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Tag: तनेंद्रसिंह “खिरजा”

निज हित के प्रयास भुलाकर
कविता

निज हित के प्रयास भुलाकर

तनेंद्रसिंह "खिरजा" जोधपुर (राजस्थान) ******************** निज हित के प्रयास भुलाकर, निज प्राणों से ऊपर उठकर जो देश के हित सब करते हैं वो वीर भला कब मरते हैं! तीक्ष्ण धूप में, शीत- धार में घोर बसंत में, सूखे पतझड़ कदम बड़े जो धरते हैं वो वीर भला कब मरते हैं! काल के बादल छा जाने से ग़म का तम सब छाया है ये मत सोचो क्या- क्या खोया ये सोचो क्या पाया है अभिनव भारतवंश के बेटे सूर कभी नहीं डरते हैं वीर भला कब मरते हैं! भारत मां के कण- कण मिलकर सृष्टि खुद कर जोड़- जोड़कर मुख से मधुर सा गान करेगी रावत पुष्प के नाम करेगी देश के खातिर सबकुछ तज दो दिल- मस्तक में ये समर रहे बिपिन सिंह रावत अमर रहे बिपिन सिंह रावत अमर रहे परिचय :- तनेंद्रसिंह "खिरजा" निवासी : ग्राम- खिरजा आशा, जोधपुर प्रांत, (राजस्थान) शिक्षा : स्नातक (विज्ञान वर्ग) जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय ...
राणा के प्रताप
कविता

राणा के प्रताप

तनेंद्रसिंह "खिरजा" जोधपुर (राजस्थान) ******************** सदियों पहले लिखी कहानी आज भी गायी जाती हैं, हर बेटे को माँ के मुख से ये बात सुनाई जाती हैं। मुग़लों की सेना में डर था और दिल्ली भय से दहक उठी, मेवाड़ में उजले नए सूरज से कुंभलगढ़ में महक उठी।। झुका नहीं था मुकुटमणि वह लौहस्तम्भ सा खड़ा रहा, मुग़लों की सेना के सम्मुख चेतक के संग अड़ा रहा। एक हिदायत दी राणा को दुरशा का संदेशा था, कहीं मार दे राणा मुझको ये अकबर को अंदेशा था।। काल से काँपे अकबर ने फिर एक छोटी सी चाल चली, प्रथम भेजा बहलोल को राणा को तूँ मार बली। अकबर ने वह मंजर देखा तब स्वयं को पीछे मोड़ दिया, जब राणा ने एक वार से महाबली को तोड़ दिया।। इससे पूर्व दिल्ली का शासक दूतों को भिजवाता हैं, सारे अनुबंधों को राणा तब जूते से ठुकराता हैं। वनवास को रह लूँगा और घास की रोटी खा लूँगा, मगर मेरे ...
थारे राज
हास्य

थारे राज

तनेंद्रसिंह "खिरजा" जोधपुर (राजस्थान) ******************** ए सांचा दिन देखिया, नाती थारे राज अस्सी सूं तो कम नहीं, सौ से सारे पास क्यूँ प्रभु सूं प्रार्थना, क्यूँ प्रभु सूं आस कर नाती सूं धरमेला, शीघ्र करेला पास नियत म्हारी साफ़ घणी, मत बताओ खोट जै बणणो आर ए एस, तो म्हाने दीजो वोट शिक्षा रथ रो पैरवी, खूब जमायो रंग गहलोत थारी ग्वाल ने, नात करावे भंग जुग जुग जीये सूरमां, टाबर करे पुकार थांसू होसी सगपणा, थारी जय जयकार जय जय थारे काम ने, जय थारी सरकार गधा घोड़ा सब एक कर, सांची मारी मार राजा भया रंक भया, भयी न घृणा क्रोध एहड़ा अंक जमाविया, टाबर करसी मोद अंतिम विणती आपने, नाती जी सरकार आर ए एस थारे सगां ने, म्हाने करे पटवार परिचय :- तनेंद्रसिंह "खिरजा" निवासी : ग्राम- खिरजा आशा, जोधपुर प्रांत, (राजस्थान) शिक्षा : स्नातक (विज्ञान वर्ग) जयनारायण व्यास विश्वविद्या...
हाड़ी रानी का त्याग (काव्यखंड)
कविता

हाड़ी रानी का त्याग (काव्यखंड)

तनेंद्रसिंह "खिरजा" जोधपुर (राजस्थान) ******************** ये कथा हैं एक जौहर की एक केशरिये पानी की समरखेत में शीश छौंपने* वाली हाड़ी रानी की एक निशा न बीती बंधन ये कुदरत की अठखेली थी मेहंदी का रंग तर पड़ा था हाड़ी अभी नवेली थी सुनते जाओ रजपूती को तुम्हें सुनाने आया हूँ और हाड़ी वाली क्षत्राणी के बलिदान को गाने आया हूँ एक समय जब काल के बादल मेवाड़ धरा पर मंडराए कम्पित हुई जनता सारी स्वयं महाराणा घबराए औरंग की सेना ने कूचा मेवाड़ी प्राचीरों को राजसिंह घबराए और पत्र भेजे उन वीरों को शीघ्र बुलाओ चुंडावत को वो औरंग को रोकेगा समरांगण में वही मात्र हैं जो प्राणों को झोंकेगा सुनते जाओ अभी शेष हैं स्वाभिमानी लहू पड़ा हाथ ध्वज ले चुण्डा विजय को क़िले के आगे जूझ खड़ा सुनते जाओ रजपूती को तुम्हें सुनाने आया हूँ और हाड़ी वाली क्षत्राणी के बलिदान को गाने आया हूँ ...
निज कर्मों से निखरूंगा
कविता

निज कर्मों से निखरूंगा

तनेंद्रसिंह "खिरजा" जोधपुर (राजस्थान) ******************** आशा के कुछ क्षणभर लेकर, साहस भरे कदमों से चलकर आँधी और तूफ़ानों से लड़ना शत्रु से शत्रु बन भिड़ना प्रखरता के चरम क्षणों में पत्थर बनकर न बिखरूँगा निज कर्मों से निखरूँगा यश-अपयश और क्षमा-याचना, सुख-दुःख में कर पाप-प्रार्थना ध्येय के पथ से न बिसरूँगा निज कर्मों से निखरूँगा कुंठा, व्यथा, चित कामना धूमिल भाव की द्वेग भावना परपीड़क आनंदित होकर कर्मसाधना को मंदित कर-कर, ऐसा सार ना रचूँगा निज कर्मों से निखरूँगा निज कर्मों से निखरूँगा परिचय :- तनेंद्रसिंह "खिरजा" निवासी : ग्राम- खिरजा आशा, जोधपुर प्रांत, (राजस्थान) शिक्षा : स्नातक (विज्ञान वर्ग) जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर रुचि : साहित्य, संगीत, प्रशासनिक सेवा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं...