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सुख के क्षण
कविता

सुख के क्षण

दीपानिता डे दिल्ली यूनिवर्सिटी (दिल्ली) ******************** जीवन में समस्या कितनी हैं सुख में दिन बीत रहे हो तो सब साथ है दुख में दिन बीत रहे हो तो अपना ना कोई सुख में दिन इतनी जल्दी बीते प्रतीत हुआ क्षण भर दुख के क्षण भी ऐसे गुजरे जैसे वर्ष समान सुख में इतने खो जाए कि कोई याद ना आए दुख में ईश्वर स्मरण पहले आए सुख में बिन बुलाए महमान घर आए दुख में सब साथ छोड़ जाए सुख में अहम भाव आ जाए दुख में अवसाद घेर जाए मनुष्य मौन हो जाए अपना भी उसे कोई ना भाए सुख के क्षण मानव जल्द भूल जाए परंतु दुख के क्षण सर्वत्र याद आये परिचय :- दीपानिता डे निवासी : दिल्ली यूनिवर्सिटी (दिल्ली)  घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, र...