्यक्षेत्र : शिक्षक घोषणा पत्र...
श्रद्धा सुमन
कविता

श्रद्धा सुमन

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** महान विभूति की भारत भूईयां से विदा हो गई। सद्कर्म कर लता जी पंचतत्व में विलीन हो गई।। सुरों की खान थी, फिल्मी जगत में पहचान थी। सुरों की ताज़ थी, सुमधुर सुरीली आवाज़ थी।। लता मंगेशकर देश की मशहूर गायिका हो गई... दुनिया का एक अनमोल सितारा, वह प्राणों से प्यारा है। पार्श्वगायिका का देख नज़ारा, मेहनत से गीत संवारा है।। भारतीयों की जिंदगी का वह एक संगीत हो गई... स्वर कोकिला उपाधि मिली, स्वर साम्राज्ञी कहलाई। नाइटिंगल ऑफ इंडिया ना जाने और कई उपाधियां पाई।। भारत रत्न से विभूषित वह लोकप्रिय हो गई.. ९२ वर्ष तक आभा बिखेरीं, गीत-संगीत ही दुनिया रही। फिल्मों को दी नई परिभाषा, सम्मान उन्हें मिलती रही।। श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं, दुनिया को अलविदा कह गई... परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू निवासी...
बापू जी धन्य हो गए
कविता

बापू जी धन्य हो गए

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** प्रकाश पुंज के पथ प्रशस्त कर बापू जी धन्य हो गए। सत्य अहिंसा का मार्ग बताकर बापू जी पुण्य हो गए ... सरल सहज सरस सौम्य स्वभाव व्यक्तित्व के धनी थे, सादा जीवन उच्च विचार सुमधुर व्यवहार के मनि थे। हे राम ! कहकर भारत में बापू जी पूजनीय हो गए.. साबरमती आश्रम का सृजनकर संत वे कहलाए, मोहनदास को उपाधि मिली तो महात्मा कहलाए। सत्कर्म सबक सिखाकर दुनिया में बापू जी अमर हो गए... सादा ऐनक खादी कपड़ा सफेद धोती पहनते थे, आंदोलन में भाग लेने लाठी पकड़ सरपट वो चलते थे। गुलामी की जंजीरों से मुक्तकर बापू जी महान हो गए... श्रवण करता श्रद्धा सुमन गांधी जी की पुण्य स्मृति में, राम राज्य का सपना संजोने सॅंवार लें हम संस्कृति में। रघुपति राघव राजा राम* बापू जी के प्रिय भजन हो गए.. परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार...
मंगलमय हो
कविता

मंगलमय हो

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** नव वर्ष तुम्हें मंगलमय हो, नित नई सफलताएं पाएं। नव वर्ष तुम्हें दे हर्ष सदा, उन्नति के पथ पर बढ़ते जाएं।। नव उमंग नव तरंग लेकर, खुशियों से सराबोर हो जाएं । नव उल्लास उत्साह मन में, जीवन उपवन सृजित हो जाएं। मन मंदिर में दीप जलाकर, अज्ञानता को सूदूर भगाएं , काम क्रोध मोह जलाकर, जीवन को सुस्वर्ग बनाएं।। सुखद पल हृदय में लाकर, संस्कार बीज रोपित हो जाएं। नव रुप हर क्षण नवरंग दें, नव जीवन सुखमय हो जाएं।। गुरुजी का श्रवण कर लें, नव ऊर्जा नव जोश लाएं। संयम नियम साधना से ही, नूतन वर्ष का बधाई पाएं।। परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू निवासी : भानपुरी, वि.खं. - गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़ कार्यक्षेत्र : शिक्षक घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एव...
बाबा साहब
कविता

बाबा साहब

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू बालोद (छत्तीसगढ़) ******************** विपुल प्रतिभा के छात्र रहे, माता-पिता के नाम कमाये। देश का ऐसा मानव हुआ, जो आज महामानव कहलाये। विधि विधान का पालनकर, लिखित संविधान जो रचाये। नियम संयम का सृजनकर, आज बाबा पूजनीय कहलाये। जाति-पाति का भेद मिटाकर, जो ज्योति किरणें बिखराये। छुआछूत का खाई पाटकर, समाज सुधारक वे कहलाये। श्रमिक किसान मजदूर हितार्थ हक और अधिकार दिलाये। सामाजिक कुरीतियों से लड़कर बाबा आज लोकप्रिय कहलाये। मन मंदिर का दीप जलाकर, मानवता का पाठ सिखलाये। संत गुरुओं का सत्संग पाकर, भीम बौद्ध धर्म अपनाये। त्रिरत्न पंचशील संदेश गढ़कर, जीवन अपना धन्य बनाये। आष्टागिंक मार्ग में चलकर, अहिंसा के पुजारी कहलाये। बाबा के रास्ता को अपनाकर, जिंदगी को जो स्वर्ग बनाये। दुनिया में इतिहास रचकर, संविधान के जनक कहलाये। आज म...