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Tag: देवप्रसाद पात्रे

अनाथ बच्चा
कविता

अनाथ बच्चा

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** अनाथ बच्चा बेसहारा हूँ। जीवन के सफर में हारा हूँ।। जब भूख लगे न मिले भोजन भूख की अग्नि में जले तनमन बिगड़ी हालात का मारा हूँ। जीवन के सफर में हारा हूँ... मह-मह करती होटल में बनती रोटियाँ झाँकता हूँ। इस पापी पेट की आग बुझाने हरदम मौके ताकता हूँ।। कहते हो लोफर आवारा हूँ जीवन के सफर में हारा हूँ... दे दो न दीदी भैया कहकर हर दिन हाथ फैलाता हूँ। मिले भोजन कभी मिले नहीं पानी से प्यास बुझाता हूँ।। असहनीय दुखों का पिटारा हूँ। जीवन के सफर में हारा हूँ... पढ़ना चाहूँ मैं भी लेकिन हाथ में कलम न किताब है। ढूंढ रहा सुकून का जीवन बस भूख का हिसाब है। कूड़े करकट सा किनारा हूँ। जीवन के सफर में हारा हूँ।। रोटी की खातिर घूमता रहता। हरदम मैं मारा जाता हूँ। होटल-गलियों स्टेशनों चौराहों में दुत्कारा जाता हूँ। कड़वा पानी ...
जिन्दगी
कविता

जिन्दगी

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** सुख और दुख का डेरा है जिंदगी। उजाला तो कभी अंधेरा है जिंदगी।। छांव कहीं तपती धूप है जिंदगी। माथे चंदन कहीं धूल है जिंदगी।। मशहूर कहीं बदनाम है जिंदगी। सुबह तो कहीं शाम है जिंदगी।। टूटना हारना और है बिखरना जिंदगी। गिरकर खुद ही सम्भलना है जिंदगी।। कहीं छल-कपट से घिरी है जिंदगी।। दुश्मन कहीं अपनों से भिड़ी है जिंदगी।। झूठी आशाओं से उदास है जिंदगी। कहीं उम्मीदों की आवाज है जिंदगी।। खुशियाँ तो कहीं गमों का भंडार है जिंदगी। कड़वाहट तो कहीं मीठे रस की धार है जिंदगी।। माना कि हर कदम इम्तिहान है जिंदगी। पर फर्ज निभाते रहें तो आसान है जिंदगी।। परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
शहीद बिरसा मुंडा जी
कविता

शहीद बिरसा मुंडा जी

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** वीर जन्मा जनजाति अभियान के लिए जल जंगल जमीन स्वाभिमान के लिए हमको देने जीवन दान, वीरसा हो गए कुर्बान। चले हथेली लेके जान। वीरसा हो गए कुर्बान।। अदम्य साहस निडर वीरता से भरपूर। आदिवासी क्रांतिकारी नाम से मशहूर। भुजा सजे तीर कमान। वीरसा चले सीना तान।। चले हथेली लेके जान। वीरसा हो गए कुर्बान।। स्वतंत्रता सेनानी आदिवासी लोक नायक थे। ब्रिटिश शासन हिलाने वाले प्रेरणादायक थे।। नीति नियम की मार, दर्द झेल आदिवासी। चरम पर नर-संहार, कितने झूल गए फांसी।। इतिहास के पन्ने बने शान वीरसा हो गए महान।। चले हथेली लेके जान। वीरसा हो गए कुर्बान।। जमी के ठेकेदार कैसे हक छीन जाते थे? उनके मुँह का निवाला कैसे लूट खाते थे? मालिकाना हक से अब बनने लगे मजदूर। कसूरवार ठहराए, जबकि वो थे बेकसूर।। आदिवासियों के शान ...
बेटा शहर जात हे …
आंचलिक बोली, कविता

बेटा शहर जात हे …

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** (छत्तीसगढ़ी बोली) बेटा ल शहर के पिज्जा-बर्गर बड़ लुभात हे। दाई हाथ के चटनी बासी अब नई मिठात हे।। अपन गाँव-घर ल छोड़, बेटा शहर जात हे... धनहा खार के नागर तुतारी अब नई सुहात हे। बेटा घुमय शहर, ददा भिन्सारे ले खेत जात हे।। अपन गाँव-घर ल छोड़, बेटा शहर जात हे... नागर के मुठिया पकड़त म अब लजात हे। हाथ म मोबाइल आँखी म तश्मा सजात हे।। अपन गाँव-घर ल छोड़, बेटा शहर जात हे... जहुरिया मन संग पार्टी म मजा खूब आत हे। दाई ददा बोरे बासी, बेटा मुर्गा-भात खात हे।। अपन गाँव-घर ल छोड़, बेटा शहर जात हे... जांगर धर लिस ददा के, बइठे बइठे चिल्लात हे। कान होके भैरा होगे, बेटा ल नई सुनात हे।। अपन गाँव-घर ल छोड़, बेटा शहर जात हे... सुरु होगय मुंह जबानी, धर के बात नई बतात हे। बड़े से बात कइसे करना हे, संस्कार ल भुलात हे। अपन गाँव-घर ल...
अपना देश है अपनी धरती
कविता

अपना देश है अपनी धरती

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** अपना देश है अपनी धरती। अपनी ही माटी में लुटती नारी।। अत्याचार अहिंसा का शिकार। अपने ही घर दम घुटती नारी।। इतिहास के पन्ने हैं बतलाते, सदियों से छली जाती रही है। त्याग समर्पण विश्वास के बदले अपनों से धोखा खाती रही है।। दुश्मनों पर जो पड़ती भारी। किन्तु कुचक्र से हारी है नारी।। इश्क़ - मोहब्बत के नाम पर। टुकड़ो में काटी जाती है नारी।। जाग गई तो जग का कल्याण। माता सावित्री बन प्रेरणा नारी।। बदले की चिंगारी भड़क उठी तो, वीरांगना फूलन बन इतिहास गढ़ती नारी।। परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचि...
स्वाभिमानी
कविता

स्वाभिमानी

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** विपरीत परिस्थितियों से लड़ने वाला। स्व-मान-सम्मान की रक्षा करने वाला।। हर जीवन की करे खुशियों की कामना। सहज ही कर लेते मुशीबतों का सामना।। नैतिक मूल्यों से सुरक्षित आत्मसम्मान। स्वाभिमानी जीवन की यही पहचान। छल-कपट, प्रपंच मन में कभी न आये। निश्छल सेवाभाव से व्यक्तित्व महान।। रिश्ते-नातों की समझते अहमियत। होते कर्तव्यनिष्ठ स्वभाव में वफादारी।। मान-मर्यादा इज्जत की करते परवाह। शिष्टाचार, सरल-व्यवहार, ईमानदारी।। स्वाभिमानी कर्तव्यनिष्ठता करे स्वीकार। संघर्ष राह में सदैव हार जीत को तैयार।। परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्द...
मधुर ताल में
कविता

मधुर ताल में

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** मधुर ताल में बजने वाली तुम्हारी ढोल का पोल कहीं न खोल दूँ।। सील दो जबान मेरी तुम्हारे खिलाफ कहीं न बोल दूँ। बहुत हो गया तेरा नाच गाना। अब चलेगा न तेरा कोई बहाना।। देख फड़फड़ा रहे हैं लब मेरे, कह रहे तेरे हर नब्ज को टटोल दूँ।। सील दो जबान मेरी तुम्हारे खिलाफ कहीं न बोल दूँ। चलाके प्यार से एक तीर तूने कई शेरों का शिकार किया है। बड़े मनमोहक अंदाज से तूने, खंजर सीने पे वार किया है।। बताके बाजार में औकात, तेरी असल कीमत बोल दूँ। सील दो जबान मेरी तुम्हारे खिलाफ कहीं न बोल दूँ। परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर ...
जिंदगी
कविता

जिंदगी

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** सुख और दुख का डेरा है जिंदगी। उजाला तो कभी अंधेरा है जिंदगी।। छांव कहीं तपती धूप है जिंदगी। माथे चंदन कहीं धूल है जिंदगी।। मशहूर कहीं बदनाम है जिंदगी। सुबह तो कहीं शाम है जिंदगी।। टूटना हारना और है बिखरना जिंदगी। गिरकर खुद ही सम्भलना है जिंदगी।। कहीं छल-कपट से घिरी है जिंदगी।। दुश्मन कहीं अपनों से भिड़ी है जिंदगी।। झूठी आशाओं से उदास है जिंदगी। कहीं उम्मीदों की आवाज है जिंदगी।। खुशियाँ तो कहीं गमों का भंडार है जिंदगी। कड़वाहट तो कहीं मीठे रस की धार है जिंदगी।। माना कि हर कदम इम्तिहान है जिंदगी। पर फर्ज निभाते रहें तो आसान है जिंदगी।। परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
द्वार-द्वार दीप जला लो
कविता

द्वार-द्वार दीप जला लो

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** द्वार-द्वार में दीप जला लो। आगोश में आई खुशहाली।। घर-आंगन को महका लो। मिल के मना लो दीवाली।। हर सीने में प्रेम का साज लिए। हंसी खुशी का मन में राग लिए।। हर गली की दुकानें हैं सजने लगे। जगमगाते नए रंग में दिखने लगे।। टिमटिमाते बिजलियाँ फूल मालाएं, शोभा बढ़ गई है बाजारों की। आसमां से उतर आई हो जैसे, बारात चाँद-सितारों की।। चौमास कड़ी मेहनत खेतों में। आज खुशी से झूम रहे किसान।। बारहमास पेट की भूख मिटाने। धन-धान्य से भर रहे खलिहान।। अलबेलों की आतिशबाजियां, आकाश में गुंजायमान है। सर्वधर्म समभाव समाया, देखो मेरा भारत महान है।। परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी ...
कुम्हार के दीये
कविता

कुम्हार के दीये

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** पीढ़ियों से पुरुखों की विरासत बढाने। मिट्टी से बने दीये कंधों में सम्भाले।। सुख शांति की कामना लिए दीवाली में उमंग के पल। द्वार तेरे दीपों से सजाने, निकल पड़े हैं आजकल।। जगमगाती दीपों के पर्व में, उनके होंठों पे मुस्कान दे दो कुम्हार के दीये ले लो.. तामझाम रौनक बाजारों में, तुम्हें मिट्टी के दीये रास आ जाये। तुम्हारे महल की रोशनी से, उनके अंधेरे घरों में प्रकाश आ जाये।। खुशियों की आश लिए बाहों में, बैठ जाते हैं चौक-चौराहों में। आशाओं के दीप जलाकर, बैठे हैं तेरे इंतजार में। खुशियों की सौगात दे दो। कुम्हार के दीये ले लो.. परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताए...
दिल चाहता है
कविता

दिल चाहता है

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** वक्त है जीवन संघर्ष का, हर हाल में साथ दूँ। कदम बढ़ा के आगे, तेरे हाथों में हाथ दूँ।। दिल चाहता है.... चाहे पीता रहूँ दर्द का घूँट, चाहे हो पीड़ा घनीभूत।। हरपल देखूँ तेरी मुस्कराता चेहरा, मेरी हर धड़कन में हो तेरा पहरा दिल चाहता है... तू चले कहीं तो बनके साया तेरे साथ चलूँ। रंग जाऊँ तेरे रंग में, लेके हाथों में हाथ चलूँ।। दिल चाहता है... तू छूले बुलंदी आसमां की, तुम्हें थामने तेरे पास रहूँ। सुन ले आवाज दिल की, तुझमें बनके एहसास रहूँ।। दिल चाहता है.. तेरी हर फिक्र की फिक्र करूं, तेरी उलझनों से वाकिफ रहूँ। तेरी हर दर्द को सीने से लगा, हर गम का बोझ सहता रहूँ।। दिल चाहता है... परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह र...
क्या लिखूँ
कविता

क्या लिखूँ

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** काली कजरारी तेरी आंखों को लिखूँ। या फना होता तुम पे अपनी हालातों को लिखूँ। क्या लिखूँ? लटकती कानों में बाली को लिखूँ। या रसभरी होंठों की लाली को लिखूँ। क्या लिखूँ? मेहंदी से सजे खूबसूरत हाथों को लिखूँ। या कोयल सी मीठी बातों को लिखूँ। क्या लिखूँ? पहाड़ियों में बसा तुम्हारा गांव लिखूँ। या तेरी घनी बिखरी बालों का छांव लिखूँ। क्या लिखूँ? छन-छन करती तेरी पायल की झनकार लिखूँ। या तीर नजरों से घायल सीने के आर-पार लिखूँ। क्या लिखूँ? चाहता हूँ दिल की अपनी हर बात लिखूँ। सपनों के सागर में डूबा अपना जज्बात लिखूँ।। और क्या लिखूँ? दे दो हाथों में हाथ फिर एक नया आगाज लिखता हूँ। मिला दो सुर में सुर फिर एक नई आवाज लिखता हूँ।। परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह...
शहीद भगत सिंह
कविता

शहीद भगत सिंह

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** होंठो पर मुस्कान, हथेली में लेकर जान। वीरों के वीर शहीद भगत सिंह महान। निकल पड़े थे अकेले दुश्मनों को हराने। बचपन से ही सिर्फ आजादी के दीवाने।। रग-रग में भरी थी साहस चलते सीना तान के। मौत से कभी न डरा, जीते थे जो शान से।। जीवट, जुनूनी व एकाकी भावना। देश पर फ़ना होने को ठाना दीवाना। वीर भगत सिंह की मूँछो पर ताव। गोरे दुश्मन को करते रहे थे घाव।। बाँध चले थे जो सिर पर कफन। जोश-ए-जुनून से लबरेज क्रांतिकारी। वीर भगत सिंह, राजगुरु, सुकदेव। तीनों वीर अंग्रेजी हुकूमत पर भारी।। असेम्बली में बम फेंका, सलाखों को सीने से लगाया। खुद को देश पर कुर्बान किया, हर सीने में देशप्रेम जगाया।। खून में था देशभक्ति का जज्बा, नारा था साम्राज्यवाद मुर्दाबाद।। वतन कि फिजां में आज भी गूँज रही है। भगत सिंह जिन्दाबाद, इंकलाब जिंद...
साक्षरता की मशाल
कविता

साक्षरता की मशाल

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** साक्षरता की मशाल जलाकर नौजवानों आओ। अज्ञानता के अंधकार को मिलके सभी भगाओ। गरीब अनपढ़ बिना ज्ञान के, लूट रहे हैं साहूकार। पीढ़ी-पीढ़ी बहते जा रहे हैं अनपढ़ता के धार।। मिलके सभी आओ साथियों ज्ञानदीप जलाओ। अज्ञानता के अंधकार को मिलके सभी भगाओ। हक है उन्हें भी शिक्षा पाने का जो खेतों में हल चलाते। झोपड़ी मिट्टी के घरों में रहकर तेरे लिए महल बनाते।। मिलके सभी आओ जवानों अपना फर्ज निभाओ। अज्ञानता के अंधकार को मिलके सभी भगाओ।। कोई न हो लाचार दे दो जीवन को शिक्षा का आधार। खुशियों से उनकी दामन भरकर दे दो नया संसार।। बनके तुम शिक्षादाता हर हाथ में कलम थमाओ। अज्ञानता के अंधकार को मिलके सभी भगाओ।। परिचय :  देवप्रसाद पात्रे निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना,...
उस हसीं को मरते हजार बार देखता हूँ
कविता

उस हसीं को मरते हजार बार देखता हूँ

देवप्रसाद पात्रे मुंगेली (छत्तीसगढ़) ******************** कभी खुशियों की बौछार देखा था आज उन आँखों में आंसुओं की अम्बार देखता हूँ। न जाने कितनी ठोकरे खाई है, आज उस हसीं को मरते हजार बार देखता हूँ।। पूछा-वो तुम्हारा मुस्कराता चेहरा कहाँ गया? हँसता-खेलता और हरा-भरा घर कहाँ गया? छन-छन करती पायल की झनकार कहाँ गई? वो मीठी नोक-झोंक वाला प्यार कहाँ गया? वो खिलखिलाती हँसी, जीने की नए अंदाज को आज गुमसुम और उदास देखता हूँ। न जाने कितनी ठोकरे खाई है, आज उस हसीं को मरते हजार बार देखता हूँ।। पलकें झुकाए सुना गौर से फिर बोली यार। क्या कहें इश्क़बाजी का छाया था खुमार।। पाल रखी थी उम्मीदें एक छोटी सी दुनियां बसाने की। हमदम साथ मिल कर एक नई पहचान बनाने की।। वो हरदम जुल्म ढाता रहा मैं सहती रही। वो धोखे का और मैं प्रेम का बीज बोती रही। उनके हर सितम का घूंट पीती रही। ...